कबूतर और चूहे की कहानी | Kabutar Aur Chuha Ki Kahani | Hindi Kahaniya

कबूतर और चूहे की कहानी भाग 1: कबूतर और चूहे की दोस्ती की शुरुआत

कबूतर और चूहे की कहानी-एक बार की बात है, जंगल में एक कबूतर रहता था जो अपनी सादगी और खुशमिजाजी के लिए जाना जाता था। वह हर दिन आकाश में उड़ते हुए अपनी जीवन यात्रा का आनंद लेता, हरे-भरे पेड़ों के बीच से निकलता और नदियों के ऊपर तैरता। उसकी ज़िंदगी बहुत ही शांतिपूर्ण और खुशहाल थी, और वह किसी भी समस्या से दूर रहता था।

लेकिन एक दिन, जैसे ही कबूतर अपनी उड़ान भर रहा था, अचानक वह शिकारी के जाल में फंस गया। जाल इतना चतुराई से बिछाया गया था कि कबूतर उसे देख न सका और उसमें फंसकर बुरी तरह उलझ गया। वह अपनी पूरी ताकत से उड़ा, लेकिन जाल की मजबूत जंजीरों ने उसे बुरी तरह पकड़ लिया। कबूतर घबराया हुआ था। वह लगातार अपने पंखों से संघर्ष करता रहा, लेकिन जाल ने उसे मजबूती से पकड़ रखा था।

वह समझ नहीं पा रहा था कि इस स्थिति से बाहर कैसे निकले। शिकारी जल्द ही आकर उसे पकड़ने वाला था। कबूतर का दिल डर से धड़कने लगा, और उसने खुद से कहा, “क्या यह मेरी ज़िंदगी का अंत है? क्या मैं इस जाल से कभी बाहर निकल पाऊंगा?”

इसी दौरान, पास ही के घास के मैदान में एक छोटा सा चूहा अपने काम में व्यस्त था। वह जंगल का एक सामान्य निवासी था, लेकिन उसकी नज़र कबूतर पर पड़ी। उसने देखा कि कबूतर जाल में फंसा हुआ है और उससे छुटकारा पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। चूहा पहले तो डर गया, क्योंकि वह जानता था कि शिकारी के जाल में फंसा कोई भी जीव बड़ा संकट में होता है। लेकिन फिर उसने सोचा, “अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो क्यों न करूं?”(कबूतर और चूहे की कहानी)

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “कबूतर और चूहे की कहानी"| Kabutar Aur Chuha Ki Kahani | हिंदी कहानी यह एक Animal Story है। अगर आपको Animal Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

चूहे ने तुरंत अपनी योजना बनाई। वह धीरे-धीरे कबूतर के पास पहुंचा और अपनी नन्ही-सी दांतों से जाल को कुतरने लगा। चूहा जानता था कि उसका आकार छोटा है, लेकिन उसके पास एक अद्भुत दृढ़ नीयत और साहस था। उसने बिना किसी झिझक के अपनी कड़ी मेहनत शुरू कर दी। वह लगातार जाल के तंतुओं को काटता जा रहा था, और कबूतर धीरे-धीरे राहत महसूस करने लगा।(कबूतर और चूहे की कहानी)

चूहे की मेहनत और लगन से जाल में फंसी कबूतर की स्थिति में सुधार होने लगा। कबूतर को यह समझ में आया कि इस छोटे से जानवर ने उसकी मदद के लिए अपना समय और श्रम दिया। वह चूहे की कड़ी मेहनत और दयालुता को देखकर बेहद प्रभावित हुआ।

कुछ समय बाद, चूहे की मेहनत रंग लाई, और जाल पूरी तरह से टूट गया। कबूतर अब पूरी तरह से आज़ाद था। उसने अपनी ज़िंदगी को बचाने के लिए चूहे का धन्यवाद किया। “तुम्हारा धन्यवाद, छोटे दोस्त,” कबूतर ने कहा, “तुमने मुझे उस जाल से बाहर निकालकर मेरी जान बचाई। अगर तुम न होते, तो मैं निश्चित रूप से शिकारी के पास चला जाता।”

चूहा मुस्कराया और कहा, “कोई बात नहीं, मित्र। हम सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, चाहे हम किसी भी आकार के हों। छोटे होने का मतलब यह नहीं कि हम कुछ नहीं कर सकते। तुमने भी कभी मुझे नहीं देखा था, लेकिन तुमने मुझसे उम्मीद की और मुझे मौका दिया।”(कबूतर और चूहे की कहानी)

कबूतर ने सिर झुकाया और कहा, “मैं तुमसे हमेशा आभारी रहूंगा। अब से हम हमेशा अच्छे दोस्त होंगे। किसी भी संकट में, हम एक-दूसरे का साथ देंगे।”

कबूतर और चूहे की कहानी संदेश:
इस भाग में कबूतर और चूहे की कहानी ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया: “दोस्ती और मदद कभी आकार और ताकत से नहीं मापी जाती, बल्कि दिल की अच्छाई और दयालुता से मापी जाती है।” चूहा, जो आकार में छोटा था, ने अपनी समझदारी और साहस से कबूतर को बचाया। यह दर्शाता है कि हर जीव का अपना महत्व होता है और कभी-कभी छोटे लोग भी बड़ी मदद कर सकते हैं।

यह कबूतर और चूहे की कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी की मदद करने का कोई आकार नहीं होता, और हमें कभी भी यह नहीं मानना चाहिए कि हम किसी को सहायता नहीं दे सकते क्योंकि हम छोटे हैं या हमारे पास सीमित संसाधन हैं। छोटे-से-छोटे कार्य भी बड़े बदलाव ला सकते हैं, और हमें हमेशा एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

“दोस्ती का असली अर्थ यही है कि हम एक-दूसरे के संकट में साथ खड़े हों, बिना यह देखे कि सामने वाला कितना बड़ा या छोटा है।”

कबूतर और चूहे की कहानी भाग 2: कबूतर और चूहे की दोस्ती का इम्तिहान

कुछ दिन बीतने के बाद, कबूतर और चूहे की दोस्ती और भी गहरी हो गई थी। दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे, और उनके बीच कभी कोई मतभेद नहीं आया। कबूतर अपनी उड़ान के दौरान अक्सर चूहे से मिलकर खुश होता और उसकी मदद के लिए तैयार रहता।

एक दिन, कबूतर अपनी रोज़ की उड़ान में जंगल के ऊपर से उड़ते हुए उस रास्ते पर जा रहा था, जहाँ शिकारी पहले उसे जाल में फंसा चुका था। उसी समय, उसने दूर से शिकारी को देखा, जो अपनी कुछ नई चतुराई से जाल लगाकर कुछ और पक्षियों को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। शिकारी के पास एक बड़ा जाल था, जिसे वह कुछ समय पहले बिछा चुका था। कबूतर ने देखा कि शिकारी अब उसकी तरफ बढ़ रहा था, और वह डर के मारे जल्दी से आकाश में उड़ने लगा।

लेकिन इस बार शिकारी ने उसे अपनी चतुराई से घेर लिया। कबूतर ने अपनी पूरी ताकत लगाकर उड़ने की कोशिश की, लेकिन शिकारी ने एक बार फिर से उसे पकड़ लिया। कबूतर के पंख जाल में फंसे हुए थे, और वह बड़ी मुश्किल से अपनी स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। डर और घबराहट के बीच, कबूतर ने अपने पुराने दोस्त चूहे को याद किया।

“मुझे उसकी मदद की ज़रूरत है!” कबूतर ने सोचा। “चूहा मुझे पहले भी बचा चुका है, शायद अब वह मेरी मदद कर सके।”

कबूतर ने अपनी आवाज़ से चूहे को पुकारा, “चूहे! मुझे तुमसे मदद की जरूरत है। मैं शिकारी के जाल में फंसा हूं!”

चूहे ने कबूतर की पुकार सुनी और तुरंत समझ गया कि कबूतर संकट में है। उसे याद आया कि कबूतर ने एक बार उसकी मदद की थी, तो अब उसकी बारी थी। बिना समय गंवाए, चूहा दौड़ते हुए शिकारी के पास पहुंचा। वह जानता था कि शिकारी कितना चालाक और खतरनाक हो सकता है, लेकिन उसे यह भी पता था कि दोस्ती के रिश्ते को निभाने का यही सही समय था।(कबूतर और चूहे की कहानी)

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चूहा शिकारी के पास पहुंचा और अपनी छोटी-सी काया का उपयोग करते हुए शिकारी के पैरों के पास घुसने लगा। शिकारी ने उसे देख तो लिया, लेकिन चूहे की गति इतनी तेज थी कि वह शिकारी के जाल को चतुराई से घेरने में सफल हो गया। शिकारी ने जैसे ही चूहे को पकड़ने की कोशिश की, वह फुर्ती से अपनी दिशा बदलकर शिकारी को भ्रमित कर दिया। चूहा शिकारी के चारों ओर दौड़ने लगा, और शिकारी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करता रहा, लेकिन चूहे ने उसे लगातार चक्कर में डाल दिया।(कबूतर और चूहे की कहानी)

इस दौरान, कबूतर ने चूहे की योजना को समझ लिया। वह धीरे-धीरे जाल से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा। चूहा लगातार शिकारी के ध्यान को भटका रहा था, और कबूतर को जाल से बाहर निकलने का समय मिल गया। कुछ ही मिनटों में, कबूतर ने अपनी उड़ान भरते हुए शिकारी के जाल से खुद को मुक्त कर लिया।

कबूतर की उड़ान फिर से आसमान में थी, और वह पूरी तरह से आज़ाद महसूस कर रहा था। वह चूहे की मदद से भागने में सफल हो चुका था, और वह बहुत आभारी था। कबूतर ने चूहे की तरफ देखा और अपने दिल से धन्यवाद कहा, “चूहे, तुमने मुझे फिर से बचा लिया। तुमने अपनी जान की परवाह किए बिना मेरी मदद की। तुम सच्चे दोस्त हो!”

चूहा मुस्कराते हुए बोला, “यह तो कुछ नहीं, कबूतर। तुम्हारी मदद की जरूरत थी, और मैं हमेशा तुम्हारे लिए यहां हूं। दोस्ती का मतलब ही यही होता है कि हम एक-दूसरे की मदद करें, चाहे हमें कितनी भी कठिनाई क्यों न हो।”

कबूतर और चूहा एक-दूसरे से दोस्ती की अहमियत समझते हुए आगे बढ़े। दोनों ने महसूस किया कि दोस्ती सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि एक ऐसा रिश्ता है जो किसी भी संकट में एक-दूसरे के लिए खड़ा रहता है। उनका विश्वास एक-दूसरे पर और भी मजबूत हो गया था, और उन्होंने ठान लिया कि वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करेंगे।

कबूतर और चूहे की कहानी संदेश:
इस भाग में कहानी का मुख्य संदेश यह है कि सच्चे दोस्त हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं, चाहे उनकी स्थिति कैसी भी हो। दोस्ती का कोई आकार नहीं होता। कबूतर और चूहे ने एक-दूसरे की मदद से यह साबित कर दिया कि एक छोटा जानवर भी बड़ा काम कर सकता है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि मुश्किलें हमें एक-दूसरे के साथ खड़ा रहने की ताकत देती हैं और हमें यह समझने की जरूरत है कि सच्चे दोस्त कभी हार नहीं मानते।

कबूतर और चूहे की कहानी का निष्कर्ष:
यह कबूतर और चूहे की कहानी यह सिखाती है कि सच्ची दोस्ती और मदद से कोई भी संकट हल किया जा सकता है। चाहे हम बड़े हों या छोटे, अगर हमारे दिल में दया और मित्रता का भाव है, तो हम एक-दूसरे का सहारा बन सकते हैं। कभी भी हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दोस्ती का आधार केवल प्रेम और विश्वास होता है, और इसे समय और अवसर के अनुसार निभाना चाहिए।

थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि "कबूतर और चूहे की कहानी"|Kabutar Aur Chuha Ki KahaniAnimal Story | हिंदी कहानी कैसी लगी |

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