Hathi Aur Darji Ki Kahani भाग 1: दर्ज़ी और हाथी की मित्रता
Hathi Aur Darji Ki Kahani कहानी की शुरुआत एक छोटे से गाँव से होती है, जहाँ एक दयालु और खुशमिजाज दर्ज़ी रहता था। उसकी दुकान गाँव के बीचों-बीच थी, और वह सभी गाँववालों का पसंदीदा व्यक्ति था। वह अपने काम में निपुण था और लोगों के कपड़े सिलने में न केवल कुशलता दिखाता, बल्कि वह उनकी ज़रूरतों को भी ध्यान में रखता। उसकी सरलता और मित्रतापूर्ण स्वभाव के कारण लोग उसे बहुत पसंद करते थे।
गाँव के पास ही एक घना जंगल फैला हुआ था, जहाँ कई प्रकार के जानवर रहते थे। उन जानवरों में से एक बड़ा हाथी भी था, जो अक्सर गाँव में पानी पीने के लिए आता था और भोजन की तलाश में इधर-उधर घूमता रहता था। हाथी शांत स्वभाव का था, और वह बिना किसी को नुकसान पहुँचाए गाँव में आता-जाता रहता था। गाँववाले उसे बहुत प्यार करते थे, लेकिन उसकी सबसे ख़ास दोस्ती दर्ज़ी से थी।
दर्ज़ी और हाथी की दोस्ती बेहद अनोखी थी। हर दिन हाथी जब गाँव में आता, तो दर्ज़ी की दुकान के सामने रुकता। दर्ज़ी अपने सारे काम छोड़कर हाथी के पास आता और उसे गन्ना या कभी-कभी केले खिलाता। यह दृश्य रोज़ का था, और दोनों के बीच एक अनकही समझदारी और अपनापन पैदा हो गया था। हाथी भी दर्ज़ी की दुकान के पास आने पर खुशी से अपनी सूंड हिलाता और प्यार जताता था। दर्ज़ी और हाथी का यह रिश्ता गाँव में चर्चा का विषय बन गया था।
यह मित्रता दिनोंदिन गहरी होती गई। हाथी जब भी गाँव में आता, वह सीधा दर्ज़ी की दुकान पर जाता और उसकी आँखों में एक विशेष चमक दिखती, मानो वह किसी करीबी मित्र से मिलने आया हो। दर्ज़ी भी उसे देखकर खुश हो जाता और तुरंत उसके लिए कुछ खाने का इंतजाम करता। गाँव के अन्य लोग इस दृश्य को देखकर मुस्कुराते और इस अनोखी दोस्ती की तारीफ करते थे। (Hathi Aur Darji Ki Kahani)
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कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने इस मित्रता को एक अलग मोड़ पर पहुँचा दिया। उस दिन दर्ज़ी किसी जरूरी काम के लिए बाहर गया हुआ था, और उसकी दुकान पर उसके सहायक ने काम संभाल रखा था। सहायक का स्वभाव दर्ज़ी से बिलकुल अलग था। वह न तो उतना दयालु था और न ही उसका दिल इतना बड़ा था। वह अक्सर अपने ग्राहकों के प्रति रूखा व्यवहार करता और काम के प्रति भी उतना समर्पित नहीं था। (Hathi Aur Darji Ki Kahani)
जब उस दिन हाथी गाँव में आया और हमेशा की तरह दर्ज़ी की दुकान के पास रुका, तो उसे दर्ज़ी कहीं दिखाई नहीं दिया। फिर भी, उसकी उम्मीद थी कि दर्ज़ी जैसा कोई दयालु व्यक्ति उसे गन्ना या केला खिलाएगा। हाथी ने अपनी सूंड आगे बढ़ाई, यह सोचते हुए कि उसे कुछ खाने को मिलेगा। लेकिन उस दिन दर्ज़ी की जगह सहायक ने उसकी सूंड देखी। सहायक पहले से ही चिड़चिड़े मूड में था और उसे यह दृश्य मज़ाकिया लगा कि एक विशाल हाथी उसके सामने हाथ फैला रहा है।
सहायक ने एक शरारत करने का सोचा। उसे यह बिलकुल पसंद नहीं था कि दर्ज़ी हर दिन इस हाथी के साथ इतना समय बिताता था। उसने तय किया कि वह इस बड़े जीव को सबक सिखाएगा। सहायक ने जल्दी से अपनी सिलाई की सुई उठाई और जब हाथी ने अपनी सूंड सहायक की ओर बढ़ाई, तो उसने बड़े मज़े से सुई को हाथी की सूंड में चुभा दिया।
हाथी, जो प्रेम और दयालुता की उम्मीद में आया था, अचानक दर्द से चीख उठा। उसकी सूंड में तीखा दर्द हुआ, और वह घबरा कर अपनी सूंड पीछे खींच ली। हाथी की आँखों में गुस्से और अपमान का भाव स्पष्ट दिखाई दिया। यह अनुभव उसके लिए बहुत ही अप्रत्याशित और दुखद था। वह इस अचानक हुए आघात से हक्का-बक्का रह गया और चुपचाप वहाँ से चला गया। (Hathi Aur Darji Ki Kahani)
सहायक और वहाँ मौजूद कुछ गाँववाले यह दृश्य देखकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। उन्हें लगा कि यह सब एक मजाक है, और किसी ने इस बात की गंभीरता को नहीं समझा। लेकिन हाथी के मन में उस समय कुछ और ही चल रहा था। हाथी ने अपनी आँखों में अपमान और गुस्सा लिए जंगल की ओर रुख किया।
हाथी का स्वभाव शांत और सरल था, लेकिन इस दर्दनाक अनुभव ने उसके मन में गहरी चोट पहुँचाई थी। उसने किसी को कुछ नहीं कहा, पर उसके दिल में बदला लेने की भावना ने जगह बना ली थी। वह चुपचाप जंगल की ओर लौट गया, लेकिन अब उसका मूड बिलकुल बदल चुका था। उसके मन में दर्ज़ी के प्रति कोई गुस्सा नहीं था, क्योंकि वह जानता था कि दर्ज़ी ने उसके साथ कभी कोई बुरा व्यवहार नहीं किया था। पर सहायक की इस हरकत ने उसके मन को ठेस पहुँचाई थी, और वह इस बात को ऐसे ही नहीं भूल सकता था।
जब हाथी जंगल में वापस पहुँचा, तो वह विचारों में डूब गया। वह सोचने लगा कि आखिर उसे ऐसा क्यों सहना पड़ा। लेकिन एक बात उसके मन में साफ थी—वह इस अपमान का बदला अवश्य लेगा। (Hathi Aur Darji Ki Kahani)
अगले दिन हाथी फिर से गाँव की ओर आया। लेकिन इस बार वह पहले की तरह खुशमिजाज नहीं था। वह अब शांत दिखने के बावजूद मन में एक योजना बना चुका था। गाँव में दाखिल होते ही वह सीधा एक तालाब की ओर गया, जहाँ से उसने अपनी सूंड में पानी भरा। उसके चेहरे पर गहरी गंभीरता थी, और उसकी आँखों में बदले की भावना साफ दिख रही थी। (Hathi Aur Darji Ki Kahani)
वह तालाब से पानी भरकर दर्ज़ी की दुकान की ओर बढ़ा। जब वह वहाँ पहुँचा, तो उसने देखा कि दर्ज़ी तो अभी दुकान में नहीं आया था, लेकिन सहायक वहीं बैठा था। सहायक अब भी कल की अपनी शरारत पर हँस रहा था और किसी कोने में कुछ सिलाई का काम कर रहा था। हाथी चुपचाप उसकी ओर बढ़ा और एकदम से अपनी सूंड से सारा पानी उस पर फेंक दिया।
सहायक को यह बिलकुल अप्रत्याशित था। वह तुरंत पानी में भीग गया और दुकान का सारा सामान भी गीला हो गया। यह देखकर गाँववाले भी हैरान रह गए, लेकिन उनमें से कुछ ने सोचा कि यह हाथी का बदला है। सहायक शर्मिंदा और गुस्से से भर गया, लेकिन वह हाथी का कुछ नहीं कर सकता था।
हाथी ने अपनी सूंड उठाई और सिर ऊँचा कर गर्व से जंगल की ओर चल दिया, मानो उसने अपना बदला ले लिया हो। उसके मन में अब संतोष था, क्योंकि उसने सहायक को उसकी हरकत का सबक सिखा दिया था।
इस घटना के बाद गाँव में दर्ज़ी और हाथी की दोस्ती फिर से सामान्य हो गई। दर्ज़ी जब दुकान पर आया और उसे पूरी बात पता चली, तो उसे अपने सहायक के व्यवहार पर बेहद दुख हुआ। उसने सहायक को समझाया कि जानवरों के साथ भी दयालुता से पेश आना चाहिए, क्योंकि वे भी भावनाओं को समझते हैं। दर्ज़ी ने हाथी को फिर से प्यार से गन्ना खिलाया और उसे अपने दोस्त की तरह स्वागत किया।
Hathi Aur Darji Ki Kahani कहानी यहाँ समाप्त नहीं होती, क्योंकि हाथी और दर्ज़ी की यह अनोखी दोस्ती और भी कई मोड़ लेने वाली है। लेकिन इस घटना ने यह सिखाया कि हर जीव, चाहे वह कितना भी बड़ा या छोटा हो, प्रेम और सम्मान का हकदार होता है। (Hathi Aur Darji Ki Kahani)
Hathi Aur Darji Ki Kahani भाग 2: हाथी का बदला और समझदारी की सीख
पिछले दिन सहायक की शरारत से हाथी बहुत नाराज हुआ था, और उसे यह तय करना था कि वह कैसे अपने अपमान का बदला लेगा। हाथी स्वभाव से शांत था, लेकिन वह सहायक की सुई चुभाने वाली हरकत को भूल नहीं पा रहा था। उसने ठान लिया कि अब सहायक को सबक सिखाना जरूरी है।
अगले दिन, हाथी ने एक योजना बनाई। वह गाँव के पास की नदी की ओर गया और अपनी सूंड में बहुत सारा गंदा पानी भर लिया। यह कोई साधारण पानी नहीं था; यह वह पानी था जिसमें कीचड़ और गंदगी मिली हुई थी। हाथी ने ठान लिया कि अब वह इस पानी से सहायक को जवाब देगा।
अपनी सूंड में भारी मात्रा में गंदा पानी लिए हुए, हाथी गाँव की ओर बढ़ा। जैसे ही वह गाँव में दाखिल हुआ, लोग उसे देखते ही पहचान गए। कई लोग सोचने लगे कि हाथी इस बार क्या करने वाला है, क्योंकि पिछले दिन की घटना ने सबको चौंका दिया था।
हाथी सीधा दर्ज़ी की दुकान की ओर बढ़ा। वहाँ पहुँचकर, उसने देखा कि दर्ज़ी का सहायक और अन्य लोग दुकान के सामने खड़े थे। सहायक अब तक यह सोचकर निश्चिंत था कि हाथी फिर से कुछ खाने की उम्मीद में आया होगा। लेकिन इस बार हाथी बदले के लिए तैयार था। बिना किसी देर के, उसने गंदे पानी को दुकान और सहायक पर डाल दिया, जिससे सभी चौंक गए।
सहायक ने हाथी को देखते हुए एक हंसी के साथ उसकी ओर देखा, लेकिन यह हंसी ज्यादा देर नहीं टिक पाई। हाथी ने बिना किसी चेतावनी के अपनी सूंड से सारा गंदा पानी सहायक और उसकी दुकान पर फेंक दिया। गंदा पानी चारों ओर फैल गया। सहायक के कपड़े और दुकान में रखे कपड़े, सामान सब कुछ गीला और गंदा हो गया। सहायक हक्का-बक्का रह गया और दुकान में काम कर रहे अन्य लोग भी इस अप्रत्याशित घटना से चौंक गए।
यह दृश्य देखकर गाँववाले भी एकत्रित हो गए और कुछ लोग हंसने लगे, जबकि कुछ ने हाथी की इस हरकत को गंभीरता से देखा। सहायक पूरी तरह से गंदे पानी से भीग गया था और उसके चेहरे पर शर्मिंदगी साफ झलक रही थी। वह समझ नहीं पा रहा था कि अचानक यह सब क्यों हुआ। वह बेहद नाराज था, लेकिन उसे पता था कि हाथी से बदला लेना मुमकिन नहीं है।(Hathi Aur Darji Ki Kahani)
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थोड़ी देर बाद, असली दर्ज़ी गाँव से लौटकर अपनी दुकान पर आया। जैसे ही उसने दुकान की हालत देखी, वह चौंक गया। उसने देखा कि गंदगी और पानी ने दुकान को पूरी तरह से खराब कर दिया था। दर्ज़ी ने तुरंत ही हाथी को देखा और समझ गया कि कुछ गलत हुआ है। उसकी नजर सहायक पर गई, जो गंदे पानी से भीगा हुआ था और चुपचाप खड़ा था। दर्ज़ी ने मामले की गहराई को समझने की कोशिश की और तुरंत अनुमान लगाया कि यह सब हाथी और सहायक के बीच हुआ कोई विवाद है।(Hathi Aur Darji Ki Kahani)
दर्ज़ी ने हाथी से माफी मांगी और उसे भरोसा दिलाया कि ऐसा फिर कभी नहीं होगा। हाथी ने भी दर्ज़ी की दोस्ती को समझते हुए अपना गुस्सा छोड़ दिया। मैं समझता हूँ कि तुम्हें दुख हुआ होगा। मैं वादा करता हूँ कि ऐसा फिर कभी नहीं होगा। तुम हमेशा मेरे सबसे अच्छे दोस्त रहोगे। लेकिन मैं वादा करता हूँ कि आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा।”
हाथी, जो अब तक गुस्से में था, दर्ज़ी की आवाज़ सुनकर धीरे-धीरे शांत हो गया। दर्ज़ी की दयालुता और सच्ची माफी ने हाथी के गुस्से को पिघला दिया। हाथी को दर्ज़ी से कोई शिकायत नहीं थी, क्योंकि वह जानता था कि दर्ज़ी हमेशा उसका दोस्त रहा है और उसने कभी उसे तकलीफ नहीं दी। दर्ज़ी के इन शब्दों ने हाथी को यह एहसास दिलाया कि अब उसे अपना गुस्सा छोड़ देना चाहिए।
दर्ज़ी ने सहायक को भी बुलाया और उससे कहा, “तुमने जो कल हाथी के साथ किया, वह बहुत गलत था। इस बड़े और मासूम जानवर ने तुमसे कुछ खाने की उम्मीद की थी, लेकिन तुमने उसे चोट पहुँचाई। क्या तुम नहीं जानते कि हर जीव के पास अपनी भावनाएँ होती हैं? तुम्हारी यह हरकत बहुत गलत थी और इसका परिणाम तुम्हें भुगतना पड़ा।”
सहायक, जो पहले से ही गंदे पानी से भीगा हुआ और शर्मिंदा था, अपनी गलती समझ गया। उसने हाथी की ओर देखा, जो अब शांत खड़ा था, और हाथ जोड़कर उससे माफी माँगी। “मुझे माफ कर दो, हाथी,” उसने कहा। “मुझे तुम्हें तकलीफ नहीं देनी चाहिए थी। यह मेरी गलती थी, और मुझे इसका पछतावा है।”
हाथी ने सहायक की माफी को स्वीकार किया और उसे अपनी सूंड से हल्के से छूकर संकेत दिया कि अब सब ठीक है। हाथी का यह संकेत दर्ज़ी और सहायक दोनों के लिए यह स्पष्ट कर गया कि उसने माफ कर दिया है और अब कोई नाराजगी नहीं है। (Hathi Aur Darji Ki Kahani)
इस घटना के बाद, दर्ज़ी ने अपने सहायक को सिखाया कि कभी भी किसी जीव को बिना किसी कारण तंग नहीं करना चाहिए, चाहे वह इंसान हो या जानवर। हर प्राणी के पास अपनी भावनाएँ और सम्मान होता है। दर्ज़ी ने सहायक से कहा कि हमें हर प्राणी के साथ दया और समझदारी से पेश आना चाहिए, क्योंकि जो आज छोटा या कमजोर दिखता है, वह भी बदला लेने की ताकत रखता है। सहायक ने अपनी गलती से बहुत कुछ सीखा और अब वह दर्ज़ी की तरह ही दयालु और समझदार बनने की कोशिश करने लगा।
हाथी भी अब फिर से दर्ज़ी के पास आता-जाता था, लेकिन अब सहायक उससे डरता नहीं था। दर्ज़ी की दुकान के सामने दोनों की मित्रता फिर से पहले जैसी हो गई। हर दिन जब हाथी गाँव में आता, तो दर्ज़ी उसे अपने हाथों से गन्ना या केले खिलाता, और हाथी भी अपनी सूंड से दर्ज़ी को स्नेह दिखाता। गाँववाले इस नई समझदारी और सुलह को देखकर खुश थे, और यह घटना गाँव में एक मिसाल बन गई कि कैसे समझदारी और दया किसी भी समस्या को हल कर सकती है।
कहानी की सीख
इस कहानी से कई महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं:
दयालुता और समझदारी का महत्व: हमें हमेशा हर प्राणी के साथ दया और सम्मान से पेश आना चाहिए। जानवर भी हमारी भावनाओं को समझते हैं, और उनके साथ प्यार से व्यवहार करना हमारा कर्तव्य है।
बदला लेने की भावना से बचें: किसी को चोट पहुँचाने या परेशान करने का परिणाम बुरा हो सकता है। जो लोग दूसरों को बिना कारण तंग करते हैं, उन्हें भी एक दिन उसका दंड भुगतना पड़ता है।
माफी और सुलह: गलती करने के बाद माफी माँगना और अपनी गलती को स्वीकार करना किसी भी रिश्ते को फिर से मजबूत बना सकता है। सहायक ने अपनी गलती मानी और माफी माँगी, जिससे हाथी और दर्ज़ी के बीच की मित्रता फिर से बहाल हो गई।
बड़े दिल से माफ करने की कला: हाथी ने सहायक की गलती के बावजूद उसे माफ किया। यह दर्शाता है कि सच्ची मित्रता और समझदारी हमेशा माफ करने से और मजबूत होती है। (End Hathi Aur Darji Ki Kahani)
इस तरह, यह Hathi Aur Darji Ki Kahani कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा दयालु, समझदार और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करने वाला होना चाहिए।
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