Hathi Aur Chuhe Ki Kahani भाग 1: हाथियों का झुंड और चूहों की परेशानी
Hathi Aur Chuhe Ki Kahani एक घने जंगल की है, जहां सभी जीव-जन्तु अपने-अपने तरीके से जीवन जी रहे थे। इसी जंगल के एक कोने में चूहों का एक समूह अपना छोटा-सा साम्राज्य बनाए हुए था। चूहे बहुत मेहनती और शांतिप्रिय थे, अपने बिलों में सुरक्षित रहकर अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहते थे। यह समूह मिलकर भोजन ढूँढ़ता, बिलों की मरम्मत करता और अपने छोटे संसार में खुश था।
एक दिन, सूखे के कारण जंगल के सभी जल स्रोत सूख गए, और पानी की तलाश में एक बड़ा हाथियों का झुंड जंगल के इस हिस्से से गुजरने लगा। हाथी अपने विशालकाय शरीर और भारी कदमों के साथ धीरे-धीरे जंगल में आगे बढ़ रहे थे, और जहाँ-जहाँ वे कदम रखते, वहाँ की जमीन हिलने लगती थी। दुर्भाग्यवश, हाथियों के भारी कदम चूहों के बिलों पर पड़ गए।
हाथियों के इस झुंड ने अनजाने में ही चूहों के कई घर कुचल दिए और बहुत से चूहे घायल हो गए। उनके बिल तहस-नहस हो गए, जिनमें उन्होंने मेहनत से भोजन और अन्य ज़रूरी चीजें जमा की थीं। बहुत से चूहे बिलों के भीतर फंस गए, और कुछ बाहर निकलने की कोशिश करते हुए दब गए। इससे चूहों में खौफ और निराशा फैल गई। वे समझ नहीं पा रहे थे कि इस संकट से कैसे उबरें और अपने घरों की सुरक्षा कैसे करें।(Hathi Aur Chuhe Ki Kahani)
चूहों का मुखिया, जो काफी समझदार और अनुभवी था, इस विनाश को देखकर चिंतित हो गया। उसने सोचा कि यदि हाथियों का यह झुंड दोबारा इसी मार्ग से गुजरेगा, तो उनके पूरे समुदाय का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। मुखिया ने अपने समूह के बाकी चूहों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “हमें कुछ करना होगा, नहीं तो हम सब समाप्त हो जाएँगे। हमें हाथियों के राजा से बात करनी होगी और उनसे विनती करनी होगी कि वे हमारे घरों की ओर ध्यान दें और हमारी रक्षा करें।”(Hathi Aur Chuhe Ki Kahani)
हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “Hathi Aur Chuhe Ki Kahani"| Panchatantra Story | हिंदी कहानी यह एक Panchatantra Story है। अगर आपको Animal Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
सभी चूहे सहमे हुए थे, लेकिन मुखिया का साहस और उसकी समझदारी देखकर वे उसकी बात मान गए। उन्होंने तय किया कि मुखिया अकेला ही हाथियों के राजा के पास जाएगा और उनके सामने अपनी बात रखेगा। मुखिया जानता था कि यह आसान नहीं होगा, क्योंकि हाथी विशाल और शक्तिशाली होते हैं, जबकि वह एक छोटा-सा चूहा है। फिर भी, उसने हिम्मत जुटाई और हाथियों के राजा के पास पहुँचने के लिए निकल पड़ा।(Hathi Aur Chuhe Ki Kahani)
जंगल के दूसरे कोने में हाथियों का राजा अपने झुंड के साथ आराम कर रहा था। मुखिया धीरे-धीरे, सतर्कता से हाथियों के झुंड के पास पहुँचा और हाथी के राजा के सामने खड़ा हो गया। उसने अपनी विनम्रता और धैर्य के साथ राजा को संबोधित किया, “महाराज, मैं जानता हूँ कि आप बहुत शक्तिशाली हैं, और आपका उद्देश्य कभी भी हमें नुकसान पहुँचाना नहीं होगा। परंतु, अनजाने में आपके झुंड के गुजरने से हमारे छोटे-से घरों का विनाश हो गया है। कई चूहे घायल हो गए हैं, और हमें डर है कि यदि आपका झुंड दोबारा इसी मार्ग से गुजरेगा, तो हमारे पूरे समुदाय का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।”
हाथी का राजा चूहे की बात ध्यान से सुन रहा था। वह जानता था कि उसे अपनी शक्ति पर गर्व करना चाहिए, लेकिन अपनी शक्ति का इस्तेमाल दूसरों की सुरक्षा के लिए भी करना चाहिए। उसने गंभीरता से सोचा और चूहे से कहा, “तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारी बात समझता हूँ। यह हमारे लिए भी उचित नहीं है कि हम अपने विशाल शरीर से छोटे जीवों को चोट पहुँचाएँ। मैं अपने झुंड से कहूँगा कि हम अगले बार इस मार्ग से नहीं, किसी अन्य मार्ग से गुजरेंगे।”(Hathi Aur Chuhe Ki Kahani)
चूहों का मुखिया राजा की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने हाथी के राजा का आभार प्रकट किया, “धन्यवाद, महाराज। आप सच में एक महान राजा हैं। हम आपके इस उपकार को कभी नहीं भूलेंगे।”
इस प्रकार, हाथियों के राजा ने अपनी विशालता में सह्रदयता का परिचय दिया और वादा किया कि अब से उनके झुंड का रास्ता बदल दिया जाएगा ताकि चूहों के घर सुरक्षित रहें। चूहे अपने समुदाय में लौटकर बहुत खुश थे और उन्होंने सबको बताया कि कैसे उनके साहसी प्रयासों से उन्हें सुरक्षा मिली।
लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती है। आगे की कहानी में क्या चूहे अपने वादे के प्रति वफादार रहेंगे? क्या आने वाले संकट में वे हाथियों का कोई सहयोग कर पाएंगे?
Hathi Aur Chuhe Ki Kahani भाग 2: चूहा की मदद और हाथी की कृतज्ञता
हाथियों के राजा ने चूहों के मुखिया की विनम्रता और बहादुरी की प्रशंसा करते हुए उसकी बात मान ली थी। उसने वादा किया कि अब से हाथियों का झुंड चूहों के बिलों से दूर से ही गुजरेगा, जिससे उनके छोटे-से साम्राज्य को कोई नुकसान न पहुँचे। इस आश्वासन से चूहों का समुदाय सुरक्षित महसूस करने लगा और वे एक बार फिर से अपने जीवन को शांति से जीने लगे।(Hathi Aur Chuhe Ki Kahani)
समय बीता और जंगल में एक बार फिर संकट की घड़ी आई। एक दिन, वही हाथियों का झुंड जब जंगल में घूम रहा था, तभी शिकारी उनके रास्ते में जाल बिछाकर चले गए। अनजान हाथियों का झुंड उस जाल में फँस गया। शिकारी इन हाथियों को पकड़कर ले जाने का इंतजार करने लगे ताकि वे उनका शिकार कर सकें। जाल में फँसे हाथी अपने विशाल शरीर के बावजूद खुद को मुक्त नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगाई, लेकिन शिकारी का जाल बहुत मजबूत था।
इस संकट के समय, हाथियों का राजा मदद के लिए जोर से पुकारने लगा, “कोई है जो हमारी सहायता कर सके? हम इस जाल में बुरी तरह फँसे हुए हैं। कृपया हमारी मदद करें।” जंगल में उनकी आवाज गूँजने लगी, लेकिन कोई भी जानवर उनकी मदद करने के लिए नहीं आया। बड़े जानवर शिकारियों से डरते थे, और छोटे जानवरों के पास इतनी शक्ति नहीं थी कि वे इन मजबूत जालों को काट सकें।(Hathi Aur Chuhe Ki Kahani)
तभी हाथी के राजा को अचानक चूहों के मुखिया की याद आई। उसने सोचा, “अगर किसी को हमारी मदद करनी चाहिए, तो वो चूहे ही हैं, जिन्होंने हमारे लिए अपने छोटे-से घरों की सुरक्षा की बात की थी।” वह चूहों की मदद के लिए पुकारने लगा, “चूहे भाई! क्या तुम हमें सुन सकते हो? हमें तुम्हारी मदद की ज़रूरत है।”
हाथी की पुकार सुनकर चूहों का मुखिया और उसका समूह तुरंत उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ हाथी जाल में फँसे हुए थे। चूहों के मुखिया ने हाथियों की हालत देखकर चिंता जाहिर की और उनसे कहा, “महाराज, आप निश्चिंत रहें, महाराज। हमारे छोटे नुकीले दाँत आपके इस मजबूत जाल को काटने में काम आएँगे। हम आपकी मदद करेंगे।”
इसके बाद चूहों का समूह तुरंत जाल काटने में जुट गया। छोटे-छोटे चूहे अपने तीखे दाँतों से धीरे-धीरे जाल के धागे काटने लगे। यह कार्य कठिन था, लेकिन चूहों ने हार नहीं मानी। वे जानते थे कि हाथियों ने उनके घरों की सुरक्षा के लिए अपनी राह बदल ली थी और अब समय था उनके उपकार का बदला चुकाने का।(Hathi Aur Chuhe Ki Kahani)
चूहों के अथक प्रयासों के बाद आखिरकार जाल धीरे-धीरे टूटने लगा। कई घंटों की मेहनत के बाद, चूहों ने जाल के सभी धागों को काट दिया, और हाथियों को मुक्त कर दिया। हाथी अब स्वतंत्र होकर चल-फिर सकते थे। हाथियों का राजा चूहों की इस सहायता से अभिभूत हो गया और उसने चूहों के मुखिया की ओर धन्यवाद देते हुए कहा, “आज तुमने हमें जीवनदान दिया है। तुम्हारा साहस और निष्ठा सराहनीय है। हम यह नहीं भूले हैं कि तुमने हमें पहले ही चेतावनी दी थी। तुमने हमारी सहायता कर यह दिखा दिया कि चाहे कोई कितना भी छोटा हो, उसकी मदद की क़ीमत होती है, और उसे कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
चूहों का मुखिया विनम्रता से बोला, “महाराज, यह तो हमारा फ़र्ज़ था। आपने हमारे लिए जो किया, उसके सामने हमारी ये छोटी सी मदद कुछ भी नहीं है। हम सभी को मिल-जुलकर और एक-दूसरे का सम्मान करते हुए जीवन बिताना चाहिए। एक दिन हमारी जरूरत आपको थी, और आज आपकी जरूरत हमें थी। यही जीवन का नियम है।”
हाथियों का राजा चूहों की इस उदारता और साहस की सराहना करता रहा। इसके बाद हाथियों और चूहों के बीच एक गहरी मित्रता का रिश्ता बन गया। वे एक-दूसरे की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। जंगल में दोनों समुदायों के बीच आपसी सहयोग और विश्वास की मिसाल बनने लगी, और सभी जीवों ने उनके इस रिश्ते से प्रेरणा ली।(End Hathi Aur Chuhe Ki Kahani)
Hathi Aur Chuhe Ki Kahani से शिक्षा (Moral of the Story):
Hathi Aur Chuhe Ki Kahani से हमें यह सीख मिलती है कि किसी की ताकत या कद से उसकी क्षमता और सहायता का अंदाजा नहीं लगाना चाहिए। सभी जीवों का अपने-अपने तरीके से एक महत्व होता है। चाहे कोई कितना भी छोटा हो, उसकी सहायता मूल्यवान हो सकती है। इसलिए हमें एक-दूसरे का सम्मान और सहयोग करना चाहिए, और कभी भी किसी को कम नहीं आँकना चाहिए।
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