भूखी चिड़िया की कहानी | Bhukhi Chidiya Ki Kahani | Panchatantra Story

भूखी चिड़िया की कहानी भाग 1: चिड़िया की भूख और संघर्ष

भूखी चिड़िया की कहानी– घने जंगल के बीच एक पेड़ की डाल पर बैठी एक छोटी चिड़िया की आँखों में निराशा झलक रही थी। यह चिड़िया, जिसका नाम पंखुरी था, सुबह से भूखी थी। सूरज धीरे-धीरे पश्चिम की ओर झुक रहा था, लेकिन पंखुरी के पेट में अन्न का एक दाना भी नहीं गया था। उसकी हालत इतनी खराब थी कि वह उड़ने में भी असहज महसूस कर रही थी।

पंखुरी ने अपनी सारी ताकत जुटाई और हौसले के साथ जंगल के एक कोने से दूसरे कोने तक भोजन की तलाश में उड़ान भरी। रास्ते में उसे पेड़ों के नीचे गिरे हुए कुछ फल दिखते हैं, लेकिन जैसे ही वह वहाँ पहुँचती है, एक बड़ा जंगली सुअर वहाँ आकर उन फलों को चट कर जाता है। पंखुरी उसकी ताकत और आक्रामकता से डरकर पीछे हट जाती है।(भूखी चिड़िया की कहानी)

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “भूखी चिड़िया की कहानी"| Bhukhi Chidiya Ki Kahani| हिंदी कहानी | Hindi Story यह एक Panchatantra Story in Hindi है। अगर आपको Panchatantra Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

थोड़ी देर बाद, झाड़ी के पास जाते ही उसकी नजर कुछ कीड़े-मकोड़ों पर पड़ी, जिन्हें देखकर उसकी उम्मीदें फिर से जाग उठीं लेकिन जैसे ही वह अपने नन्हे पंजों से उन्हें पकड़ने की कोशिश करती है, एक तेज हवा का झोंका झाड़ी को हिला देता है, और कीड़े मिट्टी के भीतर छिप जाते हैं। पंखुरी निराश होकर आसमान की ओर देखती है और सोचती है, “क्या मेरी भूख कभी मिटेगी?”(भूखी चिड़िया की कहानी)

दिनभर की थकान के बावजूद, पंखुरी का हौसला टूटने का नाम नहीं लेता। वह सोचती है, “भूख के सामने हार मान लेना कोई विकल्प नहीं है। अगर मैंने कोशिश नहीं की, तो मैं भूखी ही रह जाऊँगी।” यह सोचकर वह जंगल के घने हिस्से की ओर उड़ती है, जहाँ पेड़ के बड़े-बड़े फल लटक रहे थे।

जैसे ही वह एक फल के पास पहुँचती है और उसे अपनी चोंच से पकड़ने की कोशिश करती है, एक तोता वहाँ आ जाता है। वह गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है, “यह मेरा इलाका है। यहाँ से दूर हट जाओ।” पंखुरी डर के मारे तुरंत उड़कर एक और पेड़ की ओर चली जाती है।

इस तरह से कई बार कोशिश करने के बावजूद, हर बार कुछ न कुछ बाधा आ जाती। कभी कोई बड़ा पक्षी उसे भगा देता, तो कभी वह खुद डर के मारे पीछे हट जाती। पंखुरी की हालत अब इतनी खराब हो चुकी थी कि उसकी उड़ान धीमी पड़ने लगी थी।(भूखी चिड़िया की कहानी)

शाम हो चुकी थी, और सूरज की आखिरी किरणें जंगल पर गिर रही थीं। पंखुरी एक ऊँचे पेड़ की डाल पर बैठकर सोचने लगी, “क्या मेरी किस्मत में भूखा रहना ही लिखा है? क्या मैं इतनी कमजोर हूँ कि अपने लिए थोड़ा-सा भोजन भी नहीं जुटा सकती?”

लेकिन जैसे ही वह यह सोच रही थी, उसे अपनी माँ की बातें याद आईं। माँ ने कहा था, “बेटा, जीवन में मुश्किलें आएँगी, लेकिन अगर तुम मेहनत और धैर्य से काम लो, तो कोई भी बाधा तुम्हें रोक नहीं सकती।”

पंखुरी ने अपनी माँ की बातों से प्रेरणा ली और एक बार फिर कोशिश करने का निश्चय किया। उसने सोचा, “अगर आज मैं हार मान गई, तो कल मेरे पास उड़ने की ताकत भी नहीं बचेगी। मुझे अपनी भूख मिटाने का कोई न कोई रास्ता निकालना ही होगा।”

पंखुरी ने अपनी थकान को नजरअंदाज करते हुए जंगल के उस हिस्से में उड़ने का फैसला किया, जहाँ वह पहले कभी नहीं गई थी। उसने सुना था कि उस दिशा में एक छोटी झील है, जहाँ अक्सर पक्षी और जानवर पानी पीने और भोजन की तलाश में जाते हैं।

उड़ते-उड़ते पंखुरी झील के पास पहुँच गई। झील के किनारे उसे कुछ छोटे-छोटे कीड़े रेंगते हुए दिखाई दिए। पंखुरी ने अपनी चोंच से उन्हें पकड़ने की कोशिश की और इस बार उसे सफलता मिली। लंबे समय बाद उसे पहली बार कुछ खाने को मिला। उसने थोड़ा खाया, लेकिन उसकी भूख अभी भी पूरी तरह से शांत नहीं हुई थी।(भूखी चिड़िया की कहानी)

झील के पास ही एक पेड़ की डाल पर बैठकर उसने देखा कि दूसरे पक्षी मिलजुलकर भोजन खोज रहे थे। वे एक-दूसरे की मदद करते और अपनी भूख मिटाते। पंखुरी को यह देखकर एहसास हुआ कि अकेले प्रयास करने से ज्यादा बेहतर है कि वह भी दूसरों के साथ मिलकर भोजन ढूँढे।

क्या पंखुरी को अपने लिए भोजन और साथी मिलेंगे?
पंखुरी अब अपने अनुभव से यह समझने लगी थी कि जंगल में अकेले जीना आसान नहीं है। उसने ठान लिया कि वह दूसरे पक्षियों के साथ मिलकर अपनी भूख मिटाने और जीवन जीने का तरीका सीखेगी।

आगे की कहानी में पंखुरी को नए दोस्तों के साथ मिलकर भोजन की तलाश में आने वाली चुनौतियों और उससे मिलने वाली सीख के बारे में जानेंगे।(भूखी चिड़िया की कहानी)

भूखी चिड़िया की कहानी भाग 2: चिड़िया की बुद्धिमानी और समाधान

पंखुरी, वह नन्ही चिड़िया, जो भूख से बेहाल थी, अब समझ चुकी थी कि अकेले प्रयास करना काफी नहीं है। उसे यह भी एहसास हो गया था कि जंगल में केवल मेहनत करना ही काफी नहीं है, बल्कि समझदारी और सही रणनीति अपनाना भी उतना ही आवश्यक है। वह अपनी निराशा को पीछे छोड़ते हुए एक नई योजना बनाने बैठी।

पंखुरी ने खुद से कहा, ‘अगर मैं दूसरों से दोस्ती करूँ और मिलकर भोजन तलाशूँ, तो यह न सिर्फ आसान होगा, बल्कि सुरक्षित भी। अगर हम सब मिलकर काम करें, तो हमें भोजन ढूँढने में आसानी होगी, और हमारी सुरक्षा भी बनी रहेगी।””

इस सोच के साथ, पंखुरी ने सबसे पहले अपने पड़ोसी पक्षियों से बात करने का फैसला किया। वह एक तोते के पास गई, जो अक्सर झील के किनारे बैठा रहता था। उसने तोते से कहा, “तोता भैया, आप हमेशा झील के पास रहते हैं और वहाँ भोजन ढूँढते हैं। क्या आप मेरी मदद करेंगे? मैं बहुत भूखी हूँ।”

तोता पहले थोड़ी झिझका, लेकिन पंखुरी की मासूमियत और ईमानदारी देखकर उसने उसकी मदद करने का फैसला किया। तोते ने कहा, “ठीक है, पंखुरी। हम मिलकर भोजन तलाशेंगे। लेकिन हमें और दोस्तों की जरूरत होगी, ताकि हमारा काम आसान हो सके।”

पंखुरी और तोते ने मिलकर अन्य पक्षियों और छोटे जानवरों से बात करनी शुरू की। उन्होंने गौरैया, मैना, खरगोश, और एक गिलहरी से मुलाकात की। पंखुरी ने सभी को अपनी योजना के बारे में बताया, और हर कोई उसकी बात से सहमत हुआ।(भूखी चिड़िया की कहानी)

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गौरैया ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘हम सब अलग-अलग जगहों पर भोजन ढूँढें और फिर मिल-बाँटकर खाएँ, तो भूख किसी की नहीं रहेगी।” मैना ने सुझाव दिया, “हमें यह भी देखना चाहिए कि भोजन इकट्ठा करने के दौरान हम किसी खतरे में न फँसें। इसके लिए हमें एक-दूसरे का ध्यान रखना होगा।”(भूखी चिड़िया की कहानी)

इस तरह, पंखुरी के प्रयासों से एक छोटा समूह बन गया, जो अब एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार था।

अगले दिन, समूह ने काम शुरू किया। सबने तय किया कि वे जंगल के अलग-अलग हिस्सों में जाकर भोजन की तलाश करेंगे और जो भी मिलेगा, उसे झील के पास लाकर इकट्ठा करेंगे।

तोता और मैना झील के पास पेड़ों पर फल ढूँढने गए। गिलहरी और गौरैया ने झाड़ियों के पास कीड़े-मकोड़ों और बीजों की तलाश शुरू की। पंखुरी और खरगोश ने जमीन पर गिरे फलों को इकट्ठा करना शुरू किया।

सबने मिलकर काम किया और दिन के अंत तक उनके पास पर्याप्त भोजन इकट्ठा हो गया। पंखुरी ने अपनी चोंच में एक मीठा बेर उठाया और खुशी से मुस्कुराते हुए कहा, “अगर हम सब साथ मिलकर काम करें, तो भूख हम पर कभी हावी नहीं हो सकती।”

समूह का यह प्रयास न केवल सफल रहा, बल्कि इससे उनके बीच गहरी दोस्ती और विश्वास भी बढ़ा। सभी को एहसास हुआ कि अकेले प्रयास करने से ज्यादा प्रभावी है मिलकर काम करना।

पंखुरी, जो पहले बहुत कमजोर और हताश लग रही थी, अब आत्मविश्वास से भर गई थी। उसने समूह के सभी सदस्यों का धन्यवाद किया और कहा, “आप सबने मेरी मदद की, लेकिन इससे ज्यादा आपने मुझे यह सिखाया कि अकेले जीने से बेहतर है कि हम एक-दूसरे का सहारा बनें।”

हालाँकि, उनका सफर इतना आसान नहीं था। जंगल में कई बार उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा। एक बार, जब वे भोजन इकट्ठा कर रहे थे, तो एक बड़ा बाज उनके समूह पर झपटने आया।(भूखी चिड़िया की कहानी)

लेकिन इस बार, पंखुरी और उसके दोस्तों ने मिलकर उसका सामना किया। गिलहरी ने जल्दी से झाड़ी में छिपकर सबको चेतावनी दी। तोते और मैना ने अपने पंखों से बाज का ध्यान भटकाया, जबकि खरगोश ने सभी को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उनकी एकजुटता और समझदारी ने उन्हें बड़े खतरे से बचा लिया।

समय बीतने के साथ, पंखुरी और उसके दोस्तों का समूह और भी मजबूत हो गया। उन्होंने जंगल में भोजन इकट्ठा करने का एक स्थायी तरीका ढूँढ लिया। अब न केवल पंखुरी का पेट भरने लगा, बल्कि समूह के सभी सदस्य संतुष्ट और खुश रहने लगे।

पंखुरी ने महसूस किया कि उसकी भूख ने उसे बहुत कुछ सिखाया। उसने सीखा कि जीवन में हर समस्या का समाधान संभव है, बस हमें धैर्य, समझदारी और मेहनत से काम लेना चाहिए। उसने यह भी जाना कि सच्ची खुशी तब मिलती है, जब हम दूसरों की मदद करते हैं और मिल-जुलकर काम करते हैं।(भूखी चिड़िया की कहानी)

भूखी चिड़िया की कहानी का अंत और सीख

अब, पंखुरी की भूख की समस्या हल हो चुकी थी। वह अपनी नई जिंदगी से खुश और संतुष्ट थी। उसकी मेहनत, बुद्धिमानी, और दोस्तों के साथ की एकता ने न केवल उसकी भूख मिटाई, बल्कि उसे जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक भी सिखाया।(End भूखी चिड़िया की कहानी)

भूखी चिड़िया की कहानी सीख:

  • एकता में शक्ति है। एकजुटता से बड़ी से बड़ी कठिनाई का हल निकाला जा सकता है, और सफलता सुनिश्चित होती है।
  • बुद्धिमानी और धैर्य जीवन में सफलता की कुंजी हैं। बिना सोचे-समझे काम करने से ज्यादा जरूरी है सही योजना और समझदारी से काम करना।
  • साझा प्रयास से खुशी मिलती है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं और साथ मिलकर काम करते हैं, तो हमें सच्चा संतोष मिलता है।
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