चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी भाग 1: जंगल का नियम और शेर की मांग
एक घने और हरे-भरे जंगल में विभिन्न प्रकार के जानवर रहते थे। यह जंगल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए प्रसिद्ध था। यहां शांति का राज था, और सभी जानवर एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते थे। लेकिन इस शांति के पीछे एक डर भी छिपा हुआ था—शेर राजा का डर। शेर राजा जंगल का सबसे शक्तिशाली और खतरनाक जानवर था। उसकी दहाड़ से पूरा जंगल कांप उठता था, और उसकी उपस्थिति मात्र से ही सभी जानवरों के दिल में भय व्याप्त हो जाता था।
एक दिन, शेर राजा ने अपनी भूख को नियंत्रित करने में असमर्थ होकर जंगल के सभी जानवरों को एकत्र किया। शेर ने गर्जन करते हुए घोषणा की, “”मुझे रोज़ एक जानवर चाहिए अपनी भूख मिटाने के लिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मैं पूरे जंगल को नष्ट कर दूंगा।”” शेर की इस मांग ने जंगल के सभी निवासियों को भयभीत कर दिया। शेर राजा ने अपनी शर्तें स्पष्ट कर दीं, और सभी जानवर उसकी दहाड़ के सामने नतमस्तक हो गए। किसी ने विरोध करने की हिम्मत नहीं की क्योंकि वे जानते थे कि शेर की शक्ति के सामने उनका कोई अस्तित्व नहीं है।
शेर की इस घोषणा के बाद, सभी जानवरों के बीच घबराहट फैल गई। वे जानते थे कि शेर से बचने का कोई रास्ता नहीं है। इसलिए, उन्होंने यह तय किया कि हर दिन एक जानवर शेर के भोजन के लिए चुना जाएगा। यह एक कठिन निर्णय था, लेकिन अपनी जान बचाने के लिए जानवरों को इसे स्वीकार करना पड़ा। हर दिन, एक जानवर को चुना जाता और वह बिना किसी प्रतिरोध के शेर की मांद में चला जाता। इस प्रक्रिया ने पूरे जंगल को उदासी और डर से भर दिया था।
कुछ समय बाद, चालाक लोमड़ी चमेली की बारी आ गई। चमेली को पता था कि अगर वह सीधे शेर के पास जाती है, तो उसकी मृत्यु निश्चित है। लेकिन वह भी जानती थी कि अगर उसने कुछ नहीं किया, तो बाकी जानवरों की तरह उसे भी अपनी जान गंवानी पड़ेगी। चमेली ने फैसला किया कि वह शेर को मात देने के लिए अपनी चतुराई का इस्तेमाल करेगी। वह जानती थी कि शेर को अपनी भूख मिटाने के लिए हर दिन एक शिकार चाहिए, लेकिन वह यह भी जानती थी कि शेर को बेवकूफ बनाया जा सकता है।
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चमेली ने एक चालाक योजना बनाई। उसने सोचा, अगर मैं शेर को किसी तरह से यह विश्वास दिला सकूं कि उसके लिए एक और बड़ा शिकार मौजूद है, तो शायद मैं अपनी जान बचा सकूं। उसने अपने आप को मजबूत किया और शेर की मांद की ओर बढ़ी।
रास्ते में, चमेली ने अपनी योजना को अंतिम रूप देते हुए गहरी सांस ली। उसने तय किया कि वह शेर को एक और शेर के बारे में बताएगी, जो उससे भी बड़ा और शक्तिशाली है। चमेली ने सोचा कि यह कहानी शेर को इतना भ्रमित कर देगी कि वह उसके बजाय उस दूसरे शेर को ढूंढ़ने चला जाएगा।
चमेली अब शेर की मांद के पास पहुंच गई थी। उसने देखा कि शेर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। चमेली ने अपनी योजना के अनुसार, धीरे-धीरे शेर के पास जाकर कहा, महाराज, मुझे आपके पास आने में देर हो गई। लेकिन मेरी देरी का कारण बहुत ही महत्वपूर्ण है।
शेर ने गर्जना की और कहा, कौन सा महत्वपूर्ण कारण? तुमने मुझे भूखा रखा है, और इसके लिए तुम्हें दंडित किया जाएगा।
चमेली ने शांति से कहा, महाराज, मुझे आपसे कुछ कहना है। जब मैं आपकी मांद की ओर आ रही थी, तो मुझे रास्ते में एक और शेर मिला। वह शेर कह रहा था कि वह आपसे भी बड़ा और शक्तिशाली है। उसने मुझे रोक लिया और कहा कि वह इस जंगल का असली राजा है।
यह सुनकर शेर को गुस्सा आ गया। उसने दहाड़ते हुए कहा, कौन है वह दुस्साहसी? इस जंगल में कोई मुझसे बड़ा नहीं है। उसे दिखाना होगा कि असली राजा कौन है!
चमेली ने चालाकी से कहा, महाराज, वह शेर अभी भी उस जगह पर है जहां मैं उसे मिला था। अगर आप चाहें, तो मैं आपको वहां ले चल सकती हूं। आप उसे आसानी से हरा सकते हैं और यह साबित कर सकते हैं कि आप ही इस जंगल के असली राजा हैं।
शेर तुरंत ही उस जगह जाने के लिए तैयार हो गया। चमेली ने अपनी चालाक योजना को सफल होता देख मन ही मन मुस्कुराई। उसने शेर को उस जगह की ओर ले जाना शुरू किया, जहां उसने सोचा था कि वह शेर को बेवकूफ बना सकती है।
यहां तक पहुंचते हुए चमेली ने अपने मन में यह तय कर लिया कि वह कैसे शेर को उस स्थान पर ले जाकर उसे बेवकूफ बनाएगी। उसने सोचा कि वह शेर को एक ऐसे कुंए के पास ले जाएगी, जहां उसका प्रतिबिंब दिखेगा। शेर जब उस प्रतिबिंब को देखेगा, तो उसे लगेगा कि वह दूसरा शेर है और वह उस पर हमला करने के लिए तैयार हो जाएगा।
आगे की कहानी में चमेली की योजना का क्या होगा और शेर की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह जानने के लिए हमें दूसरे भाग का इंतजार करना होगा। (चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी)
चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी भाग 2: चमेली की चालाकी और शेर का पतन
चमेली ने शेर को बेवकूफ बनाने की अपनी योजना पर काम करना शुरू किया। वह जानती थी कि शेर अपनी ताकत के घमंड में इतना अंधा हो चुका है कि वह किसी भी खतरे को नजरअंदाज कर देगा। चमेली ने जंगल में एक गहरे गड्ढे की तलाश की, जिसे वह अपनी चालाक योजना में शामिल कर सके। कुछ समय बाद, उसे एक पुराना और गहरा गड्ढा मिला, जो समय के साथ कुछ मिट्टी और पत्तियों से ढक चुका था। चमेली ने गड्ढे को और भी अच्छी तरह से पत्तों और टहनियों से ढक दिया, ताकि शेर को इसका पता न चले।
इसके बाद, चमेली शेर के पास वापस आई और शेर से बोली, महाराज, मैंने जिस दूसरे शेर का जिक्र किया था, वह उस गड्ढे के पास छिपा हुआ है। वह आपका मजाक उड़ा रहा था और कह रहा था कि वह इस जंगल का असली राजा है। मैंने उसे बताया कि आप उससे भी ज्यादा शक्तिशाली हैं, लेकिन उसने मुझसे कहा कि वह आपको अपनी ताकत दिखाएगा। (चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी)
शेर ने चमेली की बातों पर पूरी तरह से विश्वास कर लिया। उसकी आंखों में क्रोध की लपटें जल उठीं, और उसका घमंड एक बार फिर जाग उठा। उसने गरजते हुए कहा, मैं उसे दिखाऊंगा कि इस जंगल का असली राजा कौन है! चलो, मुझे उस दुस्साहसी के पास ले चलो!
चमेली शेर को उस गड्ढे की ओर ले गई, जिसे उसने बड़ी चतुराई से पत्तों और टहनियों से ढक दिया था। शेर बिना किसी शक के चमेली के पीछे-पीछे चलता रहा। उसे यकीन था कि वह दूसरे शेर से मुकाबला करेगा और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेगा।
जब शेर गड्ढे के पास पहुंचा, तो चमेली ने उसे रोका और कहा, महाराज, वह शेर इस गड्ढे में छिपा हुआ है। आप इस गड्ढे में झांककर देख सकते हैं कि वह कितना कायर है।
शेर ने तुरंत ही गड्ढे में झांकने के लिए आगे बढ़ा। जैसे ही उसने गड्ढे में झांका, उसे अपने ही प्रतिबिंब का सामना करना पड़ा। शेर को लगा कि वह वही दूसरा शेर है जिसके बारे में चमेली ने बताया था। गुस्से में अंधा होकर, शेर ने गड्ढे में कूदने का प्रयास किया ताकि वह उस “”दूसरे शेर”” पर हमला कर सके।
जैसे ही शेर ने गड्ढे में छलांग लगाई, वह फिसलकर उसमें गिर गया। गड्ढा गहरा था और शेर उसमें बुरी तरह से फंस गया। उसने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन हर बार वह और भी गहरे फंसता चला गया। उसकी दहाड़ अब जंगल में गूंज रही थी, लेकिन इस बार उसमें ताकत की जगह लाचारी और डर था।
चमेली गड्ढे के किनारे खड़ी होकर शेर को फंसा हुआ देख रही थी। उसने एक गहरी सांस ली और फिर मुस्कुराते हुए शेर से कहा, महाराज, आपने अपनी ताकत पर बहुत घमंड किया, लेकिन यह मत भूलिए कि केवल ताकत ही सब कुछ नहीं होती। चालाकी और बुद्धिमानी भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है।
शेर ने चमेली की बात सुनकर और भी क्रोधित होकर गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन उसकी हर कोशिश नाकाम रही। उसने चमेली से मदद की गुहार लगाई, लेकिन चमेली अब उसे छोड़कर जाने वाली थी। उसने शेर से कहा, महाराज, अब यह जंगल आपसे सुरक्षित है। आपकी क्रूरता ने हमें बहुत परेशान किया, लेकिन आज आपकी हार ने साबित कर दिया कि बुद्धिमानी हमेशा ताकत से बड़ी होती है।
चमेली ने शेर को उसी गड्ढे में छोड़ दिया और जंगल की ओर लौट आई। जैसे ही वह वापस आई, जंगल के सभी जानवरों ने उसकी चतुराई और बहादुरी की प्रशंसा की। सभी जानवरों ने राहत की सांस ली और समझा कि अब वे शेर के आतंक से मुक्त हो गए हैं। (चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी END)
चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी नैतिक शिक्षा
इस चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि केवल शारीरिक ताकत ही सब कुछ नहीं होती। बुद्धिमानी, चतुराई, और संयम से कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है, और कभी-कभी सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी अपनी ही कमजोरी और घमंड के कारण पराजित हो सकता है। इसीलिए, किसी भी समस्या का सामना करते समय धैर्य और विवेक का उपयोग करना चाहिए।
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