Chatur Khargosh Ki Kahani भाग 1: चालाक खरगोश और शेर की मुलाकात
Chatur Khargosh Ki Kahani– जंगल के हर कोने में एक बात मशहूर थी—खरगोश चतुर की बुद्धिमानी और चतुराई। छोटे आकार और मासूम चेहरे के बावजूद, वह पूरे जंगल में अपनी समझदारी के लिए जाना जाता था। उसकी तेज़ सोच और चालाक दिमाग ने उसे बड़े-बड़े खतरों से बचाया था। चतुर का जीवन सरल और खुशहाल था। वह जंगल में अपने दोस्तों के साथ खुशी-खुशी रहता और दिन-भर पेड़ों की छांव में आराम करता।
एक दिन, जंगल में एक नई चुनौती आई। एक भूखा और खतरनाक शेर, जिसका नाम “भूधर” था, जंगल में प्रवेश करता है। भूधर जंगल का राजा माना जाता था, और उसकी दहाड़ से ही बाकी जानवर काँप जाते थे। कई दिनों से शेर ने कुछ नहीं खाया था, इसलिए वह बेहद गुस्से में था। उसने जंगल में आते ही कई जानवरों का पीछा किया, लेकिन हर बार शिकार उसके हाथ से निकल गया। गुस्से में भरा भूधर अब और भी ज्यादा भूखा और क्रोधित हो चुका था।(Chatur Khargosh Ki Kahani)
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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – "Chatur Khargosh Ki Kahani" | Hindi Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story" यह एक Motivational Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Short Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
भूधर शिकार की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था कि अचानक उसकी नज़र एक छोटे से खरगोश पर पड़ी। यह वही चतुर था। शेर ने उसे देखा और तुरंत झपटने का इरादा बना लिया। उसके पास समय नहीं था; वह जल्द से जल्द कुछ खाना चाहता था। शेर की दहाड़ सुनकर जंगल के पेड़ भी कांपने लगे, और चतुर समझ गया कि वह एक बड़े संकट में फंस चुका है।(Chatur Khargosh Ki Kahani)
शेर की दहाड़ और तेज़ी को देख चतुर ने अपने दिमाग की गति और बढ़ा दी, और जल्द ही उसके चेहरे पर एक आत्मविश्वास भरी मुस्कान उभर आई। जैसे ही शेर उसकी ओर झपटा, चतुर खरगोश अपनी बुद्धिमानी से शेर के सामने खड़ा हो गया और डरने के बजाय उसने बड़ी ही नम्रता से कहा, “महाराज, कृपया मेरी बात सुनिए। मैं जानता हूँ कि आप बहुत भूखे हैं, और मैं आपकी भूख को शांत करने के लिए कुछ खास सुझाव दे सकता हूँ।”
शेर ने थोड़ी देर के लिए अपनी दहाड़ रोक दी और आश्चर्य से चतुर की ओर देखा। “तुम इतने छोटे से खरगोश हो और मुझसे बचने की हिम्मत कर रहे हो? तुम नहीं जानते कि मैं कौन हूँ?”
चतुर ने विनम्रता से कहा, “मैं भली-भांति जानता हूँ कि आप जंगल के राजा हैं, और आपके सामने मेरे जैसे छोटे जीव की कोई औकात नहीं है। लेकिन अगर आप मेरी बात सुनेंगे, तो आपकी भूख हर दिन शांति से मिट सकती है, और आपको शिकार के लिए इधर-उधर भटकने की भी ज़रूरत नहीं होगी।”(Chatur Khargosh Ki Kahani)
शेर को यह सुनकर थोड़ा अजीब लगा। उसने गुस्से में अपनी आँखें चमकाते हुए कहा, “अगर तुम कोई चाल चलने की कोशिश कर रहे हो, तो मैं तुम्हें अभी मार डालूंगा।”
चतुर ने शांत स्वर में कहा, “महाराज, मैं कोई चाल नहीं चल रहा। मैं बस आपको एक सरल प्रस्ताव देना चाहता हूँ। अगर आप मेरी बात मानेंगे, तो आपको हर दिन एक जानवर का शिकार मिलेगा, और आपको कभी भी भूखा नहीं रहना पड़ेगा। इससे आपको न तो शिकार की चिंता करनी पड़ेगी और न ही हर दिन किसी का पीछा करने की ज़रूरत होगी।”(Chatur Khargosh Ki Kahani)
शेर की भूख ने उसे चतुर की बातों पर सोचने पर मजबूर कर दिया। वह समझ गया कि अगर यह खरगोश सच बोल रहा है, तो उसकी परेशानी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। उसे हर दिन शिकार के लिए भटकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, और उसकी ताकत भी बची रहेगी। लालच में आकर शेर ने खरगोश की बात मानने का निर्णय लिया।
शेर ने गहरी आवाज में कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी बात मानता हूँ। लेकिन याद रखना, अगर किसी भी दिन मुझे भोजन नहीं मिला, तो मैं तुम्हें ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा।”
चतुर ने बड़ी ही चतुराई से अपनी बात को पूरा किया, “आप मुझ पर भरोसा कीजिए, महाराज। मैं वादा करता हूँ कि हर दिन आपको एक जानवर मिलेगा। और अगर किसी दिन कोई शिकार नहीं मिला, तो आप मुझे मार सकते हैं।”
शेर ने हामी भरी, लेकिन उसके मन में अभी भी संदेह था। चतुर ने उसे विश्वास दिलाने के लिए आगे कहा, “आज तो देर हो चुकी है, लेकिन कल से ही आपकी भोजन की व्यवस्था शुरू हो जाएगी।”
चतुर के दिल में हल्की सी राहत थी कि वह अभी बच गया था, लेकिन वह जानता था कि यह केवल अस्थायी था। उसे हर दिन शेर को बेवकूफ बनाने के लिए कुछ न कुछ करना होगा। शेर ने चतुर पर विश्वास करके अपनी जगह पर लौटने का फैसला किया, और उसने तय किया कि कल से उसे कोई नया शिकार मिलेगा।(Chatur Khargosh Ki Kahani)
चतुर खरगोश ने शेर से विदा ली और जल्दी से अपने घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसके दिमाग में कई तरह के विचार आने लगे। वह सोचने लगा कि शेर को हर दिन बेवकूफ बनाने के लिए उसे क्या करना होगा। उसके पास समय कम था, लेकिन उसका दिमाग तेज़ था। उसे यकीन था कि वह किसी न किसी तरह से शेर को धोखा देने में सफल रहेगा।
रात भर चतुर ने अपनी योजना पर विचार किया। उसे पता था कि शेर बहुत ही खतरनाक है और अगर उसने सही योजना नहीं बनाई, तो उसकी जान खतरे में पड़ जाएगी। लेकिन चतुर को अपनी बुद्धिमानी पर पूरा भरोसा था।
अगली सुबह, चतुर फिर से शेर के पास गया। शेर ने अपनी जगह पर आराम किया हुआ था और उसे देखते ही भूख से दहाड़ा, “मेरा शिकार कहाँ है?”
चतुर ने तुरंत अपनी योजना का पहला कदम उठाया। उसने कहा, “महाराज, आपके भोजन की व्यवस्था तो हो गई थी, लेकिन एक बड़ी समस्या आ गई है।”
शेर ने गुस्से से पूछा, “क्या समस्या?”
चतुर ने दिखावे से चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “जंगल में एक और शेर आ गया है। उसने मुझे धमकी दी कि अगर मैं आपके लिए शिकार लेकर गया, तो वह मुझे मार डालेगा। उसने कहा कि यह जंगल अब उसका है, और वह आपको चुनौती दे रहा है।”
शेर की आँखों में आग जल उठी। किसी और शेर की बात सुनते ही उसका अहंकार जाग उठा। वह गरजते हुए बोला, “कौन है वह शेर? मुझे उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरे जंगल में आने की!”(Chatur Khargosh Ki Kahani)
चतुर ने चालाकी से कहा, “वह शेर बहुत बड़ा और ताकतवर है, महाराज। अगर आप चाहें तो मैं आपको उसकी जगह पर ले जा सकता हूँ। लेकिन वह बहुत क्रूर है।”
शेर का गुस्सा अब काबू से बाहर हो चुका था। उसने चतुर से कहा, “मुझे उसकी जगह दिखाओ! मैं उसे सबक सिखाऊंगा।”
चतुर ने मुस्कराते हुए कहा, “जैसा आप चाहें, महाराज।” वह शेर को धोखे से एक गहरे कुएं के पास ले गया, जो काफी पुराना और खतरनाक था। चतुर ने इशारा करके कहा, “महाराज, वह शेर इसी कुएं के अंदर रहता है।”(Chatur Khargosh Ki Kahani)
शेर ने जैसे ही कुएं में झांका, उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी, और उसने सोचा कि वह दूसरा शेर है। शेर ने अपनी पूरी ताकत से दहाड़ लगाई, और कुएं में उसकी गूंज वापस आई। शेर को यह लगा कि दूसरा शेर भी उसे चुनौती दे रहा है। गुस्से में भरा शेर तुरंत कुएं में कूद पड़ा, और वहीं उसकी कहानी खत्म हो गई।
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चतुर खरगोश ने राहत की सांस ली। उसने एक बार फिर अपनी चालाकी से अपने आप को और जंगल के बाकी जानवरों को बचा लिया था।
Chatur Khargosh Ki Kahani भाग 2: खरगोश की चतुराई और शेर का पतन
शेर “भूधर” को एक दिन का भोजन न मिलने की वजह से जो गुस्सा और भूख पहले से ही उसके दिमाग में थी, वो और भी बढ़ चुकी थी। चतुर खरगोश ने अपने आप को बचाने के लिए अगले कदम की तैयारी कर ली थी। उसने सोचा कि अगर वह हर रोज़ शेर को भोजन देने के वादे पर टिका रहता है, तो जल्दी ही शेर उसे मार डालेगा। इसलिए उसने एक और चाल सोची, जिससे शेर को हमेशा के लिए जंगल से हटा दिया जाए।(Chatur Khargosh Ki Kahani)
अगले दिन चतुर खरगोश ने जंगल के गहरे खाई वाले हिस्से की ओर जाने का निर्णय लिया। उसने एक ऐसी जगह चुनी जहां से शेर को धोखा देना आसान था। इस खाई के आसपास पेड़ और झाड़ियाँ थीं, जिनके बीच छुपकर खरगोश अपनी योजना पर काम कर सकता था। खरगोश शेर के पास पहुंचा और शेर पहले से ही गुस्से में भरकर दहाड़ने लगा, “कहाँ है मेरा शिकार? आज फिर से भूखा नहीं रहूंगा!”(Chatur Khargosh Ki Kahani)
खरगोश ने डर का नाटक करते हुए कहा, “महाराज, आज आपके लिए शिकार तैयार था, लेकिन बड़ी मुसीबत हो गई। जंगल में एक और शेर आ गया है जो बहुत ताकतवर और क्रूर है। उसने मुझसे आपका शिकार छीन लिया और कहा कि अब यह जंगल उसका है। उसने मुझे भी मारने की धमकी दी और कहा कि वह आपको भी मारकर जंगल का राजा बन जाएगा।”(Chatur Khargosh Ki Kahani)
शेर ने यह सुनते ही अपना आपा खो दिया। उसकी आँखों में गुस्से की चमक आ गई, और वह गरजते हुए बोला, “कौन है वह दुस्साहसी शेर जो मेरे जंगल में घुस आया है? मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूंगा। मुझे तुरंत उसके पास ले चलो, मैं उसे सबक सिखाऊंगा।”
शेर की इस प्रतिक्रिया की उम्मीद चतुर ने पहले से ही कर रखी थी। उसने शेर को बड़े विश्वास से खाई की ओर ले जाना शुरू किया। रास्ते भर चतुर ने शेर को उकसाने के लिए कहा, “महाराज, वह शेर बहुत ही खतरनाक है। उसने कहा कि वह आपको चुनौती देने के लिए तैयार है और आज ही आपकी हार का दिन है।”
शेर की गुस्से की लहरें अब उफान पर थीं। वह इतनी तेजी से खरगोश के पीछे चल रहा था कि उसके पंजों से जंगल की मिट्टी उड़ रही थी। खरगोश शेर को उसी खाई के पास ले आया, जहां से उसकी योजना को अंजाम देना था।
जब वे खाई के पास पहुंचे, तो खरगोश ने इशारा करते हुए कहा, “महाराज, वह शेर इस खाई के दूसरी तरफ रहता है। आप उसे यहाँ से देख सकते हैं।”
शेर ने खाई की ओर झांका, और पानी में उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। गुस्से और अहंकार से भरे शेर को लगा कि यह दूसरा शेर है जो उसे चुनौती दे रहा है। जैसे ही उसने देखा कि “दूसरा शेर” उसकी ओर देख रहा है और उससे टक्कर लेने को तैयार है, शेर ने पूरी ताकत से दहाड़ लगाई।
खाई में गूंजती उसकी अपनी दहाड़ ने शेर के भीतर और गुस्सा भर दिया, उसे यह यकीन हो गया कि दूसरा शेर भी उसे जवाब दे रहा है। अब शेर पूरी तरह से विश्वास में था कि उसका सामना एक और शेर से है, जो उसकी ही तरह ताकतवर और क्रोधी है।
शेर ने बिना सोचे-समझे खाई में छलांग लगा दी और जैसे ही वह पानी में गिरा, वह वहीं डूबने लगा। गहरी खाई और पानी से भरे इस गड्ढे में शेर का बाहर निकलना असंभव था। पानी के भीतर उसका वजन और बल उसे खाई की तलहटी में ले गया, और कुछ ही समय में भूधर की दहाड़ें ख़त्म हो गईं।(Chatur Khargosh Ki Kahani)
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खरगोश ने शेर को खाई में गिरते और डूबते देखा, और उसकी चालाकी एक बार फिर सफल हो गई। उसने जल्दी से जंगल की ओर भागते हुए अन्य जानवरों को यह खुशखबरी दी कि अब वे भूधर के आतंक से मुक्त हो चुके हैं। जंगल के सभी जानवर चतुर खरगोश के बुद्धिमानी और चतुराई की सराहना करने लगे।(Chatur Khargosh Ki Kahani)
शेर के खात्मे के बाद, जानवरों ने एक बड़ा उत्सव मनाया। खरगोश की चालाकी से उन्हें फिर से स्वतंत्रता मिली थी, और अब वे बिना किसी डर के जंगल में स्वतंत्र रूप से घूम सकते थे। हर जानवर को इस बात का यकीन था कि ताकत से ज़्यादा ज़रूरी होती है बुद्धि, और चतुर खरगोश ने यह बात साबित कर दी थी।(END Chatur Khargosh Ki Kahani)
Chatur Khargosh Ki Kahani सीख:
Chatur Khargosh Ki Kahani कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी कठिनाई से निपटने के लिए केवल बल की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि बुद्धिमानी और चतुराई से भी काम लिया जा सकता है। शेर चाहे कितना ही ताकतवर क्यों न हो, लेकिन एक छोटे से खरगोश ने अपनी चालाकी से उसे हरा दिया।
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