चालाक लोमड़ी की कहानी | Chalak Lomdi Ki Kahani | Hindi Story

Chalak Lomdi Ki Kahani भाग 1: भूखी लोमड़ी की चालाकी

Chalak Lomdi Ki Kahani– कहानी की शुरुआत एक घने जंगल से होती है, जहाँ एक चालाक लोमड़ी कई दिनों से भूखी भटक रही थी। जंगल के कोने-कोने में भोजन की तलाश में घूमते हुए उसकी ताकत कमजोर पड़ने लगी थी, और पेट की आग उसे परेशान कर रही थी। वह तेज़ी से दौड़ने या किसी जानवर का पीछा करने के लायक भी नहीं रही थी, लेकिन उसकी दिमागी चालाकी अभी भी बरकरार थी।

इसी दौरान, लोमड़ी की नजर एक बड़े पेड़ पर पड़ी। पेड़ की ऊँची डाल पर एक काला कौआ बैठा हुआ था, और उसके मुँह में एक ताज़ी रोटी का टुकड़ा था। रोटी की खुशबू लोमड़ी के नथुनों तक पहुंची, और उसकी भूख और तेज़ हो गई। अब, उसकी आँखों में बस उस रोटी का टुकड़ा था।(Chalak Lomdi Ki Kahani)

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लोमड़ी ने तुरंत समझ लिया कि अगर उसे वह रोटी चाहिए, तो उसे कुछ चालाकी करनी होगी। उसे पता था कि अगर वह सीधे जाकर कौए से रोटी मांगेगी, तो वह उसे नहीं देगा। कौआ तो फौरन उड़ जाएगा, और फिर रोटी की कोई उम्मीद नहीं बचेगी। वह अपनी चतुराई का इस्तेमाल करने का निश्चय करती है।(Chalak Lomdi Ki Kahani)

लोमड़ी ने पेड़ के नीचे खड़े होकर कौए की ओर देखा और मुस्कुराते हुए मीठी बातें शुरू कीं, “कौए भैया, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारे पंखों की चमक पूरे जंगल में सबसे अनोखी है। तुम्हारी आँखें इतनी चमकीली हैं, जैसे आसमान के सितारे! और तुम्हारी आवाज़… क्या कहने! पूरी दुनिया तुम्हारे गाने की दीवानी है। मैंने सुना है कि तुम्हारे गाने से हर किसी का दिल खुश हो जाता है। क्या तुम मेरे लिए एक प्यारा सा गीत गाओगे?”

कौआ पहले तो लोमड़ी की बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था, लेकिन धीरे-धीरे उसे लगा कि शायद लोमड़ी सही कह रही है। उसकी तारीफें सुनकर उसका घमंड बढ़ने लगा। वह सोचने लगा, “हां, मेरे पंख सच में सुंदर हैं, और मेरी आवाज भी किसी से कम नहीं। जंगल में सभी मेरी मधुर आवाज के लिए जाने जाते हैं।”

लोमड़ी को पता था कि उसकी चापलूसी काम कर रही है। उसने और भी मीठी बातें शुरू कीं, “कौए भैया, अगर तुम गाओगे, तो पूरा जंगल तुम्हारी मधुर आवाज़ से गूंज उठेगा। पूरी दुनिया में तुम्हारे जैसा गायक नहीं है। तुम्हारी आवाज़ से पेड़-पौधे भी झूमने लगेंगे, और ये जंगल मानो तुम्हारे गीत से जीवंत हो उठेगा।”(Chalak Lomdi Ki Kahani)

कौआ लोमड़ी की चापलूसी से और अधिक प्रभावित हो चुका था। उसे अब खुद पर बहुत गर्व महसूस हो रहा था, और वह यह सोचकर रोमांचित हो उठा कि अगर वह गाना गाएगा, तो जंगल के सारे जानवर उसकी तारीफ करेंगे। उसने यह तय किया कि अब वह गाकर लोमड़ी को दिखा देगा कि वह कितना महान गायक है।

जैसे ही कौआ गाने के लिए अपना मुंह खोलता है, उसके मुंह से रोटी का टुकड़ा नीचे गिर जाता है। नीचे खड़ी चालाक लोमड़ी पहले से ही तैयार थी। रोटी गिरते ही, उसने झपटकर उसे उठा लिया और तेजी से भागने लगी।(Chalak Lomdi Ki Kahani)

कौआ जब समझ पाया कि क्या हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसकी रोटी जा चुकी थी, और वह अपनी मूर्खता पर पछताने लगा। उसने सोचा, “अगर मैंने लोमड़ी की मीठी बातों पर विश्वास न किया होता, तो मेरी रोटी मुझसे न छिनती।” वह अपनी गलती समझ चुका था, लेकिन अब कुछ नहीं किया जा सकता था।

दूसरी ओर, लोमड़ी चालाकी से मुस्कुराते हुए रोटी खा रही थी और अपनी सफलता का आनंद ले रही थी। उसकी चालाकी ने उसे भूख से निजात दिला दी थी। उसने सोचा, “इस जंगल में केवल ताकतवर होना ही काफी नहीं है, बल्कि बुद्धिमानी और चालाकी से ही असली जीत मिलती है।”(Chalak Lomdi Ki Kahani)

इस प्रकार, लोमड़ी ने अपनी चतुराई से कौए से रोटी हासिल कर ली और अपनी भूख मिटाई।

Chalak Lomdi Ki Kahani भाग 2: कौए की भूल और लोमड़ी की सफलता

लोमड़ी अपनी चालाकी से कौए को बेवकूफ बनाकर रोटी हासिल कर चुकी थी, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। वह पेड़ से थोड़ी दूर जाकर बैठी और मजे से रोटी खाने लगी। उसकी भूख शांत हो रही थी, और वह मन ही मन अपनी चालाकी पर गर्व कर रही थी। उसे लगा कि उसकी चतुराई के सामने कोई टिक नहीं सकता। वह सोचने लगी, “कितना अच्छा हुआ कि मैंने कौए की कमजोरी का फायदा उठाया और उसे चापलूसी में फंसा लिया। अगर मैं सीधे रोटी मांगती, तो शायद वह कभी न देता।”

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दूसरी ओर, पेड़ पर बैठे कौए का गुस्सा और पछतावा बढ़ता जा रहा था। वह खुद को बहुत ही मूर्ख महसूस कर रहा था। उसे अपनी भूल का एहसास हुआ और समझ आया कि उसने लोमड़ी की बातों में आकर अपनी रोटी गंवा दी। “मैंने क्यों उसकी बातों पर यकीन किया?” कौआ खुद से सवाल करने लगा। “मैंने सोचा था कि वह सचमुच मेरी तारीफ कर रही है, लेकिन असल में वह तो मुझे बेवकूफ बना रही थी। मुझे अपनी चतुराई पर गर्व था, लेकिन आज मैंने अपनी ही मूर्खता से अपनी रोटी खो दी।”

कौआ अब लोमड़ी को सबक सिखाने की योजना बनाने लगा। उसने सोचा कि यदि लोमड़ी चालाक हो सकती है, तो उसे भी अपनी चालाकी का इस्तेमाल करना होगा। कौए ने ठान लिया कि वह अपनी रोटी का बदला जरूर लेगा और लोमड़ी को उसकी चालाकी का असली स्वाद चखाएगा।(Chalak Lomdi Ki Kahani)

अगले दिन कौआ फिर से उसी पेड़ पर बैठा था, लेकिन इस बार उसके मन में एक योजना थी। उसने देखा कि लोमड़ी फिर से भूखी घूम रही है और कुछ खाने की तलाश में है। कौआ जानता था कि लोमड़ी फिर से किसी चाल के सहारे उसे मूर्ख बनाने की कोशिश करेगी, लेकिन इस बार कौआ पहले से तैयार था।

कौआ उड़कर पास के गाँव से एक और रोटी का टुकड़ा ले आया और उसी पेड़ पर आकर बैठ गया। उसके मन में विश्वास था कि लोमड़ी उसे देखकर फिर से वही चाल चलेगी, और इस बार वह उसे उसकी ही चाल में फँसाएगा।

लोमड़ी ने पेड़ पर बैठे कौए को देखा और उसके मुंह में रोटी का टुकड़ा देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। “फिर से एक मौका!” लोमड़ी ने सोचा। वह तुरंत पेड़ के नीचे जाकर कौए को वही मीठी-मीठी बातें करने लगी। “कौए भैया! आज तो तुम और भी ज्यादा सुंदर लग रहे हो। तुम्हारे पंखों की चमक बढ़ गई है। और तुम्हारी आवाज़ का क्या कहना! पूरा जंगल आज भी तुम्हारे गाने का इंतजार कर रहा है। क्या तुम मेरे लिए एक प्यारा सा गीत गाओगे?”(Chalak Lomdi Ki Kahani)

कौआ मन ही मन मुस्कुरा रहा था, लेकिन उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिए। वह चुपचाप लोमड़ी की बातें सुनता रहा, लेकिन इस बार वह तुरंत गाने के लिए तैयार नहीं हुआ। उसने सोचा, “अब समय आ गया है कि मैं लोमड़ी को उसकी चाल का जवाब दूं।”

कौआ बोला, “लोमड़ी बहन, मुझे पता है कि तुम मेरे गाने की कितनी बड़ी प्रशंसक हो। लेकिन आज मेरी आवाज़ कुछ खराब लग रही है। अगर तुम चाहो, तो मुझे एक गाने की कोशिश करने दो। लेकिन इसके पहले मुझे अपने गले को साफ करना पड़ेगा।”

लोमड़ी को कौए की बातों पर शक तो हुआ, लेकिन उसने सोचा कि शायद कौआ सच बोल रहा है। वह ध्यान से कौए की बात सुन रही थी और उसके अगले कदम का इंतजार कर रही थी।

कौआ चुपचाप अपनी चाल चल रहा था। उसने लोमड़ी से कहा, “अगर तुम मेरे लिए कुछ पानी का इंतजाम कर सको, तो मैं तुम्हारे लिए एक बेहतरीन गीत गा सकता हूँ। बस मेरे गले में थोड़ी तकलीफ हो रही है, और पानी पीकर मेरी आवाज़ फिर से मधुर हो जाएगी।”(Chalak Lomdi Ki Kahani)

लोमड़ी तुरंत इस चाल में फँस गई। वह जल्दी से दौड़कर नदी के किनारे गई और कौए के लिए पानी लाने की कोशिश करने लगी। जैसे ही वह पानी लाने गई, कौआ झट से रोटी लेकर उड़ गया और दूसरे पेड़ की ऊँची डाल पर जाकर बैठ गया। अब वह पूरी तरह से सुरक्षित था, और रोटी भी उसके पास थी।

जब लोमड़ी वापस आई और देखा कि कौआ गायब है, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। वह समझ गई कि इस बार वह खुद चतुराई में हार गई है। कौआ अपनी चाल से उसे बेवकूफ बना गया, और अब वह रोटी पाने का कोई तरीका नहीं बचा था।

कौआ ऊँचाई से देखता हुआ जोर से हँसा और कहा, “लोमड़ी बहन, जैसे तुमने मेरी चापलूसी करके मुझे मूर्ख बनाया था, आज मैंने तुम्हें तुम्हारी ही चाल में फँसा दिया। अब देख लो, चालाकी हमेशा काम नहीं आती, कभी-कभी बुद्धिमानी ही असली जीत दिलाती है। कभी-कभी दूसरों की चालाकी को पहचानने और उससे बचने की कला भी आनी चाहिए।”

लोमड़ी को समझ आया कि चालाकी से बड़ी चीज़ विवेक होता है। उसे अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था कि उसने कौए की चालाकी को पहले ही क्यों नहीं भांपा। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।(Chalak Lomdi Ki Kahani)

वह उदास होकर पेड़ के नीचे बैठ गई और अपने आप से कहने लगी, “इस बार कौआ मुझसे ज्यादा चतुर निकला। मैंने सोचा था कि मैं हर बार अपनी चाल से जीत जाऊंगी, लेकिन यह भूल थी। चालाकी से जीतना एक बात है, लेकिन हर बार चालाकी काम नहीं आती। कभी-कभी हमें दूसरे की चालों को भी पहचानना आना चाहिए।”

कौआ अपनी ऊँचाई से देख रहा था और उसे अब संतोष हो रहा था कि उसने अपनी रोटी बचा ली थी और लोमड़ी को उसकी गलती का एहसास कराया।

Chalak Lomdi Ki Kahani कहानी का अंत और सीख

यह कहानी यहीं समाप्त होती है, लेकिन इसके अंत में एक महत्वपूर्ण शिक्षा छिपी है। लोमड़ी और कौए की इस चालाकी भरी लड़ाई ने दिखाया कि केवल चालाकी से ही जीवन में सफलता नहीं पाई जा सकती। कभी-कभी दूसरों की चालों को समझने और समय पर सही निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।

Chalak Lomdi Ki Kahani शिक्षा:

  • चापलूसी के जाल में फंसकर कभी भी अपनी बुद्धि का उपयोग करना नहीं भूलना चाहिए।
  • चालाकी से सफलता पाई जा सकती है, लेकिन बार-बार चालाकी करने से कभी-कभी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
  • दूसरों की चतुराई को पहचानना और उससे बचना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि अपनी चालाकी से किसी को हराना।
  • जीवन में बुद्धिमानी और धैर्य का महत्व हमेशा चालाकी से अधिक होता है।

इस प्रकार, इस Chalak Lomdi Ki Kahani कहानी में लोमड़ी और कौए की चालाकी हमें यह सिखाती है कि जीवन में केवल चालाकी से ही नहीं, बल्कि विवेक और समय पर सही निर्णय लेने से भी जीत हासिल की जा सकती है।”

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