सपने में साँप देखना कैसा होता है भाग 1: रहस्यमय सपना

सपने में साँप देखना कैसा होता है-अमन एक सामान्य युवक था, जिसकी ज़िंदगी हर दिन की भागदौड़ में बीतती थी। सुबह दफ़्तर जाना, शाम को थका-हारा लौटना और फिर मोबाइल में डूब जाना — यही उसकी दिनचर्या बन गई थी। उसके सपनों और इच्छाओं की जगह अब सिर्फ़ एक शांत सी चुप्पी थी। वह अकेले दिल्ली के एक छोटे से फ्लैट में रहता था। माँ-बाप गाँव में थे और कभी-कभी वीडियो कॉल पर बात हो जाती थी।(सपने में साँप देखना कैसा होता है)
एक दिन बहुत थककर वह जल्दी सो गया। रात का समय था, चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। अमन गहरी नींद में था, जब अचानक एक विचित्र सपना शुरू हुआ।
उसने खुद को एक घने, रहस्यमय जंगल में पाया। चारों तरफ़ पेड़ों की सरसराहट थी और कहीं कोई इंसान नहीं दिख रहा था। हवा में अजीब सी ठंडक थी, जैसे कोई अनजानी शक्ति आसपास हो। तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वह पीछे मुड़ा और देखा — एक विशालकाय काला साँप। उसकी आँखें चमक रही थीं, और जीभ बार-बार बाहर आ रही थी।(सपने में साँप देखना कैसा होता है)
अमन डर के मारे दौड़ने लगा। लेकिन उस जंगल में रास्ता नहीं था, केवल झाड़ियाँ, काँटे और एक भटकाव। साँप उसके पीछे-पीछे रेंग रहा था — उसकी चाल धीमी लेकिन निश्चित थी। अमन जितना भागता, साँप उतना ही पास आता।
हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “सपने में साँप देखना कैसा होता है”| Sapne Mein Saap Dekhna Kaisa Hota Hai| हिंदी कहानी यह एक Animal Story है। अगर आपको Dream & Guides पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
अचानक, वह एक गड्ढे में गिर गया और साँप ठीक उसके सामने आकर फुफकारने लगा। उसके मुँह से तेज़ आवाज़ निकली — “हिस्स्स्स…” और उसी पल अमन की नींद खुल गई।उसकी साँसें अटक रही थीं, दिल की धड़कन जैसे जंगल की खामोशी को तोड़ रही हो। घड़ी देखी — रात के 3 बज रहे थे।
वह बैठ गया और पानी पीने लगा। यह सपना पहले जैसा नहीं था। यह इतना असली लगा कि जैसे वह सचमुच उस जंगल में था। वह बहुत घबरा गया। उसे साँपों से हमेशा से डर लगता था, और यह सपना उसकी नींद को पूरी तरह से चुरा ले गया।
अगली सुबह वह परेशान हालत में उठा। मन अशांत था, ऑफिस जाने का मन नहीं था, लेकिन जाना पड़ा। पूरे दिन वह सपना उसे याद आता रहा। साँप की काली त्वचा, उसकी चमकती आँखें, वह पीछा — सब कुछ बार-बार आँखों के सामने घूम रहा था।
शाम को वह अपने घर आया और खाना खाकर अपनी दादी को फ़ोन किया।
“दादी, आज एक अजीब सपना आया,” उसने कहा।
“क्या देखा?” दादी ने पूछा, आवाज़ में अपनापन था।
“मैं जंगल में था… और एक बहुत बड़ा काला साँप मेरा पीछा कर रहा था। बहुत डरावना था।”
दादी थोड़ी देर चुप रहीं, फिर बोलीं — “बेटा, सपनों का अपना मतलब होता है। साँप का सपना देखना कई बार डर से जुड़ा होता है, लेकिन हर बार बुरा नहीं होता। तुम एक बार पंडित जी से बात कर लो, वो समझाएँगे।”
अमन ने दादी की बात मानी। अगले रविवार को वह पास के मंदिर गया, जहाँ वर्षों से एक वृद्ध पंडित जी बैठते थे। वह सरल स्वभाव के और बहुत ज्ञानी थे।
पंडित जी ने ध्यान से अमन की बात सुनी, और फिर मुस्कराकर बोले —
“बेटा, सपने में साँप देखना कई अर्थों में होता है। ये डर, बदलाव, या अवचेतन मन के संकेत होते हैं। काला साँप अक्सर आपके भीतर छिपे डर या किसी दबे हुए भाव को दर्शाता है। कभी-कभी यह चेतावनी भी हो सकती है कि जीवन में कुछ ऐसा है जिससे तुम भाग रहे हो।”
“लेकिन मैं तो कोई गलत काम नहीं कर रहा,” अमन बोला।
“यह बात केवल कर्म की नहीं है। कभी-कभी हम भावनाओं से भी भागते हैं। कोई पुराना अनुभव, कोई निर्णय जो टाल रहे हो, या कोई डर जो तुम्हें आगे नहीं बढ़ने दे रहा — वह साँप उसी का प्रतीक हो सकता है।”
अमन चुप हो गया। जैसे कोई उसके मन की बात पढ़ रहा हो। सच यह था कि पिछले कुछ महीनों से वह खुद में बंद होता जा रहा था। ना किसी से खुलकर बात करता, ना अपनी इच्छाओं के बारे में सोचता। ऑफिस में एक नया प्रोजेक्ट मिला था जिसमें उसे लीड बनना था, लेकिन डर के मारे उसने मना कर दिया था। आत्मविश्वास की कमी उसके अंदर घर कर चुकी थी।
पंडित जी ने कहा, “बेटा, अगली बार सपना आए तो उससे भागो मत। उसे देखो, समझो और अपने डर का सामना करो। तभी तुम्हें जवाब मिलेगा।”
अमन ने सिर हिलाया। उस दिन के बाद उसने खुद से बात करना शुरू किया। रोज़ शाम कुछ देर चुप बैठकर अपने विचारों को देखने लगा। सपने अब कम आने लगे, लेकिन वह काला साँप अब भी कभी-कभी दिख जाता — पर इस बार वह उतना डरावना नहीं लगता। (सपने में साँप देखना कैसा होता है)
सपने में साँप देखना कैसा होता है भाग 2: चेतना की ओर यात्रा
अमन ने उस दिन से अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाने शुरू कर दिए। वह रोज़ सुबह जल्दी उठकर 10 मिनट ध्यान करने लगा। मोबाइल कम चलाने लगा और किताबें पढ़ने की आदत शुरू की। पहली किताब जो उसने पढ़ी, वह थी — “मन की शक्ति”।
उस किताब ने उसे यह समझाया कि हमारे विचार ही हमारी दुनिया बनाते हैं। डर केवल हमारी सोच में है, और अगर हम अपने भीतर की ऊर्जा को पहचानें, तो हम किसी भी साँप — चाहे असली हो या मानसिक — का सामना कर सकते हैं।(सपने में साँप देखना कैसा होता है)
एक दिन फिर अमन को वही सपना आया। वही जंगल, वही साँप, लेकिन इस बार अमन भागा नहीं। वह रुका और साँप को देखकर बोला — “मैं अब तुमसे नहीं डरता।”
साँप धीरे-धीरे पास आया, लेकिन फिर उसकी आँखों की चमक बदल गई। वह फुफकारा नहीं, बस उसकी ओर देखने लगा। और अगले ही पल, वह गायब हो गया।
अमन की नींद खुली — इस बार उसके चेहरे पर डर नहीं, बल्कि शांति थी।
उसने मुस्कराकर खुद से कहा, “मैं तैयार हूँ, अपने डर से पार जाने के लिए।”
पंडित जी से मिलकर लौटते समय अमन के मन में कई भाव उमड़ रहे थे। उसने पहली बार किसी ने उसके सपने को इतनी गंभीरता से सुना और समझाया था। अब तक वह अपने डर को सिर्फ कमजोरी मानता आया था, लेकिन अब वह समझ रहा था कि डर केवल एक संकेत हो सकता है — एक रास्ता, जो उसे अपने भीतर झाँकने के लिए कह रहा हो।
अमन का जीवन बदलने की शुरुआत उस रात से ही हो गई।
अमन ने एक नोटबुक खरीदी। उसमें उसने सबसे पहला वाक्य लिखा — “मैं किससे डरता हूँ?” यह सवाल सरल था, लेकिन जवाब मुश्किल।
उसने सोचना शुरू किया। क्या वह लोगों की राय से डरता है? क्या वह असफलता से डरता है? क्या वह अपने मन की आवाज़ सुनने से डरता है?
हर दिन वह खुद से एक सवाल पूछता, और पूरी ईमानदारी से उत्तर लिखता।
धीरे-धीरे उसे अहसास होने लगा कि उसका सबसे बड़ा डर था — अस्वीकार किया जाना। वह नहीं चाहता था कि लोग उसे कमजोर, नाकाम या मूर्ख समझें। इसीलिए वह अपनी भावनाओं को छिपाता, अपनी इच्छाओं को मारता और खुद को हर परिस्थिति में पीछे रखता।(सपने में साँप देखना कैसा होता है)
लेकिन अब वह इस डर को पहचान चुका था। और यह पहचान ही उसकी पहली जीत थी।
एक दिन ऑफिस में उसके बॉस ने एक नया प्रोजेक्ट सौंपा। यह प्रोजेक्ट चुनौतीपूर्ण था और उसे एक टीम को लीड करना था। पुराना अमन शायद इनकार कर देता, लेकिन नए अमन ने हिम्मत से कहा, “मैं कोशिश करूँगा।”
उस रात उसे फिर से वही सपना आया।
जंगल, ठंडी हवा, और वही काला साँप। लेकिन इस बार उसका मन पहले जैसा भयभीत नहीं था। साँप धीरे-धीरे उसकी ओर आया, लेकिन अमन भागा नहीं। वह ठहर गया और साँप की आँखों में देखा। उसके भीतर कोई अजीब सी शांति थी।
साँप ने फुफकारा नहीं, बस उसकी आँखों से देखा और फिर धीरे-धीरे पीछे हट गया। जंगल में एक रास्ता खुलता गया — जैसे कहीं से रोशनी आ रही हो।
अमन की आँख खुली तो वह मुस्कराया। यह सपना अब डरावना नहीं था, बल्कि जैसे किसी संदेश की तरह था।
अब अमन ने अपने जीवन में ध्यान और योग को शामिल किया। हर सुबह वह 15 मिनट ध्यान करता और कोशिश करता कि अपने मन की हलचल को शांत कर सके।
धीरे-धीरे वह खुद को समझने लगा। उसकी सोच में संतुलन आने लगा। उसे महसूस हुआ कि डर सिर्फ भविष्य की कल्पना है, जो अक्सर सच्चाई से दूर होती है।
कुछ ही हफ्तों में अमन का आत्मविश्वास बढ़ गया। ऑफिस में वह अपनी बात खुलकर रखने लगा। टीम के लोग उससे प्रभावित होने लगे। उसने एक वर्कशॉप में हिस्सा लिया जहाँ उसने पहली बार अपनी कहानी सुनाई — अपने डर की, उस साँप के सपने की, और कैसे उसने खुद को बदला।(सपने में साँप देखना कैसा होता है)
सुनने वालों की आँखों में भी चमक थी — जैसे वे भी अपने भीतर के साँपों को पहचान गए हों।
उसने एक ब्लॉग शुरू किया — ‘मन की परछाइयाँ’, जो न केवल उसकी अपनी आत्मचेतना की यात्रा थी, बल्कि उन सबका मार्गदर्शन भी, जो अपने अंदर के अंधेरे से गुजर रहे थे। उसमें वह सपनों, भावनाओं और डर को लेकर अपने अनुभव साझा करता। हर पोस्ट के अंत में वह यही लिखता — “अगर हम अपने डर को समझें, तो वह हमें नष्ट नहीं करता, बल्कि हमें नया बनाता है।”
अब अमन को बार-बार वही सपना नहीं आता था, लेकिन जब भी आता, वह जागकर डरता नहीं था — वह उसे एक संकेत की तरह देखता, जैसे जीवन कह रहा हो, “जागो, समय आ गया है।”
एक रात उसने सपना देखा जिसमें वही साँप था — लेकिन इस बार वह काला नहीं, हल्के नीले रंग का था। उसके शरीर से रोशनी निकल रही थी, और वह अमन के चारों ओर गोल-गोल घूम रहा था। अमन ने आँखें बंद कीं और साँप ने खुद को एक रोशनी की रेखा में बदल लिया।(सपने में साँप देखना कैसा होता है)
जब वह जागा, उसके मन में गहरी शांति थी।
अमन अब पहले जैसा नहीं रहा था। उसने अपने डर को देखा, समझा और स्वीकार किया। और यही स्वीकार्यता उसकी चेतना का द्वार बन गई।
कभी वह जिस डर से भागता था, अब वही डर उसकी सबसे बड़ी सीख बन चुका था।
अब वह जान गया था — सपने कल्पना नहीं, आत्मा की फुसफुसाहट होते हैं, जो हमें खुद से मिलाने आते हैं। और साँप? वह डर का रूप नहीं, चेतना का द्वार था। अमन की यात्रा डर से शुरू हुई थी, लेकिन अब वह चेतना की ओर बढ़ चुकी थी।
अंत में अमन ने अपने ब्लॉग की आखिरी पोस्ट में लिखा:
“मैंने सपने में साँप देखा — और डर गया। फिर साँप दोबारा आया — और मैंने समझा कि वह भागने के लिए नहीं, रुककर देखने के लिए है। और जब मैं रुका, तब साँप बदल गया — वह अब डर नहीं, मेरा मार्गदर्शक बन चुका था।”
Moral (संदेश) सपने में साँप देखना कैसा होता है:
सपनों में आने वाले प्रतीक, जैसे साँप, हमारे अवचेतन मन के संदेश होते हैं। वे हमें हमारे भीतर छिपे डर, दबे हुए भाव और बदलाव की आवश्यकता को दर्शाते हैं। जब हम इन संकेतों को समझने और उनका सामना करने का साहस जुटाते हैं, तो वे हमें नष्ट नहीं करते, बल्कि भीतर से नया बनाते हैं।
डर से भागना आसान है, लेकिन उससे सीखना और चेतना की ओर बढ़ना — यही सच्चा आत्मविकास है। सपनों को समझिए, क्योंकि वे हमारे भीतर के सत्य की कहानियाँ होते हैं।
थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि "सपने में साँप देखना कैसा होता है"|Sapne Mein Saap Dekhna Kaisa Hota Hai| Dream & Guides | हिंदी कहानी कैसी लगी |
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