Sahas Ki Shakti भाग 1
Sahas Ki Shakti- कई साल पहले, एक छोटे लेकिन समृद्ध राज्य में एक न्यायप्रिय राजा का शासन था। यह राज्य अपनी सुंदरता, समृद्धि और शांति के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन राजा के एक गुण ने उसके अन्य गुणों को कम कर दिया था—उसका क्रोध। राजा को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता, और गुस्से में वह बिना सोचे-समझे कठोर फैसले ले लेता था। इसी कारण राज्य के लोग उससे डरते थे।
राजमहल में एक सेवक था, जिसका नाम रामू था। वह दिन-रात मेहनत करता, राजा और उनके परिवार की सेवा करता। वह ईमानदार और वफादार था, लेकिन एक दिन उसके साथ एक अनहोनी हो गई। सफाई के दौरान, रामू से गलती से एक कीमती गमला टूट गया। गमला कोई साधारण गमला नहीं था, बल्कि राजा को प्रिय एक उपहार था जो उन्हें किसी दूर देश के महाराजा ने दिया था।
रामू का दिल धड़क उठा। उसे मालूम था कि राजा को जब यह बात पता चलेगी, तो वह बहुत गुस्से में आएंगे। डर के मारे वह उसी पल भागने का सोचने लगा, पर भागना कोई समाधान नहीं था। गमला टूटने की आवाज सुनते ही महल के अन्य सेवक दौड़कर आए। सभी ने रामू को चेताया, “तुम्हें राजा को यह बात खुद ही बतानी होगी, अन्यथा यदि उन्हें किसी और से यह खबर मिली, तो तुम्हारी मुसीबत और बढ़ जाएगी।” (Sahas Ki Shakti)
कांपते हुए रामू राजा के दरबार में पहुँचा और सिर झुकाए हुए कहा, महाराज, मुझसे एक गंभीर गलती हो गई है। सफाई के दौरान आपका सबसे प्रिय गमला टूट गया।
राजा के चेहरे पर पहले तो अविश्वास छा गया, फिर एक भयंकर क्रोध की लहर दौड़ गई। उनकी आँखें आग उगलने लगीं। “क्या!” राजा दहाड़ते हुए बोले, “तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने मेरे प्रिय गमले को तोड़ दिया?”
रामू जमीन पर गिर पड़ा, “महाराज, मुझसे अनजाने में यह गलती हो गई है। कृपया मुझ पर दया करें।”
महाराज का क्रोध इतना प्रचंड था कि उसमें दया की कोई गुंजाइश नहीं बची। उन्होंने बिना सोचे-समझे एक भयानक आदेश दे डाला, “इस सेवक को मृत्युदंड दिया जाए।”
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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “Sahas Ki Shakti"| Hindi Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story" यह एक Motivational Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Short Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
राजा के इस फैसले से दरबार में सन्नाटा छा गया। कोई भी राजा के सामने बोलने की हिम्मत नहीं कर सका। सभी जानते थे कि राजा के क्रोध के समय कोई भी उसकी बात के खिलाफ नहीं जा सकता। रामू के चेहरे पर हताशा और डर की लकीरें खिंच गईं। वह जानता था कि उसकी छोटी सी गलती ने उसकी जिंदगी का अंत तय कर दिया है। (Sahas Ki Shakti)
इस घटना की खबर कुछ ही घंटों में पूरे राज्य में फैल गई। लोग आपस में चर्चा करने लगे, “क्या इतनी छोटी गलती के लिए किसी को मृत्यु की सजा दी जा सकती है?” राज्य के हर कोने में राजा के इस क्रूर फैसले की चर्चा होने लगी, और एक भय का माहौल पैदा हो गया। लोग सोचने लगे कि अगर एक मामूली गलती के लिए इतनी बड़ी सजा दी जा सकती है, तो उनके जीवन का क्या?
इसी राज्य में एक बुद्धिमान और बुजुर्ग व्यक्ति रहता था, जिसका नाम विभान था। वह अपने ज्ञान और सूझबूझ के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध था। राजा भी उसकी बुद्धिमानी से परिचित था, लेकिन उसने कभी विभान की सलाह नहीं मानी, क्योंकि वह अपने अहंकार में चूर रहता था।
जब विभान ने रामू की घटना के बारे में सुना, तो उसे यह बात असहनीय लगी। वह जानता था कि यह राजा का क्रोध है जो उसे अंधा कर देता है और उसे सही-गलत का ज्ञान नहीं होने देता। विभान ने सोचा, “अगर मैंने अभी कुछ नहीं किया, तो राज्य का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।”
विभान ने अपने कुछ शिष्यों को बुलाया और कहा, “मैं राजा से मिलने जा रहा हूँ। मुझे नहीं पता कि वह मेरी बात सुनेगा या नहीं, लेकिन यह मेरा कर्तव्य है कि मैं उसे सच का आईना दिखाऊं।”
शिष्य चिंतित थे। उन्होंने विभान से कहा, “गुरुजी, राजा बहुत क्रूर है। वह किसी की नहीं सुनता, और क्रोध में तो वह आपको भी सजा दे सकता है।”
विभान ने मुस्कुराते हुए कहा, “सच कहना और न्याय की रक्षा करना कभी आसान नहीं होता। अगर मैं डर गया, तो यह राज्य अराजकता में डूब जाएगा। मुझे राजा से बात करनी होगी।”
विभान राजमहल की ओर बढ़ चला। रास्ते में लोग उसे रोककर पूछने लगे, “क्या आप सच में राजा से मिलने जा रहे हैं? क्या आप नहीं जानते कि राजा बहुत क्रोध में है?”
विभान ने उन्हें सांत्वना दी और कहा, “मैं जानता हूँ कि राजा गलत कर रहा है, लेकिन उसे सही रास्ता दिखाने का प्रयास करना हमारा कर्तव्य है। अगर हम सब चुप रहेंगे, तो यह अन्याय और बढ़ता जाएगा।”
राजमहल के द्वार पर पहुंचते ही पहरेदारों ने विभान को रोक लिया। लेकिन जब उन्होंने देखा कि यह वही बुजुर्ग विभान हैं, जिनकी बुद्धि की सराहना राज्यभर में की जाती है, तो उन्होंने उसे अंदर जाने दिया। विभान राजा के दरबार में पहुंचा, जहाँ राजा अब भी गुस्से में था।
विभान ने राजा के सामने झुककर कहा, “महाराज, मैं आपसे एक विनती करने आया हूँ।”
राजा ने विभान को देखा, और उसके चेहरे पर एक मिश्रित भाव आया—गुस्सा और जिज्ञासा। “क्या चाहते हो, विभान?” राजा ने कठोर स्वर में पूछा।
विभान ने शांतिपूर्वक कहा, “महाराज, मैंने सुना है कि आपने अपने सेवक रामू को एक छोटी सी गलती के लिए मृत्युदंड देने का आदेश दिया है। मैं आपको यह याद दिलाने आया हूँ कि न्याय के मार्ग पर चलना हर राजा का धर्म है। एक छोटी सी गलती के लिए इतनी कठोर सजा देना क्या न्यायसंगत है?”
राजा ने नाराज होते हुए कहा, “तुम्हें इस बात से क्या मतलब? वह गमला मेरे लिए बहुत कीमती था, और उसकी गलती के कारण मेरी भावनाएँ आहत हुई हैं।”
विभान ने गहरी साँस ली और कहा, “महाराज, आपका क्रोध समझ में आता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यदि आपके सेवक केवल डर के कारण काम करेंगे, तो राज्य में सच्ची निष्ठा और समर्पण कैसे पनप सकेगा? और क्या आप चाहते हैं कि आपका राज्य भय से चले, या विश्वास और सम्मान से?”
राजा कुछ पल के लिए चुप हो गया। दरबार में मौजूद सभी लोगों की नजरें अब राजा और विभान पर थीं। सबको उम्मीद थी कि राजा कुछ सोच-समझकर निर्णय लेगा। लेकिन राजा का क्रोध अभी पूरी तरह शांत नहीं हुआ था। उसने विभान को कठोर स्वर में कहा, “मैंने जो आदेश दिया है, वह अंतिम है। तुम इसमें हस्तक्षेप न करो।”
विभान निराश नहीं हुआ। उसने सोचा, “राजा को बदलने में समय लगेगा।” लेकिन वह वापस जाने के लिए तैयार नहीं था। उसने निर्णय लिया कि वह राज्यभर के लोगों को संगठित करेगा और उन्हें न्याय के महत्व के बारे में बताएगा। (Sahas Ki Shakti part 1 End)
Sahas Ki Shakti भाग 2
विभान ने राजा के दरबार में अपने कदम मजबूती से रखे। उसका मन पूरी तरह से स्पष्ट था, उसे पता था कि वह एक अत्यंत कठिन परिस्थिति का सामना कर रहा है। जब उसने देखा कि राजा अभी भी क्रोध से भरे हुए थे, उसने गहरी सांस ली और शांत स्वर में कहा, “महाराज, अगर हर गलती पर मौत की सजा दी जाएगी, तो कोई व्यक्ति गलतियाँ करने से डरने के बजाय जीने से ही डरने लगेगा। क्या आप चाहते हैं कि आपके राज्य के लोग भय के साये में जियें, या आत्मविश्वास और न्याय के साथ?”
राजा ने विभान को तीखी नज़रों से देखा, और उनकी आवाज़ में अब भी गुस्सा था। “तुम कहना क्या चाहते हो, विभान? क्या तुम मेरी न्यायप्रियता पर सवाल उठा रहे हो?”
विभान ने सिर झुकाया, लेकिन उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी। “नहीं, महाराज। मैं आपकी न्यायप्रियता पर सवाल नहीं उठा रहा हूँ। मैं केवल यह कह रहा हूँ कि क्रोध में आकर लिया गया कोई भी निर्णय न्याय नहीं कहलाता। यदि हर छोटी गलती पर मृत्युदंड दिया जाए, तो कोई भी व्यक्ति बिना भय के अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर पाएगा। और एक राज्य, जहाँ भय शासन करता हो, वहाँ समृद्धि नहीं टिक सकती।”
यह सुनकर दरबार में सन्नाटा छा गया। सभी दरबारी, जो अब तक चुपचाप राजा के आदेश का पालन कर रहे थे, विभान की बातों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। राजा ने विभान की बातों को सुना, लेकिन वह अब भी अपने अहंकार के कारण पीछे नहीं हटना चाहता था। वह अब भी अपने फैसले को सही साबित करने की कोशिश में था।
राजा ने कहा, “तुम क्या जानते हो, विभान? मेरा गमला मेरे लिए सिर्फ एक वस्तु नहीं थी। यह मेरी भावनाओं से जुड़ा था। उसे तोड़कर इस सेवक ने मेरी भावनाओं का अपमान किया है। क्या तुम समझते हो कि मैं अपने आत्म-सम्मान का अपमान सह सकता हूँ?”
विभान ने शांत स्वर में कहा, “महाराज, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ, और मैं मानता हूँ कि सेवक से गलती हुई है। लेकिन क्या केवल एक वस्तु के टूटने पर किसी व्यक्ति को उसकी जान से हाथ धोने देना न्यायपूर्ण होगा? वस्त्र, गमले, और अन्य भौतिक वस्तुएँ टूट सकती हैं, लेकिन इंसान की जिंदगी अमूल्य होती है।” (Sahas Ki Shakti)
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राजा अब भी क्रोध में था, लेकिन विभान की बातों ने उसे थोड़ा सोचने पर मजबूर कर दिया। विभान ने देखा कि अब राजा के मन में थोड़ा संशय उत्पन्न हुआ है। इस स्थिति को भांपकर विभान ने एक साहसिक कदम उठाने का निर्णय लिया। (Sahas Ki Shakti)
विभान ने दरबार में रखे अन्य गमलों की ओर इशारा किया और बिना हिचकिचाहट के एक गमला उठाया। फिर, सबके सामने उस गमले को जमीन पर पटक कर तोड़ दिया। दरबार में हलचल मच गई। सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं। किसी ने सोचा भी नहीं था कि विभान इतनी हिम्मत दिखाएगा।
राजा की आँखें क्रोध से जल उठीं। उन्होंने दहाड़ते हुए कहा, “तुमने क्या किया? यह दुस्साहस है! तुमने मेरे एक और गमले को तोड़ दिया!”
विभान ने धैर्य से उत्तर दिया, “महाराज, आपने यह गमला देखा, यह टूट गया। लेकिन क्या आप मुझे भी उसी कठोर सजा के योग्य समझते हैं, जैसा आपने रामू के लिए तय किया है? यदि हर टूटी वस्तु के लिए मृत्यु की सजा दी जाएगी, तो क्या इस महल में कोई भी जीवित रह पाएगा?”
राजा अब विभान की बातों से थोड़े असमंजस में पड़ गए थे। उन्हें एहसास हो रहा था कि गुस्से में आकर उन्होंने शायद जल्दबाजी में फैसला लिया था। विभान की बुद्धि और साहस ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया। दरबार के दरबारियों की निगाहें राजा पर थीं, और हर कोई राजा के अगले शब्दों की प्रतीक्षा कर रहा था।
राजा का गुस्सा धीरे-धीरे शांत होने लगा। उन्होंने गहरी सांस ली और विभान से कहा, “तुम्हारी बातों में दम है। मैंने क्रोध में आकर फैसला लिया, जो शायद अनुचित था।”
विभान ने राजा की ओर देखा और कहा, “महाराज, हर इंसान से गलती होती है। कोई भी पूर्ण नहीं होता। लेकिन आपकी महानता इस बात में होगी कि आप अपने लोगों को समझें और उनके प्रति दया दिखाएं। अगर आप अपने सेवकों को एक गलती के लिए मृत्युदंड देंगे, तो आपके राज्य में लोग निष्ठा से काम नहीं करेंगे, बल्कि डर के कारण काम करेंगे।”
राजा ने अब गहराई से सोचना शुरू कर दिया। वह जानता था कि विभान सही कह रहा था। उसकी कठोरता और गुस्से ने उसे अपने लोगों से दूर कर दिया था। अगर वह इसी तरह चलता रहा, तो उसका राज्य कमजोर हो जाएगा और लोग उसका साथ छोड़ देंगे।
कुछ क्षणों के मौन के बाद, राजा ने घोषणा की, “मैं अपने फैसले को वापस लेता हूँ। रामू को मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा। यह गलती थी, और मैं उसे माफ करता हूँ।”
रामू, जो अब तक डर के मारे काँप रहा था, अचानक राजा की माफी सुनकर राहत की सांस ली। उसकी आँखों में कृतज्ञता के आँसू थे। उसने विभान की ओर देखा, मानो उसे नया जीवनदान मिल गया हो।
राजा ने विभान की ओर मुड़कर कहा, “विभान, तुमने मेरी आँखें खोल दीं। तुमने मुझे सिखाया कि सच्चा राजा वह नहीं होता जो अपने लोगों पर शासन करता है, बल्कि वह होता है जो उनके दिलों को जीतता है। मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है, और मैं तुमसे माफी माँगता हूँ।”
विभान ने राजा के चरणों में झुककर कहा, “महाराज, माफी माँगने की जरूरत नहीं है। आपने सत्य को पहचाना, यही आपकी महानता है। एक सच्चा राजा वही होता है जो समय पर अपनी गलतियों को स्वीकार कर ले और भविष्य में न्यायपूर्ण निर्णय ले।”
राजा ने विभान से वादा किया कि वह भविष्य में अपने निर्णयों में संयम रखेगा और बिना सोचे-समझे कठोर फैसले नहीं करेगा। विभान ने राजा के इस वादे पर खुशी जताई और उन्हें सलाह दी कि एक राजा को हमेशा अपने राज्य के लोगों के प्रति दया और न्याय का पालन करना चाहिए।
इस घटना के बाद, राजा ने अपनी प्रजा के साथ संबंध सुधारने का प्रयास शुरू किया। उसने अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने की कोशिश की और हर समस्या को समझदारी से हल करने का निश्चय किया। धीरे-धीरे, राज्य में भय का माहौल समाप्त हो गया और लोग फिर से आत्मविश्वास के साथ जीने लगे। विभान के इस साहसिक कदम ने न केवल राजा को शिक्षा दी, बल्कि पूरे राज्य को यह संदेश दिया कि सच्चे साहस और बुद्धिमानी से अन्याय का अंत किया जा सकता है। (Sahas Ki Shakti End)
Sahas Ki Shakti कहानी की सीख:
Sahas Ki Shakti कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि साहस और निष्ठा के साथ खड़े होने पर अन्याय का अंत किया जा सकता है। जब कोई अन्याय होता है, तो उसे चुपचाप सहने के बजाय उसका विरोध करना आवश्यक होता है, और यह साहस हमें अन्याय को खत्म करने की शक्ति देता है। क्रोध में आकर लिए गए फैसले अक्सर गलत होते हैं, और सच्ची महानता इस बात में होती है कि हम अपनी गलतियों को स्वीकारें और सही रास्ते पर लौटें।
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