शेर और खरगोश की कहानी | Sher Aur Khargosh Ki Kahani | Panchatantra Story

शेर और खरगोश की कहानी भाग 1: शेर की दहशत

शेर और खरगोश की कहानी- किसी समय की बात है, एक घने जंगल में एक शक्तिशाली और भयंकर शेर का राज था। वह शेर जंगल के सभी जानवरों के बीच अपनी ताकत और खौफ के लिए मशहूर था। उसकी दहाड़ से जंगल गूंज उठता, और कोई भी जानवर उसके सामने सिर उठाकर खड़ा होने की हिम्मत नहीं कर पाता। शेर का आतंक इतना बढ़ गया था कि हर जानवर उसकी छाया से भी डरता था।

शेर का व्यवहार ऐसा था कि वह बिना किसी कारण के जानवरों का शिकार करता और अपनी भूख शांत करने के बाद भी उन्हें मार डालता। उसकी यह आदत जंगल में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही थी। हर दिन कोई न कोई जानवर उसकी क्रूरता का शिकार हो जाता, और धीरे-धीरे जंगल के जानवरों की संख्या कम होने लगी।(शेर और खरगोश की कहानी)

शेर-और-खरगोश-की-कहानी-Sher-aur-Khargosh-ki-kahani
हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “शेर और खरगोश की कहानी"| Sher Aur Khargosh Ki Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story यह एक Panchatantra Story in Hindi है। अगर आपको Panchatantra Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

जंगल में भय का माहौल बन गया। शेर के डर से न केवल जानवरों को अपनी जान का खतरा था, बल्कि उन्हें अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी जीने में भी मुश्किलें होने लगीं। जानवर अब खुली हवा में बिना डर के घूमने का साहस खो चुके थे। हर तरफ केवल खौफ का साम्राज्य था।

शेर ने महसूस किया कि जानवर अब उसके डर से छिपते फिर रहे हैं, जिससे उसके लिए आसानी से शिकार करना कठिन हो गया। उसने सोचा, “अगर ऐसे ही चलता रहा तो मुझे हर बार शिकार के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।” शेर को एक उपाय सूझा और उसने जंगल के सभी जानवरों को बुलाया।(शेर और खरगोश की कहानी)

एक बड़ी सभा बुलाई गई जिसमें जंगल के सभी जानवर डर के मारे कांपते हुए शामिल हुए। शेर ने अपने सिंहासन से गर्जना की और कहा, “मुझे हर दिन शिकार करने में अब मजा नहीं आता। मैं जंगल का राजा हूँ और मुझे शिकार के लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। अब से, हर दिन एक जानवर खुद मेरी सेवा में आएगा और मेरी भूख शांत करेगा। अगर तुम लोग ऐसा नहीं करोगे तो मैं बिना सोचे-समझे तुम्हारे पूरे कबीले को खत्म कर दूंगा।”(शेर और खरगोश की कहानी)

यह सुनकर सभी जानवर हतप्रभ रह गए। उन्हें अपनी जान बचाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। सभी ने सिर झुका लिया और शेर की आज्ञा का पालन करने का निर्णय लिया। अब रोज़ाना बारी-बारी से एक जानवर को शेर के पास भेजा जाने लगा, ताकि वह उसे अपना शिकार बना सके।

यह सिलसिला कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। हर दिन एक जानवर शेर के पास अपनी बलि चढ़ाने जाता, और उसकी खौफनाक मौत हो जाती। धीरे-धीरे जानवरों में हताशा और डर और भी गहरा होने लगा।(शेर और खरगोश की कहानी)

कुछ दिन बाद बारी आई एक छोटे से खरगोश की। खरगोश छोटा जरूर था, लेकिन बहुत ही चालाक और बुद्धिमान था। जैसे ही उसकी बारी आई, उसने सोचा, “अगर आज मैं शेर के पास गया, तो मेरी जान तो जाएगी ही, लेकिन अगर मैं इसी डर से कुछ न करूं, तो जंगल के बाकी जानवरों की भी हालत ऐसी ही होती रहेगी। मुझे शेर की इस दहशत को खत्म करने के लिए कुछ करना होगा।”

खरगोश ने शेर के पास जाने से पहले एक चतुर योजना बनाई। उसने सोचा कि अगर वह शेर के पास सीधा चला गया, तो उसे अपनी चालाकी का सही उपयोग करने का अवसर नहीं मिलेगा। इसलिए उसने जानबूझकर देरी से शेर के पास जाने का निश्चय किया।(शेर और खरगोश की कहानी)

खरगोश धीरे-धीरे शेर के पास जाने लगा, ताकि उसे देरी हो। शेर भूखा था और उसका गुस्सा बढ़ता जा रहा था। जैसे ही खरगोश शेर के पास पहुँचा, शेर ने गरजते हुए कहा, “तुम इतनी देर से क्यों आए हो? क्या तुम्हें पता नहीं कि मुझे इंतजार करना पसंद नहीं है?”

खरगोश ने डरने का नाटक करते हुए शेर के सामने सिर झुकाया और कहा, “महाराज, कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मैं जानबूझकर देर नहीं कर रहा था। वास्तव में, रास्ते में मुझे एक और शेर मिला, जिसने मुझे रोक लिया और कहा कि वह इस जंगल का असली राजा है। उसने मुझसे कहा कि तुम्हारे पास आने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि वह तुमसे भी ताकतवर है।”

यह सुनकर शेर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। वह दहाड़ते हुए बोला, “इस जंगल में मुझसे ताकतवर और कोई शेर नहीं हो सकता! कौन है वो शेर? मुझे तुरंत उसके पास ले चलो। मैं उसे दिखाऊँगा कि असली राजा कौन है।”

खरगोश ने शेर की बात सुनकर अपनी योजना को आगे बढ़ाया और कहा, “महाराज, वह बहुत बड़ा और शक्तिशाली दिखता है। उसने मुझे धमकी दी और कहा कि वह आपको जंगल से बाहर निकाल देगा। मैं आपकी सेवा में हूं और आपको यह बताने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर आया हूँ।”

शेर यह सुनकर और भी क्रोधित हो गया। उसने सोचा, “कोई और शेर मेरे जंगल में आकर मुझे चुनौती दे, यह मैं हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकता।” वह तुरंत खरगोश से बोला, “मुझे उस शेर के पास ले चलो। मैं उसे सबक सिखाऊँगा और दिखाऊँगा कि असली ताकत क्या होती है।”(शेर और खरगोश की कहानी)

खरगोश ने अपनी चालाकी से शेर को और उकसाते हुए कहा, “महाराज, अगर आप उसे हरा देंगे, तो फिर इस जंगल में हमेशा के लिए आपकी बादशाहत रहेगी। वह शेर जंगल के सबसे गहरे कुएं में छिपा हुआ है। आप मेरे साथ चलिए, मैं आपको वहाँ लेकर चलता हूँ।”

शेर ने बिना कुछ सोचे-समझे खरगोश की बात मानी और उसके साथ चल पड़ा। खरगोश उसे एक गहरे कुएं के पास ले गया, जो जंगल के बीचोबीच था। शेर ने पूछा, “कहाँ है वो शेर? दिखाओ मुझे!”

खरगोश ने कुएं की ओर इशारा करते हुए कहा, “महाराज, वह शेर इस कुएं के अंदर छिपा हुआ है। आप जैसे ही इसमें झाँकेंगे, वह आपको दिख जाएगा।”

शेर ने अपनी ताकत और अहंकार में आकर कुएं के पास जाकर उसमें झाँका। जैसे ही उसने कुएं में झाँका, उसे अपनी ही परछाईं पानी में दिखाई दी। वह समझ नहीं पाया कि यह उसकी ही छवि है। उसे लगा कि कुएं में वाकई दूसरा शेर है जो उसे घूर रहा है। साथ ही, उसने अपनी ही गर्जना की प्रतिध्वनि सुनी, जिससे उसे पक्का यकीन हो गया कि कुएं में एक और शेर है।(शेर और खरगोश की कहानी)

क्रोध में अंधा शेर सोचने लगा कि दूसरा शेर उसे चुनौती दे रहा है। बिना कुछ सोचे-समझे, उसने उस ‘दूसरे शेर’ पर हमला करने के लिए कुएं में छलांग लगा दी। जैसे ही शेर कुएं में कूदा, वह सीधे पानी में गिर गया और बाहर नहीं निकल पाया। उसका अंत वहीं हो गया।

खरगोश ने अपनी चतुराई से न केवल अपनी जान बचाई, बल्कि पूरे जंगल को शेर की दहशत से हमेशा के लिए मुक्त कर दिया।

शेर और खरगोश की कहानी भाग 2: खरगोश की चालाकी

शेर के कुएं में गिरकर समाप्त हो जाने के बाद जंगल में एक नया अध्याय शुरू हो गया। शेर की दहशत से जानवरों का भय समाप्त हो चुका था, लेकिन उस दिन का असर अब भी जंगल में गहराई से महसूस किया जा रहा था। सभी जानवर अब स्वतंत्रता की सांस ले रहे थे, लेकिन साथ ही उनके मन में एक सवाल उठ रहा था: क्या खरगोश की चालाकी से सचमुच शेर की दहशत समाप्त हो गई है, या फिर आगे कोई और मुसीबत आने वाली है?

खरगोश ने जब शेर को गड्ढे में गिराकर मार डाला, तब उसने न केवल अपनी जान बचाई, बल्कि पूरे जंगल को भी शेर के आतंक से मुक्त कर दिया। जब वह बाकी जानवरों के पास वापस लौटा, तो सभी जानवर उसकी बहादुरी की प्रशंसा कर रहे थे।(शेर और खरगोश की कहानी)

शेर-और-खरगोश-की-कहानी-Sher-aur-Khargosh-ki-kahani

खरगोश ने अपने दोस्तों और जंगल के सभी जानवरों से कहा, “साथियों, आज हम एक बड़े खतरे से मुक्त हो गए हैं, लेकिन हमें हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि चालाकी और बुद्धिमानी से किसी भी समस्या का हल निकल सकता है। हमें अब मिलजुल कर एक नया जीवन जीना होगा।”

सभी जानवरों ने खरगोश की इस बात को ध्यान में रखा। उस दिन से जंगल में सभी जानवरों ने एक साथ मिलकर जीने की कसम खाई। उन्होंने यह निर्णय लिया कि अब से जंगल का हर फैसला सभी की सहमति से होगा और किसी एक प्राणी का आतंक नहीं छाया रहेगा।(शेर और खरगोश की कहानी)

इस नई व्यवस्था के तहत सभी जानवरों में समानता का भाव पैदा हो गया। अब हर प्राणी अपने जीवन में स्वतंत्र और सुरक्षित महसूस करने लगा। खरगोश की चालाकी और साहस ने जंगल में एक नई उम्मीद और शांति की किरण फैला दी थी, जिससे वहां खुशी और संतोष का माहौल बन गया।

लेकिन इस नई आजादी के साथ-साथ एक नई जिम्मेदारी भी आई। जंगल के जानवरों को अब यह सुनिश्चित करना था कि फिर कभी किसी एक प्राणी का आतंक न फैले। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि वे एक-दूसरे की मदद करेंगे और अपनी रक्षा के लिए किसी भी समस्या का समाधान मिलजुल कर निकालेंगे।

खरगोश का साहसिक निर्णय जंगल के सभी प्राणियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया। उसकी चालाकी और बुद्धिमानी ने यह साबित कर दिया कि भले ही शारीरिक रूप से कमजोर जानवर हो, लेकिन अगर वह अपने दिमाग का सही उपयोग करे, तो वह किसी भी बड़ी समस्या का समाधान निकाल सकता है। इस घटना के बाद, जंगल के जानवरों में एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास जाग उठा।(शेर और खरगोश की कहानी)

हालांकि, कहानी का यह अंत नहीं था। जंगल में शेर की अनुपस्थिति से एक शून्य पैदा हो गया था। जंगल का नया राजा कौन होगा, इस पर कोई निश्चितता नहीं थी। सभी जानवरों ने फैसला किया कि जंगल का नेतृत्व सामूहिक रूप से किया जाएगा, और सभी जानवर मिलकर काम करेंगे।(शेर और खरगोश की कहानी)

इस नई व्यवस्था से जंगल में खुशी और शांति का माहौल बना, लेकिन कुछ जानवरों के मन में अब भी शेर के आतंक की यादें ताजा थीं। कुछ को डर था कि कहीं कोई और शक्तिशाली प्राणी शेर की जगह न ले ले। हालांकि खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर की दहशत को खत्म कर दिया था, लेकिन भविष्य में क्या होगा, इसका कोई पक्का उत्तर नहीं था।

खरगोश ने सबको समझाया, “हमें अब अपने सामूहिक बल और समझदारी से ही आगे बढ़ना होगा। अगर हम एक-दूसरे का साथ देंगे और कभी किसी एक प्राणी को शक्तिशाली बनने नहीं देंगे, तो हम हमेशा सुरक्षित रहेंगे।”

यह बात सभी जानवरों को सही लगी, और उन्होंने एकजुटता की भावना से अपने नए जीवन की शुरुआत की। लेकिन जंगल के कोने-कोने में अब भी कुछ छोटे समूह थे, जो भविष्य के खतरों से अनजान नहीं थे। उन्हें डर था कि कहीं कोई और शिकारी प्राणी जंगल में आतंक फैलाने न आ जाए।(END शेर और खरगोश की कहानी)

थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि "शेर और खरगोश की कहानी |Sher Aur Khargosh Ki KahaniPanchatantra Story in Hindi | हिंदी कहानी कैसी लगी |

More Stories

Get Free Pdfs related SSC CGL  previous year question paper , pratiyogita darpan pdf , ssc chsl previous year paper , ssc gd previous year question paper ,  ssc gd previous year question paper , ssc previous year question paper

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top