Sher Aur Hathi Ki Ladai– हरे-भरे जंगल की कहानी है, जहां सूरज की सुनहरी किरणें घने वृक्षों के बीच से छनकर जमीन पर गिरती थीं और सुबह की मीठी हवा हर प्राणी को नई ऊर्जा से भर देती थी। यह जंगल सिर्फ सुंदरता का प्रतीक नहीं था, बल्कि एक ऐसा स्थान था जहां अलग-अलग जानवर अपने-अपने तरीके से जीवन जीते थे। हिरण की छलांग, मोर का नृत्य, तोते की चहचहाहट, और हाथी की गरिमामयी चाल—यह सब मिलकर जंगल को जीवंत बनाते थे।
लेकिन इस शांत और संतुलित वातावरण के बीच, शेर का घमंड हर दिन बढ़ता जा रहा था। शेर को लगता था कि उसकी ताकत और दहाड़ के कारण वह जंगल का सच्चा राजा है। शेर ने यह मान लिया था कि सभी जानवर उसके अधीन हैं, और वह जैसा चाहेगा, वैसा ही जंगल में होगा। “मैं ही इस जंगल का मालिक हूं,” शेर ने एक दिन ऊंची चट्टान पर खड़े होकर गर्व से कहा। “मेरा आदेश ही सबके लिए कानून है।” उसकी गर्जना से जंगल का हर कोना गूंज उठा। छोटे जानवर डर से दुबक गए, पक्षी अपने घोंसलों में छिप गए, और हिरण जैसे जानवर छिपने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
शेर ने अपनी ताकत का गलत उपयोग करना शुरू कर दिया, जिससे जंगल के जानवर भयभीत और असहज हो गए। कभी वह हिरणों को बेवजह डराता, तो कभी बंदरों को अपनी सेवा में लगा देता। उसकी दहाड़ ने जंगल की शांति को भंग कर दिया था। सभी जानवर अब उसकी क्रूरता से परेशान हो चुके थे। लेकिन डर के कारण कोई भी शेर का विरोध करने की हिम्मत नहीं करता था।(Sher Aur Hathi Ki Ladai)
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इस जंगल में एक हाथी भी रहता था, जिसे सभी जानवर उसकी शांत और बुद्धिमान स्वभाव के लिए जानते थे। उसका विशाल आकार और ताकत होते हुए भी वह कभी किसी को डराने या दबाने की कोशिश नहीं करता था। वह जानता था कि शक्ति का सही उपयोग दूसरों की सहायता और न्याय के लिए करना चाहिए, न कि उन्हें सताने के लिए। हाथी ने शेर के इस व्यवहार को कई दिनों तक चुपचाप देखा। वह समझ गया कि शेर का यह घमंड जंगल के संतुलन को बिगाड़ सकता है।(Sher Aur Hathi Ki Ladai)
एक दिन, जब शेर ने अपनी ताकत दिखाने के लिए एक छोटे हिरण को धमकाया, तो हाथी से रहा नहीं गया। उसने अपने विशाल पैरों से चलते हुए शेर के पास जाने का निश्चय किया। जंगल के सभी जानवर छिपकर यह देखने लगे कि अब क्या होगा।
हाथी ने शांत लेकिन दृढ़ आवाज में कहा, “शेर, तुम्हारी ताकत पर हमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुम दूसरों को डराओ और अपनी मनमानी करो। इस जंगल में हर प्राणी को समान अधिकार है।”
शेर ने हाथी की बात को हल्के में लेते हुए कहा, “हाथी, तुम मेरी ताकत को कम मत समझो। मैं इस जंगल का राजा हूं और जो चाहूंगा, वही करूंगा। अगर तुम्हें मेरी बातों से समस्या है, तो इसे साबित करके दिखाओ।”
हाथी ने संयम बनाए रखा और कहा, “राजा वही होता है जो अपने प्रजा का ख्याल रखे, न कि उन्हें डराए। तुम्हारे इस व्यवहार से जंगल की शांति भंग हो रही है। मैं इसे और नहीं सह सकता। अगर तुम्हें अपनी ताकत पर इतना ही गर्व है, तो क्यों न हम दोनों के बीच एक मुकाबला हो जाए? इससे यह तय हो जाएगा कि सही मायने में इस जंगल का असली राजा कौन है।”(Sher Aur Hathi Ki Ladai)
शेर को यह चुनौती अपने अहंकार पर सीधी चोट जैसी लगी। उसने तुरंत यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। “बहुत अच्छा, हाथी! मैं तुम्हें दिखा दूंगा कि शेर को चुनौती देना कितना महंगा पड़ सकता है।”
जंगल के बाकी जानवर इस घटनाक्रम को देखकर सकते में थे। वे चिंतित थे कि इस मुकाबले का क्या अंजाम होगा। कुछ जानवरों को डर था कि इस लड़ाई से जंगल का संतुलन बिगड़ जाएगा, तो कुछ उम्मीद कर रहे थे कि यह लड़ाई शेर को उसकी गलतियों का अहसास कराएगी।
मुकाबले की तिथि तय हो गई। जंगल के बीचों-बीच एक खुला मैदान इस लड़ाई का स्थान चुना गया। सभी जानवर अपनी-अपनी जगहों से यह देखने के लिए इकट्ठा हुए कि जंगल के दो सबसे शक्तिशाली प्राणी एक-दूसरे के सामने कैसे खड़े होंगे।
हाथी ने अपने स्वाभाविक धैर्य और विवेक को बनाए रखते हुए, एक सच्चे नेता की तरह स्थिति को संभालने का प्रयास किया। उसने निश्चय किया था कि वह इस मुकाबले को केवल ताकत का प्रदर्शन नहीं बनने देगा, बल्कि इससे शेर को एक जरूरी सीख भी सिखाएगा। दूसरी ओर, शेर अपने अहंकार और क्रोध से भर चुका था। उसे यकीन था कि वह अपनी ताकत से हाथी को हरा देगा और जंगल में अपनी सत्ता को और मजबूत करेगा। (Sher Aur Hathi Ki Ladai)
जंगल के इस संघर्ष की शुरुआत के साथ ही जानवरों के मन में एक सवाल गूंज रहा था: क्या यह लड़ाई जंगल की शांति बहाल करेगी या इसे हमेशा के लिए खत्म कर देगी?
Sher Aur Hathi Ki Ladai भाग 2: लड़ाई और उसका परिणाम
मुकाबले का दिन आ चुका था। सभी जानवर मैदान के चारों ओर जमा हो गए। शेर और हाथी आमने-सामने खड़े थे। शेर ने अपनी दहाड़ से माहौल को गूंजा दिया, जबकि हाथी शांत और स्थिर खड़ा था।
लड़ाई की शुरुआत शेर के तेजी से हमला करने से हुई। वह अपनी धारदार पंजों और तेज गति से हाथी को गिराने की कोशिश कर रहा था। लेकिन हाथी अपनी ताकत और धैर्य का उपयोग करके हर हमले को रोकता गया। उसने अपनी सूंड से शेर को दूर फेंक दिया। शेर को यह एहसास होने लगा कि केवल तेज गति और क्रोध से वह हाथी को नहीं हरा सकता। (Sher Aur Hathi Ki Ladai)
हाथी ने अपने विशाल आकार और बुद्धिमानी का उपयोग करते हुए शेर को थकाने की रणनीति अपनाई। उसने शेर को दौड़ाया और हर बार उसकी चालाकी को विफल किया। धीरे-धीरे शेर की ऊर्जा खत्म होने लगी। उसकी सांसें तेज हो गईं, लेकिन हाथी अब भी मजबूती से खड़ा था।
शेर ने हार मानते हुए स्वीकार किया, ‘हाथी, तुमने मुझे सिखा दिया कि ताकत से बड़ा धैर्य और बुद्धिमानी है। तुम्हारी ताकत और धैर्य ने मुझे यह समझा दिया है कि केवल ताकत से सब कुछ नहीं जीता जा सकता। मैं अपनी गलतियों को स्वीकार करता हूं और वादा करता हूं कि आगे से जंगल में शांति बनाए रखूंगा।”
हाथी ने शेर को उठाया और कहा, “सच्चा राजा वह होता है जो सबका ख्याल रखे। अगर हम एकजुट होकर जंगल की भलाई के लिए काम करेंगे, तो यही हमारी सबसे बड़ी ताकत होगी।”
इस घटना के बाद, जंगल में शांति वापस आ गई। शेर ने अपने व्यवहार में बदलाव किया और बाकी जानवरों के साथ मिल-जुलकर रहने लगा। (END Sher Aur Hathi Ki Ladai)
Sher Aur Hathi Ki Ladai कहानी की सीख:
Sher Aur Hathi Ki Ladai कहानी हमें सिखाती है कि अहंकार और क्रोध से कोई समस्या हल नहीं होती। धैर्य, बुद्धिमानी, और एकता से ही सच्ची जीत हासिल होती है। ताकत का उपयोग केवल दूसरों की भलाई के लिए होना चाहिए।
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