kisan aur saap ki kahani | Panchatantra story in Hindi | Hindi Story

Kisan Aur Saap Ki Kahani भाग 1: साँप का आगमन और किसान की दयालुता

एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक मेहनती और ईमानदार किसान रहता था। रामू का जीवन कठिनाईयों से भरा हुआ था, लेकिन उसने कभी मेहनत करना नहीं छोड़ा। उसका परिवार छोटा था, जिसमें उसकी पत्नी और दो बच्चे शामिल थे। रामू के पास अपनी एक छोटी सी जमीन थी, जिस पर वह खेती करता था। उसकी फसलें हमेशा अच्छी होती थीं, क्योंकि वह अपने काम में पूरी मेहनत और लगन से लगा रहता था।

लेकिन रामू की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि उसकी आमदनी इतनी नहीं थी कि वह अपने परिवार की सारी जरूरतें पूरी कर सके। वह हमेशा सोचता रहता था कि कैसे वह अपने परिवार की हालत सुधार सकता है। रामू अपनी मेहनत के बावजूद अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने में असमर्थ था, जिससे वह हमेशा चिंतित रहता था।

एक दिन, जब रामू अपने खेतों में काम कर रहा था, तभी उसने देखा कि उसके खेत के किनारे पर एक विशाल साँप रेंगता हुआ दिखाई दिया। साँप को देखकर रामू का दिल दहल गया। उसकी पहली प्रतिक्रिया थी कि वह साँप को मार डाले, क्योंकि वह डर गया था कि साँप उसके परिवार के लिए खतरा बन सकता है। लेकिन रामू एक दयालु और अहिंसक व्यक्ति था। उसने कभी किसी प्राणी को बिना कारण नुकसान नहीं पहुँचाया था, इसलिए उसने साँप को मारने का विचार छोड़ दिया।

रामू ने साँप के पास जाकर धीरे से कहा, साँप भाई, मैं नहीं चाहता कि तुम्हें कोई नुकसान पहुँचे, लेकिन मेरे खेत में तुम्हारा रहना ठीक नहीं है। मेरे बच्चे यहाँ खेलते हैं, और मैं नहीं चाहता कि उन्हें कोई खतरा हो। कृपया यहाँ से चले जाओ।

रामू के शब्दों में विनम्रता और ईमानदारी थी, और शायद यही कारण था कि साँप ने उसे नुकसान नहीं पहुँचाया। बल्कि, साँप ने रामू से कहा, तुम एक दयालु और अच्छे इंसान हो। मैं यहाँ तुम्हारे खेत में रहना चाहता हूँ, और इसके बदले में मैं तुम्हें रोज़ एक सोने का सिक्का दूँगा। इससे तुम्हारा जीवन बेहतर हो सकता है।

रामू को अपनी कानों पर विश्वास नहीं हुआ। वह सोच में पड़ गया कि क्या यह सच हो सकता है। क्या साँप सचमुच उसे सोने का सिक्का देगा? लेकिन फिर उसने सोचा कि अगर यह सच निकला, तो उसकी परेशानियाँ कुछ हद तक खत्म हो सकती हैं। उसने साँप का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उसे अपने खेत में रहने की अनुमति दे दी।

अगले दिन, रामू ने देखा कि साँप ने वाकई में एक सोने का सिक्का उसके खेत में छोड़ दिया था। वह बहुत खुश हुआ और उसने वह सिक्का उठाकर अपने घर ले गया। इस तरह रोज़ साँप सोने का सिक्का छोड़ता और रामू की आमदनी बढ़ती गई। रामू ने सोने के सिक्कों को जमा करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे उसकी स्थिति में सुधार आने लगा। उसकी खेती भी अब अच्छी हो रही थी और उसके परिवार की हालत भी सुधर रही थी।

रामू के जीवन में धीरे-धीरे खुशियों की बहार लौट आई। लेकिन उसके मन में अभी भी यह सवाल उठता था कि क्या यह सब सच में हो रहा है? वह अपने खेत के पास जाता और साँप से विनम्रता से बात करता, उसकी अच्छाई और दयालुता के लिए धन्यवाद देता। (Kisan Aur Saap Ki Kahani)

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “Kisan Aur Saap Ki Kahani"| Hindi Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story" यह एक Motivational Story है। अगर आपको Hindi KahaniShort Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

यह कहानी यहीं समाप्त नहीं होती। आगे की कहानी में देखेंगे कि क्या रामू की इस खुशहाल जिंदगी में कोई बदलाव आता है? क्या साँप का यह प्रस्ताव हमेशा के लिए रहेगा या फिर कुछ नया मोड़ आएगा? भाग 2 में हम इस कहानी को आगे बढ़ाएंगे, जहाँ रामू और साँप के बीच की यह अनोखी दोस्ती एक नई दिशा लेगी।

Kisan Aur Saap Ki Kahani भाग 2: लोभ, परिणाम और शिक्षा

रामू के खेत में साँप का रहना और हर दिन एक सोने का सिक्का देना अब उसकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका था। साँप के इस उपहार से रामू का जीवन धीरे-धीरे सुधरने लगा। उसने अपने घर की मरम्मत करवाई, बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे जुटाए, और यहाँ तक कि गाँव के अन्य किसानों की भी मदद करने लगा। रामू की ईमानदारी और मेहनत का फल उसे मिल रहा था, और वह अपने जीवन से संतुष्ट था।

लेकिन रामू का बेटा, मोहन, जो अभी किशोरावस्था में था, इस चमत्कार पर संदेह करने लगा। उसे विश्वास नहीं होता था कि एक साँप रोज़ सोने का सिक्का दे सकता है। वह सोचने लगा कि अगर साँप के पास एक सोने का सिक्का है, तो उसके पास और भी सिक्के हो सकते हैं। मोहन के मन में लालच ने घर कर लिया, और उसने एक खतरनाक योजना बना डाली। वह सोचने लगा कि अगर वह साँप को मार डाले, तो वह सारे सोने के सिक्के एक साथ हासिल कर सकता है।

मोहन की योजना रामू से छिपी नहीं रही। रामू ने मोहन से कई बार कहा कि वह साँप के साथ कोई बुरा व्यवहार न करे, क्योंकि साँप ने उनके जीवन में सुधार लाया है। लेकिन मोहन के दिल में लालच बढ़ता जा रहा था, और उसने अपने पिता की बातों पर ध्यान नहीं दिया। उसने अगले दिन साँप को मारने का फैसला किया और इसके लिए तैयारियाँ शुरू कर दीं।

अगले दिन, जब साँप हमेशा की तरह सोने का सिक्का छोड़ने के लिए रामू के खेत में आया, मोहन ने छुपकर उस पर हमला कर दिया। मोहन के हाथ में एक भारी डंडा था, जिससे वह साँप को मारने के लिए तैयार था। लेकिन साँप भी चालाक था। जैसे ही मोहन ने डंडा उठाया, साँप ने खतरे को भांप लिया और तुरंत वहाँ से भाग निकला। मोहन के हाथ में सिर्फ डंडा रह गया और उसका लालच उसे खाली हाथ छोड़ गया।

साँप ने खेत छोड़ दिया और कभी वापस नहीं आया। रामू जब खेत में पहुँचा और उसने मोहन के हाथ में डंडा देखा, तो वह समझ गया कि क्या हुआ है। रामू का दिल टूट गया। उसने सोने का सिक्का नहीं खोया था, बल्कि उसने उस दयालु साँप की मित्रता खो दी थी, जिसने उनके जीवन को बदलने में मदद की थी। रामू को सबसे अधिक दुख इस बात का हुआ कि उसके बेटे की लालच ने उन्हें इस स्थिति में ला खड़ा किया था।

रामू ने मोहन को पास बुलाया और उससे कहा, मोहन, तुमने क्या कर दिया? यह साँप हमारे लिए एक वरदान था। उसने हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपनी मित्रता और दया दिखाई, और हमने उसे अपनी लालच से खो दिया। सोने के सिक्के महत्वपूर्ण नहीं थे, बल्कि उसका यहाँ रहना और हमें रोज़ एक नई उम्मीद देना महत्वपूर्ण था।

मोहन अपनी गलती पर पछताने लगा। उसने सिर झुकाकर कहा, पिताजी, मैं गलत था। मैंने लालच में आकर साँप को मारने की कोशिश की, लेकिन मैंने अपनी ही खुशियों को नुकसान पहुँचाया। मैं समझ गया हूँ कि जो हमें मिल रहा था, उसी में खुश रहना चाहिए था।

रामू ने मोहन को समझाते हुए कहा, लोभ और लालच कभी भी हमें खुश नहीं कर सकते। जितना हमारे पास है, उसमें संतुष्ट रहना ही सबसे बड़ी दौलत है। मेहनत और ईमानदारी से जो भी मिलता है, वही असली खुशी देता है। हम दूसरों की दया और मित्रता की कद्र करें, तो जीवन में खुशियाँ खुद-ब-खुद आ जाती हैं।

मोहन ने अपने पिता की बातों को दिल से लगा लिया और उसने संकल्प किया कि वह कभी भी लालच के चक्कर में नहीं पड़ेगा। उसने महसूस किया कि उसकी लालच ने न केवल एक मित्र को खो दिया, बल्कि उसने अपने पिता की मेहनत और विश्वास को भी चोट पहुँचाई थी। उसने अपनी गलती को सुधारने का निर्णय लिया और अपने पिता के साथ खेत में काम करने लगा, पहले से भी अधिक मेहनत और ईमानदारी से।(kisan aur saap ki kahani END)

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kisan aur saap ki kahani का मोरल:

इस kisan aur saap ki kahani से हमें यह सिखने को मिलता है कि लोभ और लालच हमें कभी भी सच्ची खुशी नहीं दे सकते। हमें जितना मिलता है, उसमें संतुष्ट रहना चाहिए और हमेशा मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए। दूसरों की दया और मित्रता की कद्र करनी चाहिए, क्योंकि वे ही हमारे जीवन में असली खुशियाँ और संतोष लाते हैं। यदि हम लालच में आकर दूसरों का अहित करेंगे, तो अंत में हमें ही नुकसान होगा। सत्य, संतोष, और ईमानदारी ही जीवन के सबसे बड़े आदर्श हैं, जो हमें सही राह पर चलते रहने की प्रेरणा देते हैं।

थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि kisan aur saap ki kahani | Kahani Hindi Short Story | हिंदी कहानी कैसी लगी |
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