khargosh aur hathi ki kahani भाग 1: हाथियों का उत्पात और खरगोश की चिंता
khargosh aur hathi ki kahani- एक घना और शांत जंगल था, जहाँ छोटे-छोटे जानवर आपसी स्नेह और सहयोग से जीवन बिता रहे थे। इस जंगल में सभी के लिए एक सुंदर तालाब था, जो उनका प्रिय जल स्रोत था। यहाँ के हर प्राणी के लिए यह तालाब बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे उन्हें न केवल पानी मिलता था बल्कि यह उनके रहने का मुख्य कारण भी था। तालाब के आसपास हरे-भरे पेड़, घनी झाड़ियाँ और ताजगी भरी हवा इस जंगल को अद्वितीय बनाती थी।
जंगल की शांति उस दिन भंग हो गई जब हाथियों का एक विशाल झुंड जल की खोज में वहाँ आ धमका। ये हाथी पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते हुए तालाब के पास आ पहुँचे। उनकी भारी-भरकम चाल से तालाब के किनारे की मिट्टी हिलने लगी, और तालाब के आसपास की नाजुक झाड़ियाँ रौंद दी गईं। उनकी आवाज से छोटे जानवरों में भय और चिंता फैल गई, जो हाथियों के विशाल शरीर और उनकी दहाड़ती चाल को देखकर सिहर उठे थे।(khargosh aur hathi ki kahani)
तालाब के किनारे पर रहते हुए, छोटे जानवरों का जीवन अब खतरे में था। हर दिन हाथियों का झुंड तालाब के पास आता और पेड़-पौधों को कुचलता, जिससे चारों ओर तबाही मच जाती। इस क्षेत्र में बसे छोटे जानवरों का घर भी धीरे-धीरे तबाही की चपेट में आने लगा। उनमें से कई जानवर, जैसे खरगोश, गिलहरी, नेवला और पक्षी, इस चिंता में डूब गए थे कि यदि हाथियों का यह उत्पात ऐसे ही चलता रहा, तो जल्द ही उनके रहने का स्थान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।(khargosh aur hathi ki kahani)
इन छोटे जानवरों में एक खरगोश भी था, जो समझदार और साहसी था। उसने अपने चारों ओर फैले विनाश को देखा और समझा कि यदि वह और अन्य छोटे जानवर कुछ नहीं करेंगे, तो उन्हें जल्द ही अपना घर छोड़ना पड़ेगा। खरगोश ने सोचा, “हाथी इतने बड़े और ताकतवर हैं कि उनका सामना करने के लिए बल का उपयोग करना व्यर्थ है। लेकिन अगर हम चतुराई और धैर्य से काम लें, तो शायद हम उन्हें यहाँ से दूर कर सकते हैं।”
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खरगोश ने जंगल के अन्य जानवरों को इकट्ठा किया और अपनी योजना साझा की। उसने कहा, “अगर हम सीधे हाथियों से लड़ने की कोशिश करेंगे, तो हमें नुकसान ही होगा। लेकिन यदि हम उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दें कि यह तालाब उनके लिए सुरक्षित नहीं है, तो वे खुद ही यहाँ से चले जाएंगे।”
सभी जानवर खरगोश की योजना को सुनकर खुश हुए, लेकिन उनमें से कुछ को संदेह भी था। एक नेवला बोला, “हाथी बहुत चालाक नहीं होते, लेकिन वे शक्तिशाली हैं। अगर हमारी योजना विफल हुई, तो वे और भी अधिक उत्पात मचा सकते हैं।” इस पर खरगोश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “योजना अगर सावधानी से बनाई जाए, तो हमें डरने की जरूरत नहीं है। हमें बस एक मौका चाहिए।”(khargosh aur hathi ki kahani)
अगले दिन खरगोश अपने मित्र गिलहरी के साथ हाथियों के राजा से मिलने गया। उसने देखा कि हाथियों का राजा एक विशाल पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। खरगोश ने अपनी चतुराई से हाथियों के राजा के पास जाकर अपनी योजना को अंजाम देने का निश्चय किया। वह धीरे-धीरे हाथी के पास गया और विनम्रता से कहा, “महाराज, मैं आपके पास एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आया हूँ।”
हाथियों का राजा अपनी भारी आवाज में बोला, “तुम कौन हो, और मुझे क्या संदेश देना चाहते हो?”
खरगोश ने निडरता से जवाब दिया, “महाराज, मैं जंगल के देवता का संदेशवाहक हूँ। उन्होंने मुझे आपके पास भेजा है ताकि आपको यह चेतावनी दी जा सके कि आप यहाँ से तुरंत चले जाएं। यह तालाब देवता का पवित्र स्थान है, और उन्हें यह पसंद नहीं कि इसे कोई नुकसान पहुँचाए।”
हाथी का राजा थोड़ा अचंभित हुआ और उसने कहा, “हम इस जंगल में बस अपनी प्यास बुझाने आए हैं। हम किसी को कोई हानि नहीं पहुँचाना चाहते। लेकिन अगर यह देवताओं का स्थान है, तो हम कैसे यकीन करें?”
खरगोश ने हाथी के राजा की आँखों में देखते हुए कहा, “महाराज, मैं समझता हूँ कि आप संदेह कर रहे हैं। लेकिन आप खुद देख सकते हैं कि तालाब का पानी दिन-ब-दिन घटता जा रहा है, पेड़-पौधे सूख रहे हैं और देवता का क्रोध बढ़ता जा रहा है। अगर आप देवता के क्रोध को नहीं रोकेंगे, तो यह पूरा जंगल और इसमें रहने वाले सभी प्राणी संकट में पड़ जाएंगे।”
खरगोश की यह बात सुनकर हाथी का राजा सोच में पड़ गया। उसने देखा कि तालाब का पानी सचमुच कम हो रहा था और आसपास के पेड़-पौधे भी मुरझा रहे थे। यह दृश्य उसे चिंतित कर गया। खरगोश की बुद्धिमानी और बातों ने उसके मन में संदेह के बीज बो दिए थे। उसने खरगोश से पूछा, “तो हमें क्या करना चाहिए?”(khargosh aur hathi ki kahani)
खरगोश ने विनम्रता से सुझाव दिया, “महाराज, अगर आप और आपके साथी इस पवित्र तालाब से दूर रहें और अपनी प्यास कहीं और जाकर बुझाएं, तो देवता प्रसन्न हो जाएंगे। इससे यहाँ का संतुलन भी बना रहेगा और हम सब चैन की साँस ले सकेंगे।”
हाथियों का राजा कुछ क्षण तक गहन विचार में खोया रहा। उसे यह विचार अच्छा लगा कि अगर देवता को प्रसन्न किया जा सकता है, तो वह अपने झुंड को कहीं और पानी के लिए ले जाएगा। लेकिन उसके भीतर का संदेह अब भी उसे बेचैन कर रहा था।
khargosh aur hathi ki kahani भाग 2: खरगोश की चतुराई और हाथियों का सबक
खरगोश अपनी योजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए हाथियों के राजा से दोबारा मिलने का निश्चय करता है। उसकी सूझबूझ और आत्मविश्वास ने उसे विश्वास दिलाया कि वह अपने छोटे साथियों के लिए इस संकट से उबरने का रास्ता खोज सकता है। इस बार उसने एक नई तरकीब सोची, जिससे वह हाथियों को समझा सके कि तालाब पवित्र है और उसकी रक्षा करना आवश्यक है।
अगली रात, जब जंगल में हल्की-हल्की चाँदनी बिखरी हुई थी, खरगोश सीधे हाथियों के राजा के पास गया। उसने सम्मानपूर्वक झुककर हाथियों के राजा से कहा, “महाराज, मैं आपके पास एक महत्त्वपूर्ण संदेश लेकर आया हूँ। मैं स्वयं चंद्रमा का दूत हूँ, और मुझे यह संदेश देने के लिए भेजा गया है कि चंद्रमा आपसे बहुत नाराज हैं।”(khargosh aur hathi ki kahani)
हाथियों के राजा को खरगोश की बात पर विश्वास नहीं हुआ। उसने कठोर स्वर में कहा, “तुम इतने छोटे से जानवर हो, तुम्हें हमसे क्या लेना-देना? और तुम चंद्रमा का दूत कैसे हो सकते हो?”
खरगोश ने धीरज से उत्तर दिया, “महाराज, यह सच है। चंद्रमा स्वयं नाराज हैं क्योंकि आप और आपके साथियों ने उस पवित्र तालाब को गंदा कर दिया है, जो उनके लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। अगर आप तुरंत अपने कार्यों पर रोक नहीं लगाते, तो चंद्रमा का कोप आप सभी पर भारी पड़ेगा।”
यह सुनकर हाथियों का राजा चिंतित हो गया। उसने खरगोश से कहा, “यदि यह सच है कि चंद्रमा हमसे नाराज हैं, तो हमें यह बताओ कि हम उन्हें कैसे प्रसन्न कर सकते हैं?”
खरगोश ने राजा की गंभीरता भांप ली और अपनी योजना के अगले चरण को अंजाम देने का विचार किया। उसने कहा, “महाराज, मैं आपको दिखा सकता हूँ कि चंद्रमा सचमुच क्रोधित हैं। आज रात मेरे साथ उस तालाब के पास चलिए। चंद्रमा स्वयं अपने क्रोध का संकेत देंगे।”(khargosh aur hathi ki kahani)
हाथियों का राजा अनिच्छा से, परंतु अपनी सेना को साथ लेकर खरगोश के पीछे-पीछे चल पड़ा। तालाब के पास पहुँचने पर खरगोश ने कहा, “महाराज, कृपया ध्यान दें। मैं चंद्रमा से आपको अपना क्रोध दिखाने की प्रार्थना करता हूँ।”
खरगोश ने जानबूझकर रात का समय चुना था ताकि चंद्रमा का प्रतिबिंब तालाब के शांत पानी में स्पष्ट रूप से दिखाई दे। उसने हाथियों के राजा को तालाब के पास बैठने को कहा और कहा, “देखिए, चंद्रमा का प्रतिबिंब पानी में दिख रहा है। वे आपसे नाराज होकर स्वयं यहाँ उतर आए हैं।”
जब हाथियों का राजा और उसके साथी तालाब के पास जाकर पानी में चंद्रमा का प्रतिबिंब देख पाए, तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उन्होंने सोचा कि सचमुच चंद्रमा उनके क्रोध के कारण तालाब में आए हैं।(khargosh aur hathi ki kahani)
इस दृश्य ने हाथियों के राजा के मन में भय पैदा कर दिया, और वह कांपने लगा। उसने हाथ जोड़कर पानी की ओर झुककर कहा, “हे चंद्रमा देवता, कृपया हमें क्षमा करें। हमें अपनी अज्ञानता पर खेद है। हमने अनजाने में आपके पवित्र स्थान का अपमान किया है। हम वचन देते हैं कि अब से हम इस तालाब के पास नहीं आएँगे और इसे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाएँगे।”(khargosh aur hathi ki kahani)
हाथियों का राजा और उसकी सेना ने माफी मांगी और खरगोश से सलाह मांगी कि अब उन्हें क्या करना चाहिए। खरगोश ने प्रसन्न मन से जवाब दिया, “महाराज, आप अपनी सेना के साथ किसी अन्य स्थान पर चले जाइए और तालाब को अपनी शांति में लौटने दीजिए। इससे चंद्रमा देवता प्रसन्न होंगे और आप पर दया करेंगे।”(khargosh aur hathi ki kahani)
हाथियों का राजा अब पूरी तरह से आश्वस्त हो गया कि यदि उसने तालाब के पास रहना जारी रखा, तो चंद्रमा का क्रोध और बढ़ेगा। उसने अपने साथियों को आदेश दिया कि वे इस जंगल को छोड़ दें और पानी की तलाश में किसी अन्य स्थान पर चले जाएँ। धीरे-धीरे हाथियों का झुंड जंगल से निकल गया, और छोटे जानवरों ने राहत की साँस ली।
खरगोश की इस चतुराई से जंगल के सभी छोटे जानवर अत्यंत प्रसन्न और आभारी हो गए। उन्होंने खरगोश को अपना नायक माना और उसकी बुद्धिमानी की सराहना की। अब जंगल में फिर से शांति लौट आई थी, और तालाब के किनारे की हरियाली और सुंदरता बरकरार थी। सभी जानवरों ने मिलकर खरगोश का धन्यवाद किया और उसे अपना मार्गदर्शक और रक्षक मानने लगे।(END khargosh aur hathi ki kahani)
khargosh aur hathi ki kahani कहानी का संदेश
khargosh aur hathi ki kahani कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बड़ी से बड़ी समस्या का हल भी चतुराई और धैर्य से निकाला जा सकता है। साहस और बुद्धिमानी का साथ हो, तो कोई भी कठिनाई असंभव नहीं होती। इस कहानी में खरगोश ने अपनी सूझबूझ से यह सिद्ध कर दिया कि शारीरिक ताकत से अधिक महत्त्वपूर्ण होती है मानसिक ताकत और आत्मविश्वास।”
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