कालू कौवा की कहानी भाग 1: कालू की चालाकी
कालू कौवा की कहानी– कालू कौआ, जंगल का एक अत्यंत चतुर और तेज दिमाग वाला पक्षी था। उसकी सूझ-बूझ और चालाकी के कारण उसे जंगल के सभी जानवरों में सम्मान प्राप्त था। कालू की आँखें हमेशा अपनी सूझ-बूझ के लिए खुली रहती थीं। वह अपनी चालाकी से अक्सर ऐसे काम कर लेता था, जिन्हें बाकी जानवर नहीं कर पाते थे। उसका हर कदम सोचा-समझा होता था, और यही वजह थी कि वह मुश्किल से मुश्किल हालात में भी निकलने का रास्ता खोज लेता था।
एक दिन, जब कालू जंगल में उड़ते-उड़ते काफी दूर निकल आया, उसे बहुत तेज़ भूख लगी। सूरज की तेज़ी और आसमान में गर्मी के कारण, उसे अपनी भूख का एहसास और भी तीव्र हो गया। उसने जंगल के हर कोने में नजर दौड़ाई, लेकिन वहां उसे खाने के लिए कुछ नहीं मिला। अब कालू ने सोचा, “अगर मुझे कुछ खाना मिल जाए, तो मेरी भूख शांत हो जाएगी।”
इस सोच के साथ ही कालू ने अपनी उड़ान को गाँव की ओर मोड़ लिया। गाँव के पास आकर उसे वहाँ की चहल-पहल और लोगों के कामकाजी जीवन का दृश्य दिखाई दिया। गाँव में बच्चे खेल रहे थे, महिलाएं घर के कामों में व्यस्त थीं और कुछ लोग खेतों में काम कर रहे थे। कालू ने देखा कि कुछ बच्चे एक साथ खेलते हुए रोटियाँ खा रहे थे। उनमें से एक बच्चा हँसी-खुशी रोटी का एक टुकड़ा खाते हुए खेल रहा था। जैसे ही बच्चा अपनी रोटी को छोड़कर किसी और चीज़ पर ध्यान देने लगा, उसकी रोटी का एक टुकड़ा फर्श पर गिर पड़ा।

हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “कालू कौवा की कहानी"| Kalu kauwa Ki Kahani| हिंदी कहानी यह एक Animal Story है। अगर आपको Animal Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
कालू की आँखें चमक उठीं। यह वही मौका था जिसे वह खोना नहीं चाहता था। वह उड़ते हुए सीधे उस रोटी के टुकड़े के पास पहुंचा और उसे चोंच में दबा लिया। रोटी का टुकड़ा उसके लिए स्वादिष्ट भोजन का वादा कर रहा था। एक झटके में वह रोटी लेकर उड़ने में सफल हो गया। उसकी चतुराई ने उसे सही समय पर सही स्थान पर पहुँचने का मौका दिया। लेकिन कालू यह नहीं जानता था कि रास्ते में उसका सामना एक और समस्या से होने वाला था।
जैसे ही कालू रोटी लेकर उड़ने लगा, उसे रास्ते में एक लोमड़ी दिखाई दी। लोमड़ी जंगल की सबसे चालाक और लुच्ची जानवरों में से एक थी। वह हमेशा अपनी चालाकी से बाकी जानवरों को धोखा देने का तरीका ढूंढती रहती थी। लोमड़ी ने कालू को देखा और तुरंत सोचा कि कैसे वह इस रोटी के टुकड़े को छीन सकती है। उसने कालू को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपनी चालें चलनी शुरू कर दीं।
लोमड़ी ने कालू की ओर बढ़ते हुए कहा, “अरे कालू! तुम तो बड़े चतुर और सुंदर पक्षी हो। तुम्हारी उड़ान और चोंच तो बहुत ही शानदार है।” कालू ने लोमड़ी की बातों को सुना, लेकिन वह जानता था कि लोमड़ी कभी भी किसी के लिए अच्छे इरादे नहीं रखती थी। फिर भी वह थोड़ा चौकस हो गया और उसे देखा। लोमड़ी ने अपने अगले कदम के बारे में सोचना शुरू किया।
लोमड़ी ने फिर कहा, “तुम्हारी आवाज़ भी बहुत प्यारी होगी। मुझे यकीन है कि तुम्हारे गाने में कुछ खास बात होगी। क्या तुम मुझे थोड़ा गाकर सुना सकते हो?”
कालू ने लोमड़ी की बातों को ध्यान से सुना। उसे यह समझते देर न लगी कि लोमड़ी उसका ध्यान रोटी से हटा कर उसकी आवाज़ की तारीफ करने के बहाने उसे बहला रही है। कालू ने बिना हड़बड़ी किए अपने दिमाग का इस्तेमाल किया। वह जानता था कि अगर उसने गाने का प्रस्ताव स्वीकार किया, तो लोमड़ी उसके रोटी के टुकड़े को छीनने की कोशिश करेगी।(कालू कौवा की कहानी)
कालू ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम सच में मेरी आवाज़ की तारीफ करती हो? मुझे खुशी है कि तुम मुझे गाने का मौका देना चाहती हो, लेकिन तुम समझ नहीं पा रही हो कि मेरी आवाज़ इतनी अच्छी नहीं है। अगर तुम इसे सुनोगी, तो तुम निराश हो जाओगी। तुम इस समय मेरी आवाज़ से ज्यादा रोटी के टुकड़े के बारे में सोच रही हो न?”
लोमड़ी ने कालू की बातों पर ध्यान दिया, और फिर कहा, “नहीं, नहीं कालू! मैं सचमुच तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहती हूं। मुझे विश्वास है कि तुम्हारे गाने से यह जगह और भी खूबसूरत बन जाएगी। बस एक बार गाओ तो सही।”
कालू ने सोचते हुए कहा, “ठीक है, अगर तुम चाहती हो, तो मैं गा सकता हूँ। लेकिन मुझे पहले तुम्हारा एक छोटा सा वादा चाहिए।”
लोमड़ी ने हैरान होकर पूछा, “क्या वादा?”
कालू ने धीरे से कहा, “तुम मुझे रोटी का टुकड़ा दो, और फिर मैं गाकर तुम्हें खुश कर दूंगा।”
लोमड़ी को यह सुनकर हंसी आ गई। वह समझ गई कि कालू के दिमाग में कोई न कोई चाल चलने की योजना है। लेकिन लोमड़ी का आत्मविश्वास और आक्रमकता उसे भ्रमित नहीं कर पाए। वह तैयार हो गई, यह सोचकर कि उसे कालू के गाने का आनंद मिलेगा।
लेकिन कालू की चालाकी में एक और मोड़ आना बाकी था, जो लोमड़ी को चौंका देने वाला था।
कालू कौवा की कहानी भाग 2: कालू का जवाब
कालू ने लोमड़ी की बातों को ध्यान से सुना और उसकी चालाकी को समझ लिया। वह जानता था कि लोमड़ी के सामने रोटी छोड़ देना उसे धोखा देने का एक तरीका है। लेकिन कालू अपनी चालाकी में किसी भी तरह से फंसने वाला नहीं था। उसे पूरी तरह से यकीन था कि यदि वह लोमड़ी को अपनी आवाज़ सुनाने का बहाना बनाएगा, तो लोमड़ी उसे किसी न किसी तरीके से बहलाकर रोटी छीनने का प्रयास करेगी।(कालू कौवा की कहानी)
कालू ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और एक बुद्धिमानी से काम करने का निर्णय लिया। उसने लोमड़ी से कहा, “ठीक है, लोमड़ी! तुम सही कह रही हो, मेरी आवाज़ जरूर प्यारी होगी, लेकिन मुझे रोटी का टुकड़ा बहुत प्रिय है। मैं तुम्हे गाने से पहले यह रोटी एक सुरक्षित स्थान पर रखता हूं, ताकि तुम उसका फायदा न उठा सको।” यह कहकर कालू अपनी चोंच से रोटी का टुकड़ा एक ऊँची डाल पर रख देता है, जहाँ से लोमड़ी उसे आसानी से नहीं ले सकती थी।
लोमड़ी ने यह देखा और सोचने लगी कि यह कैसे हो सकता है। उसने सोचा, “क्या कालू मुझे अपनी आवाज़ सुनाने से पहले रोटी सुरक्षित जगह पर रखेगा? वह क्या समझता है कि मैं इतनी आसानी से हार मान जाऊँगी?” लोमड़ी को लगा कि वह कालू को आसानी से धोखा दे सकती है।(कालू कौवा की कहानी)
लेकिन कालू ने अपनी चालाकी से लोमड़ी के मन के सारे शक दूर कर दिए। उसने रोटी एक पेड़ की ऊँची डाल पर रख दी थी, ताकि जब लोमड़ी उसका पीछा करे, तो वह आसानी से अपने खेल को जीत सके। जैसे ही लोमड़ी ने रोटी की तरफ हाथ बढ़ाया, कालू ने अपनी तेज़ उड़ान भरी और तुरन्त पेड़ से रोटी को उठाकर फिर से चोंच में दबा लिया।
लोमड़ी को यह देखकर गुस्सा आया। उसने सोचा था कि कालू अपनी चतुराई से रोटी को छोड़ने से पहले गाना शुरू कर देगा, लेकिन कालू ने उसे चौंका दिया। लोमड़ी की सारी योजना नाकाम हो गई, और वह वहीं खड़ी रह गई, आँखों में गुस्सा और निराशा के भाव लिए। उसे अपनी चालाकी पर पछतावा हुआ, लेकिन अब समय निकल चुका था। कालू ने उसे पूरी तरह से मात दे दी थी।(कालू कौवा की कहानी)
कालू ने रोटी को सुरक्षित रखकर उसे खुद खाया और फिर अपनी उड़ान भरते हुए सोचा, “कभी भी किसी की बातों में आकर बिना सोच-समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। अपनी चतुराई और बुद्धिमानी से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है।”(कालू कौवा की कहानी)
उसके बाद कालू ने अपने रास्ते पर उड़ते हुए जंगल की ओर वापस रुख किया। जंगल में उसे हर ओर से सम्मान मिल रहा था। जंगल के सारे जानवर उसकी चतुराई और बुद्धिमानी की तारीफ कर रहे थे। वे जानते थे कि कालू के पास हमेशा कोई न कोई रास्ता होता है, जो हर समस्या का समाधान करता है।
कालू कौवा की कहानी कहानी जंगल में हर जानवर के बीच फैल गई, और सभी ने यह सीखा कि किसी भी स्थिति में हमें अपनी समझदारी और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। कालू की तरह, हमें अपनी योजना बनाने और सही समय पर सही कदम उठाने का महत्व समझना चाहिए।(कालू कौवा की कहानी)
कालू ने अपने आप से यह भी कहा, “दूसरों की चालाकी को पहचानना और समय पर सही प्रतिक्रिया देना हमारी सूझ-बूझ पर निर्भर करता है। केवल तर्क और चतुराई से हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।”
मूल संदेश: चतुराई और समझदारी से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। हमेशा दूसरों की नीयत को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि किसी भी मुश्किल का सामना सही तरीके से किया जा सके। कालू की तरह, हमें अपनी बुद्धिमानी का इस्तेमाल करके हर स्थिति में सही निर्णय लेना चाहिए।(END कालू कौवा की कहानी)
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