हमारी अधूरी कहानी | Hamari adhuri kahani | Kahani | Hindi Story

Hamari adhuri kahani: भाग 1

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में राजू और सोना नाम के दो बच्चे रहते थे। दोनों का बचपन साथ गुजरा, और उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि वे कभी एक-दूसरे से अलग नहीं होते थे। गाँव की कच्ची सड़कों पर एक साथ खेलना, नदी के किनारे बैठकर बातें करना, और स्कूल के होमवर्क में एक-दूसरे की मदद करना—ये सब उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा थे।

राजू और सोना के सपने भी उतने ही बड़े थे जितना कि उनका दिल। राजू का सपना था कि वह एक दिन पायलट बनेगा और आसमान में उड़ान भरेगा। वह अक्सर गाँव की खुली ज़मीन पर खड़े होकर आकाश की ओर देखता और अपने सपनों को सच होते हुए महसूस करता। दूसरी तरफ, सोना का सपना था कि वह एक दिन डॉक्टर बनेगी और गाँव के गरीब लोगों का इलाज करेगी। उसे लोगों की मदद करना और उनके चेहरे पर मुस्कान लाना बहुत पसंद था।

वे दोनों एक-दूसरे के सपनों का समर्थन करते थे और उन्हें पूरा करने के लिए हमेशा प्रेरित करते थे। उनकी दोस्ती और सपनों की चमक गाँव के लोगों के बीच भी प्रसिद्ध थी। सभी उन्हें प्यार और आदर से देखते थे।

एक दिन, गाँव में एक बड़ी प्रतियोगिता की घोषणा हुई। यह प्रतियोगिता उन बच्चों के लिए थी जो अपनी पढ़ाई में अव्वल थे और शहर में पढ़ने का मौका पाना चाहते थे। इस प्रतियोगिता में जो भी जीतता, उसे शहर के बड़े स्कूल में पढ़ाई का मौका मिलता, जिससे उसके सपनों को पंख लग सकते थे। राजू और सोना दोनों ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया।

प्रतियोगिता का दिन आया और दोनों ने अपनी पूरी मेहनत और लगन से उसमें भाग लिया। राजू ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और उसे प्रतियोगिता में पहला स्थान मिला। उसकी जीत पर पूरे गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। अब राजू को शहर में पढ़ने का मौका मिलने वाला था, जिससे उसका पायलट बनने का सपना साकार हो सकता था।

लेकिन इस जीत के साथ ही एक दर्दनाक मोड़ भी आया। सोना, जो राजू से कुछ ही अंकों से पीछे रह गई थी, प्रतियोगिता नहीं जीत पाई। वह निराश थी, लेकिन उसने राजू की खुशी के लिए अपनी उदासी को छिपा लिया। राजू भी समझ गया कि उसकी जीत सोना के लिए एक कठिन समय लेकर आई है।

राजू जब शहर जाने की तैयारी कर रहा था, तब उसने सोना से वादा किया कि वह अपने सपने को पूरा करके वापस लौटेगा और उसकी भी मदद करेगा। उसने कहा, “”सोना, मैं तुम्हारे बिना यहाँ से जा तो रहा हूँ, लेकिन मेरा दिल और मेरे सपने हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे। मैं पायलट बनकर वापस आऊंगा और तुम्हें डॉक्टर बनने में मदद करूंगा।””

सोना ने राजू को मुस्कुराते हुए विदा किया, लेकिन उसकी आँखों में दर्द साफ झलक रहा था। वह जानती थी कि अब उनकी राहें अलग हो जाएंगी, लेकिन वह भी राजू के सपनों को पूरा होते देखने के लिए उत्सुक थी।

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – "Hamari adhuri kahani" | Hindi Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story" यह एक Motivational Story है। अगर आपको Hindi Kahani पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

इस प्रकार, राजू अपने सपनों की ओर बढ़ने के लिए शहर चला गया, और सोना गाँव में रह गई। दोनों के बीच अब दूरियां तो थीं, लेकिन उनके दिल अब भी एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए थे।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती। आगे की कहानी में दिखाया जाएगा कि कैसे राजू और सोना अपने-अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करते हैं और क्या वे एक-दूसरे से किए गए वादों को निभा पाते हैं या नहीं। (Hamari adhuri kahani)

Hamari adhuri kahani: भाग 2

शहर में नए सफर की शुरुआत के साथ, राजू ने पायलट बनने की राह पर कदम रखा। उसका सपना था कि वह आसमान की ऊँचाइयों को छुए और दुनिया को एक नए नजरिए से देखे। उसकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उसे जल्द ही सफलता दिलाई। राजू एक उत्कृष्ट पायलट बन गया, और उसकी उड़ानें न केवल उसे बल्कि उसके परिवार और गाँव के लोगों को भी गर्व से भर देती थीं। वह आसमान में उड़ा करता और नीचे फैले विशाल धरती और शहरों को देखता, लेकिन उस ऊँचाई से उसे कभी सोना का चेहरा दिखाई नहीं दिया।

शहर की चकाचौंध, नई उपलब्धियाँ, और उड़ानों की व्यस्तता में राजू धीरे-धीरे सोना से किया गया अपना वादा भूलने लगा। सोना, जो कभी उसकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा थी, अब उसकी यादों में धुंधली हो चुकी थी। उसे याद था कि उसने सोना से कुछ वादा किया था, लेकिन शहर की नई दुनिया ने उसे उस वादे से दूर कर दिया। उसकी सफलता की चमक में वह अपने पुराने दोस्त और उसके सपनों को भुला बैठा था।

उधर, सोना गाँव में रहकर अपनी ज़िंदगी को नए सिरे से गढ़ने की कोशिश कर रही थी। उसने डॉक्टर बनने का सपना देखा था, लेकिन उसकी राहें आसान नहीं थीं। गाँव में सुविधाओं की कमी और संसाधनों की मुश्किलों ने उसे बार-बार निराश किया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने अपने परिवार और गाँव के लोगों के लिए छोटे-छोटे इलाज शुरू किए और धीरे-धीरे अपने सपने की ओर कदम बढ़ाए। सोना ने कभी राजू से उम्मीदें नहीं लगाईं, लेकिन उसके दिल के एक कोने में यह विश्वास हमेशा कायम रहा कि उसका दोस्त एक दिन लौटेगा और उसके संघर्ष को देखेगा।

कई साल बीत गए, और एक दिन राजू के मन में अपने गाँव लौटने की इच्छा जागी। उसने सोचा कि अब जब वह पायलट बन चुका है, तो उसे अपने पुराने दोस्तों और गाँव वालों से मिलना चाहिए। वह अपनी सफलता की कहानियाँ उनके साथ साझा करना चाहता था। राजू गाँव लौटा, लेकिन जैसे ही उसने गाँव की गलियों में कदम रखा, उसे अपनी पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। वह सोना के घर की ओर बढ़ा, जहां अब उसे एक बदली हुई दुनिया नजर आई। सोना ने अपने दम पर डॉक्टर बनने की राह में बड़ी प्रगति कर ली थी। उसके छोटे से घर के बाहर अब मरीजों की भीड़ लगी रहती थी, जो उसकी मेहनत और लगन का प्रमाण थी।

राजू ने सोना को देखा, जो अब पहले से कहीं अधिक आत्मनिर्भर और मजबूत लग रही थी। उसे देख, राजू के दिल में एक टीस उठी। उसने महसूस किया कि उसने अपने सपनों के पीछे भागते हुए अपने दोस्त और उसके वादे को नजरअंदाज कर दिया। वह सोना के पास गया और उससे कहा, “”सोना, मुझे माफ कर दो। मैंने अपने वादे को नहीं निभाया। मैं अपनी सफलता में इतना खो गया कि तुम्हें और तुम्हारे सपनों को भूल गया।””

सोना ने मुस्कुराते हुए कहा, “”राजू, तुमने अपने सपने को पूरा किया, और यह बहुत बड़ी बात है। मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। मैंने भी अपने सपने की ओर कदम बढ़ाए और आज मैं गर्व से कह सकती हूँ कि मैंने अपनी ज़िंदगी को खुद गढ़ा है।””

राजू ने सोना की बातों को सुना और उसकी आँखों में सच्चाई को देखा। उसने महसूस किया कि उसकी कहानी अब भी अधूरी है। उसने सोचा था कि वह सोना की मदद करेगा, लेकिन सोना ने खुद ही अपनी राह बना ली थी। राजू के दिल में एक अजीब सी कसक रह गई—एक अधूरी कहानी, जिसमें दोस्ती और वादों की गहराई छिपी थी।

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कहानी का यह अंत एक अधूरी भावना के साथ होता है, जहां राजू और सोना की ज़िंदगी में एक अनकहा खालीपन रह जाता है।राजू ने अपने सपनों को तो पूरा किया, लेकिन अपने वादों को निभाने में असफल रहा। सोना ने अपने दम पर अपनी राह बनाई, लेकिन वह राजू से किए वादे की कभी उम्मीद नहीं कर पाई।

Hamari adhuri kahani नैतिक शिक्षा:

इस Hamari adhuri kahani कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि दोस्ती और वादों का महत्व बहुत गहरा होता है। वादों को निभाना रिश्तों को मजबूत बनाता है, और हमें अपने सपनों को पूरा करते हुए भी अपनों को नहीं भूलना चाहिए। जीवन में सफलता का मतलब केवल अपने सपनों को पूरा करना नहीं, बल्कि उन वादों और रिश्तों को निभाना भी है, जो हमें इंसान बनाते हैं।

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