गधे और कंजूस की कहानी भाग 1: गधे और कंजूस मालिक की दिनचर्या
गधे और कंजूस की कहानी-एक छोटे से गाँव में एक कंजूस व्यापारी अपनी दुकान चलाता था। उसका नाम था रामु। रामु की विशेषता थी कि वह अपनी जरा सी कमाई को बढ़ाने के लिए कोई भी तरीका अपनाने से पीछे नहीं हटता था। वह हमेशा सस्ती चीजें खरीदता और महंगे दामों पर बेचता। उसका मकसद केवल और केवल पैसे कमाना था, चाहे उसके लिए उसे किसी की मदद लेनी पड़े या किसी को तकलीफ हो।
रामु के पास एक गधा भी था, जिसका नाम था मुरारी। मुरारी एक मजबूत और समझदार गधा था, जिसे रामु ने अपनी दुकानदार जिंदगी को आसान बनाने के लिए खरीदा था। वह मुरारी का भरपूर उपयोग करता था, चाहे वह भारी सामान ढोने का काम हो या लंबे सफर पर जाना हो। मुरारी हमेशा उसकी मदद करने के लिए तैयार रहता था, लेकिन एक समस्या थी—रामु की कंजूसी।
रामु मुरारी को दिन-रात काम में लगाए रखता था, लेकिन उसे सही तरीके से ख्याल नहीं रखता था। उसे हमेशा यही लगता था कि अगर मुरारी को ज्यादा चारा और पानी दिया जाएगा तो वह अधिक खपत करेगा और उसकी कमाई में कमी आएगी। इसलिए वह मुरारी को कम चारा देता और पानी भी बहुत ही कम।(गधे और कंजूस की कहानी)
मुरारी ने यह सब धीरे-धीरे महसूस करना शुरू कर दिया। वह पहले जैसा ऊर्जावान और खुशहाल नहीं रहता था। वह अब थक कर धीरे-धीरे चलता और अक्सर भूखा-प्यासा महसूस करता। फिर भी वह अपने मालिक की सेवा में दिन-रात लगा रहता था, क्योंकि वह जानता था कि अगर वह काम नहीं करेगा तो रामु उसे काम से निकाल देगा।
रामु ने मुरारी को खतरनाक ढंग से काम में लगा रखा था। एक दिन, मुरारी को रामु ने भारी बोझ के साथ एक लंबी यात्रा पर भेज दिया। मुरारी को भूख और प्यास लगी थी, लेकिन रामु ने उसे पानी भी नहीं दिया। यात्रा के दौरान मुरारी की हालत खराब हो गई। उसके पैरों में ऐंठन हो रही थी और वह थका हुआ महसूस कर रहा था, लेकिन फिर भी उसने चलते हुए रामु का सामान पहुँचाने की कोशिश की।
रास्ते में एक नदी आई, और मुरारी ने सोचा कि कुछ देर रुककर पानी पी लेता हूँ, क्योंकि उसे बहुत प्यास लगी थी। लेकिन जैसे ही मुरारी नदी के पास पहुंचा, रामु ने उसे डाँटते हुए कहा, “क्या तुम आराम करने आए हो? तुम्हें तो काम करना है!” मुरारी ने सोचा कि अब अगर वह पानी नहीं पीता तो उसकी तबियत और बिगड़ जाएगी, लेकिन रामु के डर से वह चुपचाप वापस चल पड़ा।(गधे और कंजूस की कहानी)
समय बीतता गया और मुरारी की स्थिति और भी खराब होती गई। उसकी पीठ झुकने लगी थी, और उसके शरीर में ताकत नहीं थी। वह दिन-रात काम करता, लेकिन उसे केवल मेहनत का फल नहीं मिलता था। उसकी आँखें सूजी हुई थीं और वह कमजोर हो गया था।(गधे और कंजूस की कहानी)
हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “गधे और कंजूस की कहानी"| Gadhe Aur Kanjus ki Kahani| हिंदी कहानी | Hindi Story" यह Hindi Kahaniya है। अगर आपको Hindi Kahani, Short Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
गाँववाले मुरारी की यह हालत देखकर चिंतित हो गए थे। वे अक्सर रामु से कहते, “तुम्हें गधे का ध्यान रखना चाहिए, वह तुम्हारा सच्चा साथी है। अगर तुम उसे अच्छे से रखोगे तो वह तुम्हारे लिए और भी मेहनत करेगा।” लेकिन रामु पर इसका कोई असर नहीं हुआ। वह हमेशा यही सोचता था कि कम खर्च में ज्यादा लाभ कमाना है।(गधे और कंजूस की कहानी)
मुरारी अब अपनी हालत को लेकर बहुत दुखी था। एक दिन, जब रामु उसे फिर से भारी बोझ के साथ किसी काम पर भेजने वाला था, मुरारी ने मन में ठान लिया कि अब वह और नहीं सहन करेगा। उसे लगा कि अगर वह अब भी नहीं बोलेगा तो उसकी स्थिति और खराब हो जाएगी। वह सोचने लगा, “क्या मैं सच में एक ऐसे मालिक के लिए जी रहा हूँ, जो मुझे कभी खुश नहीं रखता, कभी मेरी तकलीफ नहीं समझता?”
मुरारी ने सोच लिया कि वह अब अपने मालिक से बात करेगा। उसने रामु से कहा, “मालिक, मैं दिन-रात मेहनत कर रहा हूँ, लेकिन अब मुझे आराम की जरूरत है। मुझे थोड़ा खाना और पानी दो, ताकि मैं फिर से अपनी पूरी ताकत से काम कर सकूँ। अगर तुम मेरी मदद नहीं करोगे तो मैं काम नहीं कर पाऊँगा।”
रामु ने मुरारी की बात को सुना, लेकिन वह फिर भी नहीं पिघला। उसने कहा, “तुम मुझे काम करने के लिए ही बने हो, आराम करने के लिए नहीं। तुम यह सब बाते छोड़ो और काम पर लग जाओ।”
मुरारी ने चुपचाप सिर झुका लिया, लेकिन उसकी आँखों में निराशा और थकावट साफ झलक रही थी। उसे समझ में आ गया था कि उसका मालिक कभी उसे समझने वाला नहीं है। उसकी हालत को देखकर गाँववाले भी चिंतित थे, लेकिन रामु अपनी कंजूसी से बाहर आने को तैयार नहीं था।
गाँव में अब मुरारी की स्थिति और भी बदतर होती जा रही थी। वह काम करने के बजाय अपनी थकान और भूख के कारण और कमजोर होता जा रहा था। वह सोचता था कि क्या वह अपनी पूरी जिंदगी इसी तरह बर्बाद करेगा या किसी दिन उसकी स्थिति बदलने वाली है।
इस भाग में, हम मुरारी की कठिनाइयों और रामु की कंजूसी के बीच के संघर्ष को देख सकते हैं। मुरारी की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही थी, लेकिन वह फिर भी अपने मालिक की सेवा करता रहा, क्योंकि वह समझता था कि यदि वह काम नहीं करेगा तो उसे कोई और सहारा नहीं मिलेगा।(गधे और कंजूस की कहानी)
यह भाग हमें यह सिखाता है कि अगर किसी का अच्छा इस्तेमाल किया जाए, तो उसे सही तरीके से ध्यान देना जरूरी है। अगर हम किसी के साथ अन्याय करेंगे या उसका शोषण करेंगे, तो एक दिन वह हमारी मदद करने में असमर्थ हो जाएगा। यह भी बताता है कि कंजूसी कभी किसी के लिए फायदे की नहीं होती, बल्कि दूसरों की देखभाल और सहयोग से ही हम सच्ची सफलता हासिल कर सकते हैं।
गधे और कंजूस की कहानी भाग 2: गधे का निर्णय और व्यापारी की सीख
गधे की स्थिति अब बहुत खराब हो गई थी। उसका शरीर थका हुआ था, आँखें ढल चुकी थीं, और उसे कोई आराम नहीं मिलता था। वह अब केवल अपने शरीर को खींचकर काम करता था, लेकिन मानसिक और शारीरिक रूप से वह टूट चुका था। उसकी पीठ पर भारी बोझ था, लेकिन उसकी आत्मा पर उससे भी ज्यादा बोझ था। वह अब यह समझने लगा था कि अगर उसकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिलेगा, तो वह और नहीं सह सकेगा।(गधे और कंजूस की कहानी)
एक दिन गधे ने ठान लिया कि अब वह अपने मालिक के इस अत्याचार को सहन नहीं करेगा। उसने अपना मन बनाया कि वह अब किसी भी हालत में और काम नहीं करेगा। वह सोचा, “अगर मुझे अपनी पहचान और इज्जत चाहिए, तो मुझे खुद के लिए कुछ करना होगा।”
वह एक सुबह बिना किसी चेतावनी के रामु के घर से निकल गया और पास के जंगल में भाग गया। गधा धीरे-धीरे जंगल में गहरे घने हिस्सों में जा पहुँचा। वह यह जानता था कि अगर वह जंगल में छुप जाएगा, तो रामु उसे ढूंढने में मुश्किल महसूस करेगा।(गधे और कंजूस की कहानी)
रामु को जब गधे के गायब होने का पता चला, तो वह घबराया। वह समझ गया कि अब बिना गधे के उसकी दुकान नहीं चल सकती। गधा न केवल उसका काम करता था, बल्कि उस पर विश्वास भी करता था। रामु ने गधे के बिना अपने व्यापार का विचार किया और पाया कि बिना गधे के काम करना मुश्किल हो जाएगा।
रामु ने सोचा, “अब मुझे गधे को ढूँढकर लाना होगा।” उसने गाँव के सभी लोगों से पूछा, लेकिन कोई भी गधे का पता नहीं जानता था। इसके बाद उसने जंगल में जाकर गधे को ढूँढने का निर्णय लिया। वह जंगल में कई घंटे भटकता रहा, लेकिन गधा कहीं दिखाई नहीं दिया।(गधे और कंजूस की कहानी)
अंततः, बहुत ढूंढने के बाद रामु ने गधे को जंगल के एक छाँवदार पेड़ के नीचे आराम करते हुए पाया। गधा थका हुआ था, लेकिन शांत और आत्मनिर्भर महसूस कर रहा था। रामु ने धीरे-धीरे उसके पास जाकर कहा, “मुरारी, तुम कहाँ चले गए थे? मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है। मेरे बिना तुम्हारे काम के व्यापार में कुछ नहीं हो सकता।”
गधा रामु को देखकर चुपचाप बैठा रहा। फिर उसने अपनी आवाज में ठहराव और संजीदगी के साथ कहा, “रामु, तुमने मुझे बहुत तकलीफ दी है। मैं अब और मेहनत नहीं करूंगा, जब तक तुम मुझे ठीक से चारा और पानी नहीं दोगे। तुमने कभी मेरी हालत पर ध्यान नहीं दिया, और अब मैं तुम्हारे लिए काम नहीं करूंगा।”
रामु ने गधे की बात सुनी और उसकी थकान और दर्द को महसूस किया। उसे अब समझ में आया कि वह गधे के साथ क्या कर रहा था। उसने पहले कभी भी गधे की मेहनत और उसकी जरूरतों का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया था। उसे यह एहसास हुआ कि अगर वह गधे को और अधिक कष्ट देता है तो वह उसे खो देगा, और उसकी खुद की परेशानी बढ़ जाएगी।(गधे और कंजूस की कहानी)
रामु ने गधे से कहा, “मुरारी, मैं तुम्हारी बात समझता हूँ। मैंने तुम्हारा इस्तेमाल तो किया, लेकिन तुम्हारी देखभाल नहीं की। अब मैं तुम्हें ठीक से चारा और पानी दूंगा। मुझे तुम्हारे बिना काम चलाना मुश्किल है, और मुझे एहसास हो गया है कि तुम्हारे बिना मेरा व्यापार भी खत्म हो जाएगा। अगर तुम मुझे एक और मौका दोगे, तो मैं तुम्हें आराम और अच्छा खाना दूंगा।”(गधे और कंजूस की कहानी)
गधा कुछ देर चुपचाप सुनता रहा, फिर उसने अपने मालिक से कहा, “ठीक है, रामु, अगर तुम मुझसे सही तरीके से व्यवहार करोगे, तो मैं तुम्हारे लिए काम करने को तैयार हूं। लेकिन ध्यान रखो, अब से मैं भी अपने अधिकारों के बारे में जानूँगा और तुम्हारे साथ बराबरी की स्थिति में रहूँगा।”
रामु ने सिर झुकाकर गधे से माफी माँगी और वादा किया कि वह अब कभी भी उसे तकलीफ नहीं देगा। उसने गधे को अच्छे से चारा दिया और कुछ समय तक उसे आराम करने दिया। गधा अब पहले की तरह ताजगी महसूस कर रहा था और खुश होकर फिर से अपने मालिक की मदद करने के लिए तैयार था।
गधे की समझदारी और रामु की सीख ने यह साबित कर दिया कि कंजूसी और शोषण से कुछ भी हासिल नहीं होता, बल्कि इससे केवल नुकसान होता है। अगर कोई व्यक्ति मेहनत करता है, तो उसकी कद्र करना और उसे उचित अधिकार देना जरूरी है।(गधे और कंजूस की कहानी)
रामु अब पहले से कहीं ज्यादा समझदार बन चुका था। वह गधे को अब केवल एक साधन के रूप में नहीं, बल्कि एक साथी के रूप में देखता था। वह जानता था कि अगर वह गधे की देखभाल करेगा और उसकी कद्र करेगा, तो गधा न केवल उसका भरोसेमंद साथी बनेगा, बल्कि उसका व्यापार भी अच्छे से चलेगा।
गधे और व्यापारी का रिश्ता अब पहले से कहीं बेहतर हो गया था। दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते थे और अच्छे से काम करते थे। गधा भी खुश था क्योंकि उसे अब अच्छे से खाना, पानी और आराम मिलता था। वहीं व्यापारी भी संतुष्ट था क्योंकि अब उसे अपनी मेहनत और सफलता का फल मिल रहा था।(END गधे और कंजूस की कहानी)
गधे और कंजूस की कहानी का संदेश:
यह गधे और कंजूस की कहानी हमें यह सिखाती है कि कंजूसी और शोषण से सिर्फ नुकसान होता है। हमें अपने मेहनती साथियों की कद्र करनी चाहिए और उन्हें सही आराम और सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए। केवल तभी हम सफलता हासिल कर सकते हैं, जब हम दूसरों के अधिकारों का सम्मान करें और उनके साथ अच्छे रिश्ते बनाएं।
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