Ekta me Bal Story in Hindi भाग 1: जंगल और कबूतरों का शांतिपूर्ण जीवन
Ekta me bal story in Hindi एक घना और हरा-भरा जंगल था, जहाँ प्रकृति की सुंदरता हर ओर बिखरी हुई थी। इस जंगल में एक बहुत बड़ा और पुराना पेड़ था, जो आसमान को छूता हुआ लगता था। इस पेड़ की शाखाएँ इतनी फैली हुई थीं कि सूरज की किरणें मुश्किल से ही ज़मीन तक पहुँच पाती थीं। इसी पेड़ पर कबूतरों का एक बड़ा झुंड रहता था। ये कबूतर आपस में मिलजुलकर रहते थे और अपना जीवन बहुत ही शांति और सुकून के साथ व्यतीत कर रहे थे।
कबूतर अपने दिन की शुरुआत करते ही, कुछ पानी की खोज में और कुछ भोजन की तलाश में निकल पड़ते। उनकी दिनचर्या सरल थी और वे आपस में मिलजुलकर रहते थे। जो कबूतर जंगल में रहते थे, वे अपने घोंसलों की देखभाल करते, उनके बच्चों को खाना खिलाते, और उन्हें उड़ना सिखाते। सभी कबूतर एक-दूसरे की मदद करते और मिलजुलकर अपना जीवन जीते। उनके जीवन में कोई चिंता नहीं थी, और हर दिन उनकी चहचहाहट से जंगल गूंज उठता था।
एक दिन, जब सूरज की किरणें पेड़ों के बीच से छनकर धरती पर पड़ रही थीं, जंगल में एक शिकारी का आगमन हुआ। वह शिकारी पेशेवर था, जिसने अपनी पूरी जिंदगी शिकार करने में बिताई थी। उसके पास एक बड़ा जाल था, जिसे वह बहुत ही चालाकी से बिछाकर जानवरों और पक्षियों को फँसाता था। शिकारी जंगल में चलते-चलते उस पेड़ के पास पहुँच गया, जहाँ कबूतरों का झुंड रहता था। उसने पेड़ की ऊँचाई और कबूतरों की संख्या को देखकर सोचा कि अगर वह इन सभी कबूतरों को पकड़ ले, तो उसे बहुत अच्छा लाभ होगा।
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शिकारी ने थोड़ी देर पेड़ के पास बैठकर सोचा और फिर एक चालाकी भरा जाल तैयार किया। उसने जाल के बीच में कुछ चावल के दाने बिखेर दिए, ताकि कबूतर उन चावलों को देखकर जाल की तरफ आकर्षित हों। फिर शिकारी ने वह जाल पेड़ के नीचे बिछा दिया और खुद एक झाड़ी के पीछे छिपकर बैठ गया। उसके मन में यह विचार था कि जैसे ही कबूतर चावल खाने के लिए नीचे आएँगे, वह जाल को खींचकर उन्हें फँसा लेगा। (Ekta me bal story in Hindi)
कबूतरों के झुंड का एक नेता था, जिसका नाम चतुर था। वह न केवल अपने नाम के अनुरूप था, बल्कि बहुत ही समझदार और सावधान भी था। चतुर ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया था और उन सबसे अपनी सूझ-बूझ से बाहर निकला था। वह हमेशा अपने झुंड के बाकी कबूतरों को समझदारी से काम लेने की सलाह देता था। जब भी कोई खतरा होता, चतुर सबसे पहले उसे पहचानता और अपने साथियों को सतर्क करता।
उस दिन जब शिकारी ने जाल बिछाया, चतुर ने दूर से उसे देख लिया। उसे तुरंत ही समझ में आ गया कि शिकारी ने चावल के दानों का लालच देकर कबूतरों को फँसाने की कोशिश की है। उसने झट से अपने सभी साथियों को इकट्ठा किया और उन्हें सावधान रहने की सलाह दी। चतुर ने कहा, “साथियों, ध्यान से सुनो। आज मैं कुछ असामान्य देख रहा हूँ। जंगल में अक्सर शिकारी आते हैं और वे हम जैसे निर्दोष पक्षियों को फँसाने की कोशिश करते हैं। मुझे लगता है कि पेड़ के नीचे जो चावल के दाने हैं, वे एक जाल हो सकते हैं। हमें सावधान रहना होगा और उस जाल में फँसने से बचना होगा।”
कबूतरों ने चतुर की बात को ध्यान से सुना और सहमति में सिर हिलाया। लेकिन कुछ कबूतरों को चावल के दानों का लालच हो रहा था। वे सोचने लगे कि अगर वे थोड़ी देर के लिए नीचे जाएँ और जल्दी से चावल खाकर वापस आ जाएँ, तो कोई खतरा नहीं होगा। लेकिन चतुर ने उन्हें समझाया कि लालच और जल्दबाजी कभी भी सही निर्णय नहीं होते। “”अगर हम सावधान नहीं रहेंगे, तो हम सभी बड़ी मुश्किल में पड़ सकते हैं। हमें एकजुट रहकर ही इस खतरे का सामना करना होगा,”” चतुर ने दृढ़ता से कहा।
चतुर की समझदारी और सतर्कता के बावजूद, कुछ कबूतरों का दिल चावल के दानों के लिए लालच में आ गया। उन्होंने सोचा कि अगर वे सब मिलकर चावल खाने के लिए नीचे जाएँ, तो शायद जाल टूट जाएगा या शिकारी उन्हें पकड़ नहीं पाएगा। उन कबूतरों ने चतुर की बात को नजरअंदाज कर दिया और धीरे-धीरे पेड़ से नीचे उतरने लगे।
जैसे ही वे चावल के दानों के पास पहुँचे और उन्हें खाने लगे, शिकारी ने तुरंत ही जाल को खींच लिया। एक जोरदार आवाज के साथ जाल बंद हो गया और उन सभी कबूतरों को जाल में फँसा लिया गया। कबूतर भय और पछतावे से भर गए। उन्होंने जाल से निकलने की कोशिश की, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
चतुर और बाकी कबूतर जो पेड़ पर थे, उन्होंने यह सब देखा और बहुत दुःखी हुए। चतुर को यह समझ में आ गया था कि जल्दबाजी और लालच के कारण उनके साथियों ने अपनी जान खतरे में डाल दी है। अब चतुर और बाकी कबूतरों को मिलकर अपने फँसे हुए साथियों को बचाने के लिए कुछ करना होगा।
Ekta me Bal story in Hindi भाग 2: कबूतरों की एकता और शिकारी की हार
जंगल के पुराने पेड़ के नीचे बिछाए गए चावल के दानों ने कुछ कबूतरों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। भले ही चतुर ने उन्हें आगाह किया था, लेकिन भूख और लालच ने उनकी बुद्धि को धूमिल कर दिया। धीरे-धीरे कुछ कबूतर पेड़ की ऊँचाई से नीचे उतरने लगे और चावल के दानों की ओर बढ़ गए। जैसे ही उन्होंने चावल खाने शुरू किए, शिकारी ने अपनी चालाकी से जाल को खींच लिया, और एक तेज़ आवाज़ के साथ जाल बंद हो गया। कबूतर फँस गए, और अब वे अपनी बेवकूफी पर पछताने लगे।
शिकारी, जो पास ही छिपा था, अपनी सफलता पर प्रसन्न हुआ। उसे लगा कि अब कबूतर उसकी पकड़ में आ गए हैं। शिकारी अपने स्थान से उठकर जाल की ओर बढ़ने लगा, उसकी आँखों में विजय की चमक थी। लेकिन कबूतरों के लिए यह समय घबराने का नहीं था; उन्हें अब अपनी बुद्धिमत्ता और साहस का परिचय देना था।
जाल में फँसे कबूतरों ने जब देखा कि शिकारी उनकी ओर बढ़ रहा है, तो वे घबराने लगे। उनकी चोंच और पंखों से जाल को तोड़ने के सारे प्रयास विफल हो गए। चतुर, जो पेड़ पर बैठा यह सब देख रहा था, समझ गया कि अगर अब उसने कुछ नहीं किया, तो उसके साथी कबूतरों की जान खतरे में पड़ जाएगी। चतुर ने तुरंत नीचे उड़ान भरी और जाल के पास पहुँचा। उसने अपने साथियों को शांत करने की कोशिश की और एक सुझाव दिया।
चतुर ने कहा, “हम सब मिलकर इस जाल को तोड़ सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें एकजुट होकर एक दिशा में पूरी ताकत से उड़ान भरनी होगी। यदि हम सब एकसाथ एक ही दिशा में उड़ने की कोशिश करेंगे, तो जाल टूट जाएगा और हम स्वतंत्र हो जाएँगे।” कबूतरों ने चतुर की बात मानी, और एक नई उम्मीद के साथ सभी ने अपनी पूरी ताकत इकट्ठी की।
सभी कबूतरों ने चतुर के संकेत पर एक दिशा में उड़ने की कोशिश की। उनकी सामूहिक ताकत और एकजुट प्रयास ने वह कर दिखाया जो अकेले कोई नहीं कर सकता था। जाल की डोरियाँ धीरे-धीरे ढीली पड़ने लगीं और अचानक एक जोरदार खट से जाल टूट गया। कबूतर, जो कुछ समय पहले तक शिकारी के जाल में फँसे थे, अब आज़ाद हो चुके थे।
शिकारी, जो यह दृश्य देख रहा था, पूरी तरह से हैरान रह गया। उसे समझ में नहीं आया कि उसके जाल से कैसे बचा जा सकता है। वह सोचने लगा कि उसने अपनी सारी चालाकी और अनुभव का उपयोग किया था, लेकिन फिर भी कबूतरों ने उसकी योजना को नाकाम कर दिया। शिकारी ने निराशा में अपने जाल को समेटा और बिना किसी शिकार के जंगल से बाहर निकल गया। उसकी चालाकी और लालच को कबूतरों की एकता ने मात दे दी थी।
दूसरी ओर, कबूतर अपने पेड़ पर लौट आए, लेकिन इस बार उनके मन में एक नया आत्मविश्वास था। उन्होंने समझ लिया था कि लालच और भय से कोई भी समस्या हल नहीं हो सकती, लेकिन एकता और समझदारी से सबसे कठिन चुनौती को भी पार किया जा सकता है। End Ekta me bal story in Hindi
Ekta me Bal story in Hindi का संदेश:
इस Ekta me bal story in Hindi से हमें यह सिखने को मिलता है कि एकता में बहुत ताकत होती है। चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, अगर हम एकजुट होकर धैर्य और समझदारी से काम लें, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। लालच और जल्दबाजी से हमेशा नुकसान होता है, लेकिन एकजुटता और बुद्धिमानी से हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।
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