चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani in Hindi | Horror Story

Chudail Ki Kahani In Hindi भाग 1: रहस्यमयी गाँव

Chudail Ki Kahani In Hindi -एक समय की बात है, पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा सा गाँव था जिसका नाम था ‘शांतिनगर‘। यह गाँव एक अनोखी शांति से भरा हुआ था, जहाँ के लोग मिलजुल कर रहते थे। गाँव की आबादी कम थी, पर लोग खुश और संतुष्ट थे। लेकिन इस शांति के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा था।

लेकिन इस गाँव के बाहर एक ऐसा स्थान था जिसे सुनकर ही लोगों की रूह काँप जाती थी। गाँव के बाहर, घने जंगल के बीच एक पुरानी, टूटी-फूटी हवेली थी। यह हवेली इतनी पुरानी थी कि उसकी दीवारें जगह-जगह से टूटी हुई थीं और उस पर काई जम चुकी थी। हवेली को ऊँचे पेड़ों का घना घेरा छुपाए रहता था। वहां का माहौल रीढ़ की हड्डी तक सिहरन पैदा कर देता था।

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “Chudail Ki Kahani In Hindi"| Hindi Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story" यह एक Horror Story in hindi है। अगर आपको Horror Story in hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

गाँव के बुजुर्गों के अनुसार, हवेली में एक समय की सुंदर युवती, ‘कालिका’, अब चुड़ैल बनकर रहती थी। उसके पास इतनी शक्तियाँ थीं कि वह अपनी इच्छा से किसी भी रूप में बदल सकती थी। लोगों का मानना था कि वह रात के समय हवेली से बाहर निकलती और जंगल में घूमती थी।(chudail ki kahani in hindi)

उस हवेली का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे की रंगत बदल जाती थी, और वहाँ जाने की बात तो दूर, उसकी ओर देखने से भी लोग घबराते थे। बच्चे उस हवेली के बारे में कहानियाँ सुनकर डरते और रात को अकेले कहीं जाने से डरते थे। हवेली के आसपास का वातावरण हमेशा रहस्यमयी और डरावना रहता था। हवेली के पास कोई भी जीव-जन्तु भी नहीं दिखते थे, जैसे कि वहाँ जीवन पूरी तरह से समाप्त हो चुका हो।

एक बार, गाँव में एक अजनबी आया। वह देखने में एक साधारण यात्री लगता था, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसका नाम “अर्जुन” था। अर्जुन के बारे में गाँव के लोग ज्यादा कुछ नहीं जानते थे, लेकिन वह बहुत ही साहसी और निर्भीक दिखाई देता था। उसने गाँव के कुछ लोगों से उस पुरानी हवेली के बारे में सुना और उसमें कुछ ऐसा था जो उसे उस ओर खींच रहा था। वह जानना चाहता था कि आखिर इस हवेली में ऐसा क्या है, जिसे सुनकर लोग काँप जाते हैं।(chudail ki kahani in hindi)

एक दिन अर्जुन ने गाँव के मुखिया से मुलाकात की और उनसे उस हवेली के बारे में विस्तार से पूछा। मुखिया ने उसे बताया कि कई साल पहले, गाँव के कुछ लोगों ने उस हवेली में जाने की कोशिश की थी, लेकिन वे वापस नहीं लौटे। गाँव में यह बात फैल गई कि हवेली में जाने वाले लोग कभी वापस नहीं आते। इस घटना के बाद, किसी ने भी वहाँ जाने की हिम्मत नहीं की।

लेकिन अर्जुन इन कहानियों से डरा नहीं। उसे यह बातें किसी पुराने किस्से की तरह लग रही थीं, जिनमें सच्चाई कम और अफवाहें ज्यादा होती हैं। उसने मुखिया से कहा, “मैं इस रहस्य का पर्दाफाश करना चाहता हूँ। अगर यह चुड़ैल सच में है, तो मैं देखना चाहता हूँ कि वह क्या है और अगर यह सिर्फ एक अफवाह है, तो मैं इस डर को हमेशा के लिए मिटा देना चाहता हूँ।”(chudail ki kahani in hindi)

मुखिया ने अर्जुन को समझाने की कोशिश की कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, लेकिन अर्जुन अपने इरादे में दृढ़ था। उसने ठान लिया कि वह हवेली जाएगा और वहाँ छुपे रहस्य को सुलझाएगा। गाँव के लोग उसे रोकने की कोशिश करते रहे, लेकिन अर्जुन अपने निर्णय पर अडिग था।

अगली सुबह, सूरज की पहली किरण के साथ ही अर्जुन ने हवेली की ओर अपना सफर शुरू किया। गाँव के लोग दूर खड़े होकर उसे जाते हुए देख रहे थे। सबकी आँखों में चिंता और भय स्पष्ट दिखाई दे रहा था। हवेली की ओर जाते हुए अर्जुन ने महसूस किया कि जैसे-जैसे वह हवेली के करीब जा रहा था, वातावरण में एक अजीब सी घुटन बढ़ती जा रही थी। पेड़ों के पत्ते हवा में सरसराहट कर रहे थे, लेकिन वह कोई सामान्य आवाज़ नहीं थी। उसमें कुछ अजीब था, जैसे कोई उनसे कुछ कहने की कोशिश कर रहा हो।(chudail ki kahani in hindi)

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अर्जुन की आँखों में जिज्ञासा और साहस की एक अनोखी चमक थी। डर को नजरअंदाज करते हुए, उसने तय किया कि वह इस रहस्य से पर्दा उठाकर ही रहेगा। हवेली के मुख्य द्वार पर एक पुराना ताला लगा हुआ था, जो शायद सालों से नहीं खुला था। अर्जुन ने अपने साथ लाए औजारों से ताला तोड़ने की कोशिश की, लेकिन ताला इतना मजबूत था कि वह आसानी से नहीं टूट रहा था। थोड़ी देर की कोशिश के बाद आखिरकार ताला टूट गया, और अर्जुन ने भारी लकड़ी के दरवाजे को धकेला।(chudail ki kahani in hindi)

दरवाजा खुलते ही, एक ठंडी हवा का झोंका अर्जुन के चेहरे पर पड़ा। अंदर का दृश्य बेहद डरावना था। चारों ओर धूल और मकड़ी के जाले थे। फर्श पर बिखरे हुए पुराने कागज़ और टूटी-फूटी चीज़ें दिखाई दे रही थीं। हवेली के अंदर एक अजीब सी गंध फैली हुई थी, जो साँस लेते ही गले में चुभन पैदा कर रही थी। लेकिन अर्जुन ने अपने डर को काबू में रखा और हवेली के अंदर कदम रखा।(chudail ki kahani in hindi)

अर्जुन ने जैसे ही अंदर कदम रखा, उसे महसूस हुआ कि हवेली की हर दीवार के पीछे एक अदृश्य नजर उसे घूर रही थी। कभी-कभी उसे ऐसा महसूस होता कि कोई उसके पास से गुजर गया हो, लेकिन जब वह पीछे मुड़कर देखता, तो वहाँ कुछ नहीं होता। हवेली के अंदर एक बड़ी सीढ़ी थी, जो ऊपर की ओर जा रही थी। अर्जुन ने तय किया कि वह ऊपर जाकर देखेगा कि वहाँ क्या है।

जैसे ही वह सीढ़ियाँ चढ़ने लगा, सीढ़ियाँ चरमराने लगीं, मानो वे बहुत पुरानी और कमजोर हो चुकी हों। सीढ़ियों का हर कदम एक नई सिहरन पैदा कर रहा था। जब वह ऊपर पहुँचा, तो उसने देखा कि वहाँ एक बड़ा हॉल था, जिसमें एक पुरानी झूला कुर्सी थी। कुर्सी हिल रही थी, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। अर्जुन ने ध्यान से चारों ओर देखा, लेकिन उसे कुछ भी अजीब नजर नहीं आया।

तभी अचानक, अर्जुन को एक दरवाजा दिखाई दिया जो हल्का सा खुला हुआ था। दरवाजे के पीछे से हल्की रोशनी आ रही थी, जो कि इस अंधेरी हवेली में काफी असामान्य थी। अर्जुन ने धीरे-धीरे उस दरवाजे की ओर कदम बढ़ाए, उसके हर कदम के साथ उसके दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं। जब उसने दरवाजे के पास पहुँचकर उसे खोला, तो उसके सामने का दृश्य देखकर वह चौंक गया।(chudail ki kahani in hindi)

Chudail Ki Kahani भाग 2: भूतकाल की परछाइयाँ

अर्जुन के सामने का दृश्य उसकी उम्मीदों से परे था। दरवाजा खुलते ही उसे एक छोटा कमरा दिखाई दिया, जो बाकी हवेली की तुलना में साफ-सुथरा और व्यवस्थित था। कमरे के बीचोंबीच एक पुराना लकड़ी का बिस्तर था, जिस पर सिलवटों से भरी एक चादर पड़ी थी। बिस्तर के पास ही एक छोटी सी मेज थी, जिस पर एक तेल का दीया जल रहा था। दीये की रोशनी में अर्जुन ने कमरे के एक कोने में एक पुरानी तस्वीर देखी। उसने धीरे-धीरे उस तस्वीर की ओर कदम बढ़ाए और देखा कि वह तस्वीर किसी युवती की थी, जिसकी आँखों में एक अजीब सी उदासी थी। तस्वीर के नीचे लिखा था, “चंद्रा।”

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तभी, अर्जुन को कमरे के एक कोने से किसी के सिसकने की आवाज़ आई। उसने ध्यान से उस दिशा में देखा, लेकिन वहाँ कोई दिखाई नहीं दे रहा था। अर्जुन का दिल तेजी से धड़कने लगा, लेकिन उसने अपने भय को काबू में रखते हुए आवाज़ की दिशा में कदम बढ़ाए। कमरे के एक कोने में एक पुराना अलमारी था, जो थोड़ी खुली हुई थी। अर्जुन ने धीरे से अलमारी का दरवाजा खोला, और उसे अंदर एक पुराना डायरी दिखाई दी। उसने डायरी को उठाया और उसे पढ़ने लगा।(chudail ki kahani in hindi)

डायरी में लिखा था:

“आज मैं बहुत अकेली हूँ। गाँव के लोग मुझसे डरते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि मेरे अंदर का दर्द क्या है। मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया, लेकिन फिर भी लोग मुझे चुड़ैल समझते हैं। मैंने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा इस दर्द के साथ बिताया है कि मैं यहाँ किसी की नहीं हूँ। जब उन्होंने मुझे गाँव से बाहर निकाला, तब मैंने सोचा कि शायद जंगल में मुझे शांति मिलेगी, लेकिन यहाँ भी मुझे सिर्फ तन्हाई और डर का सामना करना पड़ा।”

अर्जुन ने जैसे-जैसे डायरी के पन्ने पलटे, उसे चंद्रा के जीवन के कई पहलू जानने को मिले। चंद्रा ने अपनी डायरी में बताया था कि कैसे वह एक समय में गाँव की सबसे सुंदर और बुद्धिमान युवती थी। वह जड़ी-बूटियों की जानकार थी और लोगों की बीमारियों का इलाज करती थी। लेकिन उसकी यह जानकारी और उसकी सुंदरता लोगों के लिए जलन का कारण बन गई। धीरे-धीरे लोगों ने उसके खिलाफ अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं। उन्हें लगा कि उसकी जड़ी-बूटियों की जानकारी असल में काले जादू का हिस्सा है।

डायरी में आगे लिखा था:

“मुझे याद है उस दिन को, जब गाँव के लोग अचानक मेरे घर के बाहर इकट्ठा हो गए थे। उनके हाथों में मशालें थीं, और उनकी आँखों में गुस्सा और डर। उन्होंने मुझे चुड़ैल कहा और मुझसे कहा कि मैं तुरंत गाँव छोड़ दूँ। मैंने उनसे विनती की, लेकिन कोई नहीं सुना। वे चिल्ला रहे थे, और मेरे घर को जलाने की धमकी दे रहे थे। मुझे मजबूर होकर गाँव छोड़ना पड़ा। मैंने जंगल में शरण ली, लेकिन मैं हमेशा अपने गाँव की याद में जीती रही।”(chudail ki kahani in hindi)

अर्जुन को अब समझ में आने लगा था कि चंद्रा कौन थी और वह हवेली क्यों इतनी रहस्यमयी थी। चंद्रा एक निर्दोष औरत थी जिसे लोगों की अज्ञानता और डर ने चुड़ैल बना दिया था। वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहती थी, लेकिन उसकी तन्हाई और दर्द ने उसे एक ऐसा रास्ता दिखाया जहाँ से वापस लौटना मुश्किल था।

अर्जुन ने डायरी को बंद किया और उसे वापस अलमारी में रख दिया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे। उसने सोचा कि चंद्रा की आत्मा शायद अभी भी इस हवेली में भटक रही है, और उसे शांति की जरूरत है। अर्जुन ने मन ही मन ठान लिया कि वह इस रहस्य को सुलझाकर रहेगा और चंद्रा की आत्मा को मुक्ति दिलाएगा।

अर्जुन ने कमरे से बाहर निकलने का निर्णय लिया, लेकिन जैसे ही वह दरवाजे की ओर बढ़ा, कमरे में एक ठंडी हवा का झोंका आया और दरवाजा अपने आप बंद हो गया। अर्जुन ने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं खुला। अब कमरे का माहौल और भी डरावना हो गया था। दीये की लौ तेज़ी से जलने लगी और फिर अचानक बुझ गई। कमरे में घोर अंधकार छा गया।(chudail ki kahani in hindi)

अर्जुन ने अपने आप को शांत रखने की कोशिश की, लेकिन उसकी धड़कनें तेज़ हो गई थीं। उसे महसूस हुआ कि कमरे में कोई और भी है। उसने अपने चारों ओर देखा, लेकिन कुछ दिखाई नहीं दिया। तभी, अर्जुन को महसूस हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है। उसने धीरे-धीरे मुड़कर देखा और उसकी आँखें फैल गईं। उसके सामने एक धुंधली आकृति खड़ी थी, जो धीरे-धीरे साफ होती जा रही थी। वह आकृति एक औरत की थी, जिसकी आँखें लाल थीं और उसके चेहरे पर गहरा दुख था।(chudail ki kahani in hindi)

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अर्जुन समझ गया कि यह चंद्रा की आत्मा है। वह एक शब्द भी नहीं बोल पा रहा था। चंद्रा की आत्मा ने धीरे-धीरे अपनी बात शुरू की, “मैं चंद्रा हूँ, जिसे लोगों ने चुड़ैल कहकर इस जंगल में अकेला छोड़ दिया। मैंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा, लेकिन मेरी तन्हाई ने मुझे यहाँ बाँध दिया है।”

अर्जुन ने डरते हुए पूछा, “तुम्हें यहाँ से मुक्ति कैसे मिल सकती है?”

चंद्रा की आत्मा ने धीरे से कहा, “जब तक मेरी कहानी पूरी दुनिया के सामने नहीं आएगी, मुझे शांति नहीं मिलेगी। मैं चाहती हूँ कि लोग जानें कि मैं कौन थी और मुझे क्यों चुड़ैल बना दिया गया।”

अर्जुन ने यह वादा किया कि वह चंद्रा की कहानी सबको बताएगा और उसके साथ हुए अन्याय को दुनिया के सामने लाएगा। चंद्रा की आत्मा ने अर्जुन को धन्यवाद कहा और धीरे-धीरे उसकी आकृति फीकी पड़ने लगी। जैसे ही वह पूरी तरह से गायब हो गई, कमरे का दरवाजा अपने आप खुल गया और दीये की लौ फिर से जल उठी।

अर्जुन ने कमरे से बाहर निकलकर हवेली को छोड़ने का फैसला किया। वह जल्दी से हवेली से बाहर निकला और गाँव की ओर चल पड़ा। अब वह जानता था कि उसकी यात्रा का असली उद्देश्य क्या था। उसे चंद्रा की कहानी को सबके सामने लाना था, ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके।(chudail ki kahani in hindi)

जब अर्जुन गाँव में वापस पहुँचा, तो उसने गाँव के मुखिया और बाकी लोगों को चंद्रा की पूरी कहानी बताई। गाँव के लोग चंद्रा की दुर्दशा को सुनकर हैरान रह गए। उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने एक निर्दोष औरत के साथ कितना अन्याय किया था। अर्जुन ने सभी से आग्रह किया कि वे चंद्रा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें और उसकी याद में एक स्मारक बनाएं।

गाँव के लोग अर्जुन के सुझाव को मान गए और चंद्रा की स्मृति में एक मंदिर का निर्माण किया। उन्होंने इस बात की प्रतिज्ञा की कि वे अब कभी भी किसी के साथ ऐसा अन्याय नहीं करेंगे।(chudail ki kahani in hindi)

Chudail Ki Kahani in Hindi भाग 3: डर और हिम्मत

गाँव के तीन दोस्तों, रोहन, माया, और सुमित, ने हवेली में कदम रखा। उन्हें अर्जुन की कहानी याद थी, जो उसने चंद्रा की आत्मा के बारे में बताई थी। लेकिन उनकी जिज्ञासा इतनी अधिक थी कि उन्होंने अपने डर पर काबू पा लिया और अंदर जाने का निर्णय लिया। हवेली के अंदर का वातावरण वैसा ही रहस्यमयी और डरावना था जैसा उन्होंने सुना था। दीवारों पर लटके पुराने चित्र और मकड़ी के जाले हर जगह बिखरे हुए थे।(chudail ki kahani in hindi)

रोहन, जो तीनों में सबसे साहसी था, सबसे आगे चल रहा था। उसके पीछे माया और सुमित थे। तीनों के दिलों की धड़कनें तेज़ हो रही थीं, लेकिन वे एक-दूसरे को हिम्मत दे रहे थे। हवेली के अंदर का हर कोना अंधेरे से भरा हुआ था, और हर कदम के साथ उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई उन्हें देख रहा है। वे धीरे-धीरे उस कमरे की ओर बढ़े, जहाँ अर्जुन ने चंद्रा की आत्मा को देखा था।

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जैसे ही वे उस कमरे के पास पहुँचे, दरवाजा अचानक खुद-ब-खुद खुल गया। तीनों बच्चों के चेहरे पर भय की परछाई छा गई, लेकिन फिर भी वे अंदर चले गए। कमरे के अंदर का दृश्य बदल चुका था। अब वहाँ न तो कोई दीया जल रहा था और न ही कोई बिस्तर था। कमरे में एक घोर अंधेरा छाया हुआ था, लेकिन बच्चों ने अपने हाथों में टॉर्च रखी थी, जिससे वे आगे का रास्ता देख पा रहे थे।(chudail ki kahani in hindi)

माया ने धीरे से पूछा, “क्या तुम दोनों को यहाँ कुछ अजीब महसूस हो रहा है?”

रोहन ने जवाब दिया, “हाँ, लेकिन हमें डरने की ज़रूरत नहीं है। हम यहाँ सिर्फ जानने आए हैं कि अर्जुन की कहानी में कितनी सच्चाई है।”

सुमित, जो अब तक चुप था, बोला, “मुझे नहीं लगता कि हमें यहाँ और रुकना चाहिए। चलो वापस चलें।”

लेकिन रोहन ने उसे रोकते हुए कहा, “नहीं, हम यहाँ तक आए हैं, तो अब सच जानकर ही लौटेंगे।”

अचानक, कमरे की हवा ठंडी हो गई और एक हल्की सी सिसकने की आवाज़ चारों ओर गूंजने लगी। बच्चों ने चारों ओर देखा, लेकिन कुछ भी दिखाई नहीं दिया। तभी, कमरे के कोने में एक धुंधली आकृति उभरने लगी। यह वही आकृति थी जिसे अर्जुन ने देखा था—चंद्रा की आत्मा। उसकी लाल आँखें और उदास चेहरा बच्चों को देख रहा था।

तीनों बच्चे सहमे हुए थे, लेकिन रोहन ने हिम्मत करते हुए पूछा, “क्या तुम चंद्रा हो?”

आत्मा ने धीरे-धीरे सिर हिलाया और कहा, “हाँ, मैं चंद्रा हूँ। मुझे इस जगह से मुक्त कर दो। मैं नहीं चाहती कि कोई और मेरी तरह तन्हा और दुखी हो।”

माया ने धीरे से पूछा, “हम तुम्हारी कैसे मदद कर सकते हैं?”

चंद्रा की आत्मा ने कहा, “यह जगह मेरे दुख और तन्हाई का प्रतीक है। अगर तुम मेरी आत्मा को शांति देना चाहते हो, तो इस हवेली को पूरी तरह से मिटा दो, ताकि कोई और यहाँ आकर मेरी तरह तड़पता न रहे।”

तीनों बच्चे कुछ समय के लिए चुप हो गए। वे समझ गए कि चंद्रा की आत्मा की मुक्ति के लिए उन्हें इस हवेली को नष्ट करना होगा। लेकिन यह काम आसान नहीं था। वे जानते थे कि उन्हें गाँव वालों की मदद लेनी होगी।(chudail ki kahani in hindi)

तीनों बच्चे हवेली से बाहर निकल आए और तेजी से गाँव की ओर दौड़े। वे सीधे गाँव के मुखिया के पास गए और उन्हें सारी बातें बताईं। मुखिया ने उनकी बात ध्यान से सुनी और समझ गए कि चंद्रा की आत्मा को मुक्ति देने का यही सही समय है। उन्होंने पूरे गाँव को इकट्ठा किया और सबको बच्चों की बात बताई।

गाँव के लोग, जो अब तक इस हवेली से डरते थे, बच्चों की हिम्मत और चंद्रा की आत्मा की सच्चाई जानकर हैरान रह गए। सबने मिलकर यह निर्णय लिया कि वे इस हवेली को नष्ट करेंगे और चंद्रा की आत्मा को शांति दिलाएंगे।

अगले दिन, सूरज निकलने से पहले ही गाँव के लोग अपने औजारों के साथ हवेली की ओर चल पड़े। रोहन, माया, और सुमित भी उनके साथ थे। गाँव के लोगों ने मिलकर हवेली को तोड़ना शुरू किया। जैसे-जैसे हवेली की दीवारें गिरती गईं, वैसे-वैसे हवा में एक सुकून भरी शांति फैलती गई। चंद्रा की आत्मा, जो हवेली के ऊपर मंडरा रही थी, धीरे-धीरे गायब होने लगी। हवेली के पूरी तरह नष्ट होते ही, चंद्रा की आत्मा ने अंतिम बार गाँव वालों को धन्यवाद कहा और फिर हमेशा के लिए चली गई।(chudail ki kahani in hindi)

गाँव के लोग उस जगह पर एक छोटा सा मंदिर बनाकर, चंद्रा की याद में प्रार्थना करने लगे। उन्होंने इस घटना से सीखा कि किसी के बारे में बिना जाने उसे गलत ठहराना कितना गलत हो सकता है। चंद्रा की कहानी अब एक सीख बन चुकी थी, और गाँव के लोग इस बात की प्रतिज्ञा कर चुके थे कि वे अब किसी के साथ अन्याय नहीं करेंगे।(chudail ki kahani in hindi)

रोहन, माया, और सुमित ने अपने इस साहसिक अनुभव से बहुत कुछ सीखा। वे जानते थे कि उनकी हिम्मत और सच्चाई ने चंद्रा की आत्मा को मुक्ति दिलाई थी। अब वे अपने गाँव में सबसे साहसी और समझदार बच्चों के रूप में जाने जाते थे। उनकी कहानी गाँव के हर बच्चे के लिए एक प्रेरणा बन गई थी, जो उन्हें सिखाती थी कि सच्चाई और हिम्मत से हर डर पर काबू पाया जा सकता है।(chudail ki kahani in hindi)

गाँव का नाम अब सिर्फ ‘शांतिनगर’ नहीं था, बल्कि अब यह ‘सत्यनगर’ के नाम से जाना जाने लगा था। क्योंकि यहाँ के लोग अब सच्चाई और न्याय के मार्ग पर चलने लगे थे।

हवेली के अंदर जैसे ही रोहन की आवाज़ गूंजी, चारों ओर सन्नाटा छा गया। माया और सुमित ने एक-दूसरे की ओर देखा, उनके चेहरों पर चिंता और भय स्पष्ट था। हवेली के गहरे अंधकार में खड़े होकर उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी ने उनकी बात सुनी है, लेकिन जवाब में कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था।(chudail ki kahani in hindi)

कुछ क्षणों के बाद, हवा में अचानक से एक हल्की सी सिसकी गूंज उठी। आवाज़ इतनी धीमी थी कि अगर ध्यान से ना सुना जाता, तो वह हवा की सरसराहट के साथ मिल जाती। लेकिन यह आवाज़ स्पष्ट थी और बच्चों ने उसे स्पष्ट रूप से सुना। अब उनके पास केवल एक ही विकल्प था—इस आवाज़ का पीछा करना। (chudail ki kahani in hindi)

“हमें उस तरफ से आवाज़ आई है,” माया ने इशारा करते हुए कहा।

सभी ने बिना किसी और सवाल के उस दिशा में चलना शुरू कर दिया। उनके कदम धीरे-धीरे बढ़ रहे थे, लेकिन दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं। हर एक कदम के साथ अंधेरा और गहरा होता जा रहा था, और हवा में एक अजीब सी ठंडक घुली हुई थी।(chudail ki kahani in hindi)

जैसे ही वे हवेली के अंदर और गहरे जाने लगे, उन्हें एक पुराने, भारी दरवाजे का सामना करना पड़ा। यह दरवाजा आधा खुला था, और उसके पीछे से वही सिसकियां आ रही थीं जो उन्होंने पहले सुनी थीं। दरवाजे के पास पहुंचते ही रोहन ने हल्के से उसे धकेला। दरवाजा चरमराने की आवाज़ के साथ खुल गया और उनके सामने एक कमरा प्रकट हुआ। कमरे के अंदर की स्थिति बाकि हवेली की तरह ही थी—पुरानी, धूल-धूसरित और मकड़ी के जालों से भरी।(chudail ki kahani in hindi)

कमरे के बीचों-बीच, धूल भरे फर्श पर एक सफेद कपड़े में लिपटी आकृति बैठी थी। उसकी पीठ दरवाजे की ओर थी और उसकी सिसकियां लगातार जारी थीं। तीनों बच्चे सहमे हुए थे, लेकिन अब वे पीछे हटने का सोच भी नहीं सकते थे।(chudail ki kahani in hindi)

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सुमित ने धीरे से पूछा, “तुम…तुम कौन हो?”

आकृति ने धीरे-धीरे अपनी सिर उठाई और मुड़कर बच्चों की ओर देखा। उसके चेहरे पर गहरा दुख और अकेलापन था, और उसकी आँखों में आंसू थे। बच्चों ने एक पल के लिए सांस रोक ली—वह चेहरा चंद्रा का था, वही चंद्रा जिसकी कहानी उन्होंने सुनी थी, वही चंद्रा जिसकी आत्मा को अर्जुन ने मुक्ति दिलाने का वादा किया था।

“तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं है,” चंद्रा ने धीमी आवाज़ में कहा। “मैं वो नहीं हूँ जो लोग समझते हैं। मैं बस एक साधारण इंसान थी, जिसे इस दुनिया ने समझने से इंकार कर दिया।”

माया ने हिम्मत जुटाते हुए कहा, “हम तुम्हारी मदद करना चाहते हैं। हम जानते हैं कि तुमने कुछ भी गलत नहीं किया।”

चंद्रा की आँखों में एक चमक उभरी, “क्या तुम सच में मेरी मदद कर सकते हो? वर्षों से मैं इस हवेली में फंसी हुई हूँ। लोग मुझे चुड़ैल समझते हैं, लेकिन मैं सिर्फ अपने गांव के लोगों से प्यार करना चाहती थी।”

रोहन ने चंद्रा की बात ध्यान से सुनी और कहा, “हमें बताओ कि हम तुम्हारी आत्मा को शांति कैसे दे सकते हैं।”

चंद्रा ने धीरे-धीरे अपनी कहानी को आगे बढ़ाया। उसने बताया कि कैसे उसकी बहन, जो कि उससे बड़ी थी, ने उसे चुड़ैल घोषित करवा दिया था। उसकी बहन को अपनी सुंदरता और उसके ज्ञान से ईर्ष्या थी। उसने गाँव के लोगों को यह यकीन दिला दिया कि चंद्रा के पास काले जादू की शक्तियाँ हैं। और जब गाँव के लोगों ने उसकी बहन की बात मानी, तो उन्होंने चंद्रा को जंगल में भेज दिया, जहाँ उसने अपना शेष जीवन बिताया।

“मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया,” चंद्रा ने रोते हुए कहा। “लेकिन मेरी बहन ने मुझसे सब कुछ छीन लिया। अब मेरी आत्मा को तभी शांति मिलेगी जब लोग सच्चाई जानेंगे।”

माया ने रोहन और सुमित की ओर देखा और फिर चंद्रा से कहा, “हम तुम्हारी कहानी सभी को बताएंगे। हम गाँव वालों से सच्चाई उजागर करेंगे। और तब तुम मुक्त हो जाओगी।”

चंद्रा ने मुस्कुराते हुए कहा, “धन्यवाद। जब लोग मेरी कहानी जानेंगे और मेरी बहन की सच्चाई सामने आएगी, तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी।”

तीनों बच्चे चंद्रा को आश्वासन देकर हवेली से बाहर निकले। वे जानते थे कि अब उन्हें चंद्रा की कहानी सभी को बतानी होगी, ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके। उन्होंने सबसे पहले गाँव के मुखिया से मिलकर सारी कहानी बताई।

मुखिया ने बच्चों की बात ध्यान से सुनी और गाँव वालों को इकट्ठा करके चंद्रा की सच्चाई बताई। गाँव के लोग चंद्रा की कहानी सुनकर हैरान रह गए और उन्होंने अपने किए पर पछतावा किया।

आखिरकार, गाँव वालों ने मिलकर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें चंद्रा की सच्चाई सबके सामने रखी गई। चंद्रा की बहन को भी बुलाया गया और उसकी सच्चाई उजागर की गई। जब यह सब हुआ, तो हवेली के ऊपर मंडराती चंद्रा की आत्मा धीरे-धीरे अदृश्य हो गई, और हवेली का डरावना वातावरण भी खत्म हो गया।

गाँव के लोगों ने मिलकर चंद्रा की याद में एक मंदिर बनवाया और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। हवेली को भी पूरी तरह से मिटा दिया गया ताकि उस जगह से चंद्रा की दर्दनाक यादें भी समाप्त हो सकें।

अब, शांतिनगर को नया नाम ‘शांतिदीप’ दिया गया, और यहाँ के लोग पहले से ज्यादा खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन जीने लगे। उन्होंने यह सीख लिया कि किसी भी इंसान को उसके कामों से नहीं, बल्कि उसकी नीयत से परखा जाना चाहिए।(chudail ki kahani in hindi)

रोहन, माया, और सुमित की बहादुरी ने गाँव को एक नया जीवन दिया और उन्होंने साबित किया कि सचाई और हिम्मत के साथ हर डर को दूर किया जा सकता है।

“हवेली के चारों ओर ऊँचे पेड़ों का एक घना घेरा था, जो उसे बाहरी दुनिया से लगभग छुपा देता था। जब भी कोई उस हवेली की ओर देखता, उसे एक अजीब सी ठंडी हवा का झोंका महसूस होता था, जो रीढ़ की हड्डी तक सिहरन पैदा कर देती थी।(END chudail ki kahani in hindi)

Chudail Ki Kahani Moral:

अज्ञानता और भय के कारण उत्पन्न होने वाली भ्रांतियाँ निर्दोष लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। सच्चाई की खोज और न्याय के लिए खड़ा होना आत्मा को शांति और समाज को सही मार्ग पर ले जा सकता है।

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