Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani भाग 1:
Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani- एक घने और हरे-भरे जंगल के बीचोंबीच एक चालाक लोमड़ी रहती थी, जिसका नाम था चंचला। उसकी चतुराई और मक्कारी के किस्से पूरे जंगल में मशहूर थे। चंचला हमेशा अपने दिमाग का इस्तेमाल करके दूसरे जानवरों को धोखा देती और अपना पेट भरती थी। उसकी चालाकी के कारण जंगल के सभी जानवर उससे सावधान रहते थे, लेकिन फिर भी कभी-कभी उसकी चालों में फँस ही जाते थे।
उसी जंगल में एक बुद्धिमान और सतर्क कौवा भी रहता था, जिसका नाम था काले। काले अपनी तीव्र बुद्धि और चौकस नजरों के लिए जाना जाता था। वह हमेशा सतर्क रहता और किसी की भी चाल में आसानी से नहीं फँसता था। काले और चंचला की मुलाकातें कम ही होती थीं, लेकिन जब भी होतीं, दोनों के बीच एक अनकही प्रतिस्पर्धा महसूस होती थी।
एक सुनहरी सुबह, सूरज की किरणें पेड़ों की पत्तियों के बीच से छनकर जमीन पर गिर रही थीं। काले सुबह-सुबह अपने भोजन की तलाश में निकला था। उड़ते-उड़ते वह जंगल के पास वाले गाँव के किनारे पहुँच गया। वहाँ उसने एक घर के आँगन में ताज़ा बनी हुई रोटी के टुकड़े देखे जो धूप में सूख रहे थे। काले की आँखें चमक उठीं और वह तुरंत नीचे उतरा। अपनी चोंच में एक बड़ा और स्वादिष्ट रोटी का टुकड़ा दबाकर वह वापस जंगल की ओर उड़ चला।
जंगल में पहुँचकर काले ने सोचा कि किसी सुरक्षित जगह पर बैठकर आराम से इस रोटी का आनंद लिया जाए। वह उड़ते-उड़ते एक ऊँचे और घने पेड़ की शाखा पर जा बैठा। चारों ओर नजर दौड़ाने के बाद उसे लगा कि यह जगह पूरी तरह से सुरक्षित है और यहाँ कोई उसे परेशान नहीं करेगा। रोटी का टुकड़ा इतना बड़ा था कि उसे लग रहा था कि यह उसका पूरा दिन का भोजन बन जाएगा।
उसी समय, चंचला अपनी सुबह की खोज में जंगल में घूम रही थी। वह कुछ समय से भूखी थी और उसे कोई शिकार नहीं मिला था। चलते-चलते उसकी नजर ऊपर पेड़ पर बैठे काले पर पड़ी, जिसकी चोंच में वह स्वादिष्ट रोटी का टुकड़ा चमक रहा था। चंचला की भूख और भी बढ़ गई और उसके दिमाग में तुरंत एक योजना बनने लगी।
अहा! अगर मैं उस रोटी को हासिल कर लूं तो मेरा दिन बन जाएगा, चंचला ने मन ही मन सोचा। लेकिन उसे पता था कि काले इतना आसान नहीं है और उसे धोखा देना इतना सरल नहीं होगा। इसलिए उसे एक बेहद चालाक योजना बनानी होगी।
चंचला ने अपने चेहरे पर एक मीठी मुस्कान लाई और पेड़ के नीचे खड़ी होकर काले की तरफ देखते हुए बोली, सुप्रभात, प्रिय काले! आज तो तुम्हारी काली पंखों की चमक देखते ही बन रही है। सचमुच, तुम्हारी सुंदरता अद्वितीय है।
काले ने चंचला की बात सुनी, लेकिन वह समझ गया कि यह लोमड़ी कुछ न कुछ योजना बना रही है। फिर भी, उसने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपनी जगह पर बैठा रहा।
चंचला ने देखा कि उसकी पहली कोशिश काम नहीं कर रही है, तो उसने अपनी तारीफों का सिलसिला जारी रखा, काले, मैं तो हमेशा से तुम्हारी मधुर आवाज़ की प्रशंसा करती आई हूँ। पूरा जंगल तुम्हारे गीतों का दीवाना है। क्या तुम आज मेरे लिए एक सुरीला गीत नहीं गाओगे? मेरा दिन बन जाएगा।
काले ने फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और अपनी जगह से हिला तक नहीं। वह जानता था कि अगर उसने अपनी चोंच खोली तो रोटी नीचे गिर जाएगी और चंचला उसे ले भागेगी। (Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani)
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चंचला ने देखा कि सीधी तारीफों से काम नहीं बन रहा है, तो उसने एक नई चाल चली। उसने थोड़ा उदास होते हुए कहा, अरे, लगता है कि मेरी तारीफों का तुम पर कोई असर नहीं हो रहा। शायद मैं गलत थी। सुना है कि दूसरे जंगलों में कौवे बहुत ही सुरीला गाते हैं, लेकिन यहाँ के कौवे शायद उतने प्रतिभाशाली नहीं हैं। (Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani)
यह सुनकर काले के मन में थोड़ा सा अहंकार जागा, लेकिन उसने फिर भी संयम बनाए रखा। वह जानता था कि चंचला उसे उकसा रही है।
चंचला ने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए कहा, शायद मैं गलत सोच रही थी कि तुममें भी वह प्रतिभा होगी। खैर, कोई बात नहीं। मैं आगे बढ़ती हूँ।
काले ने सोचा कि अगर वह चंचला को बिना कुछ कहे ही जाने देगा तो शायद वह उसकी बुद्धिमत्ता पर सवाल उठाएगी। लेकिन फिर उसने खुद को संभाला और सोचा कि रोटी अधिक महत्वपूर्ण है।
चंचला ने देखा कि उसकी चालाकियों के बावजूद काले अपनी बुद्धिमानी पर कायम है, लेकिन उसने हार मानने की बजाय एक अंतिम चाल चलने का फैसला किया। उसने एक गंभीर आवाज़ में कहा, काले, मैंने अभी-अभी एक ख़तरनाक बात सुनी है। जंगल में एक बड़ा शिकारी घुस आया है और वह पेड़ों पर बैठे पक्षियों को निशाना बना रहा है। मुझे लगा कि तुम्हें इसकी खबर दे दूं ताकि तुम सावधान रहो।
यह सुनकर काले थोड़ा चिंतित हुआ, लेकिन उसने अपने चारों ओर नज़र दौड़ाई और कहीं भी किसी शिकारी का निशान नहीं देखा। उसे समझ आ गया कि चंचला उसे डराने की कोशिश कर रही है।
काले ने अंततः निर्णय लिया कि उसे चंचला को सबक सिखाना चाहिए। उसने अपनी रोटी को पेड़ की शाखा पर सुरक्षित रखते हुए अपनी चोंच खोली और बोला, चंचला, तुम्हारी सभी चालों को मैं समझ रहा हूँ। तुम्हें मेरी रोटी चाहिए, लेकिन मैं इतना मूर्ख नहीं हूँ कि तुम्हारी बातों में आ जाऊं। बेहतर होगा कि तुम अपनी भूख मिटाने के लिए कहीं और जाओ।
चंचला ने काले की बात सुनी और थोड़ी देर के लिए हताश हो गई। लेकिन उसकी चालाकी ने उसे हार मानने नहीं दिया। उसने मुस्कुराते हुए कहा, वाह काले, तुम्हारी बुद्धिमत्ता वाकई काबिले तारीफ है। लेकिन याद रखना, इस जंगल में हर किसी का दिन आता है। आज तुम्हारा दिन है, कल मेरा होगा।
काले ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया, जब तक मैं सतर्क हूँ, तुम्हारी कोई भी चाल मुझ पर काम नहीं करेगी। अब कृपया यहाँ से जाओ और मुझे अपना भोजन करने दो।
चंचला ने मन ही मन नई योजना बनाने की ठानी और वहाँ से चली गई। लेकिन उसके मन में अब भी उस रोटी को पाने की इच्छा जल रही थी। चलते-चलते उसने सोचा, अगर सीधी चालों से काम नहीं बना, तो मुझे कुछ और सोचना होगा। शायद किसी और की मदद लेनी पड़ेगी।
दूसरी ओर, काले ने राहत की साँस ली और अपनी रोटी का आनंद लेने लगा। उसे नहीं पता था कि चंचला अभी भी नई योजनाएँ बना रही है और जल्द ही कुछ नया करने वाली है।
Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani भाग 2:
चंचला लोमड़ी पेड़ के नीचे खड़ी होकर काले से मीठी बातें करने लगी। उसकी बातों में इतनी मिठास और आकर्षण था कि कोई भी उसकी चापलूसी में आसानी से फँस सकता था। काले चंचला ने अपनी मधुर आवाज़ में कहा, तुम्हारे पंख तो जैसे सूरज की किरणों से बने हों। और तुम्हारी आँखों में तो जैसे चमकता हुआ सितारा बसा हो। तुम्हारी सुंदरता तो वाकई अद्वितीय है। मैंने सुना है कि तुम्हारी आवाज भी उतनी ही मधुर है जितने तुम्हारे पंख। क्या मैं तुम्हारा सुरीला गीत सुन सकती हूँ?
काले, जो अपनी चतुराई और सतर्कता के लिए प्रसिद्ध था, चंचला की इस तारीफ से थोड़ा खुश हो गया। लेकिन उसने फिर भी सतर्कता नहीं छोड़ी और सोचा कि यह लोमड़ी ज़रूर कुछ न कुछ योजना बना रही है। उसने अपने मन में सोचा, यह लोमड़ी मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। मुझे सतर्क रहना होगा।
लेकिन चंचला की मीठी-मीठी बातें और उसकी लगातार प्रशंसा काले के मन में थोड़ी कमजोरी पैदा करने लगी। वह सोचने लगा कि शायद वह वास्तव में इतना सुंदर और गायक हो सकता है। उसके अहंकार ने उसे धीरे-धीरे अपनी सतर्कता से दूर कर दिया। काले ने सोचा, क्यों न मैं भी अपनी आवाज़ का जादू दिखाऊं और इस लोमड़ी को साबित कर दूं कि मैं सच में अद्वितीय हूँ?
जैसे ही यह विचार उसके मन में आया, उसने अपनी चोंच खोली और गाना गाने के लिए तैयार हुआ। लेकिन जैसे ही उसने गाना शुरू किया, उसकी चोंच से वह स्वादिष्ट रोटी का टुकड़ा नीचे गिर पड़ा। रोटी का टुकड़ा गिरते ही चंचला ने झपट्टा मारा और रोटी को उठाकर अपने मुँह में दबा लिया। उसकी चाल सफल हो गई थी।
चंचला ने हँसते हुए काले का मजाक उड़ाया, अरे काले, तुम्हारी आवाज़ वाकई मधुर है, लेकिन रोटी उससे भी ज्यादा स्वादिष्ट थी। धन्यवाद इस शानदार गाने और लज़ीज़ रोटी के लिए। (Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani)
काले ने अपनी गलती को तुरंत समझा। वह शर्मिंदा होकर चुपचाप पेड़ से उड़ गया। उसके मन में पछतावा और दुख था कि उसने अपनी बुद्धिमानी खो दी और लोमड़ी की चापलूसी में आकर अपना भोजन गँवा दिया। उड़ते-उड़ते वह सोचता रहा कि कैसे वह अपनी सतर्कता को बनाए रख सकता था और लोमड़ी की बातों में नहीं फँसता।
Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani भाग 3:
काले के साथ हुई इस घटना ने उसे एक महत्वपूर्ण सीख दी, लेकिन लोमड़ी के मन में उसकी चालाकी की जीत ने उसे और भी अधिक घमंडी बना दिया। चंचला ने सोचा कि अगर वह एक कौवे को आसानी से बेवकूफ बना सकती है, तो वह किसी और जानवर को भी धोखा दे सकती है। उसके मन में और भी बड़ी योजनाएँ बनने लगीं।
दूसरी ओर, काले ने अपनी गलती से सबक सीखने का निर्णय लिया। वह अब और भी सतर्क और चतुर बन गया था। उसने अपने दोस्तों से भी इस घटना के बारे में बात की और उन्हें भी सावधान रहने की सलाह दी। काले ने सोचा कि अगर वह इस घटना से कुछ सीख सकता है, तो जंगल के दूसरे जानवर भी इससे कुछ सीख सकते हैं।
कुछ दिनों बाद, चंचला ने एक और योजना बनाई। उसने सोचा कि वह एक बार फिर से काले को धोखा देने की कोशिश करेगी। इस बार वह एक और अधिक लुभावनी कहानी लेकर आई। उसने काले से कहा, काले, मुझे तुमसे कुछ महत्वपूर्ण बात करनी है। मैंने सुना है कि इस जंगल में एक और बड़ा शिकारी आ गया है, जो पक्षियों को पकड़ने के लिए जाल बिछा रहा है। मुझे चिंता है कि तुम और तुम्हारे साथी सुरक्षित नहीं होगे। अगर तुम मुझसे मदद मांगोगे, तो मैं तुम्हें बचाने का रास्ता बता सकती हूँ।
लेकिन इस बार काले पूरी तरह से सतर्क था। उसने चंचला की बातों को ध्यान से सुना, लेकिन उसने तुरंत जवाब नहीं दिया। उसने सोचा कि पहले वह इस बात की सच्चाई की जांच कर ले। उसने अपने कुछ दोस्तों से बातचीत की और उन्हें चंचला की बात बताई। वे सबने मिलकर जंगल के चारों ओर निगरानी की और यह जानने की कोशिश की कि क्या सच में कोई शिकारी आया है।
जब उन्हें कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला, तो काले ने समझ लिया कि यह फिर से चंचला की एक चाल है। उसने वापस जाकर चंचला को बताया, चंचला, मैं तुम्हारी बातों में अब नहीं फँसूँगा। मैंने जंगल की पूरी जाँच की और मुझे कोई शिकारी नहीं मिला। तुमने पहले भी मुझे धोखा दिया था, लेकिन इस बार मैं तुम्हारी चाल में नहीं फँसूँगा।
चंचला ने यह सुना और उसे महसूस हुआ कि अब उसकी चालाकी काम नहीं करेगी। काले ने उसे स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब वह और जंगल के दूसरे जानवर उसकी चालों से बचने के लिए पूरी तरह सतर्क रहेंगे। यह सुनकर चंचला थोड़ी निराश हो गई, लेकिन उसने स्वीकार किया कि वह अब और जानवरों को बेवकूफ नहीं बना सकेगी। (Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani)
इसके बाद, काले ने जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा किया और उन्हें अपनी कहानी सुनाई। उसने उन्हें बताया कि कैसे चंचला ने उसे धोखा दिया और कैसे उसने अपनी सतर्कता को खो दिया। लेकिन उसने यह भी बताया कि उसने अपनी गलती से कैसे सीखा और अब वह और भी अधिक सतर्क हो गया है।
सभी जानवरों ने काले की बातों को ध्यान से सुना और वे सब भी सतर्क रहने का वादा किया। काले ने अपने दोस्तों से कहा, हमें हमेशा अपनी बुद्धिमानी और सतर्कता बनाए रखनी चाहिए। किसी की भी चापलूसी में आकर हमें अपनी समझदारी नहीं खोनी चाहिए।
Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani भाग 4:
काले की बातों ने जंगल के जानवरों के बीच एक नई जागरूकता पैदा की। अब हर कोई सतर्क और चतुराई से काम लेने लगा। उन्होंने चंचला की चालाकियों से बचने के लिए एक दूसरे की मदद करना शुरू कर दिया।
चंचला, जो पहले अपनी चालाकियों पर गर्व करती थी, अब अकेली पड़ने लगी। उसकी चालाकियों के कारण अब कोई भी जानवर उससे दोस्ती नहीं करना चाहता था। धीरे-धीरे, चंचला को यह एहसास होने लगा कि उसकी चालाकी उसे केवल असफलता और अकेलापन ही दे सकती है। उसने सोचा कि यदि वह सच्चाई और ईमानदारी से जंगल के जानवरों के साथ रहती, तो शायद उसे भी उनका साथ मिल सकता था।
अंततः चंचला ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया और काले के पास गई। उसने काले से माफी मांगी और वादा किया कि वह अब अपनी चालाकियों को छोड़ देगी। काले, जो अब और भी बुद्धिमान हो गया था, ने चंचला को माफ कर दिया। उसने कहा, सच्चाई और ईमानदारी से ही हमें जीवन में सच्ची खुशी मिल सकती है। अगर तुम इस रास्ते पर चलोगी, तो तुम्हें भी खुशी मिलेगी।
चंचला ने काले की बात मानी और उसने अपनी चालाकियों को छोड़कर जंगल के अन्य जानवरों के साथ सच्चे दोस्त बनाने की कोशिश की। धीरे-धीरे, उसके व्यवहार में परिवर्तन आया और वह भी जंगल के अन्य जानवरों के बीच स्वीकार्य हो गई।
इस प्रकार, काले और चंचला दोनों ने अपनी गलतियों से सीखा और एक नई दिशा में अपने जीवन को बढ़ाया।(Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani End)
Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani का संदेश:
इस Chalak Lomdi aur Kauwa ki Kahani से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा सतर्क और बुद्धिमान रहना चाहिए। दूसरों की चापलूसी में आकर अपनी समझदारी को नहीं खोना चाहिए। साथ ही, चालाकी से हासिल की गई सफलता अस्थायी होती है, जबकि सच्चाई और ईमानदारी से जीता हुआ जीवन ही हमें सच्ची खुशी और स्थायी संबंध दे सकता है।
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