चालाक गधे की कहानी | Chalak Gadha Ki Kahani | Hindi Story

Chalak Gadha Ki Kahani भाग 1: गधे का संघर्ष और चालाकी की शुरुआत

यह Chalak Gadha Ki Kahani एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक गधा अपने मालिक के साथ खेतों में काम करता था। गाँव का वातावरण शांत था, लेकिन गधे की जिंदगी उतनी ही संघर्षपूर्ण थी। गधा दिनभर मेहनत करता और भारी सामान ढोता। वह हर दिन सूरज उगने से पहले उठता और देर रात तक खेतों में काम करता। हालांकि, उसकी मेहनत का कोई प्रतिफल उसे नहीं मिलता था।

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “चालाक गधे की कहानी"|"Chalak Gadha Ki Kahani| हिंदी कहानी यह एक Animal Story है। अगर आपको Animal Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

गधे का मालिक, रामू, एक मेहनती किसान था, लेकिन वह गधे को केवल एक मजदूर के रूप में देखता था। उसे कभी गधे के आराम या भोजन की परवाह नहीं होती थी। रामू बस इतना चाहता था कि उसका गधा उसके काम को समय पर पूरा करे। गधा अपनी स्थिति से बहुत दुखी था, लेकिन वह यह समझ नहीं पा रहा था कि अपनी परेशानी को कैसे खत्म करे।(Chalak Gadha Ki Kahani)

गधा हर दिन रामू के आदेशों का पालन करता। वह खेतों से फसल काटकर बाजार तक ले जाता और रामू के लिए धन कमाता। लेकिन गधे को कभी भी अपनी मेहनत के बदले में अतिरिक्त भोजन, आराम, या कोई इनाम नहीं मिलता।(Chalak Gadha Ki Kahani)

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गधा सोचता, “मैं इतनी मेहनत करता हूँ, लेकिन मेरे हिस्से में केवल सूखी घास और थकान आती है। मेरे मालिक को मेरी कोई परवाह नहीं है।”

उसके साथ काम करने वाले दूसरे जानवर भी उसकी हालत देखकर उसे समझाते, “तुम्हें कुछ बदलना चाहिए। तुम्हारी मेहनत का लाभ केवल तुम्हारे मालिक को मिल रहा है। अगर तुम कुछ चालाकी से काम करो, तो शायद तुम्हारी जिंदगी बदल सकती है।”(Chalak Gadha Ki Kahani)

गधा उनकी बातों पर विचार करता और मन ही मन योजना बनाने लगता।

एक दिन गधे ने अपने मालिक से कहा, “मालिक, मुझे लगता है कि अगर मैं थोड़ा आराम करूँ, तो मैं और अधिक ऊर्जा से काम कर सकता हूँ।” रामू को गधे की यह बात समझ में आई, लेकिन उसने इसे नजरअंदाज कर दिया।(Chalak Gadha Ki Kahani)

गधा अब अपने मालिक से और बात करने का साहस जुटा रहा था। उसने सोचा, “अगर मुझे अपनी जिंदगी बदलनी है, तो मुझे अपनी मेहनत का फायदा उठाने के लिए चालाकी से काम लेना होगा।”

अगले दिन गधे ने सोचा कि उसे अपने मालिक को यह यकीन दिलाना होगा कि वह थका हुआ है। जब रामू ने गधे को भारी सामान ढोने के लिए कहा, तो गधे ने जानबूझकर धीरे-धीरे चलना शुरू कर दिया। उसने ऐसा दिखाया जैसे वह बहुत थका हुआ हो।

रामू ने गधे की हालत देखकर सोचा, “शायद यह सच में थक गया है। अगर यह बीमार पड़ गया, तो मेरा काम रुक जाएगा। मुझे इसे थोड़ा आराम देना चाहिए।”

गधे की यह चालाकी काम कर गई। रामू ने गधे को हल्का काम दिया और उसे आराम करने का मौका दिया।

गधे ने महसूस किया कि उसकी चालाकी रंग ला रही है। उसने यह तय कर लिया कि अब वह अपनी मेहनत के बदले कुछ और हासिल करेगा।

एक दिन गधे ने रामू से कहा, “मालिक, अगर आप मुझे थोड़ा अच्छा खाना देंगे, तो मैं और भी अच्छे तरीके से काम करूँगा।”

रामू ने सोचा, “अगर गधा अच्छा खाना खाएगा, तो यह ज्यादा काम कर सकेगा।” उसने गधे की बात मान ली और उसे चारा और हरी घास दी। गधे को अब मेहनत करने में मजा आने लगा।

गधे ने समझ लिया कि यदि वह अपनी बुद्धिमानी और चालाकी का उपयोग करेगा, तो वह अपनी स्थिति सुधार सकता है। वह हर दिन छोटे-छोटे नाटक करता और अपने मालिक से थोड़ा-थोड़ा फायदा उठाने में सफल रहता।

अब गधा न केवल आराम करने लगा था, बल्कि उसे अच्छा खाना और थोड़ा सम्मान भी मिलने लगा था। वह खुद को पहले से अधिक खुश महसूस करने लगा।

Chalak Gadha Ki Kahani का संदेश
इस भाग से हमें यह सिखने को मिलता है कि परिस्थिति चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, बुद्धिमानी और चालाकी से हम अपनी स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। गधे ने अपने संघर्ष से हार नहीं मानी और अपनी बुद्धिमानी से अपने जीवन को सुधारने का रास्ता ढूंढा।

नैतिक शिक्षा
कठिन परिस्थितियों में भी हमें अपना धैर्य बनाए रखना चाहिए।
चालाकी और बुद्धिमानी का सही उपयोग जीवन को बेहतर बना सकता है।
मेहनत और समझदारी का संतुलन सफलता की कुंजी है।

Chalak Gadha Ki Kahani भाग 2: गधे की चालाकी और सफलता का परिणाम

गधा धीरे-धीरे समझ चुका था कि यदि वह अपनी चालाकी से काम करेगा, तो अपनी स्थिति को और भी बेहतर बना सकता है। अब उसने नई योजना बनानी शुरू कर दी। इस बार उसने यह दिखाने का नाटक किया कि वह बहुत थक चुका है और काम करने में असमर्थ है।(Chalak Gadha Ki Kahani)

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गधा जब भी खेतों में काम करने जाता, वह धीरे-धीरे चलता, और कभी-कभी जानबूझकर भारी सामान गिरा देता। वह बार-बार अपने मालिक से कहता, “मालिक, अगर आप मुझे थोड़ा आराम देंगे, तो मैं अधिक ऊर्जा से काम कर सकूंगा। आप देखेंगे कि मैं पहले से बेहतर काम करूंगा।”

रामू, जो पहले से ही गधे की मेहनत और समर्पण से प्रभावित था, सोचने लगा कि गधा सच में थका हुआ है। उसने गधे की बात मानने का फैसला किया और उसे कुछ दिन का आराम देने की योजना बनाई।

गधे के नाटक ने रामू को यह यकीन दिला दिया कि यदि वह अपने गधे को आराम देगा, तो वह और भी मेहनत करेगा। रामू ने गधे को आराम के लिए एक विशेष जगह तैयार कर दी। गधे को हरी-हरी घास खाने के लिए दी गई, और उसकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।

रामू को यह उम्मीद थी कि कुछ दिन के आराम के बाद गधा दुगुने जोश से काम करेगा। लेकिन गधा आराम के इन दिनों का पूरा आनंद ले रहा था। उसने अपने मालिक को यह दिखाने का फैसला किया कि वह आराम के बाद सच में और बेहतर काम कर सकता है।

आराम के इन दिनों में गधे ने खुद को अधिक समझदार बना लिया। उसने महसूस किया कि अगर वह चालाकी से अपने मालिक के साथ बातचीत करेगा, तो वह हर बार अपनी स्थिति को बेहतर बना सकता है। उसने एक नई योजना बनाई।(Chalak Gadha Ki Kahani)

आराम के कुछ दिन बाद जब रामू ने गधे को खेत में काम पर भेजा, तो गधे ने जानबूझकर बेहतर काम दिखाया। उसने तेजी से सामान ढोया और मेहनत से काम किया। रामू गधे के इस परिवर्तन को देखकर खुश हो गया। उसने सोचा कि गधा सच में आराम के बाद अधिक ऊर्जा से काम कर रहा है।

रामू ने गधे को इनाम के तौर पर और भी बेहतर खाना और आराम देने का फैसला किया। गधे ने अपनी चालाकी के दम पर न केवल अपने आराम के दिन बढ़ा लिए, बल्कि उसे पहले से ज्यादा अच्छा भोजन और देखभाल भी मिलने लगी।

गधा अब अपनी चालाकी में और भी निपुण हो चुका था। उसने सोचा कि अगर वह बार-बार अपनी थकान का नाटक करेगा, तो उसका मालिक उसे बार-बार आराम देगा। गधा अब समय-समय पर धीरे चलने का नाटक करता और अपने मालिक से आराम के लिए कहता।

गधा सोचता, “अगर मैं थोड़ा और चालाक बनूं, तो शायद मुझे बिना मेहनत किए आराम और अच्छा खाना मिलता रहेगा।” उसने अपनी चालाकी का दायरा बढ़ाने का फैसला किया। अब वह कभी-कभी बीमार होने का नाटक करता, और कभी-कभी ऐसा दिखाता कि वह चलने में असमर्थ है।

रामू ने धीरे-धीरे यह समझना शुरू कर दिया कि गधा बार-बार थकान और बीमारी का नाटक कर रहा है। वह सोचने लगा, “गधा हर बार आराम के बाद काम तो अच्छा करता है, लेकिन यह बार-बार थकान का नाटक क्यों करता है?”

रामू ने गधे की चालाकी को समझने के लिए उसे और करीब से देखना शुरू किया। एक दिन, उसने गधे को चुपके से देखा, जब वह आराम करने के दौरान खुशी से इधर-उधर कूद रहा था। रामू को गधे की चालाकी का एहसास हुआ।(Chalak Gadha Ki Kahani)

रामू ने सोचा कि गधे को सबक सिखाने का समय आ गया है। उसने गधे से कहा, “तुमने अपनी मेहनत से मुझे प्रभावित किया था, लेकिन अब मैं देख रहा हूँ कि तुम अपनी चालाकी का उपयोग कर रहे हो। मैं चाहता हूँ कि तुम मेहनत और चालाकी का सही संतुलन बनाकर चलो। अगर तुम मेहनत करोगे, तो तुम्हें हमेशा आराम और अच्छा खाना मिलेगा। लेकिन अगर तुम बार-बार नाटक करोगे, तो मैं तुम्हें सजा देने में भी देर नहीं करूंगा।”

गधा रामू की बातों को सुनकर समझ गया कि उसकी चालाकी अब ज्यादा समय तक नहीं चल सकती। उसने तय किया कि अब वह अपनी मेहनत और बुद्धिमानी का सही उपयोग करेगा।

Chalak Gadha Ki Kahani का संदेश
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि चालाकी और बुद्धिमानी का सही उपयोग करना जरूरी है। कभी-कभी हम अपनी स्थिति सुधारने के लिए चालाकी का सहारा लेते हैं, लेकिन इसका दुरुपयोग करना नुकसानदायक हो सकता है। मेहनत और चालाकी का संतुलन ही सच्ची सफलता का मार्ग है।

नैतिक शिक्षा

  • मेहनत और बुद्धिमानी का सही उपयोग सफलता दिलाता है।
  • चालाकी का दुरुपयोग अंततः नुकसानदायक हो सकता है।
  • सच्ची सफलता के लिए ईमानदारी और मेहनत का महत्व समझना चाहिए।
  • अपनी परिस्थिति को समझकर सही निर्णय लेना ही बुद्धिमानी है।
  • अंत में: गधे ने अपनी चालाकी और मेहनत के संतुलन से अपनी जिंदगी को बेहतर बना लिया। उसने यह सीख लिया कि सफलता पाने के लिए केवल चालाकी ही नहीं, बल्कि ईमानदारी और मेहनत भी उतनी ही जरूरी है।
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