Chalak Aadmi | Hindi Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story

Chalak Aadmi भाग 1: रामु की चालाकी

Chalak Aadmi- रामु एक साधारण, परंतु बुद्धिमान व्यक्ति था, जो अपने जीवन को ईमानदारी और कठिन परिश्रम के साथ बिताता था। वह एक छोटे से गाँव में रहता था, जहाँ उसकी जीविका नारियल की खेती पर निर्भर थी। गाँव के लोग उसे उसकी मेहनत और चालाकी के लिए जानते थे। रामु ने अपनी ज़मीन पर नारियल के पेड़ लगाए थे, जिनकी देखभाल वह दिन-रात करता था। उसकी मेहनत के कारण पेड़ बहुत अच्छे से फलते थे, और रामु इन्हीं नारियलों की बिक्री से अपनी और अपने परिवार की जीविका चलाता था।

रामु के नारियलों की गुणवत्ता के कारण गाँव और बाजार दोनों में उसकी अच्छी खासी मांग थी। हर दिन रामु पेड़ पर चढ़ता, नारियल तोड़ता, और उन्हें बाजार में बेचने के लिए ले जाता। उसकी इस मेहनत से उसका परिवार काफी खुशहाल था, और गाँव में उसकी इज्जत भी बढ़ गई थी।

एक दिन, सुबह की ठंडी हवा में, रामु ने सोचा कि आज वह उस बड़े नारियल के पेड़ पर चढ़ेगा, जो गाँव के दूसरे छोर पर था। यह पेड़ बहुत ऊंचा था और इस पर सबसे अच्छे नारियल उगते थे। लेकिन इसकी ऊँचाई के कारण गाँव के बाकी लोग इस पेड़ पर चढ़ने से कतराते थे। रामु ने सोचा कि अगर वह इस पेड़ के सारे नारियल तोड़कर बाजार में बेच देगा, तो उसे अच्छा मुनाफा मिलेगा।

रामु ने अपनी कुल्हाड़ी और रस्सी उठाई और उस बड़े पेड़ की ओर चल पड़ा। जब वह पेड़ के पास पहुँचा, तो उसने भगवान का नाम लिया और पेड़ पर चढ़ने लगा। चढ़ाई मुश्किल थी, लेकिन रामु ने हार नहीं मानी। वह धीरे-धीरे ऊपर चढ़ता गया और कुछ ही देर में वह पेड़ की चोटी पर पहुँच गया। वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि पेड़ पर बहुत सारे नारियल थे, और सभी बड़े और रसदार थे। रामु ने खुश होकर नारियल तोड़ने शुरू कर दिए।

लगभग एक घंटे की मेहनत के बाद, रामु ने सारे नारियल तोड़ लिए और उन्हें एक जगह इकट्ठा कर लिया। अब वह पेड़ से नीचे उतरने की सोचने लगा। नीचे देखते ही उसकी हिम्मत टूटने लगी, और ऊँचाई का डर उसे जकड़ने लगा। रामु को अचानक डर लगने लगा कि कहीं उसका पैर फिसल गया, तो वह गंभीर रूप से घायल हो सकता है।

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “Chalak Aadmi"| Hindi Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story" यह एक Motivational Story है। अगर आपको Hindi KahaniShort Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

रामु ने इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए भगवान की शरण ली। उसने भगवान से प्रार्थना की, “हे भगवान, अगर आप मुझे सुरक्षित नीचे उतार देंगे, तो मैं आपको 51 रुपये का प्रसाद चढ़ाऊँगा।” रामु ने यह वचन दिल से दिया था, लेकिन जैसे-जैसे वह धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा, उसका मन बदलने लगा।

जैसे ही वह थोड़ा और नीचे आया, उसका डर थोड़ा कम हो गया। रामु ने मन में सोचा, ’51 रुपये बहुत ज्यादा है, भगवान तो दिल की भावना को समझते हैं, 41 रुपये भी काफी होंगे।” और उसने अपने वचन को बदलकर 41 रुपये का प्रसाद चढ़ाने का निश्चय किया।

रामु जैसे-जैसे नीचे उतरता गया, उसका डर और भी कम होता गया, और उसके साथ-साथ उसका प्रसाद भी घटता गया। उसने फिर सोचा, “भगवान को 21 रुपये चढ़ाने से भी वे खुश हो जाएँगे, आखिरकार मैं गरीब आदमी हूँ।” इस तरह रामु ने फिर अपने वचन को बदल दिया।

अब रामु पेड़ के बीच के हिस्से तक आ चुका था और उसे लग रहा था कि वह बिना किसी परेशानी के नीचे उतर जाएगा। उसने मन ही मन प्रसाद की रकम को और घटाते हुए 11 रुपये तय कर लिया। उसने सोचा, “भगवान तो महान हैं, वे मेरे इस छोटे से प्रसाद को भी स्वीकार कर लेंगे।”

लेकिन जैसे ही उसने यह सोचा, उसका पैर अचानक फिसल गया। रामु ने संतुलन खो दिया और वह धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। उसकी किस्मत अच्छी थी कि नीचे गिरे हुए नारियल ने उसकी गिरावट को थोड़ा नरम कर दिया, लेकिन फिर भी उसे काफी चोट आई।

रामु ने कराहते हुए उठने की कोशिश की, लेकिन उसकी पीठ में काफी दर्द हो रहा था। उसने ऊपर आसमान की ओर देखा और बोला, “हे भगवान, मैं समझ गया, आप मुझसे नाराज़ हैं। मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। मैं आपको 51 रुपये ही चढ़ाऊँगा।”

रामु ने किसी तरह खुद को उठाया और गाँव की ओर चल पड़ा। उसकी चालाकी और भगवान के साथ किए गए सौदेबाजी का नतीजा उसे इस तरह भुगतना पड़ा। लेकिन रामु ने भी ठान लिया था कि वह अपनी गलती से सीखेगा और भविष्य में भगवान के साथ कोई सौदा नहीं करेगा।

इस घटना ने रामु को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। उसे एहसास हुआ कि ईमानदारी और विश्वास से बढ़कर कुछ नहीं है। चाहे कोई स्थिति कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, मनुष्य को अपने वचन पर स्थिर रहना चाहिए और भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखनी चाहिए। रामु ने यह ठान लिया कि अब वह कभी भी भगवान के साथ चालाकी नहीं करेगा और अपनी मेहनत से ही जीवन में आगे बढ़ेगा।

रामु की यह कहानी अभी समाप्त नहीं हुई है। उसके जीवन में आगे क्या होता है? क्या वह अपनी सीख को जीवन में उतार पाएगा? या फिर वह फिर से किसी नई चालाकी में फँस जाएगा? इन सभी सवालों के जवाब इस कहानी के अगले भाग में मिलेंगे। (Chalak Aadmi)

Chalak Aadmi भाग 2: भगवान का संदेश

रामु जमीन पर गिरा पड़ा था, उसके शरीर में दर्द हो रहा था, और मन में पछतावा। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर भगवान ने उसके साथ ऐसा क्यों किया। वह तो बस सुरक्षित नीचे उतरने के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहा था, फिर भी उसे इतनी बड़ी सजा क्यों मिली? रामु के मन में यह सवाल बार-बार उठ रहा था, और वह इसी उलझन में डूबा हुआ था।

कुछ देर बाद, जब रामु के दर्द में थोड़ी राहत आई, तो उसने धीरे-धीरे अपने शरीर को सीधा किया और पेड़ के तने से टेक लगाकर बैठ गया। उसके दिल में असमंजस और गुस्से का एक अजीब सा मिश्रण था। उसने अपनी दोनों हथेलियों को जोड़कर आकाश की ओर देखा और बोला, “हे भगवान! मैंने क्या गलत किया? मैंने तो सिर्फ आपके चरणों में प्रसाद चढ़ाने का वचन दिया था। फिर आपने मुझे ऐसी सजा क्यों दी?”

रामु के प्रश्नों में दर्द था, लेकिन उसकी आवाज़ में थोड़ी नाराजगी भी थी। उसने सोचा कि शायद भगवान उसकी पुकार नहीं सुन रहे, लेकिन तभी, एक हल्की सी हवा चली, और वातावरण में एक शांतिपूर्ण एहसास फैल गया। रामु को ऐसा लगा जैसे सब कुछ थम सा गया हो। फिर उसे एक गहरी, लेकिन बेहद कोमल आवाज़ सुनाई दी, जो उसके चारों ओर गूंज रही थी। यह आवाज़ उसके दिल से, उसके मन से और चारों दिशाओं से आ रही थी।

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वह आवाज़ कह रही थी, “रामु, यह सजा नहीं, बल्कि सीख है। तुमने अपने स्वार्थ और चालाकी से भगवान के साथ सौदा करने की कोशिश की, और यह सही नहीं है। भगवान के प्रति सच्ची भक्ति में चालाकी, स्वार्थ, और लालच की कोई जगह नहीं होती। तुम्हारी प्रार्थना उस समय ईमानदार नहीं थी, बल्कि तुम्हारे मन में अपने फायदे के लिए भगवान के साथ सौदा करने की भावना थी। तुमने पहले 51 रुपये का वचन दिया, फिर उसे घटाते चले गए। लेकिन भक्ति का यह रास्ता नहीं है, रामु। सच्ची भक्ति में विश्वास, निष्ठा और समर्पण होना चाहिए। भगवान किसी इंसान की चालाकी या स्वार्थपूर्ण प्रार्थना को स्वीकार नहीं करते।”

रामु इस आवाज़ को सुनकर स्तब्ध रह गया। उसे पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने खुद को भीतर से झकझोरते हुए महसूस किया। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। वह समझ गया कि उसकी चालाकी और स्वार्थ ने उसे इस स्थिति में पहुँचाया है। भगवान ने उसे इस कठिन परिस्थिति में डालकर उसकी सोच को सही दिशा देने की कोशिश की थी। यह सजा नहीं थी, बल्कि एक महत्वपूर्ण सीख थी, जो उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए मिली थी।(Chalak Aadmi)

रामु ने अपने मन में गहरे पछतावे की भावना महसूस की। उसने अपनी आँखों से आँसू पोंछे और आकाश की ओर देखते हुए कहा, “हे भगवान, मुझे माफ कर दीजिए। मैंने अपनी भक्ति में स्वार्थ और चालाकी को जगह दी, और यह मेरी सबसे बड़ी गलती थी। मैं समझ गया हूँ कि भगवान से सच्ची भक्ति केवल पवित्र मन और सच्चे दिल से की जा सकती है। मैं वचन देता हूँ कि आगे से कभी भी अपनी प्रार्थना में चालाकी नहीं करूंगा, और अपनी भक्ति में सच्चा और निष्ठावान रहूँगा।”

रामु के मन में गहरी शांति का अनुभव हुआ। उसकी आँखों से आँसू थम गए और उसका दिल हल्का हो गया। उसे ऐसा लगा जैसे भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली हो और उसे माफ कर दिया हो। रामु ने धीरे-धीरे अपने शरीर को उठाया, पेड़ के तने का सहारा लेते हुए खड़ा हो गया, और अपने घर की ओर चल पड़ा।

घर पहुँचने के बाद, रामु ने अपने परिवार को सारी बात बताई। उन्होंने उसे सांत्वना दी और उसके फैसले का समर्थन किया। रामु ने गाँव के मंदिर में जाकर भगवान के चरणों में 51 रुपये का प्रसाद चढ़ाया, और मन ही मन भगवान से प्रार्थना की कि वह उसे सच्चे मार्ग पर चलने की शक्ति दें।(Chalak Aadmi)

इस घटना के बाद, रामु की सोच और व्यवहार में एक गहरा बदलाव आया। वह पहले से अधिक मेहनत करने लगा और हर काम में भगवान का आशीर्वाद मानकर आगे बढ़ता रहा। उसकी भक्ति में अब सच्चाई और निष्ठा थी, और उसने हर स्थिति में भगवान के प्रति आभार व्यक्त करना सीख लिया था। वह समझ गया था कि सच्ची भक्ति में न केवल भगवान का आदर होता है, बल्कि अपने कर्मों और विचारों में भी ईमानदारी और सत्यता का पालन करना पड़ता है।

रामु के इस अनुभव ने उसे जीवन के एक महत्वपूर्ण सत्य से अवगत कराया – भगवान केवल हमारे शब्दों को नहीं, बल्कि हमारे दिल की सच्चाई और निष्ठा को देखते हैं। भक्ति में सच्चाई, निष्ठा और समर्पण ही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस अनुभव के बाद रामु ने कभी भी चालाकी और स्वार्थ की भावना को अपने दिल में जगह नहीं दी, और उसका जीवन धीरे-धीरे सुखद और संतुष्टिपूर्ण हो गया।(Chalak Aadmi)

Chalak Aadmi कहानी से शिक्षा:

इस Chalak Aadmi कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान के प्रति सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ ही सफलता मिलती है, न कि चालाकी से। भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हमें अपनी प्रार्थना और कर्मों में सच्चाई, निष्ठा, और समर्पण रखना चाहिए। चालाकी, स्वार्थ, और लालच हमें केवल कठिनाइयों में ही डालते हैं। सच्ची भक्ति में छल, कपट, और स्वार्थ के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। जब हम अपने दिल से भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखते हैं, तभी हमें उनके आशीर्वाद का सही अर्थ समझ में आता है।”

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