बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी | Animal Story | Hindi Story

बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी भाग 1: बूढ़ा शेर की कमजोरी

बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी– किसी समय की बात है, एक घने जंगल में एक शेर का राज चलता था। वह शेर अपनी जवानी में बेहद ताकतवर और तेज़ था। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे, और शेर को कभी भी भोजन के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ती थी। जैसे ही वह जंगल में शिकार के लिए निकलता, सभी जानवर डर के मारे छिप जाते थे, और शेर आसानी से किसी भी जानवर को पकड़ कर खा जाता था। परंतु, समय किसी के लिए नहीं रुकता, और यही शेर के साथ भी हुआ। उसकी उम्र बढ़ने लगी, और उम्र के साथ-साथ उसकी ताकत और फुर्ती भी कम होने लगी। अब उसकी तेज़ी और शक्ति दोनों मद्धम पड़ चुकी थीं।

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी"| Animal Story | हिंदी कहानी यह एक Animal Story है। अगर आपको Animal Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

समय बीतते-बीतते, शेर इतना बूढ़ा हो गया कि अब उसे शिकार करना मुश्किल लगने लगा। उसकी तेज़ दौड़ने की क्षमता लगभग खत्म हो चुकी थी, और उसकी मांसपेशियाँ कमजोर हो गई थीं। पहले जो शेर एक ही झटके में शिकार को धर दबोचता था, अब उसे जानवर पकड़ने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था। उसे लगता था कि हर शिकार उसके हाथ से छूट जाता है। धीरे-धीरे, वह भूखा रहने लगा और उसका शरीर और भी कमजोर होता गया। अब तो हालत यह हो गई थी कि शेर शिकार करने के लिए भी बाहर जाने की स्थिति में नहीं था।(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

इस परिस्थिति में शेर ने देखा कि जंगल के अन्य जानवर उसकी कमजोरी का फायदा उठाने लगे हैं। पहले वे उससे डरते थे, लेकिन अब वे उसकी ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देते थे। अब शेर के लिए अपनी भूख मिटाना एक चुनौती बन चुका था। दिन-ब-दिन उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी, और उसे अपनी ताकत खोने का अहसास हो रहा था।

शेर ने अपनी इस मुश्किल परिस्थिति से निपटने के लिए एक योजना बनाई। एक दिन उसने जंगल के सभी जानवरों को बुलाने का फैसला किया। वह जानता था कि अब शिकार करने की क्षमता नहीं रही, इसलिए उसे कुछ ऐसा करना होगा जिससे जानवर खुद उसके पास आएं। वह सोचने लगा कि कैसे वह अपनी कमजोरी का फायदा उठा सकता है और दूसरों को अपनी चाल में फंसा सकता है।

शेर ने पूरे जंगल में यह संदेश फैलवा दिया कि वह गंभीर रूप से बीमार है और अब शिकार करने की शक्ति खो चुका है। उसने सभी जानवरों को एक सभा में बुलाया और कहा, “मैं अब बूढ़ा हो चुका हूँ। पहले जैसा ताकतवर और फुर्तीला नहीं रहा। मेरी तबियत भी बहुत खराब है, और मैं अब शिकार करने की स्थिति में नहीं हूँ। अब मैं चाहूँगा कि तुम सब मेरे पास आओ और मुझसे मिलने का समय निकालो। मैं सिर्फ तुम्हारे साथ समय बिताना चाहता हूँ।”

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शेर की इस बात पर जंगल के कई जानवर आश्चर्यचकित हो गए। कुछ जानवर सोचने लगे कि शेर अब कमजोर और लाचार हो चुका है, और शायद वह अब किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकेगा। उसकी बातों में एक सच्चाई दिख रही थी, और उसकी बीमार हालत का हाल जानकर कुछ जानवरों को दया भी आने लगी।(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

शेर ने बड़ी चतुराई से अपने शब्दों को इस तरह से पेश किया कि जानवरों को लगा कि अब वह वास्तव में एक निरीह जीव बन गया है। उसने अपनी बीमारी का जिक्र बार-बार किया और बताया कि अब वह पहले जैसा खतरनाक शिकारी नहीं रहा। शेर की इस योजना का उद्देश्य था कि जानवर उसकी हालत पर भरोसा कर लें और खुद-ब-खुद उसके पास आएं।

शेर की बातों का जंगल के जानवरों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ा। कुछ जानवरों ने उसकी कहानी पर विश्वास कर लिया और सोचने लगे कि बूढ़ा शेर अब किसी और जानवर की तरह हो गया है—कमजोर, बीमार और लाचार। वे सोचने लगे कि शेर अब उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा और उसके पास जाने में कोई खतरा नहीं है। कुछ जानवरों ने शेर से मिलने का मन बना लिया, यह सोचकर कि बूढ़ा शेर अब शिकार करने में असमर्थ है और केवल मिलने के लिए कह रहा है।(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

दूसरी ओर, कुछ चालाक और अनुभवी जानवरों को शेर की बातों पर यकीन नहीं हुआ। उन्हें शेर के स्वभाव के बारे में अच्छी तरह से पता था। वे जानते थे कि शेर भले ही बूढ़ा हो चुका हो, पर उसकी चालाकी और धोखा देने की आदत अब भी कायम हो सकती है। ऐसे जानवर शेर से दूरी बनाए रखने में ही अपनी भलाई समझते थे।(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

जंगल में एक बहुत ही चालाक लोमड़ी रहती थी। वह अपनी बुद्धिमानी के लिए जानी जाती थी और किसी भी स्थिति को गहराई से समझने की क्षमता रखती थी। जब उसे शेर की इस योजना के बारे में पता चला, तो उसने सोचा कि इसमें कुछ गड़बड़ हो सकती है। लोमड़ी को शेर की बीमारी की कहानी पर यकीन नहीं हुआ। उसने सोचा, “शेर चाहे कितना भी बूढ़ा हो जाए, वह अपनी आदतें इतनी आसानी से नहीं छोड़ सकता। यह उसकी कोई चाल हो सकती है।”(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

लोमड़ी ने शेर से मिलने का फैसला किया, लेकिन उसने पूरी सावधानी बरतने की योजना बनाई। वह सीधी शेर के पास जाने के बजाय, पहले आसपास के इलाके का मुआयना करने लगी। उसने देखा कि कई जानवर शेर से मिलने गए थे, लेकिन उनमें से कोई भी वापस नहीं आया था। यह देखकर लोमड़ी का शक और बढ़ गया। वह समझ गई कि शेर ने अपने जाल में जानवरों को फंसाने की चाल चली है।

चालाक लोमड़ी शेर की गुफा के पास पहुंची, लेकिन अंदर जाने के बजाय उसने दूर से ही पैरों के निशानों का मुआयना करना शुरू कर दिया। उसने देखा कि गुफा के अंदर जाने वाले कई जानवरों के पैरों के निशान तो दिख रहे थे, लेकिन बाहर आने वाले किसी भी जानवर के निशान नहीं थे। यह देखकर लोमड़ी को पूरा यकीन हो गया कि शेर ने अपनी भूख मिटाने के लिए यह चाल चली है। वह गुफा के अंदर जानवरों को बुलाकर उन्हें अपना शिकार बना रहा है।

लोमड़ी को शेर की पूरी योजना समझ आ गई थी। वह बहुत समझदार थी और जानती थी कि अगर वह सीधे गुफा के अंदर जाती, तो उसकी भी वही हालत होती जो बाकी जानवरों की हुई थी। लोमड़ी ने दूर से ही शेर को आवाज़ लगाई, “महाराज, आप कैसे हैं? मैंने सुना है कि आप बीमार हैं और सभी जानवरों से मिलना चाहते हैं।”

शेर ने गुफा के अंदर से धीमी आवाज़ में कहा, “हाँ, मैं बहुत बीमार हूँ। मेरे पास आओ और मुझसे मिलो।”

लोमड़ी ने चालाकी से जवाब दिया, “महाराज, मैं जरूर आपसे मिलना चाहती हूँ, पर मैंने देखा कि गुफा के अंदर तो कई जानवर गए हैं, लेकिन बाहर निकलने के कोई निशान नहीं दिख रहे। यह देखकर मुझे डर लग रहा है।”

शेर ने तुरंत भांप लिया कि उसकी चालाकी का पर्दा उठ चुका है, और लोमड़ी उसकी योजना को पूरी तरह समझ चुकी है।

लोमड़ी ने शेर को यह कहकर वहीं छोड़ दिया कि वह वापस नहीं आएगी।

बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी भाग 2: चालाक लोमड़ी की चतुराई

जब लोमड़ी ने गुफा के बाहर पड़े पैरों के निशानों को देखा और समझा कि अंदर जाने वाले जानवर कभी वापस नहीं लौटे, वह तुरंत समझ गई कि बूढ़ा शेर अभी भी उतना ही चालाक है, जितना पहले था। शेर ने अपनी कमजोरी का फायदा उठाकर, जानवरों को एक-एक करके अपने पास बुलाकर अपना भोजन बनाया था। अब लोमड़ी के पास यह स्पष्ट था कि अगर वह भी गुफा के अंदर जाती, तो उसकी भी वही हालत होती जो अन्य जानवरों की हुई थी।(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

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लोमड़ी ने गुफा के बाहर खड़े होकर चिल्लाकर कहा, “महाराज, मैं आपको दूर से ही प्रणाम करती हूँ! आपकी गुफा के अंदर गए जानवरों के पैरों के निशान तो देख रही हूँ, लेकिन किसी के वापस आने का निशान नहीं दिख रहा। क्या बात है?”(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

शेर, जो अब तक अपनी योजना पर गर्व महसूस कर रहा था, थोड़ा असहज हो गया। उसने गुफा के अंदर से धीमी, कमजोर आवाज में जवाब दिया, “अरे लोमड़ी, यह सब तुम्हारा भ्रम है। वे सब मुझसे मिलकर खुशी-खुशी चले गए होंगे, तुम भी अंदर आओ और मुझसे मिलो।”

लेकिन लोमड़ी इतनी मूर्ख नहीं थी कि शेर की बातों में आ जाए। उसने कहा, “महाराज, आपकी बातें तो सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन मेरे पैरों के निशान भी बाहर निकलने चाहिए। आप कहते हैं कि जानवर खुशी-खुशी चले गए, पर उनकी वापसी के कोई संकेत नहीं हैं। यह बात कुछ समझ में नहीं आ रही।”

शेर समझ गया कि लोमड़ी उसकी चाल को समझ चुकी है। उसने अपनी चालाकी से उसे फंसाने की एक और कोशिश की। शेर ने कहा, “लोमड़ी, तुम इतनी चालाक हो, मुझे पता है कि तुम बेवकूफ नहीं हो। मैं अब बूढ़ा हो चुका हूँ, मेरी तबियत भी खराब है। मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे पास आओ, ताकि मैं तुमसे कुछ जरूरी बातें कर सकूं। अब मुझे तुम्हारी चालाकी की जरूरत है, और हम एक साथ कुछ काम कर सकते हैं।”

लोमड़ी ने शेर की बात सुनते ही ठहाका लगाकर हंसते हुए कहा, “महाराज, आपकी बातें सुनने में तो बहुत आकर्षक लग रही हैं, लेकिन मैं इतनी मूर्ख नहीं कि आपकी गुफा के अंदर आऊँ। अब तो जंगल के सारे जानवर आपकी असलियत समझ गए हैं। मैं बस उन्हें यह बताने जा रही हूँ कि वे भी आपकी गुफा के पास न आएं।”(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

शेर का क्रोध आसमान छू गया, पर उसकी लाचारी उसे बेबस बनाए रखी। उसकी कमजोरी और बूढ़ा शरीर उसे पहले की तरह ताकतवर शेर नहीं बना सकता था, और वह यह भी समझ गया था कि लोमड़ी इतनी चालाक है कि उसे अपने जाल में फंसाना अब असंभव है।

लोमड़ी ने दूर से ही शेर को प्रणाम किया और जंगल के जानवरों के पास जाकर उन्हें शेर की चालाकी के बारे में सब कुछ बता दिया। उसने सभी जानवरों को सावधान कर दिया कि वे शेर की चाल में न फंसे और उससे दूर रहें। सभी जानवरों ने लोमड़ी की बात मानी, क्योंकि अब उन्हें भी शेर की असलियत का पता चल गया था।(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

अब जब जानवरों को यह समझ आ गया कि शेर बूढ़ा हो गया है और अपनी पुरानी चालाकी से जानवरों को शिकार बना रहा है, तो उन्होंने मिलकर एक योजना बनाई। सभी जानवरों ने एकजुट होकर शेर का सामना करने का निर्णय लिया। उन्होंने तय किया कि अब वह समय आ गया है, जब वे शेर को उसकी चालाकी का उचित जवाब देंगे।

जानवरों की एकता का असर जल्द ही दिखने लगा। अब कोई भी जानवर शेर की गुफा के पास नहीं जाता था। शेर, जो पहले से ही बूढ़ा और कमजोर हो चुका था, अब और भी भूखा रहने लगा। उसकी योजना विफल हो चुकी थी, और उसकी गुफा के बाहर एक भी जानवर दिखाई नहीं देता था। दिन बीतते गए, और शेर की हालत और भी खराब होती गई।(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

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लेकिन लोमड़ी के दिमाग में एक और योजना चल रही थी। उसने सोचा कि शेर को एक आखिरी सबक सिखाना जरूरी है, ताकि वह दोबारा जानवरों को अपनी चाल में न फंसा सके। उसने जंगल के अन्य जानवरों से मिलकर कहा, “अब शेर बिल्कुल लाचार हो चुका है। अगर हम उसे पूरी तरह से उसकी जगह पर न बिठाएंगे, तो वह फिर से कोई नई चाल चल सकता है।”(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

लोमड़ी ने शेर के सामने एक और चाल चली। उसने जंगल के सभी जानवरों के बीच यह अफवाह फैला दी कि शेर अब पूरी तरह से हताश हो चुका है और उसने यह भी मान लिया है कि अब उसे कोई बचाने नहीं आएगा। जानवरों ने मिलकर शेर को घेरने की योजना बनाई।

एक दिन, जब शेर अपनी गुफा के बाहर धूप सेंक रहा था, अचानक जंगल के सभी जानवर एक साथ वहां पहुंच गए। शेर ने जैसे ही उन्हें देखा, वह घबरा गया। वह जानता था कि अब उसकी चालाकी और ताकत दोनों ही खत्म हो चुकी हैं। अब वह इन जानवरों का सामना नहीं कर सकता था। उसने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज में अब पहले जैसा दम नहीं था।(बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

लोमड़ी आगे बढ़ी और शेर से कहा, “महाराज, अब आपके पास कोई रास्ता नहीं बचा। हमने आपकी हर चाल को समझ लिया है, और अब इस जंगल में आपकी हुकूमत का अंत हो चुका है। आपने हमें धोखा देने की कोशिश की, लेकिन हम सबने मिलकर आपकी सच्चाई को उजागर कर दिया। अब हम आपको इस जंगल में और राज नहीं करने देंगे।”

शेर ने हार मानते हुए कहा, “तुम सबने मिलकर जो किया, वह सही है। अब मेरी ताकत नहीं रही और मेरी चालाकी भी विफल हो गई है। मैं समझ गया हूँ कि अब यह जंगल मेरा नहीं है।”( END बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी)

बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी का संदेश

लोमड़ी की चालाकी और जंगल के जानवरों की एकता ने आखिरकार बूढ़े शेर की हुकूमत का अंत कर दिया। इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि चाहे कोई कितना भी ताकतवर क्यों न हो, समय के साथ उसकी शक्ति खत्म हो जाती है। और अगर किसी के पास चालाकी और समझदारी हो, तो वह किसी भी ताकतवर व्यक्ति या चुनौती का सामना कर सकता है।

इसके अलावा, यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि अगर हम एकजुट होकर किसी समस्या का सामना करें, तो हम किसी भी बड़ी से बड़ी परेशानी को हल कर सकते हैं। शेर अपनी ताकत और चालाकी के बावजूद जंगल के अन्य जानवरों को हमेशा के लिए नियंत्रित नहीं कर सका, क्योंकि जानवरों की एकता ने उसकी हर चाल को नाकाम कर दिया।

इस प्रकार, बूढ़ा शेर अपनी गलतियों से सबक लेते हुए जंगल छोड़कर चला गया, और जंगल के जानवरों ने अपनी स्वतंत्रता और सुरक्षा का जश्न मनाया।”

थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि "बूढ़ा शेर और चालाक लोमड़ी की कहानी" Animal StoryAnimal Story | हिंदी कहानी कैसी लगी |

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