बुद्धिमान लालची आदमी | Buddhiman Lalachi adami | Hindi Kahani

Buddhiman Lalachi adami (भाग 1)

Buddhiman Lalachi adami- किसी समय की बात है, एक महान राज्य था, जहाँ के राजा अत्यंत न्यायप्रिय और प्रजावत्सल थे। उनका एक ही सपना था – अपने राज्य को सबसे समृद्ध और सुरक्षित बनाना। हालांकि, राज्य में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जटिलताएं और प्रशासनिक समस्याएं राजा को चिंता में डाल रही थीं। उन्हें एहसास हुआ कि अकेले वह सब कुछ संभाल नहीं सकते। उन्हें एक ऐसे मंत्री की आवश्यकता थी, जो न केवल बुद्धिमान हो, बल्कि पूरी तरह से ईमानदार और राज्य की भलाई के लिए समर्पित हो।

राजा ने अपने दरबार में यह घोषणा कर दी कि वह एक नए मंत्री की तलाश कर रहे हैं। सभी राज्यों के लोग इस पद के लिए आवेदन कर सकते थे, और राजा खुद उन सभी का साक्षात्कार करेंगे। कई लोग आए, जिनमें से कुछ अपने अनुभव का दावा कर रहे थे, कुछ अपनी शिक्षा का, और कुछ अपने राजनैतिक कौशल का। परंतु राजा किसी से भी संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे। उन्हें ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला, जो न केवल बुद्धिमान हो, बल्कि ईमानदार भी।

जब राज्य के सबसे चतुर और प्रसिद्ध व्यक्ति को इस खोज के बारे में पता चला, तो उसने तुरंत राजा से मिलने की ठानी। वह जानता था कि वह राजा के प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम होगा। उसने राजा के पास जाकर कहा, “महाराज, मुझे पता चला है कि आप एक बुद्धिमान और ईमानदार मंत्री की तलाश में हैं। मैं खुद को इस पद के लिए उपयुक्त समझता हूँ। मुझे एक अवसर दीजिए, और मैं आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देकर साबित कर दूंगा कि मैं इस पद के योग्य हूँ।”

राजा ने उसकी बात सुनी और उसके आत्मविश्वास से प्रभावित हुए। उन्होंने उसे एक अवसर देने का निर्णय किया। “यदि तुम सचमुच इतने बुद्धिमान हो, तो मैं तुमसे कुछ कठिन प्रश्न पूछूँगा,” राजा ने कहा। “यदि तुम सही उत्तर दे सके, तो मैं तुम्हें अपना मंत्री नियुक्त करूंगा।”

राजा ने उस व्यक्ति से कई कठिन प्रश्न पूछे, जिनमें से प्रत्येक प्रश्न की गहराई को समझना आसान नहीं था। लेकिन वह व्यक्ति इतना चतुर था कि उसने हर प्रश्न का उत्तर न केवल तुरंत दिया, बल्कि अपने उत्तरों से राजा को भी प्रभावित कर दिया। राजा ने देखा कि यह व्यक्ति केवल बुद्धिमान ही नहीं, बल्कि उसकी सोच भी अत्यंत व्यावहारिक थी।

Buddhiman-Lalachi-adami
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तुम्हारी बुद्धिमत्ता से मैं प्रभावित हूँ,’ राजा ने कहा। ‘तुम राज्य के मंत्री पद के योग्य हो।’ इसलिए, आज से मैं तुम्हें इस राज्य का मुख्य मंत्री नियुक्त करता हूँ।”

वह व्यक्ति मंत्री बनने पर अत्यंत प्रसन्न हुआ। अब वह राज्य के सबसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन था। राजा ने उसे कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंप दीं, और वह मंत्री अपना काम पूरी निष्ठा से करने लगा।

कुछ समय बाद, एक दिन मंत्री एक लंबी यात्रा पर निकला। यह यात्रा राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों का दौरा करने और वहाँ के हालात का निरीक्षण करने के उद्देश्य से की जा रही थी। मंत्री ने कई गांवों का दौरा किया और लोगों से मुलाकात की। वह उनकी समस्याएं सुनता और उनके समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने का वादा करता।

उसकी यात्रा के दौरान, एक दिन वह एक घने जंगल के पास से गुज़र रहा था। वहाँ उसने एक वृद्ध व्यक्ति को देखा, जो बहुत ही कमजोर और थका हुआ लग रहा था। वृद्ध व्यक्ति के पास तीन भारी जार थे, जिन्हें वह बहुत मुश्किल से उठा पा रहा था। मंत्री ने उसकी हालत देखकर उससे पूछा, “बाबा, आप इतने थके हुए क्यों लग रहे हैं? क्या आपको किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है?” (Buddhiman Lalachi adami)

वृद्ध व्यक्ति ने उत्तर दिया, “बेटा, ये तीन भारी जार मेरे लिए बहुत बोझिल हो गए हैं। मैं इनको उठा नहीं पा रहा हूँ। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो? मुझे इन जारों को पास के गांव तक ले जाना है।”

मंत्री, जो अब तक अपनी सहृदयता और बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध था, अनजाने में लालच की ओर खिंचता जा रहा था। उसने वृद्ध व्यक्ति से कहा, “आप चिंता न करें। मैं आपकी मदद करूंगा।”

मंत्री ने जार उठाए और वृद्ध के साथ चलने लगा। रास्ते में वृद्ध व्यक्ति ने मंत्री से कहा, “तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन तीनों जारों में सोना, चांदी, और मूल्यवान सिक्के भरे हैं। यह सब मेरे वर्षों की मेहनत और बचत का परिणाम है।”

मंत्री यह सुनकर हैरान हो गया। उसने पहले सोचा कि यह सिर्फ एक साधारण मदद थी, लेकिन अब उसे एहसास हुआ कि वह अत्यधिक मूल्यवान वस्तुएं उठा रहा है। उसकी आंखों में चमक आ गई। सोने और चांदी की लालसा उसके मन में घर कर गई। उसने सोचा, “यदि मैं इन जारों को अपने पास रख लूँ, तो मैं असीमित धन का मालिक बन सकता हूँ। मेरी जिंदगी बदल जाएगी, और मुझे कोई कुछ नहीं कहेगा क्योंकि मैं अब राज्य का मंत्री हूँ।” (Buddhiman Lalachi adami)

इस विचार ने मंत्री को भीतर से विचलित कर दिया। लालच ने उसकी बुद्धि को धीरे-धीरे अपनी जकड़ में लेना शुरू कर दिया, और अब उसे सही और गलत की पहचान धुंधली दिखने लगी। वह सोचने लगा कि इन जारों को कैसे अपने पास रख सकता है और वृद्ध व्यक्ति से छुटकारा पा सकता है।

जैसे-जैसे वे गांव के करीब पहुँचने लगे, मंत्री के मन में योजनाएं बनने लगीं। वह वृद्ध को बिना किसी संदेह के इन जारों से वंचित करना चाहता था। उसने वृद्ध से कहा, “बाबा, आप बहुत ही ईमानदार और मेहनती व्यक्ति लगते हैं। ये जार तो वास्तव में भारी हैं। क्या आप मुझ पर विश्वास करेंगे यदि मैं इन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाकर रख दूं, ताकि कोई और इनका लालच न करे?”

वृद्ध व्यक्ति, जो मंत्री के बारे में कुछ नहीं जानता था, उसकी बातों में आ गया। वह पहले से ही थका हुआ था और उसे लग रहा था कि अब उसे और अधिक चलने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। उसने कहा, “ठीक है बेटा, यदि तुम ऐसा कर सकते हो, तो मैं तुम्हारा बहुत आभारी रहूंगा।”

मंत्री ने बड़ी होशियारी से तीनों जार अपने पास रखने का निश्चय किया। उसने सोचा कि अब वह इन जारों को लेकर वापस अपने महल चला जाएगा और कभी किसी को इसकी भनक भी नहीं लगेगी। परंतु जैसे ही वह वापस मुड़ने लगा, अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिसने उसकी योजना को पूरी तरह बदल दिया। (Buddhiman Lalachi adami)

अचानक, आकाश में गहरा बादल छा गया और तेज़ बारिश शुरू हो गई। मंत्री ने सोचा कि यह सिर्फ एक सामान्य बारिश है और उसे जल्दी से गांव पहुँचना चाहिए। लेकिन बारिश के साथ तेज़ आंधी भी आ गई। आसमान में बिजली चमकने लगी, और मंत्री को ऐसा प्रतीत हुआ जैसे प्रकृति उसे चेतावनी दे रही हो। वह कुछ क्षणों के लिए ठिठक गया। उसके मन में विचार आने लगे कि क्या वह सही कर रहा है? क्या यह लालच उसके लिए सही दिशा है?

वह कुछ ही क्षणों के लिए रुका था, तभी वृद्ध व्यक्ति ने कहा, “बेटा, मुझे ऐसा लग रहा है कि इस मौसम में हमें कहीं रुक जाना चाहिए। इस तरह के मौसम में यात्रा करना सुरक्षित नहीं होगा।”

मंत्री ने सोचा कि शायद यह सही समय नहीं है, और उसे इस निर्णय को टाल देना चाहिए। उसने वृद्ध की बात मान ली और दोनों एक सुरक्षित स्थान पर रुक गए। लेकिन मंत्री के मन में अब भी लालच की आग जल रही थी। वह जानता था कि इन जारों की कीमत इतनी अधिक है कि वह किसी भी हद तक जाकर इन्हें अपने पास रख सकता है।

Buddhiman Lalachi adami (भाग 2)

पिछले भाग में हमने देखा कि किस तरह मंत्री, जो पहले अपनी बुद्धिमानी के लिए जाना जाता था, अचानक लालच के जाल में फंस गया। अब उसके मन में केवल एक ही विचार था – जारों में भरा सोना और चांदी। भारी बारिश और आंधी के कारण वह बूढ़े व्यक्ति के साथ एक सुरक्षित स्थान पर रुक गया था, लेकिन उसके मन में जारों को अपने पास रखने का लालच अब भी जल रहा था।

आखिरकार, बारिश थम गई, और मंत्री ने बूढ़े व्यक्ति को विदा करने की सोची। उसने उसे कहा, “बाबा, आप अब अपने गांव जा सकते हैं। मैं इन जारों को अपने साथ महल में ले जाऊंगा और आपकी संपत्ति को सुरक्षित रखूंगा।” बूढ़े व्यक्ति ने मंत्री पर पूरा विश्वास किया और वहां से चला गया। मंत्री ने जारों को महल ले जाने का निर्णय लिया, ताकि उसे कोई शक न हो सके।

मंत्री महल पहुंचते ही सीधे अपने निजी कक्ष में चला गया, जहाँ उसने तीनों जारों को सावधानी से रखा था। अब उसकी धड़कनें तेज हो गई थीं, क्योंकि वह सोच रहा था कि जब वह जार खोलेगा, तो उसके भीतर सोने और चांदी के सिक्कों का ढेर होगा। लालच के आवेग में उसने पहला जार खोला। लेकिन जब उसने जार में झांका, तो उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। जार में सोने और चांदी की जगह केवल लोहे के पुराने सिक्के थे। वह अचंभित रह गया। (Buddhiman Lalachi adami)

मंत्री ने सोचा, “यह कैसे संभव है? वृद्ध व्यक्ति ने मुझसे कहा था कि इन जारों में सोना और चांदी भरी है।” उसने तुरंत दूसरा जार खोला, लेकिन उसमें भी वही पुराने लोहे के सिक्के थे। तीसरा जार खोलने पर भी उसे यही मिला। अब मंत्री को महसूस हुआ कि उसे ठगा गया है। उसकी उम्मीदें टूट चुकी थीं, और उसका चेहरा उदासी और शर्म से भर गया था।

Buddhiman-Lalachi-adami

मंत्री अभी यह सोच ही रहा था कि उसने क्या गलती की, तभी अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। मंत्री ने दरवाजा खोला, तो वहां वही वृद्ध व्यक्ति खड़ा था। उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी। मंत्री चौंक गया और क्रोधित होकर बोला, “तुमने मुझे धोखा दिया! तुमने कहा था कि इन जारों में सोना और चांदी है, लेकिन इनमें तो केवल लोहे के सिक्के हैं!” (Buddhiman Lalachi adami)

वृद्ध व्यक्ति हंस पड़ा और बोला, “तुम्हें लगता है कि मैंने धोखा दिया? सच तो यह है कि तुमने अपने आप को धोखा दिया है।” मंत्री की उलझन बढ़ गई। तभी वृद्ध व्यक्ति ने अपनी असली पहचान प्रकट की। वह और कोई नहीं, बल्कि स्वयं राजा था।

राजा की यह बात सुनकर मंत्री के होश उड़ गए। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे। उसका चेहरा शर्म और पछतावे से भर गया। वह सोच भी नहीं सकता था कि वह एक राजा को धोखा देने की कोशिश कर रहा था।

राजा ने गहरी नजरों से मंत्री की ओर देखा और कहा, “तुम्हें मैंने इस राज्य का मंत्री इसलिए चुना था क्योंकि तुमने अपनी बुद्धिमानी से मेरे सारे प्रश्नों का उत्तर दिया था। परंतु मंत्री का पद केवल बुद्धिमानी से नहीं, बल्कि ईमानदारी से भी जुड़ा होता है। तुम्हारे पास बुद्धि है, पर तुम्हारे पास ईमानदारी की कमी है, और यही तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी है।”

राजा ने आगे कहा, “मैंने तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए यह योजना बनाई थी। मैं यह देखना चाहता था कि क्या तुम लालच में फंसोगे या अपने कर्तव्यों के प्रति सच्चे रहोगे। लेकिन तुमने मुझे निराश किया। तुमने सोचा कि इन जारों को अपने पास रखकर तुम अमीर बन जाओगे, लेकिन तुम्हारा लालच तुम्हारे पतन का कारण बना।”

मंत्री को अब अपनी गलती का एहसास हो गया था। उसकी आंखों में आंसू आ गए। वह राजा के पैरों में गिरकर बोला, “महाराज, मुझे क्षमा कर दीजिए। मैंने अपने लालच के कारण बहुत बड़ी गलती की है। मुझे इसका पछतावा है। मैंने आपके विश्वास को तोड़ा है।”

राजा ने गंभीर स्वर में कहा, “यह ठीक है कि तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है, लेकिन मंत्री का पद अब तुम्हारे लायक नहीं है। किसी राज्य का मंत्री केवल बुद्धिमान नहीं, बल्कि ईमानदार और सच्चा होना चाहिए। और तुम इस कसौटी पर खरे नहीं उतरे।”

मंत्री को अब समझ में आ गया था कि उसके लालच ने उसे कहां पहुंचा दिया है। उसका सपना था कि वह राज्य का सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बने, लेकिन उसकी लालच और बेईमानी ने उसे उस पद से हटा दिया, जिसे वह अपनी बुद्धिमानी से हासिल कर सकता था। मंत्री ने राजा से क्षमा मांगी, लेकिन राजा ने उसे यह कहकर विदा किया, मैं तुम्हें माफ करता हूँ, पर मंत्री बनने के लिए ईमानदारी भी चाहिए। तुम्हारा लालच तुम्हें इस योग्य नहीं बनाता।

राजा ने मंत्री को पद से हटा दिया और उसके स्थान पर एक नए, ईमानदार व्यक्ति को नियुक्त किया। मंत्री, जो कभी राज्य के सबसे सम्मानित लोगों में गिना जाता था, अब शर्म और पछतावे के साथ अकेला रह गया। उसने अपनी गलतियों से सबक सीखा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

मंत्री अब अपनी गलती पर गहरे पछतावे में था। उसने खुद से वादा किया कि वह फिर कभी लालच के रास्ते पर नहीं चलेगा। उसने सोचा कि यदि उसने शुरू में ही ईमानदारी दिखाई होती, तो वह राजा का विश्वास बनाए रख सकता था और राज्य के लिए बड़ा योगदान दे सकता था। लेकिन अब वह सब कुछ खो चुका था।

मंत्री ने अब अपने जीवन को एक नए सिरे से शुरू करने का फैसला किया। उसने सोचा कि वह अब सच्चाई और ईमानदारी के साथ जीवन जिएगा। उसने अपनी बची हुई जिंदगी को लोगों की सेवा में लगाने का संकल्प लिया, ताकि वह अपने पापों का प्रायश्चित कर सके। (Buddhiman Lalachi adami End)

Buddhiman Lalachi adami कहानी का निचोड़
इस कहानी से हमें यह महत्वपूर्ण संदेश मिलता है कि बुद्धिमानी और चालाकी जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनसे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है ईमानदारी। कोई भी व्यक्ति कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो, यदि वह ईमानदार नहीं है, तो उसकी बुद्धिमानी उसे जीवन में सफलता नहीं दिला सकती।

लालच एक ऐसा दुर्गुण है, जो एक व्यक्ति को भीतर से खोखला बना देता है। मंत्री ने अपनी बुद्धिमानी के बल पर मंत्री पद तो हासिल कर लिया था, लेकिन उसकी ईमानदारी की कमी ने उसे वह सब कुछ खोने पर मजबूर कर दिया।

Buddhiman Lalachi adami की शिक्षा

लालच हमेशा नुकसान करता है। Buddhiman Lalachi adami हमें सिखाती है कि लालच के चक्कर में कभी नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि लालच में आकर किए गए काम का अंत हमेशा बुरा होता है। इसके अलावा, ईमानदारी और सत्य के मार्ग पर चलना ही जीवन में सच्ची सफलता और संतोष की ओर ले जाता है।

थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि Buddhiman Lalachi adamiKahani Hindi Short Story | हिंदी कहानी कैसी लगी |
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