बिल्ली और चूहे की कहानी | Billi aur chuhe ki kahani | Animal Story

बिल्ली और चूहे की कहानी भाग 1: बिल्ली और चूहे की दोस्ती का झूठा दिखावा

बिल्ली और चूहे की कहानी– किसी समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक चालाक बिल्ली और कई चूहे रहते थे। यह गांव एक घने बाग के पास बसा हुआ था, जहां चूहे कभी-कभी बिल्ली की नजरों से बचकर भागते रहते थे। बिल्ली, जो अपने जाल में बहुत माहिर थी, हमेशा चूहों को डराकर अपना भोजन छीनती रहती थी। वह चूहे के छोटे-छोटे समूहों को अपनी चालाकियों से फंसा लेती, और फिर उन्हें खाकर अपनी भूख शांत करती। चूहे डर-डर कर जीते थे, क्योंकि उनकी जिंदगी में हमेशा इस बात का डर रहता था कि कब बिल्ली उन्हें अपने पंजों में पकड़ लेगी।

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “बिल्ली और चूहे की कहानी"|“Billi aur chuhe ki kahani| हिंदी कहानी यह एक Animal Story है। अगर आपको Animal Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

हालांकि, एक दिन गांव के एक कोने में एक अनोखा चूहा आता है। वह चूहा किसी अन्य चूहे की तरह डरपोक और सहमा हुआ नहीं था। वह बिल्ली को देखते हुए भी न तो डरता था, और न ही भागता था। उसकी आँखों में साहस की झलक थी। बिल्ली ने उसे देखा और उसे अपनी ओर बढ़ते हुए देखा, जैसे वह कोई चालाक योजना बना रहा हो।

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बिल्ली ने उसे फंदे में फंसाने के लिए अपनी चाल चलनी शुरू की। उसने धीरे से चूहे के पास पहुंचकर कहा, “तुम जानते हो, मैं तुम्हें खा सकती हूं। मैं एक चालाक बिल्ली हूं, और तुम एक छोटे से चूहे हो। तुम्हारी कोई उम्मीद नहीं है।”(बिल्ली और चूहे की कहानी)

चूहा बिल्ली की बातों पर घबराया नहीं और अपनी आंखों में चमक लाते हुए कहता है, “मैं जानता हूं कि तुम मुझे खा सकती हो, लेकिन अगर तुम मुझसे दोस्ती करो, तो मैं तुम्हारे लिए बहुत काम आ सकता हूं।”

बिल्ली ने उसे एक हंसी उड़ाते हुए देखा और कहा, “तुम एक छोटा चूहा हो, मैं तुम्हारे द्वारा किए गए किसी काम का क्या करूंगी? तुम्हारी बातें महज समय की बर्बादी हैं।”

चूहा फिर भी शांत रहा और बोला, “तुम्हें यकीन नहीं होगा, लेकिन मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं। तुम जो चाहो, वह मैं तुम्हारे लिए करूंगा। मेरी बात सुनो और मुझसे दोस्ती करो।”

बिल्ली अब थोड़ी चिढ़ी हुई थी, लेकिन चूहे के आत्मविश्वास को देखकर उसकी दिलचस्पी बढ़ गई। उसने सोचा, “कितना अजीब चूहा है! वह मुझसे दोस्ती करने की बात कर रहा है, और मुझे तो हमेशा यही लगता था कि चूहे डरपोक और अकसर नाकाम रहते हैं। फिर भी, अगर यह चूहा सच में मुझे किसी काम का हो सकता है, तो क्यों न इसकी बातों को एक बार सुना जाए?”

आखिरकार, बिल्ली ने चूहे की बातों को गंभीरता से लिया और कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी बात मानती हूं। तुम मेरे दोस्त बन सकते हो, लेकिन याद रखो, तुम्हें अपनी वफादारी साबित करनी होगी।”

चूहा खुश होकर बोला, “मैं आपको कभी निराश नहीं करूंगा। अगर आप मुझसे दोस्ती करती हैं, तो मैं आपको एक दिन बहुत बड़ा फायदा दूंगा।”

दोनों के बीच अब दोस्ती का दिखावा होने लगा। चूहा बिल्ली के साथ समय बिताने लगा, और धीरे-धीरे बिल्ली को यह समझाने की कोशिश करने लगा कि वह उसकी मदद कर सकता है। उसने कई बार कहा, “आपके लिए सबसे अच्छा होगा अगर आप मुझसे सहयोग करें। एक दिन आप देखेंगे कि मेरी मदद से आपको बहुत बड़ा फायदा होगा।”(बिल्ली और चूहे की कहानी)

अब दोनों एक दूसरे से मिलने-जुलने लगे। चूहा बिल्ली के पास आता, और वह उसे अपने घर के विभिन्न हिस्सों में घुमाती। बिल्ली चूहे को इस उम्मीद में अपना दोस्त बना रही थी कि वह कभी न कभी उसे किसी बड़े काम में मदद करेगा। वहीं चूहा, जो अपनी बुद्धिमानी से जानता था कि बिल्ली को झूठे वादों के जरिए अपनी तरफ खींचना सबसे बेहतर तरीका है, धीरे-धीरे बिल्ली के मन में अपनी जगह बना रहा था।

एक दिन चूहे ने बिल्ली से कहा, “आज रात हम एक बड़ा काम करने वाले हैं। मैं तुम्हारे लिए बहुत सारा भोजन लाऊंगा, ताकि तुम खुश रह सको।” बिल्ली, जो अब चूहे पर पूरी तरह से विश्वास करने लगी थी, खुशी-खुशी उसकी बातों पर भरोसा कर ली। उसने सोचा, “अगर यह चूहा सच में मुझे भोजन दे सकता है, तो मेरी तो किस्मत ही बदल जाएगी।”

चूहा अब बिल्ली को अपने दिमाग में अगला कदम बताने लगा। “हम दोनों मिलकर किसी बड़ी योजना पर काम करेंगे,” वह चूहा कहता, “तुम देखोगी, एक दिन मैं तुम्हारे लिए सब कुछ कर दूंगा।”

यह योजना थी, जिसमें चूहा बिल्ली को और भी आसानी से अपने जाल में फंसाने का प्रयास कर रहा था। लेकिन यह भी सत्य था कि चूहा बिल्ली को खुद से ज्यादा समझता था, और वह जानता था कि अगर उसने एक बार उसकी पूरी योजना का हिस्सा बना लिया, तो वह उसे और भी अच्छा सबक सिखाएगा।(बिल्ली और चूहे की कहानी)

हालांकि, दोनों के बीच दोस्ती का दिखावा बढ़ता गया, लेकिन असली मकसद तो अलग था। चूहे की मन में जो योजनाएं थीं, वह केवल खुद के फायदे के लिए थी, न कि किसी वास्तविक मित्रता के लिए।

बिल्ली की आँखों में यह धोखा धीरे-धीरे छिपता गया, लेकिन चूहे का दिल अब भी पूरी तरह से उसे मात देने की योजना बना रहा था। अब, वह समय आ रहा था, जब दोनों के बीच असली मंतव्य सामने आएगा।

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बिल्ली और चूहे की कहानी भाग 2: चूहे की चालाकी और बिल्ली की हार

चूहे ने बिल्ली को अपने जाल में फंसाने की योजना पूरी तरह से तैयार कर ली थी। उसने धीरे-धीरे बिल्ली का विश्वास जीता, और उसे यह भरोसा दिलाया कि वह उसे एक बड़ा भोजन देगा। चूहा जानता था कि यह समय उसका था, जब वह बिल्ली को उसके स्वयं के चालाकी के जाल में फंसा सकता था।

एक दिन, चूहे ने बिल्ली से कहा, “तुम्हें विश्वास नहीं होगा, लेकिन मैंने तुम्हारे लिए बहुत अच्छा भोजन तैयार किया है। यदि तुम मेरे घर आओ, तो मैं तुम्हारे लिए कुछ खास कर सकता हूं।” बिल्ली को यह बात सुनकर खुशी हुई, और वह चूहे के साथ जाने के लिए तैयार हो गई। वह सोची, “चूहा आखिरकार मुझे वह सभी चीज़ें दे सकता है, जिनकी मुझे जरूरत है।”

चूहा खुशी से बिल्ली को लेकर अपने घर की ओर बढ़ा। रास्ते में वह सोच रहा था कि आज का दिन उसके लिए बहुत खास होगा। उसने बिल्ली को एक पुराने और खंडहर में तब्दील हो चुके घर की ओर मोड़ दिया। बिल्ली यह नहीं जानती थी कि चूहा उसे कहां ले जा रहा है, लेकिन उसने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

जब वे खंडहर के पास पहुंचे, तो चूहा धीरे से दरवाजे को खोला और दोनों अंदर चले गए। बिल्ली ने देखा कि यह घर बहुत पुराना था और उसकी दीवारें बहुत कमजोर थीं। घर के अंदर घुसते ही चूहा उसे यह विश्वास दिलाने लगा कि भोजन वही अंदर रखा हुआ है। जैसे ही बिल्ली ने अंदर कदम रखा, अचानक दरवाजा जोर से बंद हो गया। बिल्ली घबराई, “यह क्या हो रहा है? दरवाजा क्यों बंद हो गया?”

चूहे ने बाहर से दरवाजे को पूरी तरह से बंद कर दिया और धीरे से कहा, “तुम अब फंसी हो। तुम्हारी चालाकी अब तुम्हारे ही खिलाफ हो रही है। तुमने मुझसे कहा था कि तुम मुझे धोखा दे सकती हो, और अब तुम खुद उस धोखे का शिकार हो रही हो।”(बिल्ली और चूहे की कहानी)

बिल्ली चौंक पड़ी। वह समझ गई कि चूहे ने उसे धोखा दिया है। वह पूरी तरह से फंस चुकी थी, और उसके पास कोई रास्ता नहीं था। वह चूहे से चिल्लाकर बोली, “तुमने मुझे क्यों फंसा लिया? मैं तुम्हारे साथ दोस्ती कर रही थी, और तुम मुझे धोखा दे रहे हो।”

चूहा अब धीरे से बोलता है, “तुमने पहले मुझे धोखा दिया था, और अब तुम्हारा धोखा तुम्हारे ही खिलाफ हो गया है। मैंने तुम्हें यह समझाने की कोशिश की थी कि दोस्ती झूठी चालाकी और धोखे पर नहीं, बल्कि विश्वास और समझ पर आधारित होनी चाहिए।”

बिल्ली को अब अपनी गलती का अहसास हुआ। वह चूहे से माफी मांगते हुए कहती है, “मैंने सचमुच तुम्हें गलत समझा था। तुम सही थे। मैं भी दूसरों को धोखा देती रही, लेकिन अब मुझे समझ में आ गया कि सच्ची दोस्ती केवल ईमानदारी और विश्वास पर ही टिक सकती है।”(बिल्ली और चूहे की कहानी)

चूहा बाहर से हंसी के साथ जवाब देता है, “यह तुम्हारी गलती है, लेकिन अब जब तुमने इसे समझ लिया है, तो उम्मीद है कि तुम भविष्य में किसी को धोखा नहीं दोगी। दोस्ती और विश्वास सबसे जरूरी चीज़ें हैं।”

चूहा बिल्ली को बाहर निकालने के लिए दरवाजे का ताला खोल देता है, लेकिन उसके बाद वह उसे एक आखिरी सबक देना चाहता था। वह कहता है, “कभी भी दूसरों को अपनी चालाकी से धोखा नहीं देना चाहिए, क्योंकि यह एक दिन खुद के लिए नुकसानदायक हो सकता है। तुमने मुझे धोखा देने की कोशिश की, लेकिन अब तुम्हें अपनी गलती का अहसास हुआ है। सच्ची दोस्ती और ईमानदारी सबसे बड़ी ताकत होती है।”

बिल्ली अब चूहे से माफी मांगती है, और वह समझ जाती है कि अपने कामों का परिणाम खुद के ऊपर आता है। वह चूहे के पास आती है और कहती है, “मैंने अब सीखा है कि कोई भी संबंध विश्वास और ईमानदारी पर आधारित होना चाहिए। धोखा देकर कुछ भी हासिल नहीं होता।”(बिल्ली और चूहे की कहानी)

चूहा मुस्कुराते हुए कहता है, “तुमने अब जो सीखा है, वही सबसे बड़ी बात है। अब मुझे यकीन है कि तुम किसी को धोखा नहीं दोगी। दोस्ती का असली मतलब यही है कि हम एक-दूसरे पर विश्वास करें और हमेशा ईमानदारी से काम करें।”

बिल्ली ने चूहे से माफी मांगी और उसने खुद को बदलने का संकल्प लिया। अब वह जानती थी कि धोखे से कुछ भी हासिल नहीं होता, और विश्वास और ईमानदारी ही सच्ची दोस्ती की नींव होती है।

शिक्षा:
चालाकी और धोखे से कुछ हासिल नहीं होता। सच्ची दोस्ती और ईमानदारी सबसे बड़ी ताकत होती है। किसी को धोखा देने से केवल खुद को ही नुकसान होता है, और सच्ची दोस्ती विश्वास और समझ पर आधारित होती है।

थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि बिल्ली और चूहे की कहानी"|"Billi aur chuhe ki kahani"| Animal Story | हिंदी कहानी कैसी लगी |

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