भूत की कहानी | Bhoot Ki Kahani | Hindi Story | Kahaniya

Bhoot Ki Kahani भाग 1: भूतिया हवेली का रहस्य

Bhoot Ki Kahani- कहानी की शुरुआत एक छोटे से गाँव से होती है, जहाँ लोग अपनी सादगी भरी ज़िंदगी जीते हैं। इस गाँव की एक खास बात थी—यहाँ एक पुरानी, सुनसान हवेली थी, जिसे लोग “भूतिया हवेली” कहते थे। हवेली गाँव के बाहरी हिस्से में स्थित थी, और लोग मानते थे कि उसमें भूतों का वास है। हवेली के बारे में कई डरावनी कहानियाँ प्रचलित थीं, जिनमें से कोई भी गाँव का बच्चा सुने बिना नहीं रहता था। लोग कहते थे कि रात होते ही हवेली से अजीब-अजीब आवाजें आती हैं और जो भी उस हवेली के पास जाता है, वह वापस नहीं आता।

इस गाँव में अर्जुन नाम का एक लड़का रहता था। वह एक निडर, जिज्ञासु और साहसी स्वभाव का था। अर्जुन को भूतों और डरावनी कहानियों पर विश्वास नहीं था। जब भी कोई हवेली की कहानियाँ सुनाता, अर्जुन हँसकर टाल देता और कहता, “ये सब मनगढ़ंत बातें हैं। कोई भूत नहीं होता।” लेकिन हवेली का रहस्य उसकी जिज्ञासा को बढ़ा रहा था। उसे लगता था कि वह हवेली के अंदर जाकर सच जान सकता है।

अर्जुन के साथ उसका सबसे अच्छा दोस्त राहुल भी था। राहुल अर्जुन जितना साहसी नहीं था, लेकिन अर्जुन की हिम्मत उसे भी प्रेरित करती थी। एक दिन, अर्जुन ने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया और कहा, “मुझे पता करना है कि इस हवेली में क्या है। हम सब मिलकर वहाँ चलेंगे और भूत का सच सामने लाएंगे।”” दोस्तों में से कुछ डर गए और मना करने लगे, लेकिन राहुल अर्जुन के साथ जाने के लिए तैयार हो गया।

रात गहरी हो चुकी थी, और चाँदनी के हल्के प्रकाश में हवेली का दृश्य और भी भयानक लग रहा था। हवेली की ऊँची-ऊँची दीवारें और टूटी-फूटी खिड़कियाँ उसकी उम्र और बेबसी को बयाँ कर रही थीं। अर्जुन और राहुल ने एक-दूसरे की तरफ देखा और बिना किसी झिझक के हवेली के अंदर प्रवेश कर गए।

हवेली के अंदर का दृश्य ऐसा था, जैसे वह जगह कई वर्षों से वीरान पड़ी हो। चारों तरफ धूल जमी हुई थी, दीवारों पर मकड़ी के जाले लगे हुए थे, और फर्श पर टूटी-फूटी चीज़ें बिखरी हुई थीं। खिड़कियों से आती हवा की आवाज़ से ऐसा लगता था, जैसे कोई फुसफुसा रहा हो। हवेली के अंदर की हवा ठंडी और भारी थी, जिससे दोनों लड़कों का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। लेकिन अर्जुन और राहुल ने हिम्मत बनाए रखी और आगे बढ़ते रहे।

हवेली के अंदर और भी कई कमरे थे, जो बंद पड़े थे। अर्जुन और राहुल ने एक-एक करके सभी दरवाजों को खोलना शुरू किया। एक कमरे के अंदर वे दोनों पहुँचे, जहाँ एक पुरानी तस्वीर लटकी हुई थी। तस्वीर में एक आदमी और औरत खड़े थे, लेकिन उनकी आँखें कुछ अजीब सी लग रही थीं, जैसे वे दोनों को घूर रही हों। अर्जुन ने तस्वीर के पास जाकर उसे ध्यान से देखा। अचानक तस्वीर धीरे-धीरे हिलने लगी, मानो कोई अदृश्य शक्ति उसे छू रही हो। राहुल डरकर पीछे हट गया और अर्जुन ने उसे शांत रहने के लिए कहा।

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तभी एक और अजीब घटना घटी। हवेली के अंदर की लाइट अचानक से बुझ गई और हर तरफ घना अंधेरा छा गया। अर्जुन और राहुल को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। अर्जुन ने जेब से टॉर्च निकाली और उसे जलाने की कोशिश की, लेकिन टॉर्च ने अचानक काम करना बंद कर दिया। हवेली के अंदर अब पूरी तरह से सन्नाटा था, और इस सन्नाटे में एक अजीब सी आवाज सुनाई दी, जैसे कोई धीरे-धीरे चल रहा हो।

अर्जुन और राहुल की धड़कनें तेज हो गईं। उन्होंने उस आवाज़ की दिशा में देखा, लेकिन कुछ दिखाई नहीं दिया। अर्जुन ने राहुल से कहा, “”हमें यहाँ से बाहर निकलना चाहिए। कुछ तो गड़बड़ है।”” दोनों ने दरवाजे की तरफ दौड़ लगाई, लेकिन जैसे ही वे दरवाजे के पास पहुँचे, दरवाजा अपने आप बंद हो गया।

अब दोनों दोस्तों को एहसास हुआ कि वे सच में एक भयावह जाल में फँस गए हैं। अर्जुन ने हिम्मत नहीं हारी और दरवाजे को जोर से धक्का मारने लगा, लेकिन दरवाजा टस से मस नहीं हुआ। हवेली के अंदर की हवा और भी भारी हो गई थी, और उन दोनों को ऐसा लगने लगा कि जैसे कोई उन्हें देख रहा हो।

भाग 2: भूत की सच्चाई और उसकी मुक्ति

हवेली के अंदर बंद अर्जुन और राहुल की हालत काफी डरावनी हो चुकी थी। अंधेरे में फँसे हुए, दोनों को अचानक से एक अजीब सी आवाज़ सुनाई दी। यह आवाज़ किसी के रोने की थी, जो हवेली के एक कमरे से आ रही थी। राहुल ने अर्जुन की तरफ देखा और कहा, “हमें इस आवाज़ का पीछा नहीं करना चाहिए, यह खतरनाक हो सकता है।” लेकिन अर्जुन ने हिम्मत जुटाई और कहा, “अगर यह भूत की आवाज़ है, तो हमें उसका सामना करना ही पड़ेगा।”

दोनों धीरे-धीरे आवाज़ की दिशा में बढ़ने लगे। जब वे उस कमरे में पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि वहाँ एक छाया जैसी आकृति खड़ी थी। यह आकृति एक बुजुर्ग व्यक्ति की आत्मा की तरह लग रही थी, जो लगातार रो रही थी। अर्जुन और राहुल दोनों भयभीत थे, लेकिन अर्जुन ने साहस दिखाया और आत्मा से पूछा, “”आप कौन हैं और यहाँ क्यों हैं?””

आत्मा ने धीरे-धीरे सिर उठाया और बोली, “”मैं इस हवेली का पूर्व मालिक हूँ। मेरी मृत्यु के बाद मेरे परिवार ने मुझे भुला दिया और मेरे अंतिम संस्कार की उचित विधि नहीं की। इसी कारण मेरी आत्मा इस हवेली में भटक रही है, मुझे शांति नहीं मिल पा रही है। मैं यहाँ बंद हूँ, क्योंकि मेरे अपने ही मुझे भुला चुके हैं।”(Bhoot Ki Kahani)

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अर्जुन को आत्मा की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन वह समझ गया कि यह आत्मा वास्तव में मदद चाहती है। अर्जुन ने आत्मा से पूछा, “मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूँ?” आत्मा ने जवाब दिया, “अगर तुम मेरे परिवार को यहाँ बुलाकर उन्हें मेरी याद दिलाओ और मेरे अंतिम संस्कार की उचित विधि कराओ, तो मैं इस संसार से मुक्त हो सकता हूँ।”

अर्जुन ने आत्मा को आश्वासन दिया कि वह उसकी मदद करेगा। राहुल अब भी थोड़ा डर रहा था, लेकिन अर्जुन की दृढ़ता और साहस ने उसे भी हिम्मत दी। दोनों दोस्त हवेली से बाहर निकले और सीधे गाँव के बुजुर्गों के पास पहुँचे। अर्जुन ने उन्हें सारी घटना सुनाई, लेकिन शुरू में किसी ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया।

हालांकि, अर्जुन ने अपनी सच्चाई और दृढ़ विश्वास के साथ बुजुर्गों को मनाया। गाँव के बुजुर्गों ने परिवार को हवेली में बुलाने का निर्णय लिया। आत्मा के परिवार के लोग, जो अब गाँव के दूसरे हिस्सों में रह रहे थे, हवेली में बुलाए गए। अर्जुन ने उन्हें आत्मा की इच्छा बताई और कहा कि अगर वे अपने पूर्वज को सम्मान और शांति नहीं देंगे, तो उनकी आत्मा इसी तरह भटकती रहेगी।

परिवार ने अर्जुन की बात मानी और उन्होंने आत्मा के लिए एक उचित अंतिम संस्कार का आयोजन किया। विधियों के अनुसार जब अंतिम संस्कार पूरा किया गया, तो हवेली के अंदर का माहौल अचानक से बदल गया। आत्मा की छाया अब शांत हो गई और उसने अर्जुन और राहुल का धन्यवाद करते हुए कहा, “”तुम्हारी मदद से मुझे अब शांति मिल गई है। अब मैं मुक्त हूँ।”” और धीरे-धीरे आत्मा हवेली से गायब हो गई।

अर्जुन और राहुल ने राहत की सांस ली। हवेली अब किसी भी भूतिया कहानी का हिस्सा नहीं रही। गाँव के लोग, जो पहले अर्जुन की बातों पर विश्वास नहीं करते थे, अब उसकी बहादुरी और साहस की प्रशंसा करने लगे। हवेली को लेकर जो डर और भय गाँव वालों के दिलों में था, वह अब पूरी तरह से खत्म हो चुका था। (Bhoot Ki Kahani)

Bhoot Ki Kahani मोरल ऑफ द स्टोरी:

Bhoot Ki Kahani का यह भाग हमें यह सिखाता है कि सच्चाई का सामना करने और दूसरों की मदद करने का साहस दिखाना बहुत महत्वपूर्ण है। अर्जुन ने न केवल अपनी जिज्ञासा को शांत किया, बल्कि एक आत्मा को मुक्ति भी दिलाई। जब हम अपने डर का सामना करते हैं और दूसरों की मदद करने का संकल्प लेते हैं, तो हम न केवल खुद को, बल्कि दूसरों को भी शांति और खुशी प्रदान कर सकते हैं। सच्चाई और मदद का फल हमेशा अच्छा ही होता है।

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