Beautiful Horse भाग 1
Beautiful Horse- कहानी की शुरुआत एक खूबसूरत घोड़े से होती है, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन एक विशाल और हरे-भरे मैदान में हर दिन चरने के लिए जाया करता था। घास के लहराते हुए मैदान और आस-पास फैले पहाड़ों की सुंदरता उसके दिल को मोह लेती थी। वह दिन भर अपनी स्वतंत्रता का आनंद लेता और अपनी पूरी शक्ति के साथ दौड़ता, लेकिन एक भय हमेशा उसकी शांति को भंग करता था। इस हरे-भरे मैदान के पास एक घना जंगल था, जहाँ से कई बार उसने एक बाघ को आते देखा था। बाघ की गरज और उसकी पैनी आँखें अर्जुन को बेचैन कर देती थीं।
हर दिन जब अर्जुन मैदान में चरने जाता, वह चारों ओर चौकन्नी निगाहों से देखता रहता। उसकी मन में हमेशा यही चिंता रहती कि बाघ कहीं से भी आ सकता है और उसे अपना शिकार बना सकता है। अर्जुन कई बार यह सोचता कि वह इस स्थान को छोड़कर किसी सुरक्षित जगह चला जाए, लेकिन यह हरा-भरा मैदान उसके दिल के करीब था। वह चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पाता था।
बाघ की उपस्थिति ने अर्जुन के दिल में बाघ के प्रति एक गहरा, स्थायी डर घर कर गया था। हर बार जब वह घास चरने जाता, उसके कानों में हल्की सी भी आवाज़ सुनाई देती, तो वह सतर्क हो जाता। उसकी मांसपेशियाँ कस जातीं, और उसकी आँखें लगातार जंगल की ओर देखती रहतीं। अर्जुन को लगता था कि बाघ कभी भी अचानक हमला कर सकता है। हालांकि, वह जानता था कि भागने की उसकी क्षमता शानदार है, लेकिन फिर भी बाघ की ताकत और क्रूरता ने उसे असहाय महसूस कराया।
दिन बीतते गए, और अर्जुन का यह डर उसकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करने लगा। पहले जहाँ वह खुले दिल से मैदान में दौड़ा करता था, अब वह हमेशा सतर्क और चिंतित रहने लगा। हर सुबह, जब वह चरने जाता, उसके दिल में यही सवाल रहता कि क्या आज बाघ फिर से आएगा? क्या वह सुरक्षित रहेगा? इस डर के कारण उसकी नींद भी प्रभावित होने लगी। उसने अपने कुछ दोस्तों से बात की, लेकिन कोई भी उसकी मदद नहीं कर सका। सबने उसे सावधान रहने की सलाह दी, लेकिन कोई भी उसे इस समस्या से निजात दिलाने का रास्ता नहीं बता सका।
एक दिन, जब अर्जुन मैदान में अकेले चर रहा था, अचानक उसने एक अजनबी व्यक्ति को देखा। यह व्यक्ति एक शिकारी था, जिसकी पीठ पर एक बंदूक लटकी हुई थी और चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा था। अर्जुन पहले तो घबरा गया, क्योंकि यह चेहरा उसके लिए अजनबी था। लेकिन शिकारी ने मुस्कराते हुए उसका स्वागत किया और कहा, “घबराओ मत, मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। मेरा नाम विक्रम है, और मैं इस जंगल के आसपास शिकार करता हूँ।”
अर्जुन को थोड़ी राहत मिली, और उसने धीरे-धीरे शिकारी से बातचीत करना शुरू किया। उसने शिकारी को अपने डर के बारे में बताया, कि कैसे बाघ की उपस्थिति ने उसकी ज़िंदगी को तनावपूर्ण बना दिया है। अर्जुन ने शिकारी से कहा, “मैं इस मैदान से बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन बाघ का डर मुझे चैन से नहीं रहने देता। मैं यहाँ से दूर नहीं जा सकता, पर यहाँ रहना भी अब मुश्किल हो रहा है।” (Beautiful Horse)
विक्रम ने अर्जुन की बात ध्यान से सुनी और उसे आश्वासन दिया, “तुम्हें अब डरने की ज़रूरत नहीं है। मेरे पास बंदूक है, और मैं बाघ से तुम्हारी रक्षा कर सकता हूँ। यदि तुम मेरे साथ रहोगे, तो तुम्हें कोई भी खतरा महसूस नहीं होगा। मैं यहाँ जंगल में शिकार करने आया हूँ, और इस इलाके को अच्छी तरह जानता हूँ। बाघ जैसे जानवर से निपटना मेरे लिए मुश्किल नहीं है।”
अर्जुन ने शिकारी की बातों पर विश्वास किया। उसे लगा कि शायद यही उसका समाधान हो सकता है। विक्रम की बातों ने अर्जुन के दिल में एक नई उम्मीद जगा दी। उसने सोचा कि यदि वह विक्रम के साथ रहेगा, तो उसे बाघ से डरने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। शिकारी ने भी उसे भरोसा दिलाया कि वह उसके साथ रहेगा और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “Beautiful Horse"| Hindi Kahani | हिंदी कहानी | Hindi Story" यह एक Motivational Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Short Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
विक्रम ने अर्जुन को साथ रहने की सलाह देते हुए कहा, ‘मैं तुम्हें सुरक्षित रखूँगा। उसने कहा, “मैं रोज़ तुम्हारे साथ यहाँ इस मैदान में आऊँगा और तुम्हें बाघ से सुरक्षित रखूँगा। तुम निश्चिंत होकर घास चर सकते हो और दौड़ सकते हो, क्योंकि मैं हमेशा यहाँ रहूँगा और किसी भी खतरे से तुम्हारी रक्षा करूँगा।” अर्जुन को विक्रम की बातों में सच्चाई नजर आई और उसने शिकारी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। उसे अब लगता था कि उसकी समस्याओं का समाधान मिल गया है। (Beautiful Horse)
अर्जुन अब विक्रम पर पूरी तरह निर्भर हो गया और वे रोज़ मैदान में एक साथ जाने लगे। शिकारी मैदान के किनारे बैठकर अपने काम में व्यस्त रहता और अर्जुन खुले दिल से चरता और दौड़ता। उसे अब बाघ का कोई डर नहीं था। वह पहले की तरह आज़ादी से मैदान का आनंद लेने लगा था। अब उसे चारों ओर नजरें घुमाने की ज़रूरत नहीं थी, क्योंकि उसे पता था कि विक्रम उसकी रक्षा के लिए तैयार बैठा है।
समय बीतता गया, और अर्जुन को विक्रम पर पूरा भरोसा हो गया।अर्जुन को यह बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि विक्रम की मुस्कान के पीछे खतरनाक इरादे छिपे थे। वास्तव में, विक्रम ने अर्जुन से दोस्ती केवल इसलिए की थी ताकि वह उसकी मदद से बाघ का शिकार कर सके। विक्रम को पता था कि बाघ अर्जुन के पीछे आता है, और वह इस मौके का फायदा उठाकर बाघ को मारना चाहता था। (Beautiful Horse)
विक्रम ने अर्जुन से कहा, “तुम्हें अब बाघ से डरने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि मैं यहाँ हूँ। लेकिन तुम्हें मेरी एक बात माननी होगी। जब भी तुम बाघ को देखो, तो मुझे तुरंत बता देना। मैं उस समय बाघ पर हमला करूँगा और उसे हमेशा के लिए खत्म कर दूँगा।” अर्जुन, जो विक्रम पर पूरा विश्वास करने लगा था, ने उसकी बात मान ली।
विक्रम का असली मकसद बाघ का शिकार करना था। उसे बाघ की खाल और उसके अंगों की बहुत ऊँची कीमत मिल सकती थी, और यही कारण था कि वह अर्जुन की मासूमियत का फायदा उठा रहा था। विक्रम ने अपने शिकार की योजना को अंतिम रूप देना शुरू किया, बाघ के प्रति उसकी आँखों में लालच और शिकार की चमक साफ झलक रही थी। अर्जुन को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि शिकारी के मन में क्या चल रहा है। उसे लगता था कि विक्रम उसकी भलाई के लिए उसकी मदद कर रहा है।
एक दिन, जब अर्जुन मैदान में चर रहा था, उसने जंगल के किनारे पर कुछ हलचल महसूस की। वह तुरंत सतर्क हो गया, लेकिन अब उसे विक्रम की सुरक्षा का भरोसा था, इसलिए उसने ज्यादा चिंता नहीं की। कुछ देर बाद, अर्जुन ने देखा कि बाघ मैदान के किनारे से उसकी ओर देख रहा है। अर्जुन ने विक्रम को बुलाया और बताया कि बाघ पास ही है। यह सुनकर विक्रम तैयार हो गया, उसकी आँखों में एक शिकार करने वाले शिकारी की चमक थी।
विक्रम ने अपनी बंदूक तैयार की और बाघ के करीब जाने की कोशिश की। लेकिन बाघ काफी चालाक था। वह मैदान में सीधे नहीं आया, बल्कि धीरे-धीरे जंगल की ओर लौटने लगा। विक्रम ने उसे तुरंत मारने का प्रयास नहीं किया, क्योंकि वह जानता था कि यह मौका उसके लिए अभी भी सही नहीं था। वह चाहता था कि बाघ पूरी तरह से उसके निशाने पर आ जाए।
Beautiful Horse कहानी का भविष्य
अर्जुन अब शिकारी पर पूरी तरह निर्भर हो गया था, लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी इस निर्भरता के पीछे एक बड़ा धोखा छिपा हुआ है। शिकारी की योजना और बाघ का खतरा दोनों ही अर्जुन के भविष्य को प्रभावित करेंगे। आगे की कहानी में पता चलेगा कि क्या विक्रम अपनी योजना में सफल होता है या बाघ उसे मात देता है। क्या अर्जुन इस सच्चाई को समझ पाएगा और खुद को और अपने जीवन को सुरक्षित रख पाएगा? (Beautiful Horse)
कहानी यहाँ समाप्त नहीं होती। आगे के भाग में अर्जुन, शिकारी और बाघ की मुलाकात के बाद क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
अर्जुन, घोड़ा, शिकारी विक्रम की बातों से पूरी तरह प्रभावित हो चुका था। विक्रम के साथ बिताए कुछ हफ्तों के बाद, अर्जुन को यह विश्वास हो गया था कि अब उसे बाघ से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। शिकारी ने उसकी सुरक्षा का जिम्मा उठाया था, और यह बात अर्जुन को मानसिक रूप से शांति प्रदान कर रही थी। हालाँकि, धीरे-धीरे एक नया बदलाव उसकी जिंदगी में आया। एक दिन, जब विक्रम ने अर्जुन से कहा, “”तुम्हारी सुरक्षा के लिए तुम्हें अब इस मैदान से दूर मेरे नगर के अस्तबल में रहना होगा,”” तो अर्जुन थोड़ा असहज हुआ। उसे अपने खुले मैदान, हरियाली, और स्वतंत्रता की याद आई, लेकिन विक्रम की सुरक्षा के वादे ने उसे फिर से संतुष्ट कर दिया।
Beautiful Horse भाग 2
शिकारी विक्रम ने अर्जुन को अस्तबल में बाँध दिया, जहाँ कई अन्य घोड़े भी थे। यह अस्तबल आरामदायक था, लेकिन यह अर्जुन के लिए एक कैद की तरह लगने लगा। पहले जहाँ अर्जुन हरे-भरे मैदानों में दौड़ता था, अब वह एक तंग जगह में बंद था। अस्तबल की चारदीवारी उसे बाघ से बचा तो रही थी, पर उसे आज़ादी की भावना से भी दूर कर रही थी।
अस्तबल में रहते हुए, अर्जुन को पहले दिन ही एहसास हुआ कि कुछ ग़लत है। यहाँ न तो खुली हवा थी, न हरी घास और न ही वह स्वतंत्रता, जिसका वह आदी था। उसने महसूस किया कि वह सुरक्षित तो है, लेकिन यह सुरक्षा उसे उसकी आज़ादी की कीमत पर मिली थी। अर्जुन को यह अहसास हुआ कि उसने बाघ के डर से बचने के लिए अपनी सबसे मूल्यवान चीज़, स्वतंत्रता, को खो दिया था।
अस्तबल में हर रोज़ खाना और आराम मिलना निश्चित था, लेकिन अर्जुन को अंदर ही अंदर बेचैनी महसूस होने लगी थी। वह रोज़ सुबह की ताजगी, दौड़ने की ख़ुशी, और हरे मैदानों में बिताए लम्हों को याद करने लगा। शिकारी विक्रम अब उसे अपने नगर में लोगों के सामने दिखाने लगा। वह अर्जुन की ताकत और सुंदरता का बखान करता और उसे नगर के दूसरे घोड़ों से श्रेष्ठ साबित करने की कोशिश करता।
शिकारी के नगर में अर्जुन अब एक संपत्ति बन चुका था। उसकी देखभाल तो हो रही थी, लेकिन वह सिर्फ अपने मालिक की शोभा और उसकी संपत्ति का एक हिस्सा भर था। उसे अपने पुराने दिनों की याद सताने लगी। वह सोचने लगा, “”मैं बाघ के डर से भागकर यहाँ आया, लेकिन अब मैं खुद को और ज़्यादा कैद महसूस करता हूँ। क्या यह सुरक्षा वास्तव में मूल्यवान है अगर मैं अपनी स्वतंत्रता खो चुका हूँ?””
अर्जुन अब इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हो चुका था कि उसे अपनी सुरक्षा की कीमत पर बहुत कुछ खोना पड़ा है। एक दिन, नगर के बाहर से बाघ के दहाड़ने की आवाज़ आई। यह वही बाघ था जो पहले अर्जुन को डराता था। अर्जुन ने सोचा कि अब वह बाघ के सामने कभी नहीं जाएगा, क्योंकि वह अब अस्तबल में बंद है। लेकिन बाघ की दहाड़ उसे फिर से जंगल और अपने पुराने जीवन की याद दिलाने लगी। अर्जुन को अब अपने फैसले पर पछतावा होने लगा।
उसने सोचा, “”मैंने बाघ के डर से अपनी आज़ादी त्याग दी, लेकिन क्या यह सही था? मैंने वह आज़ादी खो दी जो मुझे सच में खुशी देती थी।””
शिकारी विक्रम ने अर्जुन को अपने कब्जे में रखने का एक और फायदा देखा। वह अर्जुन का इस्तेमाल अपनी संपत्ति बढ़ाने के लिए करने लगा। उसने अर्जुन को अपने नगर के दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए बाध्य किया। अर्जुन को अपनी इच्छा के विरुद्ध दौड़ाया जाता, और शिकारी उस पर दांव लगाकर पैसा कमाने लगा। अर्जुन को अब न केवल अपनी आज़ादी की कमी खल रही थी, बल्कि वह अपने नए जीवन से पूरी तरह असंतुष्ट हो गया था।
हर दिन, उसे अब अहसास होता जा रहा था कि उसने विक्रम की सुरक्षा के बदले में अपनी पूरी जिंदगी को एक नए बंधन में बाँध लिया था। अस्तबल के बाहर के जीवन में जोखिम था, लेकिन अब वह समझ गया था कि जोखिम उठाकर जीना ही असली जीवन है।
कुछ समय बाद, अर्जुन ने तय किया कि वह अब और इस बंदी जीवन को बर्दाश्त नहीं कर सकता। उसे अपने पुराने जीवन की यादें सताने लगीं—खुला मैदान, ताजगी भरी हवा, और स्वतंत्रता का आनंद। वह जानता था कि बाघ का डर अब भी बना रहेगा, लेकिन उसने यह भी समझ लिया था कि सुरक्षा के नाम पर अपनी आज़ादी खोना एक बड़ी गलती थी।
अर्जुन ने एक रात को चुपचाप अस्तबल से भागने का फैसला किया। वह जानता था कि शिकारी उसे फिर से पकड़ने की कोशिश करेगा, लेकिन अब उसे अपनी आज़ादी को किसी भी कीमत पर वापस पाना था। उसने अपने दिल में ठान लिया कि वह किसी भी खतरे का सामना करेगा, लेकिन कभी फिर से कैद नहीं होगा।
एक रात, जब सभी सो रहे थे, अर्जुन ने अस्तबल का दरवाजा जोर से धकेला और बाहर निकल आया। वह खुले मैदान की ओर दौड़ा। उसे महसूस हुआ कि अब वह वापस अपनी आज़ादी की तरफ लौट रहा है। उसकी टांगों में वही पुरानी ताकत थी, और उसकी आँखों में एक नया आत्मविश्वास। (Beautiful Horse)
अर्जुन ने सोचा, “”मैं अपनी आज़ादी के बिना जी नहीं सकता। भले ही बाघ का डर मेरे जीवन का हिस्सा रहेगा, लेकिन अब मैं उस डर के साथ जीने के लिए तैयार हूँ।”
वह पूरे वेग से दौड़ता हुआ अपने पुराने मैदान की ओर चला गया। जब वह वहाँ पहुँचा, तो उसने चारों ओर देखा और महसूस किया कि यह वही जगह थी जहाँ वह सबसे खुश रहता था। उसने अब यह ठान लिया था कि वह यहाँ फिर से रहेगा, चाहे बाघ हो या कोई और खतरा।
जब शिकारी विक्रम को पता चला कि अर्जुन अस्तबल से भाग गया है, उसने उसकी तलाश की, लेकिन अर्जुन अब बहुत दूर जा चुका था। विक्रम ने महसूस किया कि उसने अर्जुन को केवल एक वस्तु की तरह देखा और उसकी आत्मा को समझने की कोशिश नहीं की। उसने उसे सुरक्षित रखा, लेकिन उसकी आज़ादी छीन ली, जो उसके लिए सबसे कीमती थी।
अर्जुन ने अब सीख लिया था कि जीवन में चुनौतियाँ और जोखिम हमेशा रहेंगे, लेकिन आज़ादी के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। वह फिर से अपने पुराने मैदान में लौट आया, जहाँ वह अब पहले से ज्यादा संतुष्ट और आत्मविश्वासी था।
उसे यह समझ में आ गया था कि सुरक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर वह आज़ादी की कीमत पर मिलती है, तो वह सुरक्षा भी बेमानी हो जाती है। अर्जुन ने तय किया कि वह अब अपनी जिंदगी खुद जियेगा, चाहे उसके सामने कितने भी खतरे क्यों न हों। (Beautiful Horse END)
Beautiful Horse नैतिक शिक्षा
दूसरी तरफ हरा हमेशा अधिक हरा नहीं होता है। अर्जुन ने बाघ के डर से बचने के लिए अपनी आज़ादी का त्याग कर दिया, लेकिन अंत में उसने समझा कि सुरक्षा का कोई मूल्य नहीं है यदि वह आज़ादी की कीमत पर मिले। जीवन में जोखिम उठाना जरूरी है, क्योंकि वही हमें सच्चे अर्थों में स्वतंत्र बनाता है।
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