आपकी कीमत | Apki Kimat | Kahani | Hindi Kahani

Apki Kimat भाग 1: शिष्य का प्रश्न और पत्थर की यात्रा

Apki Kimat- गौतम बुद्ध के साथ बिताए गए समय ने शिष्य के जीवन में असीम ज्ञान का संचार किया था, लेकिन उसके मन में अब भी कई सवाल उमड़-घुमड़ रहे थे। एक दिन उसने बुद्ध से पूछा, “गुरुजी, जीवन का मूल्य क्या है? हम इसका सही अर्थ कैसे समझ सकते हैं?”

बुद्ध ने अपने धीरज और सादगी के साथ शिष्य की ओर देखा और उसे एक चमकता हुआ पत्थर थमाया। पत्थर साधारण दिखता था, लेकिन उसकी चमक और संरचना कुछ खास थी। बुद्ध बोले, “इस पत्थर को लेकर बाजार जाओ और इसका मूल्य जानने का प्रयास करो, लेकिन ध्यान रहे, इसे बेचना नहीं है।”
शिष्य को यह कार्य थोड़ा अजीब लगा, लेकिन बुद्ध के आदेश पर वह बिना सवाल किए चल पड़ा।

शिष्य ने सबसे पहले बाजार के प्रवेश द्वार पर खड़े एक अमरूद बेचने वाले के पास जाने का निर्णय किया। वह अमरूद बेचने वाला उसकी ओर बड़े ही कौतुहल से देखने लगा जब शिष्य ने उसे पत्थर दिखाया। पत्थर की चमक से आकर्षित होकर अमरूद बेचने वाला बोला, “यह पत्थर बहुत ही सुन्दर और अद्भुत है। मैं इसे 12 अमरूदों के बदले लेना चाहूंगा।”

शिष्य ने सोचा कि अमरूद बेचने वाला इसे मामूली समझ रहा है, शायद पत्थर की असली कीमत उसे समझ नहीं आई। लेकिन बुद्ध ने कहा था कि इसे बेचना नहीं है, इसलिए उसने विनम्रता से अमरूद बेचने वाले का प्रस्ताव ठुकरा दिया और आगे बढ़ गया। (Apki Kimat)

Apki-Kimat
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इसके बाद शिष्य ने दूसरे व्यापारी, जो आलू बेचता था, से बात की। आलू बेचने वाले ने भी पत्थर को बड़ी दिलचस्पी से देखा और बोला, “मुझे यह पत्थर पसंद है। मैं इसके बदले एक पूरी बोरी आलू देने के लिए तैयार हूँ।”

शिष्य ने सोचा, क्या इस पत्थर की वास्तविक कीमत इतनी कम है कि इसे आलू के बदले दिया जा रहा है? वह सोचने लगा कि शायद यह पत्थर वास्तव में इतना मूल्यवान नहीं है, जैसा कि उसने सोचा था। लेकिन बुद्ध का आदेश याद कर वह चुपचाप आगे बढ़ता गया।

अब शिष्य एक सुनार की दुकान के पास पहुंचा। सुनार का काम था सोने और चांदी की वस्तुओं को बेचने और उनके मूल्य का निर्धारण करना। शिष्य ने जब पत्थर सुनार को दिखाया, तो उसके चेहरे पर एक आश्चर्यजनक भाव आया। वह पत्थर को ध्यान से देखता रहा और उसके बाद बोला, “यह पत्थर अनमोल है। मैं तुम्हें इसके बदले 50 लाख रुपये देने को तैयार हूँ।”

शिष्य को सुनार का यह प्रस्ताव चौंकाने वाला लगा। उसने सोचने की कोशिश की कि यह वही पत्थर है, जिसे अमरूद बेचने वाला 12 अमरूदों के बदले लेने को तैयार था और आलू बेचने वाला एक बोरी आलू। लेकिन अब सुनार इसके बदले 50 लाख रुपये देने की पेशकश कर रहा है!

जब शिष्य ने उसे बेचना मना किया, तो सुनार और भी ज्यादा उत्साहित हो गया। उसने तुरंत अपना प्रस्ताव बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया। अब शिष्य के मन में और भी सवाल उठने लगे। यह पत्थर आखिर इतना मूल्यवान क्यों है? सुनार इसका इतना बड़ा मूल्य क्यों दे रहा है?

शिष्य ने उसे मना कर दिया और आगे बढ़ गया, लेकिन अब उसका मन भारी हो चुका था। पत्थर की कीमत कैसे इतनी बदल सकती है? क्या वास्तव में इस पत्थर का मूल्य तय करना संभव है?

अंत में, शिष्य ने एक हीरा-जौहरी की दुकान पर जाने का निश्चय किया। जौहरी का काम अनमोल रत्नों को परखना और उनके मूल्य का आकलन करना था। जैसे ही जौहरी ने पत्थर देखा, उसकी आँखों में चमक आ गई। उसने पत्थर को उठाया और बड़े ध्यान से परखा। कुछ क्षणों के बाद वह बोला, “यह कोई साधारण पत्थर नहीं है। यह एक बेशकीमती रूबी है, जिसकी कीमत तुम्हारे पूरे राज्य से भी अधिक है।”

अब शिष्य को यह बात स्पष्ट हो गई कि पत्थर की कीमत लोगों की समझ और नजरिए पर निर्भर करती है। कोई इसे साधारण पत्थर समझेगा, तो कोई इसे अमूल्य रत्न। जौहरी के शब्दों ने उसके भीतर की जिज्ञासा को और बढ़ा दिया। अब वह अपने गुरु बुद्ध के पास वापस जाकर इस रहस्य का समाधान जानना चाहता था। (Apki Kimat)

शिष्य बुद्ध के पास लौटा और अपने अनुभवों का वर्णन किया। उसने बताया कि अमरूद बेचने वाला पत्थर को 12 अमरूदों के बदले लेना चाहता था, आलू बेचने वाला एक बोरी आलू के बदले, जबकि सुनार ने पहले 50 लाख रुपये और फिर 2 करोड़ रुपये की पेशकश की। लेकिन जब वह जौहरी के पास पहुंचा, तो उसने पत्थर को एक अमूल्य रूबी बताया, जिसकी कीमत पूरे राज्य से भी अधिक थी।

बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा, “इस पत्थर की तरह, जीवन का मूल्य भी उस दृष्टिकोण पर निर्भर करता है जिससे तुम इसे देख रहे हो। जब तुम स्वयं को समझने लगोगे, तब तुम्हारा मूल्य उन चीजों से परे होगा जो संसार में भौतिक दृष्टिकोण से मानी जाती हैं। लोग तुम्हें अपने हिसाब से आंकेंगे, लेकिन तुम्हारी असली पहचान और मूल्य तुम्हारे भीतर छिपा हुआ है, और वही तुम्हें सबसे मूल्यवान बनाता है।”(Apki Kimat)

बुद्ध की यह बात शिष्य के हृदय में गहराई से बैठ गई। उसने सीखा कि जीवन का मूल्य बाहरी वस्त्रों और धारणाओं में नहीं होता, बल्कि आत्मबोध और आंतरिक समझ में होता है। जैसे-जैसे शिष्य ने इस शिक्षा को आत्मसात किया, उसने यह भी समझा कि जीवन का वास्तविक अर्थ हमारी स्वयं की जागरूकता और आंतरिक शांति से निर्धारित होता है, न कि बाहरी दुनिया के मूल्यांकन से।

Apki Kimat भाग 2: बुद्ध की शिक्षा और कहानी का संदेश

शिष्य का मन अभी भी पहले भाग की यात्रा से उत्पन्न प्रश्नों से भरा हुआ था। वह बुद्ध के पास लौटा और अपने अनुभवों को विस्तार से साझा किया। उसने बताया कि कैसे हर व्यक्ति ने उसी चमकते पत्थर की अलग-अलग कीमत लगाई—कोई उसे अमरूदों के बदले लेना चाहता था, कोई आलू के, जबकि सुनार और जौहरी ने इसे बेशकीमती बताया।

बुद्ध ने शांतिपूर्वक उसकी बातों को सुना। शिष्य ने अंत में कहा, “गुरुजी, यह पत्थर वास्तव में बहुत मूल्यवान था, लेकिन हर किसी ने उसकी कीमत अलग-अलग लगाई। क्यों?”

बुद्ध मुस्कुराए और बोले, “यह पत्थर सिर्फ एक प्रतीक था। यह तुम्हारे जीवन का प्रतिबिंब है। जीवन में, लोग तुम्हारी कीमत अपनी समझ, अपने अनुभव और अपनी जरूरतों के अनुसार लगाते हैं। लेकिन तुम्हारी असली कीमत न तो उनकी राय में होती है और न ही उनके मूल्यांकन में। असली मूल्य तुम्हारे कर्मों, तुम्हारी अद्वितीयता, और तुम्हारे भीतर के आत्मबोध में निहित है।”

शिष्य के चेहरे पर उलझन के भाव देख, बुद्ध ने आगे कहा, “जब तुम बाजार गए, तो हर व्यक्ति ने पत्थर की कीमत उस वस्तु से मापी जिसे वह पहचानता था। अमरूद बेचने वाले के लिए वह सिर्फ 12 अमरूदों की कीमत का था, क्योंकि उसकी समझदारी अमरूदों से ही सीमित थी। आलू बेचने वाले के लिए पत्थर की कीमत आलू जितनी थी। लेकिन जब तुम सुनार और जौहरी के पास गए, जो रत्नों की असली कीमत जानते थे, उन्होंने पत्थर को उसके असली मूल्य के करीब पहचाना।” (Apki Kimat)

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बुद्ध ने समझाया, “इसी तरह, जीवन में कुछ लोग तुम्हें छोटा आंकेंगे, कुछ तुम्हारे काम और क्षमता को पहचानने में सक्षम होंगे, और कुछ ऐसे होंगे जो तुम्हारे भीतर छिपी अनंत संभावनाओं को देख सकेंगे। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि तुम स्वयं अपनी पहचान को समझो। यदि तुम अपनी कीमत दूसरों के आकलन पर छोड़ दोगे, तो तुम कभी अपनी असली शक्ति और आत्मा को नहीं पहचान पाओगे।”

बुद्ध ने कुछ प्रेरणादायक व्यक्तियों के उदाहरण देते हुए कहा, “तुम्हारे जीवन का उद्देश्य सिर्फ दूसरों की राय के अनुसार जीना नहीं है। जो लोग अपनी पहचान जानते हैं, वे दुनिया की नकारात्मकता से विचलित नहीं होते। उदाहरण के लिए, जैक मा को कितने ही लोगों ने नकारा। एक समय था जब उसे कहीं नौकरी नहीं मिली, और लोग उसकी योग्यता पर सवाल उठाते थे। लेकिन उसने खुद की क्षमता को पहचाना और अपनी मेहनत के बल पर आज वह पूरी दुनिया में एक सफल उद्यमी के रूप में जाना जाता है।” (Apki Kimat)

बुद्ध ने आगे कहा, “बर्नार्ड शॉ भी एक ऐसा ही उदाहरण है। उसे अपने जीवन के शुरुआती दिनों में बहुत उपहास सहना पड़ा। लेकिन उसने दूसरों की नकारात्मक राय को अपनी क्षमता पर हावी नहीं होने दिया। उसने अपनी पहचान खुद बनाई और अपने कर्मों से साबित किया कि वह कितनी महान शख्सियत है।”

शिष्य के मन में अब सवालों के बजाय स्पष्टता थी। वह समझ चुका था कि जीवन का मूल्य हमारी अपनी दृष्टि में निहित होता है, न कि दूसरों की राय में।

बुद्ध ने शिष्य से कहा, “अब तुमने यह समझ लिया है कि जीवन का मूल्य बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार में होता है। लेकिन यह शिक्षा यहीं समाप्त नहीं होती। आत्म-साक्षात्कार की दिशा में पहला कदम है आत्म-बोध, और इसके लिए जरूरी है कि तुम अपने मन और हृदय में झांको। यह यात्रा तुम्हें खुद से जोड़ने की है, और जब तुम इसे पूरी तरह से समझ लोगे, तब तुम्हें दूसरों के विचारों और मूल्यांकनों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”

शिष्य अब पूरी तरह से जागरूक था कि जीवन की असली कीमत उसकी अपनी आत्म-जागरूकता, कर्मों और भीतर की शांति में है। वह यह भी समझ गया था कि जो लोग उसे समझते नहीं हैं, वे उसकी कीमत नहीं लगा सकते, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह कम मूल्यवान है। बल्कि, उसकी असली कीमत उसके अपने भीतर छिपी हुई है।

Apki Kimat कहानी का सार और संदेश

बुद्ध की यह शिक्षा शिष्य को एक गहरे और महत्वपूर्ण सत्य से अवगत कराती है—हर व्यक्ति का जीवन अनमोल है, और उसकी असली कीमत उसकी अपनी समझ, दृष्टि और कर्मों से निर्धारित होती है, न कि दूसरों की राय से। हम चाहे जितने भी महान कार्य करें, कुछ लोग हमें सीमित दृष्टिकोण से देखेंगे, लेकिन हमें उनके विचारों में उलझना नहीं चाहिए। हमारा जीवन हमारी अपनी यात्रा है, और हमें अपने भीतर की अनमोलता को पहचानना है।

Apki Kimat नैतिक शिक्षा:

खुद को जानो: जीवन की असली कीमत बाहरी संपत्ति या प्रतिष्ठा में नहीं, बल्कि आत्म-बोध और कर्मों में होती है। हमें अपने भीतर की शक्ति और क्षमता को पहचानना चाहिए।

दूसरों की राय पर निर्भर न रहें: लोग अपनी समझ और सीमित दृष्टिकोण से हमारी कीमत आंकते हैं। हमें उनके विचारों से विचलित होने की बजाय अपनी खुद की पहचान को समझना चाहिए।

सत्य की खोज: आत्म-साक्षात्कार और सत्य की खोज ही जीवन का असली उद्देश्य है। जब हम खुद को पहचानते हैं, तब हम जीवन की असली मूल्यवत्ता को समझ पाते हैं।

इस Apki Kimat कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में हमारी असली कीमत दूसरों के आकलन पर निर्भर नहीं होती। असली पहचान और मूल्य हमारे भीतर छिपा हुआ है, जिसे हमें खुद खोज निकालना है।”

थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि Apki KimatKahani Hindi Short Story | हिंदी कहानी कैसी लगी |
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