Kauwa Aur Saap Ki Kahani भाग 1: खतरे की आहट
Kauwa Aur Saap Ki Kahani– काले कौवा और उसका परिवार: घने जंगल के बीचोंबीच एक विशाल, हरे-भरे पेड़ के ऊँचे घोंसले में, कौवा काले अपने परिवार के साथ सुरक्षित और खुशहाल जीवन जी रहा था। काले की पत्नी, काली, और उनके तीन छोटे बच्चे, पीयू, चिकी, और मोना, उस पेड़ पर बने घोंसले में सुरक्षित रहते थे। काले और काली अपने बच्चों से बेहद प्यार करते थे और उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा सतर्क रहते थे। काले को अपनी चतुराई और बुद्धिमत्ता के लिए पूरे जंगल में सम्मानित किया जाता था, और वह जंगल के सभी जानवरों का मित्र था।
नागू साँप का परिचय: उसी पेड़ की जड़ों के पास, एक गहरे और संकरे बिल में, खतरनाक और चालाक नागू साँप निवास करता था। नागू जंगल के अन्य जानवरों में आतंक का पर्याय था। उसकी लालच भरी आँखें हमेशा किसी शिकार की तलाश में रहती थीं। जंगल के छोटे जानवर और पक्षी उससे डरते थे, क्योंकि वह कभी भी अचानक उन पर हमला कर सकता था। नागू का मकसद था जंगल में जितना संभव हो, उतने जीवों को शिकार बनाना और अपने भय का साम्राज्य फैलाना।
एक दिन, नागू ने काले और उसके परिवार को पेड़ के ऊपर देख लिया। उसके मन में तुरंत खतरनाक योजना बनने लगी। उसने सोचा कि अगर वह काले के बच्चों को पकड़ ले, तो उसका पेट भी भर जाएगा और उसकी दहशत जंगल में और बढ़ जाएगी। वह धीरे-धीरे पेड़ के पास जाकर पेड़ पर चढ़ने का सोचने लगा।
नागू का इरादा बहुत खतरनाक था। उसने एक दिन पेड़ पर चढ़कर काले के बच्चों को घोंसले से बाहर निकालने और उन्हें अपना शिकार बनाने की योजना बनाई। वह बड़े धैर्य से उस दिन का इंतजार करने लगा, जब काले और उसकी पत्नी घर से बाहर हों और बच्चे अकेले घोंसले में हों।
लेकिन काले कौवा, जो अपनी सतर्कता और बुद्धिमानी के लिए जाना जाता था, को नागू के इरादों की भनक लग गई। एक दिन उसने देखा कि नागू उसके पेड़ के आसपास ज्यादा समय बिता रहा है और बार-बार उसकी ओर घूर रहा है। काले ने तुरंत समझ लिया कि नागू कुछ बड़ा करने की सोच रहा है।
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काले ने अपनी पत्नी काली से इस बारे में बात की और उन्हें भी सतर्क कर दिया। दोनों ने मिलकर तय किया कि उन्हें इस खतरनाक साँप से निपटने के लिए अपने दोस्तों की मदद लेनी चाहिए।
काले ने तुरंत अपने जंगल के दोस्तों की मदद लेने का फैसला किया। उसने सबसे पहले बंदर मोंटी से संपर्क किया, जो पेड़ों पर तेजी से दौड़ने और कूदने के लिए मशहूर था। मोंटी ने काले की समस्या सुनी और तुरंत मदद के लिए तैयार हो गया। फिर काले ने गिलहरी चिकी से बात की, जो अपनी फुर्ती और तेजी के लिए जानी जाती थी। चिकी ने भी अपनी सहमति जताई और अपनी चतुराई से नागू को मात देने की योजना में शामिल हो गई। आखिर में, काले ने तोता टीटो से मदद मांगी, जो अपनी तेज नजरों और उड़ान के लिए प्रसिद्ध था।
सभी दोस्तों ने मिलकर नागू को हराने के लिए एक योजना बनाई। योजना यह थी कि जब नागू पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करेगा, तो मोंटी और चिकी उसे बीच रास्ते में रोकने का काम करेंगे। मोंटी अपनी तेजी से नागू का ध्यान भटकाएगा, जबकि चिकी उसे नीचे गिराने के लिए पेड़ की शाखाओं को हिलाएगी। इसी बीच, टीटो अपनी तेज उड़ान से आसमान में चक्कर लगाएगा और नागू की हरकतों पर नजर रखेगा। काले खुद पेड़ के ऊपर अपने बच्चों के पास रहेगा, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें बचा सके।
अगली सुबह, जैसे ही सूरज की किरणें जंगल को रोशनी से भरने लगीं, नागू अपने बिल से बाहर निकला। उसने एक बार फिर काले के पेड़ की ओर देखा और अपनी योजना को अंजाम देने के लिए तैयार हो गया। वह धीरे-धीरे पेड़ की ओर बढ़ने लगा, लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि काले और उसके दोस्तों ने पहले से ही उसकी हरकतों का जवाब देने की योजना बना रखी थी।
नागू जैसे ही पेड़ पर चढ़ने लगा, मोंटी ने पेड़ की एक ऊँची शाखा से उसकी ओर छपाक कर दिया। नागू ने अपनी पूरी ताकत से मोंटी पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन मोंटी ने अपनी तेजी से उसे धोखा दिया। इसी बीच, चिकी ने पेड़ की निचली शाखाओं को हिलाना शुरू कर दिया, जिससे नागू का संतुलन बिगड़ने लगा। नागू ने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन तभी टीटो ने आसमान से जोर-जोर से चीखना शुरू कर दिया, जिससे नागू का ध्यान और भटक गया।
काले अपने बच्चों को सुरक्षा देने के लिए घोंसले के और करीब आकर उन्हें अपने पंखों के नीचे समेट लिया।
Kauwa Aur Saap Ki Kahani भाग 2: बुद्धिमानी और एकता की जीत
जैसे ही नागू साँप पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करता है, बंदर मोंटी अपनी पूरी ताकत से पेड़ की शाखाओं को हिलाने लगता है। नागू, जो पहले ही सावधानी से ऊपर चढ़ रहा था, अब हिलती शाखाओं के कारण अपना संतुलन खोने लगता है। मोंटी की चालाकी और फुर्ती से नागू का चढ़ना मुश्किल हो जाता है।
उधर, गिलहरी चिकी ने नागू के बिल के पास मिट्टी और पत्तों का ढेर जमा करना शुरू कर दिया। वह बड़ी चालाकी से बिल का मुहाना बंद करने की कोशिश कर रही थी, ताकि नागू अगर बच भी जाए, तो वह वापस अपने बिल में नहीं जा सके। चिकी ने बहुत ही तेजी से काम करते हुए बिल को पूरी तरह से भर दिया।
तोता टीटो अपनी तेज और कर्कश आवाज में पूरे जंगल में जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसकी चीखें सुनकर बाकी जानवर सतर्क हो गए और सभी अपनी-अपनी जगह से निकलकर स्थिति का जायजा लेने लगे। नागू को समझ आ गया कि अब पूरा जंगल उसकी योजना के खिलाफ है, और वह खुद को घिरा हुआ महसूस करने लगा।
जब नागू ने आखिरकार पेड़ की ऊँचाई पर पहुँचने की कोशिश की, तो मोंटी ने एक और जोरदार धक्का देकर शाखा को और जोर से हिला दिया। नागू का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ गया, और वह तेजी से नीचे गिर गया। वह जमीन पर गिरते ही तुरंत अपने बिल की ओर भागा, लेकिन जैसे ही वह अपने बिल के पास पहुँचा, उसने देखा कि बिल का मुहाना मिट्टी और पत्तों से पूरी तरह से भर चुका है। नागू की हालत खराब हो गई, क्योंकि वह अब न तो पेड़ पर चढ़ पा रहा था और न ही अपने सुरक्षित ठिकाने पर वापस जा सकता था।
उसे समझ में आ गया कि काले और उसके दोस्तों की चतुराई ने उसे हरा दिया है। उसने एक आखिरी बार अपने आस-पास देखा और फिर अपनी हार मानते हुए जंगल छोड़ने का फैसला किया।
नागू के जंगल छोड़कर जाने के बाद, काले कौवा और उसके परिवार ने राहत की साँस ली। काले ने अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे सुरक्षित रखा और उन्हें समझाया कि यह सब उनके दोस्तों की मदद और उनकी एकता के कारण ही संभव हुआ है। (Kauwa Aur Saap Ki Kahani)
काले ने मोंटी, चिकी, और टीटो का दिल से धन्यवाद किया। सबने मिलकर खुशी मनाई और इस जीत का जश्न मनाया। जंगल के अन्य जानवर भी इस जीत से बहुत खुश हुए और उन्होंने भी काले और उसके दोस्तों की तारीफ की।
काले को इस घटना से यह सीख मिली कि कठिन समय में बुद्धिमानी और धैर्य से काम लेना बहुत जरूरी होता है। साथ ही, जब सब मिलकर किसी समस्या का सामना करते हैं, तो कोई भी मुश्किल उन्हें हरा नहीं सकती। (Kauwa Aur Saap Ki Kahani end)
Kauwa Aur Saap Ki Kahani शिक्षा:
कठिन समय में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। एकता में बल होता है, और मिलजुलकर किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।
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