चालाक बंदर की कहानी भाग 1: बंदर और शेर का परिचय
चालाक बंदर की कहानी- एक बार की बात है, एक घने और सुंदर जंगल में सभी जानवर सुख-शांति से रहते थे। उस जंगल का राजा एक शक्तिशाली शेर था। शेर अपनी ताकत और रौब के लिए पूरे जंगल में प्रसिद्ध था। हालांकि, शेर का स्वभाव बेहद क्रूर था। वह अक्सर जंगल के जानवरों को डराता और उन्हें अपना शिकार बनाता। हर जानवर उससे भयभीत रहता था और उसकी इच्छा का पालन करता था।

हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “चालाक बंदर की कहानी” | “Chalak Bandar Ki Kahani“| हिंदी कहानी यह एक Animal Story है। अगर आपको Animal Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
एक दिन शेर ने जंगल के सभी जानवरों को एक सभा में बुलाया। उसका गरजता हुआ स्वर पूरे जंगल में गूंज उठा, “मुझे रोज खाना चाहिए। अगर तुम लोग मेरी भूख नहीं मिटाओगे, तो मैं पूरे जंगल को नष्ट कर दूंगा।” जानवर इतने डरे हुए थे कि उन्होंने सहमति में सिर हिला दिया।(चालाक बंदर की कहानी)

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इस जंगल में एक चालाक बंदर भी रहता था। वह अपनी तेज बुद्धि, मजाकिया स्वभाव और चतुराई के लिए मशहूर था। उसका नाम मंटू था। मंटू सभी जानवरों का प्रिय था क्योंकि वह हमेशा मुस्कुराता और सबको खुश रखने की कोशिश करता।
लेकिन मंटू को शेर की इस क्रूर योजना से गहरी चिंता हुई। वह जानता था कि इस आदेश का पालन करना जंगल के जानवरों के लिए असंभव है। हर दिन किसी न किसी जानवर को अपनी जान गंवानी पड़ेगी, और जल्द ही पूरा जंगल वीरान हो जाएगा।
शेर ने अपनी योजना को अमल में लाने का फरमान जारी कर दिया। “हर दिन सुबह मेरे पास एक जानवर आएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मैं खुद आऊंगा और जितने जानवर दिखेंगे, सबको खा जाऊंगा।” जानवर डर के मारे कुछ नहीं कह पाए। उन्होंने सोचा कि कम से कम यह समझौता उन्हें थोड़े समय के लिए शेर से बचा सकता है।
पहले कुछ दिन यह सिलसिला चलता रहा। हर दिन, जंगल के जानवरों में से कोई न कोई शेर का शिकार बन जाता। लेकिन मंटू यह सब चुपचाप देख रहा था। उसे पता था कि अगर उसने जल्दी ही कुछ नहीं किया, तो स्थिति और खराब हो जाएगी।(चालाक बंदर की कहानी)
मंटू रातभर सो नहीं पाया। वह सोचता रहा कि इस भयानक समस्या का समाधान कैसे निकाला जाए। उसने महसूस किया कि शेर की क्रूरता के पीछे उसका घमंड छुपा हुआ है। उसने तय किया कि अगर शेर को हराना है, तो उसे उसकी ताकत से नहीं, बल्कि उसकी कमजोरी यानी उसके घमंड पर चोट करनी होगी।
“अगर मैं अपनी चतुराई का सही इस्तेमाल करूं, तो इस समस्या का हल जरूर निकल सकता है,” मंटू ने खुद से कहा।
योजना बनाना
अगले दिन मंटू ने अपने दोस्तों को बुलाया और कहा, “हमें इस समस्या का हल मिलकर निकालना होगा। डरकर जीना कोई विकल्प नहीं है। मैं एक योजना बना रहा हूं, और मुझे तुम्हारे सहयोग की जरूरत है।”(चालाक बंदर की कहानी)
सभी जानवरों ने मंटू से पूछा, “तुम क्या करना चाहते हो?”
मंटू ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं शेर को उसकी ही कमजोरी से हराऊंगा। लेकिन इसके लिए मुझे शेर से अकेले मिलने का मौका चाहिए।”
सभी जानवर हैरान थे, लेकिन वे मंटू पर भरोसा करते थे। उन्होंने उसे योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
मंटू ने अपनी योजना तैयार की। उसने सोचा कि शेर को उसकी परछाई से डराना होगा। “अगर मैं उसे यकीन दिला दूं कि जंगल में कोई और शेर उससे ज्यादा ताकतवर है, तो वह खुद ही हार मान लेगा,” उसने मन ही मन सोचा।
अगले दिन, मंटू ने शेर से मिलने का साहसिक फैसला किया। वह सीधा शेर की गुफा के पास गया और गर्जते हुए शेर को विनम्रता से कहा, “महाराज, मैं आपके लिए एक बहुत जरूरी संदेश लेकर आया हूं।”
शेर ने गरजते हुए कहा, “क्या बात है, मंटू? जल्दी बोलो। मैं भूखा हूं।”
मंटू ने शांति से जवाब दिया, “महाराज, आपके इलाके में एक और शेर आ गया है। वह दावा करता है कि वह आपसे ज्यादा ताकतवर है और पूरे जंगल पर राज करना चाहता है। मैंने उसे खुद देखा है। वह इतना ताकतवर है कि मैं उसकी तुलना किसी से नहीं कर सकता।”(चालाक बंदर की कहानी)
शेर को यह सुनकर गुस्सा आ गया। उसने दहाड़ते हुए कहा, “कौन है वह? मुझे दिखाओ। मैं उसे अभी सबक सिखाऊंगा। कोई और मेरे जंगल में घुसने की हिम्मत कैसे कर सकता है?”
मंटू ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “महाराज, वह पास के कुएं में रहता है। मैंने उसे वहीं देखा है। अगर आप चाहें, तो मैं आपको वहां ले जा सकता हूं।”
शेर ने तुरंत मंटू से कहा, “मुझे अभी वहां ले चलो। मैं उसे दिखा दूंगा कि असली राजा कौन है।”
चालाक बंदर की कहानी का अंत (अगले भाग में)
कहानी यहीं समाप्त नहीं होती। शेर और मंटू के बीच आगे क्या होता है? शेर मंटू की बातों पर यकीन कर कुएं तक पहुंचता है, लेकिन उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए कहानी का अगला भाग जारी रहेगा।
नैतिक संदेश (भाग 1)
इस भाग से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन परिस्थितियों में बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। डर और क्रूरता से सामना करने के लिए चतुराई और सही योजना बनाना सबसे महत्वपूर्ण है।
मूल संदेश:
- किसी भी समस्या का समाधान तर्क और योजना से निकाला जा सकता है।
- घमंड और अंधविश्वास इंसान को मुश्किल में डाल सकते हैं।
- साहस और चतुराई से बड़ी-बड़ी समस्याओं को हराया जा सकता है

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चालाक बंदर की कहानी भाग 2: बंदर की चतुराई और शेर का अंत
अपनी योजना के तहत मंटू बंदर ने शेर से मिलने का फैसला किया। वह सीधे शेर की गुफा में पहुंचा, जहां शेर आराम कर रहा था। मंटू ने शेर को प्रणाम करते हुए कहा, “महाराज, मैं आपके लिए एक महत्वपूर्ण सूचना लेकर आया हूं। आपके इलाके में एक और शेर आ गया है, जो दावा करता है कि वह आपसे ज्यादा ताकतवर है और पूरे जंगल पर राज करना चाहता है।”
शेर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया। उसकी आंखें लाल हो गईं और उसने गरजते हुए कहा, “कौन है वह, जो मेरे जंगल में आकर मेरी ताकत को चुनौती देने की हिम्मत कर रहा है? मुझे तुरंत बताओ कि वह कहाँ है।”(चालाक बंदर की कहानी)
मंटू ने शांति से जवाब दिया, “महाराज, मैंने उसे पास के कुएं में देखा है। वह वहीं छुपा हुआ है और आपको चुनौती देने की बातें कर रहा है। अगर आप चाहें, तो मैं आपको वहां ले चल सकता हूं।”
शेर अब और भी क्रोधित हो गया। उसने सोचा, “इस जंगल में कोई मुझसे ज्यादा ताकतवर हो सकता है, यह मैं कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं उसे अभी सबक सिखाऊंगा।”
शेर ने मंटू से कहा, “तुम मुझे तुरंत उस शेर के पास ले चलो। मैं उसे दिखा दूंगा कि इस जंगल का असली राजा कौन है।” मंटू ने मन ही मन अपनी योजना के सफल होने की कल्पना करते हुए शेर को कुएं की ओर चलने का इशारा किया।
मंटू बंदर शेर को एक पुराने कुएं के पास ले गया। कुएं का पानी बिल्कुल साफ और शांत था। मंटू ने शेर से कहा, “महाराज, यही वह जगह है। वह दूसरा शेर इस कुएं के अंदर रहता है। मैंने उसे अपनी आंखों से देखा है। आप खुद झांककर देख सकते हैं।”
शेर ने बिना समय गवांए कुएं में झांका। जैसे ही उसने पानी में अपनी परछाई देखी, उसे लगा कि कुएं में वाकई एक और शेर है। वह परछाई देखकर और भी ज्यादा गुस्से में आ गया। उसकी गरज पूरे जंगल में गूंज उठी।
शेर ने सोचा कि कुएं में मौजूद दूसरा शेर भी उसे चुनौती दे रहा है, क्योंकि उसकी परछाई भी शेर की ही तरह दहाड़ रही थी। उसे यकीन हो गया कि वह दूसरा शेर उससे लड़ने के लिए तैयार है।
गुस्से में शेर ने सोचा, “अब मैं इस दुश्मन को नहीं छोड़ूंगा।” वह बिना सोचे-समझे कुएं में छलांग लगा बैठा। कुएं का पानी गहरा था, और शेर तैरना नहीं जानता था। वह डूबने लगा और मदद के लिए चीखने लगा, लेकिन कोई उसे बचाने नहीं आया। कुछ ही देर में शेर पानी के अंदर समा गया।
शेर के डूब जाने के बाद, जंगल में सन्नाटा छा गया। कुछ समय तक जानवरों को विश्वास ही नहीं हुआ कि शेर अब नहीं रहा। धीरे-धीरे खबर जंगल के हर कोने में फैल गई। जानवरों ने राहत की सांस ली।
मंटू की चतुराई और साहस की वजह से जंगल अब शेर के खौफ से मुक्त हो चुका था। सभी जानवर इकट्ठा होकर मंटू की तारीफ करने लगे।
मंटू ने जानवरों को संबोधित करते हुए कहा, “सभी समस्याओं का समाधान ताकत से नहीं, बल्कि बुद्धिमानी और एकजुटता से किया जा सकता है। अगर हम डर के बजाय अपनी चतुराई का उपयोग करें, तो कोई भी समस्या हमारे लिए बड़ी नहीं है।”(चालाक बंदर की कहानी)
जंगल के जानवरों ने मंटू से वादा किया कि वे आगे से मिलकर काम करेंगे और किसी भी कठिनाई का सामना एकजुट होकर करेंगे।
चालाक बंदर की कहानी का नैतिक संदेश
बुद्धिमानी और चतुराई से बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
- घमंड और क्रोध इंसान (या किसी जीव) को बर्बाद कर सकते हैं।
- अपनी ताकत का दिखावा करने के बजाय अपनी बुद्धि का सही समय पर इस्तेमाल करना अधिक फायदेमंद होता है।
- एकजुट होकर समस्याओं का सामना करना हमेशा आसान और प्रभावी होता है।
- इस प्रकार, मंटू बंदर की चतुराई ने जंगल के सभी जानवरों को भयमुक्त जीवन जीने का रास्ता दिखाया।
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