नमक व्यापारी और गधे की कहानी | Namak Vyapari Aur Gadhe Ki Kahani | Hindi Story

नमक व्यापारी और गधे की कहानी भाग 1: व्यापारी और गधे की दिनचर्या

नमक व्यापारी और गधे की कहानी एक व्यापारी की है जो नमक का व्यापार करता था। वह रोज़ाना अपने गधे पर नमक की भारी बोरियां लादकर एक गाँव से दूसरे गाँव तक ले जाता था। व्यापारी बहुत मेहनती और ईमानदार था। वह हर सुबह जल्दी उठता, नमक की बोरियां तैयार करता और गधे पर लादकर गाँव के बाजार में बेचने के लिए निकल जाता। यह उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका था।

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हेलो दोस्तो ! आपका इस वेबसाइट में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “नमक व्यापारी और गधे की कहानी" | "Namak Vyapari Aur Gadhe Ki Kahani"| हिंदी कहानी यह एक Animal Story है। अगर आपको Animal Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

गधा व्यापारी का सबसे महत्वपूर्ण सहायक था। वह एक मेहनती गधा था, लेकिन भारी वजन उठाने से हमेशा परेशान रहता था। दिन भर चलने और बोझा ढोने के कारण गधा थक जाता, और हर दिन यही सोचता कि कोई ऐसा तरीका मिल जाए जिससे उसका काम हल्का हो सके।(नमक व्यापारी और गधे की कहानी)

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व्यापारी के गाँव से बाजार तक का रास्ता एक नदी से होकर गुजरता था। नदी पार करना इस यात्रा का सबसे मुश्किल हिस्सा था। व्यापारी और गधा जब भी नदी के पास पहुँचते, तो पानी का बहाव देखकर गधा डरता, लेकिन व्यापारी के साथ होने के कारण वह हिम्मत जुटा लेता और नदी पार कर जाता।

एक दिन की बात है, व्यापारी और गधा हमेशा की तरह नमक की बोरियां लेकर बाजार जा रहे थे। जब वे नदी पार कर रहे थे, तो गधे का पैर फिसल गया, और वह पानी में गिर गया। गधा जैसे ही उठा, उसने महसूस किया कि उसकी पीठ पर लदी नमक की बोरियां हल्की हो गई हैं। दरअसल, पानी में गिरने से नमक घुल गया था, जिससे बोरी का वजन कम हो गया। गधे को यह बदलाव बहुत अच्छा लगा।

गधे ने सोचा कि अगर हर दिन ऐसा हो जाए, तो उसका काम कितना आसान हो जाएगा। अगले दिन जब व्यापारी ने गधे पर नमक की बोरियां लादीं और नदी के पास पहुंचे, तो गधे ने जानबूझकर अपने पैर फिसलने का नाटक किया और नदी में गिर गया। इस बार भी वही हुआ—नमक घुल गया, और बोरियां हल्की हो गईं। गधे ने राहत की सांस ली और मन ही मन अपनी चालाकी पर मुस्कुराया।

अब यह गधे की आदत बन गई। हर दिन वह नदी के पास पहुँचकर जानबूझकर गिरने का नाटक करता, और नमक हल्का हो जाने से उसका बोझ कम हो जाता।

कुछ दिनों तक व्यापारी को यह बात समझ नहीं आई। वह यह सोचकर परेशान रहता कि आखिर नमक की बोरियां बाजार तक पहुँचते-पहुँचते इतनी हल्की क्यों हो जाती हैं। लेकिन जब उसने गधे की हरकतों को ध्यान से देखा, तो उसे गधे की चालाकी समझ में आ गई। व्यापारी को यह एहसास हुआ कि गधा जानबूझकर नदी में गिर रहा है ताकि बोरियों का वजन कम हो जाए।(नमक व्यापारी और गधे की कहानी)

व्यापारी इस बात से नाराज़ था, लेकिन उसने सोचा कि गधे को सजा देने की बजाय उसे एक ऐसा सबक सिखाना चाहिए, जिससे वह भविष्य में ऐसी चालाकी न करे।

व्यापारी ने अगले दिन के लिए एक चालाक योजना बनाई। उसने नमक की बजाय गधे पर रूई की बोरियां लाद दीं। गधा यह नहीं समझ पाया कि इस बार बोरी में क्या भरा हुआ है। जैसे ही वे नदी के पास पहुँचे, गधे ने हमेशा की तरह पानी में गिरने का नाटक किया।

जैसे ही रूई की बोरियां पानी में भीगीं, वे भारी हो गईं। गधे को उम्मीद थी कि बोरियां हल्की हो जाएंगी, लेकिन इस बार हुआ इसके बिल्कुल विपरीत। भीगी हुई रूई ने गधे का वजन इतना बढ़ा दिया कि गधे के लिए चलना भी मुश्किल हो गया।(नमक व्यापारी और गधे की कहानी)

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नमक व्यापारी और गधे की कहानी भाग 2: व्यापारी की समझदारी और गधे का सबक

व्यापारी को गधे की हरकतों का पता लग चुका था। उसे समझ आ गया कि गधा जानबूझकर नदी में गिरकर नमक की बोरियां हल्की कर रहा है। व्यापारी इससे बहुत परेशान हुआ। वह सोचने लगा कि अगर गधा इसी तरह चालाकी करता रहा, तो उसका व्यापार प्रभावित हो सकता है।

व्यापारी ने गधे को दंड देने के बजाय उसे सबक सिखाने की योजना बनाई। उसने तय किया कि गधे को उसकी चालाकी का परिणाम समझाना होगा ताकि वह भविष्य में ऐसा न करे।

अगले दिन व्यापारी ने अपनी योजना को अंजाम देने का फैसला किया। उसने नमक की बजाय गधे पर रूई की बोरियां लाद दीं। रूई देखने में हल्की लगती थी, और गधे को लगा कि आज का काम बहुत आसान रहेगा। व्यापारी ने गधे को बोरियां लादकर नदी के रास्ते ले जाना शुरू किया।

नदी के पास पहुंचते ही गधे ने हमेशा की तरह पानी में गिरने का नाटक किया। उसने सोचा कि जैसा हर दिन होता है, इस बार भी बोरियां हल्की हो जाएंगी, और उसका काम आसान हो जाएगा। लेकिन जैसे ही रूई की बोरियां पानी में भीगीं, वे भारी हो गईं।(नमक व्यापारी और गधे की कहानी)

गधे ने सोचा कि पानी में गिरने से उसे राहत मिलेगी, लेकिन इस बार हुआ इसके बिल्कुल उलट। भीगी हुई रूई का वजन इतना बढ़ गया कि गधे के लिए खड़ा होना भी मुश्किल हो गया। उसकी पीठ पर लदी बोरियां इतनी भारी हो गईं कि हर कदम चलना उसके लिए कष्टदायक हो गया।

गधे ने महसूस किया कि उसकी चालाकी ने उसे ही परेशानी में डाल दिया है। वह सोचने लगा, “अगर मैंने ईमानदारी से काम किया होता, तो मुझे आज इस तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता।”

गधे की हालत देखकर व्यापारी ने मुस्कुराते हुए कहा,
“देखा! चालाकी और कामचोरी से कुछ हासिल नहीं होता। मेहनत और ईमानदारी से काम करना ही सबसे अच्छा है। अगर तुमने अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निभाया होता, तो आज तुम्हें यह भारी बोझ नहीं उठाना पड़ता।”

व्यापारी की ये बातें गधे के दिल में उतर गईं। उसने सोचा कि अब से वह कभी कामचोरी नहीं करेगा और अपने काम को पूरी ईमानदारी से निभाएगा।

उस दिन के बाद गधे ने कभी चालाकी करने की कोशिश नहीं की। उसने समझ लिया कि मेहनत और ईमानदारी से ही जीवन में सफलता मिलती है। अब वह खुशी-खुशी व्यापारी के साथ काम करता और अपना कर्तव्य निभाता।

व्यापारी भी गधे के बदलते व्यवहार से संतुष्ट था। दोनों का रिश्ता पहले से बेहतर हो गया, और उनका काम भी सुचारू रूप से चलने लगा।

मूल संदेश
यह नमक व्यापारी और गधे की कहानी हमें सिखाती है कि:

  • चालाकी और कामचोरी से कोई स्थायी लाभ नहीं होता।
  • ईमानदारी और मेहनत ही सफलता का असली रास्ता है।
  • अपने कार्य को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करना चाहिए।
  • “मेहनत और ईमानदारी से किया गया काम न केवल सम्मान दिलाता है, बल्कि जीवन को सुखद और सरल बनाता है।
थैंक्यू दोस्तो स्टोरी को पूरा पढ़ने के लिए आप कमेंट में जरूर बताएं कि नमक व्यापारी और गधे की कहानी"| "Namak Vyapari Aur Gadhe Ki Kahani"| Animal Story | हिंदी कहानी कैसी लगी |

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