हिंदी की सबसे मजेदार पहेलियाँ | Best Paheli in Hindi

Hello Dosto aap sabka suno kahani website mein suhagat hai jaise aap sab jaante hai ki suno kahani mein hum kaise hindi kahaniya post karte hai jisko aap sab log bhot pasand karte hai ussi ko dekhte hue ab hum Paheliyan (Best Paheli in Hindi) laaye hai jisse aap ache se soch kar apne dosto aur family ke sath time spend karte karte enjoy karshkte hai aur apne dosto aur yaaro ki saath share kar shakte hai is post mein hum apko bhot sari Best Paheli in Hindi hai jisko aap read kar aur apni sochne ki power increase kar shakte hai.. thankyou aur share karna na bhule

Best-Paheli-in-Hindi

Best Paheli in Hindi with Answers | Funny & Logical Riddles

Paheli (in Hindi)Answer (उत्तर)
जब मैं सूखा हूँ तो तैरता हूँ, गीला होते ही डूब जाता हूँ, बताओ मैं कौन हूँ?कागज़
मुँह है पर बोल नहीं सकता, दिल है पर धड़क नहीं सकता।मिट्टी का घड़ा
मुझे जलाओ तो रोशनी, बुझाओ तो अंधेरा, मैं कौन हूँ?दीया
जिसे जितना साफ़ करो, उतना गंदा होता जाए।पानी
बिना चलाए चलती हूँ, बिना पेट्रोल के दौड़ती हूँ।घड़ी
मेरा नाम लो तो टूट जाऊँ।सन्नाटा
दिन में छिप जाती हूँ, रात में दिखती हूँ, लेकिन सूरज से डरती हूँ।तारे
मुझे पकड़ा नहीं जा सकता, पर मैं सबको छूती हूँ।हवा
खोलो तो गीली, बंद करो तो सूखी।छतरी
हर किसी के पास हूँ, पर कोई मुझे देख नहीं सकता।आवाज़
जो हर रोज़ आती है, मगर कभी ठहरती नहीं।सूरज की रोशनी
चलती है बिना पैर के, गाती है बिना गले के।हवा
मुझे जितना बांटो, उतनी बढ़ती हूँ।खुशी
बिना बीज के फल देती हूँ, बिना जड़ के खड़ी रहती हूँ।कृत्रिम पौधा
जितना ज्यादा निकालो, उतनी बड़ी हो जाती हूँ।गड्ढा
जिसके अंदर दिन-रात होते हैं, पर वो खुद स्थिर रहती है।पृथ्वी
मैं बिना पैर के चलती हूँ, बिना आँख के देखती हूँ।हवा
मैं बिना हाथ के पकड़ सकती हूँ।यादें
जिसे कोई सुन नहीं सकता, पर हर कोई महसूस करता है।दर्द
मैं छूटी तो सब खुश, पर पकड़ो तो सब रोएँ।साँस
मैं जली तो सब हँसे, मैं बुझी तो सब उदास।मोमबत्ती
मैं हमेशा आगे बढ़ती हूँ, कभी पीछे नहीं जाती।समय
मैं खुद कभी नहीं खाता, पर सबको खिलाता हूँ।चूल्हा
बिना मुँह के बोलता हूँ, बिना कान के सुनता हूँ।फोन
मैं सबको दिशा दिखाता हूँ, पर खुद कहीं नहीं जाता।कंपास
बिना पंख के उड़ता हूँ, बिना पैर के दौड़ता हूँ।समय
मुझे जितना बाँटो, उतनी बढ़ती हूँ।ज्ञान
जो खुद अंधेरे में जलता है, ताकि औरों को रोशनी मिले।दीपक
मेरे आने से सब डरते हैं, पर मेरे बिना जीवन नहीं।रात
मैं गिरता हूँ पर कभी चोट नहीं खाता।बारिश
मैं घर में भी हूँ, आसमान में भी, दिल में भी।रोशनी
मैं सबको ठंडक देती हूँ, पर खुद जलती हूँ।सूरज
मेरा कोई आकार नहीं, पर सबको ढक लेती हूँ।धुंध
मैं बिना डोरी के बंधी हूँ, पर उड़ नहीं सकती।पत्थर
मैं बच्चों की दोस्त, हवा की सवारी करती हूँ।पतंग
मैं नाचती हूँ पर पैर नहीं, गाती हूँ पर आवाज़ नहीं।छाया
जो हमेशा साथ रहती है, पर पकड़ी नहीं जाती।परछाई
मैं जब आती हूँ तो दिल डरता है, पर बिना मेरे सुकून नहीं।रात
मैं बिना बोले कह जाती हूँ, जो शब्द नहीं कह पाते।आँसू
मैं कभी नहीं रुकती, कभी नहीं थकती।नदी
मैं रंग बदलती हूँ पर रूप नहीं।गिरगिट
बिना पंख के उड़ती हूँ, बिना पाँव के चलती हूँ।हवा
मैं सबके पास हूँ, पर कोई मुझे पकड़ नहीं सकता।विचार
मैं जल से जन्म लेती हूँ, पर जल में घुल जाती हूँ।बर्फ
मैं जब आती हूँ तो सब बंद हो जाता है।नींद
मैं सबके मन में रहती हूँ, पर कोई मुझे देख नहीं सकता।आत्मा
मैं सबको जोड़ती हूँ, पर खुद टूट जाऊँ तो सब बिखर जाएँ।प्यार
मैं दिन में नहीं दिखती, पर रात में चमकती हूँ।तारे
मैं जितना खाली होता हूँ, उतना काम का होता हूँ।कप
मैं चलती हूँ, पर कभी कहीं नहीं जाती।घड़ी
मैं सबको रुला सकती हूँ, पर खुद नहीं रोती।प्याज
मैं जब आती हूँ, लोग भीगते हैं।बारिश
मैं जल में रहती हूँ, पर कभी गीली नहीं होती।मछली
मैं धरती पर नहीं उगती, पर खेत कहलाती हूँ।समुद्र
मैं जब टूटती हूँ, तो लोग खुश होते हैं।दिन
मैं जितनी पुरानी होती हूँ, उतनी कीमती बनती हूँ।वाइन
मैं हर इंसान के पास हूँ, पर किसी का नहीं।नाम
मैं दिन में एक बार आती हूँ, रात में कई बार।सोच
मैं जलाऊँ तो गर्मी, बुझाऊँ तो ठंडक।आग
मैं चलती हूँ पर पैर नहीं।रेलगाड़ी
मैं आँखें बंद कर देता हूँ, पर नींद नहीं लाता।झपकी
मैं धरती को ढकती हूँ, पर खुद पारदर्शी हूँ।धुंध
मैं गिरता हूँ पर चोट नहीं लगती।पत्ता
मैं बोल नहीं सकता, पर कहानी कहता हूँ।किताब
मैं सबको रोकता हूँ, पर खुद कभी नहीं रुकता।समय
मैं सबको गर्मी देती हूँ, पर खुद ठंडी होती हूँ।आग की राख
मैं बिना धागे के बुनाई करता हूँ।मकड़ी
मैं बिना सिर के चलता हूँ, बिना पैर के भागता हूँ।नदी
मैं आकाश से गिरती हूँ, पर बादल नहीं हूँ।ओस
मैं घर में होती हूँ, पर आवाज़ नहीं करती।दीवार
मैं घर में आती हूँ, पर दस्तक नहीं देती।हवा
मैं रोशनी फैलाती हूँ, पर जल नहीं सकती।बिजली
मैं समय के साथ बदलता हूँ, पर इंसान नहीं हूँ।मौसम
मैं बिना पंख के उड़ता हूँ, बिना शरीर के जीवित हूँ।विचार
मैं खेत में उगता हूँ, पर खाया नहीं जाता।फूल
मैं जल में गिरता हूँ, पर भीगता नहीं।प्रतिबिंब
मैं सूरज से लड़ता हूँ, पर कभी जीत नहीं पाता।बादल
मैं हर जगह हूँ, पर दिखता नहीं।हवा
मैं आँखों से नहीं दिखता, पर महसूस होता हूँ।प्यार
मैं पत्तों से जन्म लेता हूँ, पर जड़ नहीं हूँ।फल
मैं जब बढ़ता हूँ, लोग डरते हैं।कर्ज
मैं सबके साथ चलता हूँ, पर कोई मेरा साथ नहीं देता।छाया
मैं जलाऊँ तो सब हँसते हैं, बुझाऊँ तो सब रोते हैं।मोमबत्ती
मैं दिल में बसता हूँ, पर शरीर में नहीं।प्यार
मैं बिना कपड़ों के आती हूँ, सबको ढक लेती हूँ।रात
मैं रोता नहीं, पर सबको रुलाता हूँ।दर्द
मैं बिना आवाज़ के आती हूँ, पर सबको सुनाई देती हूँ।हवा
मैं चमकता हूँ, पर जलता नहीं।हीरा
मैं बिना पैर के चलता हूँ, बिना दिमाग के सोचता हूँ।कंप्यूटर
मैं सबको हँसाता हूँ, पर खुद कभी नहीं हँसता।जोकर
मैं सबको थकाता हूँ, पर खुद नहीं थकता।काम
मैं सबको मिलाता हूँ, पर खुद अकेला रहता हूँ।गोंद
मैं मिट्टी से बनता हूँ, पर राजा कहलाता हूँ।ईंट
मैं बिना शरीर के हूँ, पर सब मुझे पहचानते हैं।नाम
मैं बिना आवाज़ के गाता हूँ, बिना हाथ के बजता हूँ।रेडियो
मैं पानी पीता हूँ, पर प्यास नहीं बुझती।पौधा
मैं जितना बढ़ता हूँ, उतनी घटती हूँ।मोमबत्ती
मैं बिना धूप के जलता हूँ।बल्ब
मैं चल नहीं सकता, पर सबको चलाता हूँ।सड़क
मैं बिना जन्म के पैदा होता हूँ, बिना मरने के मिट जाता हूँ।विचार

More Unique Paheli in Hindi with Answers

Paheli (in Hindi)Answer (उत्तर)
मैं बिना हाथ के थपकी दूँ, बिना मुँह के बोलूँ, सबको सुला दूँ।हवा
मैं सफेद भी हूँ, काली भी, पर लिखने का काम करती हूँ।चॉक
मैं सिर पर चढ़ता हूँ, फिर नीचे उतर जाता हूँ, पर किसी का नुकसान नहीं करता।टोपी
मैं बिना खून के लाल हूँ, पर सबके दिल को भाऊँ।गुलाब
मैं कभी नहीं रुकता, न ही थकता, समय के साथ चलता।घड़ी की सुई
मैं सबको जोड़ता हूँ, पर खुद बिखरा रहता हूँ।इंटरनेट
मैं चलता नहीं, पर हर जगह पहुँचता हूँ।खबर
मैं खिड़की से आती हूँ, पर दरवाज़ा नहीं खोलती।हवा
मैं सबको दिखाता हूँ, पर खुद को नहीं।आईना
मैं बिना आँखों के देखता हूँ, बिना हाथों के पकड़ता हूँ।सपना
मैं बिना रंग के भी रंग भर दूँ।मुस्कान
मैं सूरज से निकला, धरती को छू लिया, फिर भी कभी थका नहीं।प्रकाश
मैं जितना बढ़ता हूँ, उतना हल्का होता हूँ।गुब्बारा
मैं बिना पंख के उड़ता हूँ, पर आसमान नहीं छूता।पतंग
मैं जितना पुराना होता हूँ, उतना कीमती बनता हूँ।अनुभव
मैं बोलता नहीं, पर सिखाता बहुत हूँ।किताब
मैं घर के कोने में रहता हूँ, पर सबको जोड़ता हूँ।वाई-फाई
मैं बिना चाबी के खुलता हूँ, पर बंद नहीं हो सकता।रहस्य
मैं जब आता हूँ, सब भाग जाते हैं, पर मेरे बिना जीवन नहीं।तूफ़ान
मैं गिरता हूँ, टूटता नहीं।हिमकण
मैं न जलता हूँ, न बुझता, पर हमेशा रोशनी देता हूँ।ज्ञान
मैं सबको जोड़ता हूँ, पर खुद अदृश्य हूँ।नेटवर्क
मैं धरती पर हूँ, पर आसमान को छूता हूँ।पर्वत
मैं आवाज़ नहीं करता, पर सबको जगा देता हूँ।सूरज
मैं जब आता हूँ, सबको ठंडक देता हूँ।सर्दी
मैं जब हिलता हूँ, सब डरते हैं।भूकंप
मैं गोल हूँ, पर गेंद नहीं।सूरज
मैं बिना शरीर के फैलता हूँ, सबको छूता हूँ।सुगंध
मैं जब खुलता हूँ, तो ज्ञान फैलता है।किताब
मैं जब आती हूँ, सब मुस्कुराते हैं।सुबह
मैं जल में गिरता हूँ, पर आवाज़ नहीं करता।ओस
मैं घर में रहती हूँ, पर सब मुझसे डरते हैं।छिपकली
मैं अंधेरे में चमकता हूँ, पर रोशनी नहीं देता।जुगनू
मैं जितना बढ़ता हूँ, उतना छोटा दिखता हूँ।पहाड़ की दूरी
मैं घर को ठंडा रखता हूँ, पर खुद गर्म रहता हूँ।फ्रिज
मैं सबको दिशा देता हूँ, पर खुद खो जाता हूँ।नक्शा
मैं रोज़ आता हूँ, पर कोई नहीं रोक सकता।कल
मैं बिना शरीर के चलता हूँ, पर सबको आगे बढ़ाता हूँ।विचार
मैं बोलता नहीं, पर गुस्सा दिखाता हूँ।लाल चेहरा
मैं रोता नहीं, पर पानी बहाता हूँ।नल
मैं घर में रहती हूँ, पर कोई मुझसे नहीं खेलता।झाड़ू
मैं जब आता हूँ, पेड़ झुकते हैं।तूफ़ान
मैं बिना आग के जलता हूँ।बल्ब
मैं बिना मुँह के गाती हूँ।बांसुरी
मैं जितनी मोटी होती हूँ, उतनी भारी नहीं।बादल
मैं दिन में छोटी, रात में बड़ी दिखती हूँ।परछाई
मैं दिल में रहती हूँ, पर जगह नहीं घेरती।याद
मैं बिना आग के गरमाती हूँ।धूप
मैं बिना पानी के भी भीग सकता हूँ।पसीना
मैं बिना मुँह के बोलती हूँ, पर सब सुनते हैं।रेडियो
मैं आसमान से आती हूँ, पर बारिश नहीं।ओस की बूंद
मैं मिट्टी से निकलता हूँ, पर खाया नहीं जाता।सोना
मैं चुप रहता हूँ, पर जवाब देता हूँ।आईना
मैं बिना बीज के उगता हूँ।विचार
मैं बिना नाम के भी जाना जाता हूँ।चेहरा
मैं जब गायब हो जाऊँ, तो सब रोते हैं।बिजली
मैं चलती हूँ, पर आवाज़ नहीं करती।हवा
मैं बिना शरीर के हूँ, पर हर जगह हूँ।आत्मा
मैं घर में रहकर भी बाहर की खबर देता हूँ।टीवी
मैं जब रुकता हूँ, तो सब थक जाते हैं।पंखा
मैं सबको ठंडक देता हूँ, पर खुद घूमता रहता हूँ।पंखा
मैं सुबह आती हूँ, शाम को चली जाती हूँ।धूप
मैं धरती का आभूषण हूँ।फूल
मैं बिना जड़ों के उगता हूँ।काई
मैं बिना धूप के भी चमकता हूँ।चाँद
मैं बिना बारिश के भी भीगता हूँ।पसीना
मैं बिना पानी के भी बहता हूँ।समय
मैं बिना शब्दों के भी बोलता हूँ।हावभाव
मैं कभी नहीं थकता, पर सबको थका देता हूँ।काम
मैं बिना कपड़ों के आता हूँ, सबको ढक लेता हूँ।अंधेरा
मैं मिट्टी में हूँ, पर उड़ सकता हूँ।धूल
मैं बिना आवाज़ के गूँजता हूँ।विचार
मैं सबके सिर पर हूँ, पर बोझ नहीं हूँ।आसमान
मैं जब आती हूँ, तो लोग भागते हैं।आँधी
मैं रंग नहीं, पर दुनिया रंगीन बना देता हूँ।सूरज
मैं बिना पैरों के दौड़ता हूँ।नदी
मैं सबको जोड़ता हूँ, पर खुद टूट सकता हूँ।पुल
मैं जब बढ़ता हूँ, तब सब खुश होते हैं।वेतन
मैं जब घटता हूँ, तो सब दुखी होते हैं।समय
मैं सबको ठहराता हूँ, पर खुद नहीं रुकता।घड़ी
मैं बिना आवाज़ के बोलता हूँ।चित्र
मैं बिना शब्दों के सिखाता हूँ।अनुभव
मैं बिना शिक्षा के ज्ञान देता हूँ।जीवन
मैं हमेशा आगे बढ़ता हूँ, पर कभी पीछे नहीं।समय
मैं बिना पहियों के चल सकता हूँ।नाव
मैं धरती का पहरा देता हूँ।चाँद
मैं सबको हँसाता हूँ, पर खुद गंभीर हूँ।जोकर
मैं बिना मुँह के चिल्लाता हूँ।अलार्म
मैं बिना शरीर के ठंडक देता हूँ।हवा
मैं बिना रोशनी के चमकता हूँ।जुगनू
मैं बिना बारिश के गिरता हूँ।ओस
मैं सबको जगाता हूँ, पर खुद सोया रहता हूँ।अलार्म
मैं हर किताब में हूँ, पर कोई मुझे नहीं पढ़ता।ज्ञान
मैं सबके साथ हूँ, पर किसी का नहीं।समय
मैं बिना बोल के सब कुछ कह देता हूँ।आँखें
मैं बिना दिल के भी धड़कता हूँ।घड़ी
मैं बिना शरीर के गर्मी देता हूँ।धूप
मैं बिना सूरज के चमकता हूँ।बल्ब
मैं सबको रोक सकता हूँ, पर खुद नहीं रुकता।समय
मैं बिना रूप के हूँ, पर सबको पहचान देता हूँ।आत्मा

Best Paheli in Hindi (मजेदार पहेलियाँ)

Best Paheli in Hindi paheliyan aisi chiz jo na keval apki dimag ko tej karega balki aap apne friends ke sath milkar hasi mazak aur naye naye tarah se satah shaktey hai suno kahani website na keval apko hindi kahaniya deta hai bakli apke liye new new shayari aur paheliyan bhi deta hai aur aane vale time mein hamari team aap sab ke liye aur naye naye chize dundhegi aur apke ke laygi.Best Paheli in Hindi

FAQs – Best Paheli in Hindi

Q1. What is the meaning of Paheli in Hindi?

“Paheli” means a riddle or puzzle that tests your mind and thinking skills.

Q2. Are these paheliyan suitable for kids?

Yes, all the paheliyan are easy, fun, and safe for children to enjoy.

Q3. Can I use these paheliyan for school competitions?

Absolutely! These original riddles are perfect for quiz, school games, or fun events.

Q4. How do paheliyan help in learning?

Paheliyan improve memory, logic, focus, and creative thinking in both kids and adults.

Q5. How often is this list of paheli in Hindi updated?

New and unique paheliyan are added regularly to keep the content fresh and engaging.

Also Check –

Scroll to Top